सुशांत सिंह राजपूत करेंगे इस फाइटर का किरदार

बौलीवुड में मौलिक काम करने की बजाय सभी नकल करने पर आमादा रहते हैं. अब लगातार असफलता का दंश झेल रहे अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत भी उसी श्रेणी में आ गए हैं. वह पौढ़ी गढ़वाल के शहीद जसवंत सिंह रावत के जीवन पर फिल्म ‘राइफलमैन’ में राइफल मैन जसवंतसिंह रावत का किरदार निभाने जा रहे हैं. सवाल यह है कि सुशांत सिंह राजपूत को अब यह ख्याल क्यों आया?

ज्ञातव्य है कि 18 जनवरी को जसवंत सिंह रावत के जीवन व कृतित्व पर आधारित लेखक, निर्माता व निर्देशक अविनाश धानी की फिल्म ‘72 आवर्सः द मार्टीयर हू नेवर डाइड’ प्रदर्शित हो चुकी है. इस फिल्म में अविनाश धानी ने ही जसवंत सिंह रावत का किरदार निभाया है. मजेदार बात यह है कि यह फिल्म पिछले एक साल से सुर्खियों में रही है, मगर अब जब यह फिल्म सिनेमा घरों में पहुंची, तो सुशांत सिंह राजपूत ने इस किरदार को निभाने की घोषणा की.

सुशांत सिंह राजपूत का दावा है कि वह काफी लंबे समय से राइफलमैन जसवंत सिंह रावत पर शोधकार्य कर रहे थे.

कौन थे शहीद राइफलमैन जसवंत सिंह रावत

1962 में भारत-चीन युद्ध के समय अरूणाचल प्रदेश के नाफा बौर्डर पर तीन सौ चीनी सैनिकों के साथ लगातर 72 घंटे तक युद्ध करते हुए राइफलमैन जसवंत सिंह रावत ने शहादत पायी थी. पौढ़ी गढ़वाल निवासी राइफलमैन/सैनिक जसवंत सिंह रावत ने चीनी सैनिकों के खिलाफ जंग पर जाते समय कहा था-‘‘हम लोग लौटें ना लौटें, ये बक्से लौटें न लौटें, लेकिन हमारी कहानियां लौटती रहेंगी…’ उन्हे महावीर चक्र से भी नवाजा गया था.

फरहान के खुलासे को आप भी जानिए

खुद को हमेशा सूर्खियों में रखने की कला में माहिर अभिनेता, निर्माता व निर्देशक फरहान अख्तर ने एक बार फिर अपनी ऐसी नई खबर दी कि लोग कह रहे है ‘‘खोदा पहाड़ निकली चुहिया.’’

जी हां! कुछ दिन पहले फरहान अख्तर ने सोशल मीडिया के अलावा पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि वह बहुत जल्द खुद से जुड़ा एक बहुत बड़ा खुलासा करने वाले हैं. तब से हर अखबार व टीवी चैनल पर फरहान अख्तर सूर्खियों में छाए हुए थे. हर जगह चर्चा थी कि फरहान अख्तर अपने खुलासे में शिबानी दांडेकर के संग अपने विवाह की तारीख घोषित करेंगे. इस खबर को फरहान अख्तर अपने अंदाज में जबरदस्त हवा देते रहे. उन्होने बीच में इंस्टाग्राम पर एक स्वींमंग पुल के अंदर शिबानी दांडेकर को अपनी बाहों में उठाए हुए फोटो पोस्ट करते हुए ऐसा कुछ लिखा जिससे यह बात पुख्ता हो रही है कि फरहान अख्तर जल्द ही शिबानी दांडेकर से विवाह करेंगे.

मगर आज 16 जनवरी की सुबह 9 बजकर 32 मिनट पर इंस्टाग्राम पर मशहूर फिल्मकार राकेश ओमप्रकाश मेहरा के साथ अपनी तस्वीर पोस्ट करते हुए अपने सबसे बड़े खुलासे को उजागर करते हुए फरहान अख्तर ने लिखा है- ‘‘थ्रिल्ड टू शेअर दैट सिक्स ईअर आफ्टर भाग मिल्खा भाग, राकेश ओमप्रकाश मेहरा एंड आई आर रीयुनाइटिंग टू क्रिएट तूफान हार्टफेल्ट स्टोरी आफ ए बाक्सर. (हम यह बताते हुए रोमांच अनुभव कर रहे हैं कि भाग मिल्खा भाग के छह साल बाद राकेश ओमप्रकाश मेहरा के साथ मिलकर तूफान लेकर आ रहे हैं, जो कि एक बाक्सर की कहानी है.)

सूत्रो के अनुसार फिल्म ‘तूफान’ का निर्माण फरहान अख्तर और रितेश सिद्धवानी अपने ‘एक्सेल इंटरटेनमेंट’ के बैनर तले कर रहे हैं, जिसका निर्देशन राकेश ओमप्रकाश मेहरा करेंगे. फिल्म की पटकथा अंजुम राजाबली ने लिखी है. यह बायोपिक नहीं, बल्कि एक काल्पनिक कहानी है. इस फिल्म के किरदार के साथ न्याय करने के लिए फरहान अख्तर बाक्सिंग की ट्रेनिंग लेने वाले हैं.

#MeToo: हिरानी पर लगे आरोप पर बौलीवुड स्टार्स ने क्या कहा

हाल ही में बौलीवुड के फेमस डायरेक्टर राजकुमार हिरानी पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगा. राजकुमार की एक फीमेल असिस्टेंट ने उन पर यौन शोषण का आरोप लगाया है. पीड़िता का आरोप है कि हिरानी ने उसके साथ करीब 6 महीने तक शोषण किया. इस आरोप से बौलीवुड के बहुत से लोग हैरान हैं. कई कलाकार हिरानी के सपोर्ट में भी आ गए हैं. आइए जानते हैं कि वो कौन से एक्टर्स हैं जो राजू के सपोर्ट में खड़े हैं और उन्होंने क्या कहा.

राजकुमार हिरानी के समर्थन में फिल्म प्रोड्यूसर बोनी कपूर आए. बोनी ने कहा कि राजकुमार बहुत ही अच्छे इंसान हैं, वो ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते. बोनी ने आगे कहा कि, मुझे इस आरोप पर विश्वास नहीं है। वह ऐसा कभी नहीं कर सकता, कभी भी नहीं.

एक्टर इमरान हाशमी ने कहा कि, यह सिर्फ आरोप हैं और जब तक यह आरोप साबित नहीं हो जाते हैं तब तक इस पर कुछ भी कहना सही नहीं होगा.

मुन्ना भाई सीरीज में हिरानी के साथ काम कर चुके अरशद वारशी का कहना है कि, एक इंसान और एक व्यक्तित्व के तौर पर राजू कैसे हैं तो मैं यही कहूंगा कि वे एक अद्भुत और सभ्य व्यक्ति हैं. मेरे लिए भी बाकी लोगों की तरह यह खबर शौकिंग है.

आलोक नाथ पर हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली विंटा नंदा ने इस प्रकरण पर खेद जताया है. विनता ने राजकुमार हिरानी के वकील आनंद देसाई के ट्वीट को री-ट्वीट करते हुए लिखा कि #MeToo का यह नया आरोप काफी परेशान करने वाला है. महिलाएं किस पर भरोसा करें?

क्या है राजकुमार हिरानी की प्रतिक्रिया

इन तमाम आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए राजू ने खुद जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि कि जब दो महीने पहले मुझे इन आरोपों के बारे में बताया गया तो मैं शौक्ड रह गया. मैंने कहा कि किसी भी समिति या कानूनी संस्था से मामले की जांच कराई जानी चाहिए. लेकिन शिकायतकर्ता ने मीडिया में जाने का विकल्प चुना. उन्होंने कहा कि मैं दृढ़ता के साथ कहता हूं कि ये सारे आरोप झूठे हैं और मेरी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से इन्हें फैलाया गया है.

वर्सेटाइल कलाकार के लिए संगीत का ज्ञान बहुत जरुरी है: कंचन अवस्थी

कालेज दिनों में नाटकीय मंचन के दौरान पार्श्व में गीत गाने वाली कंचन अवस्थी ने कभी नहीं सोचा था कि वह एक दिन अभिनय को अपना करियर बनाएंगी. मगर संयोगवश उन्हे संत गाड़गे औडीटोरियम, लखनउ में एक दिन नाटक ‘‘यहूदी की बेटी’’ में राहिल की भूमिका निभाना पड़ा और फिर उनके अभिनय करियर की शुरुआत हो गयी. शबाना आजमी के साथ जीटीवी के सीरियल ‘अम्मा’ के अलावा कई नाटकों, टीवी सीरियलों व फिल्मों में अभिनय कर चुकी लखनउ निवासी कंचन अवस्थी इन दिनों अठारह जनवरी को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘फ्राड सैयां’ को लेकर चर्चा में हैं.

2019 में आपका करियर किस मुकाम पर नजर आ रहा है?

-अब मैं अपने करियर में काफी परिपक्व हो गयी हूं. मुझे लग रहा है कि अब मैं हर चीज को लेकर आत्म विश्वासी हो गयी हूं, फिर चाहे कैमरे का सामना करना हो, या एक्सप्रेशन देना हो या रिएक्शन देना हो. अब मुझे लग रहा है कि 2019 मेरा वर्ष है. इस वर्ष मेरी एक नहीं, बल्कि तीन तीन फिल्में सिनेमाघरों में पहुंचने वाली हैं. सबसे पहले 18 जनवरी को प्रकाश झा निर्मित फिल्म ‘फ्राड सैयां’ पहुंचेगी. इस तरह यह वर्ष मेरे लिए सबसे बेहतरीन वर्ष साबित होने वाला है.

देखिए, मैं गैर फिल्मी परिवार यानी कि लखनउ के मध्यमवर्गीय परिवार से आयी हूं. तो स्वाभाविक है कि मुझे बौलीवुड में सीखने में ढाई साल लग गए. पर इस दौरान भी मैंने काफी काम किया. मैं कभी घर पर खाली नहीं बैठी. मसलन मैंने 2016 में शबाना आजमी के साथ सीरियल ‘अम्मा’ किया था. ‘मैं खुदीराम बोस हूं’ और ‘भूत वाली लव स्टोरी’ जैसी फिल्में की. इसके अलावा मैं लगातार थिएटर भी करती आ रही हूं. मैंने दिल्ली के श्रीराम सेंटर में जय प्रकाश शंकर का ‘काशी का गुंडा’ नाटक किया था.

फिल्म ‘फ्राड सैयां’ से जुड़ना कैसे हुआ?

-जब लखनउ में मेरी पढ़ाई चल रही थी, तभी मुझे एक सीरियल में अभिनय करने का मौका मिला था. इस वजह से मेरा लखनउ व मुंबई आना जाना होता रहा था. मुंबई में मेरी बहन भी रहती हैं, पर मेरा यहां ज्यादा रूकना हुआ नहीं. एक बार जब मुंबई आयी, तो मुझे किसी ने बताया कि ‘प्रकाश झा प्रोडक्शन’ में फिल्म ‘फ्रौड सैयां’ के लिए औडीशन हो रहे हैं. तो मैंने भी औडीशन दिया. उस वक्त डरी सहमी हुई सी थी. पर अंदर से आत्मविश्वास था और आज भी है. तो मैंने पूरे आत्मविश्वास के साथ औडीशन दिया था. पर एक हफ्ते तक मुझे कोई जवाब नहीं मिला, तो मैने वापस लखनउ जाने का कार्यक्रम बना लिया. जिस दिन मुझे लखनउ वापस जाना था, उससे एक दिन पहले मुझे ‘प्रकाश झा प्रोडक्शन’ के औफिस में बुलाया गया. वहां पर मुझे पता चला कि फिल्म के लिए मेरा चयन हो गया है और फिर मेरे किरदार के बारे में बताया गया कि में इसमें नमिता का किरदार करने वाली हूं, जो कि अरशद वारसी की पत्नी है. मैं तो अरशद वारसी का नाम सुनते ही खुश हो गयी. क्योंकि मैं तो उनकी बहुत बड़ी फैन हूं. उन्होने एक नहीं कई सफल हास्य फिल्में दी हैं. किरदार सुनकर मैंने कहा मुझे करना है. उसके बाद मैंने मुंबई में ही रहने का निर्णय लिया.

फिल्म ‘फ्राड सैयां’ करीब तीन साल तक अटकी रही. तो उस दौरान आपके दिमाग में किस तरह की शंकाएं पैदा हो रहीं थी?

-यह स्वाभाविक है कि उस वक्त मेरे दिमाग में भी यही था कि फिल्म तुरंत सिनेमाघरों में पहुंचेगी, तो मुझे फायदा होगा. दूसरी अच्छी फिल्में जल्दी मिल जाएंगी. इसके अलावा मुझे सबसे ज्यादा जल्दी थी कि मेरे घर वालों को पता चले कि मैंने किसी फिल्म में अभिनय किया है. लेकिन कुछ वजहों से फिल्म सिनेमाघरों में नहीं पहुंची. अब तीन साल बाद आ रही है. पर मेरे मन में कोई शंका नहीं आयी. क्योंकि मुझे पता था कि एक अच्छी सोच के साथ, एक अच्छी फिल्म बनायी गयी है. तो प्रदर्शित जरूर होगी. फिर फिल्म के निर्माता प्रकाश झा जैसे महान फिल्मकार हैं. इसके अलावा इसी बीच मुझे दो दूसरी फिल्में व शबाना आजमी के साथ जीटीवी का सीरियल ‘अम्मा जी’ मिला. तो मैं काम में व्यस्त रही. इसलिए भी इस फिल्म को लेकर मेरे मन में कोई शंका नहीं आयी. मैं लगातार काम कर रही थी. मेरे मन में यह ख्याल कभी नहीं आया कि यदि यह फिल्म  प्रदर्शित नहीं हुई, तो मैं क्या करूंगी? इसके अलावा मैं थिएटर भी करती रही.

फिल्म ‘फ्राड सैयां’ के अपने किरदार नमिता को लेकर क्या कहेंगी?

-नमिता मेरी ही तरह उत्तर प्रदेश से है. वह एक टिपिकल पत्नी है, जो कि हमेशा पति को लेकर बहुत कंसर्न रहती है. कब आआगे? खाना खाया या नहीं, इस तरह के सवाल करती रहती है. बाकी फिल्म देखे तो मजा आएगा.

अरशद वारसी के साथ काम करने के आपके अनुभव क्या रहे?

-जैसा कि मैंने पहले ही कहा कि मैं तो उनकी बहुत बड़ी फैन रही हूं. भोपाल में जिस दिन अरशद वारसी के साथ पहली बार मुझे शूटिंग करनी थी, उस दिन मैं बहुत नर्वस थी. अंदर से मैं बहुत घबरायी और डरी हुई थी. क्योंकि वह बहुत बड़े कलाकार हैं. पर सेट पर आते ही अरशद वारसी जिस ढंग से मुझसे मिले, मुझे लगा ही नहीं कि वह स्टार कलाकार है. उन्होंने सेट पर मुझे बहुत अच्छी अच्छी सलाह दी. वह हर सीन में मेरे साथ बैठकर रिहर्सल भी करते थे. वह मुझे इतना अधिक कम्फर्ट जोन में ले आए थे कि मेरे लिए उनके साथ काम करना बहुत आसान हो गया. वह कौमेडी के पंचेस देने में महान हैं. वह सेट पर यूं भी हम लोगों को हंसाया करते थे. उनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला.

इसके बाद आपकी कौन सी फिल्में आ रही हैं?

-मुझे लगता हैं कि अभी उनके नाम बताना ठीक नहीं होगा.

इस फिल्म से आपको कितनी उम्मीदें हैं?

-बहुत उम्मीदें हैं. मुझे लगता है कि इस फिल्म को देखने के बाद हर फिल्मकार व दर्षक को अहसास होगा कि मैं एक बेहतरीन अभिनेत्री हूं. मैंने बहुत मेहनत की हैं और उस मेहनत का अच्छा परिणाम मुझे जरूर मिलेगा. फिर मैं तो अपने आपको स्टूडेंट ही मानती हूं. अभी भी सीख ही रही हूं. मेरे लिए बडे़ बजट की फिल्म या बड़े बैनर की फिल्म कोई मायने नहीं रखती. सिर्फ एक बेहतरीन फिल्म होनी चाहिए.

आपको नहीं लगता कि यदि फिल्म में लीड किरदार ना मिले, तो पहचान नहीं बन पाती हैं? फिल्म ‘फ्रौड सैयां’ में भी आपके साथ फ्लोरा सैनी सहित दूसरी अभिनेत्रियां भी हैं?

-मैं इस बात से इंकार करती हूं कि फिल्म में लीड किरदार जैसा कुछ होता है. और यह कहना भी गलत है कि जब तक आपको लीड के तौर पर किरदार नहीं मिलेगा, तब तक आपकी पहचान नहीं बनेगी. मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहती, पर तमाम ऐसे प्रतिभाशाली कलाकार हैं, जो कभी किसी फिल्म में हीरो या हीरोईन बनकर नहीं आए, पर उनकी पहचान कम नहीं है. मेरी राय में एक कलाकार की पहचान तब बनती है, जब उसे एक अच्छी विषयवस्तु वाली फिल्म में अच्छा लिखा हुआ किरदार निभाने का मौका मिलता है. उसके बाद बहुत कुछ फिल्म का प्रचार किस ढंग से होता है, उस पर भी निर्भर करता है. अब बहुत कुछ प्रचार और मार्केटिंग पर भी निर्भर हो गया है.

लेकिन पिछले दो तीन वर्षो में सिनेमा में जो बदलाव आया है, वह हम जैसे कलाकारों के लिए वरदान साबित हो रहा है. अब ‘राजी’ और ‘बधाई हो’ जैसी अलग तरह की विषयवस्तु वाली फिल्में सफलता के डंके बजा रही हैं. तो वहीं कई स्टारों की फिल्मों ने बाक्स आफिस पर पानी नहीं मांगा. इससे यह साबित होता है कि आज का दर्शक अच्छी कहानी देखना चाहता है ना कि स्टार कलाकार. दर्शक कहानी के आधार पर फिल्म देखने जाता है, ना कि कलाकार के नाम पर. मैं अपनी तरफ से अच्छी कहानीयों वाली फिल्म ही कर रही हूं.

फिल्म ‘फ्राड सैयां’ में ऐसा क्या हुआ कि निर्देशक ने अपना नाम देने से इंकार कर दिया?

-सर जी, मुझे भी इसकी वजह नहीं पता.

अब आप किस तरह के किरदार निभाना चाहती हैं?

-देखिए, मुझे किसी मीडियम से परहेज नहीं है. मुझे आज भी थिएटर टीवी व फिल्में करनी हैं. हर जगह मैं अलग अलग तरह के किरदार निभाना चाहती हूं. मैं खुद को दोहराना नहीं चाहती. आप यदि मेरे पिछले काम को देखें, तो मैंने कहीं सीधी सादी लड़की, कहीं कौलेज में पढ़ने वाली लड़की या शादीशुदा महिला का किरदार निभाया है. मैं अपने आपको किसी एक तरह के किरदार में बांध कर नहीं रखना चाहती. मैं हमेशा यह मानती हूं कि मुझे जो भी काम मिल रहा है, उसे मुझे पूरी शिद्दत के साथ करना है. बाकी तो सब दर्शक तय करेगा. जब हम मेहनत के साथ बेहतरीन काम करते हैं, तो वह अपने आप लोगों की जुबान पर आ जाता है.

गैर फिल्मी परिवारों से आने वाले कलाकारों को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है? आप ऐसे कलाकारां से क्या कहना चाहेंगी?

-मैं तो हर नई प्रतिभा से यही कहूंगी कि वह एक बार बौलीवुड में अपनी किस्मत जरूर आजमाए. वह निडरता के साथ यहां आए, लेकिन मेहनत करने और संघर्ष करने की तैयारी के साथ. यह कभी ना सोचे कि मुंबई पहुंचते ही उन्हें शाहरुख खान या किसी अन्य स्टार के साथ फिल्म करने का मौका मिल जाएगा. पर सपने उन्हें देखना चाहिए और उन सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करने की तैयारी भी होनी चाहिए. जब आपके अंदर प्रतिभा हो ईमानदारी हो मेहनत करने का जज्बा हो, तो कायनात भी आपके सपनों को पूरा करने के लिए आ जाती है. सफलता का एकमात्र मूल मंत्र है- ईमानदारी से अपने काम को पूरी तत्परता के साथ अंजाम देना. सिर्फ भाग्य के भरोसे मत बैठो.

बौलीवुड में नेपोटिजम को लेकर लोग कई तरह की बातें करते हैं. आप क्या सोचती हैं?

-देखिए, बौलीवुड में अंततः हर कलाकार का काम बोलता है. स्टार सन या स्टार डौटर होने पर एक ब्रेक तो मिल जाता है, पर उन्हे भी खुद की प्रतिभा को साबित करना ही पड़ता है. मेरी राय में जिन्होंने बौलीवुड में जन्म लिया है, उनका हक भी बनता है कि उन्हें एक ब्रेक तो आसानी से मिल जाए. पर बिना मेहनत किए उन्हें भी सफतला नहीं मिलेगी. यदि आज मैं यह कहूं कि श्रीदेवी की बेटी होने के कारण जान्हवी कपूर को फिल्म ‘धड़क’ मिल गयी, तो मेरी यह सोच गलत है. क्योंकि उन्हें ‘धड़क’ में ब्रेक मिला, पर उसके बाद उसने अपनी मेहनत से अपनी पहचान बनाई. कैमरे के सामने तो आखिर जान्हवी कपूर को ही जाना पड़ा, एक्सप्रेशन व रिएक्शन तो उसे ही देने पड़े. इसलिए स्टार सन हो स्टार डौटर हो या गैर फिल्मी परिवार से आयी हुई प्रतिभाएं हों, अंततः उनके अंदर की प्रतिभा ही उन्हें आगे ले जाती है. देखिए, शाहरुख खान स्टार हैं, पर वह भी गैर फिल्मी परिवार से आए थे. कैमरे के सामने अभिनय करना आसान नहीं होता है. बहुत मेहनत करनी पड़ती है.

आपने संगीत में लंबे समय तक प्रशिक्षण हासिल किया और आपके करियर की शुरुआत संगीत से हुई थी. अब संगीत में क्या कर रही हैं?

-संगीत मेरी आत्मा में बसता है. संगीत के बिना हर इंसान का जीवन अधूरा है. मेरे घर में हमेशा शास्त्रीय संगीत का माहौल रहा है. जबकि मैं तो स्कूल व कौलेज में विज्ञान की छात्रा थी और अभिनय के बारे में तो कुछ सोचा ही नहीं था. पर संगीत में रूचि ने ही मुझे हर चीज समझने के लिए उकसाया. मैंने शास्त्रीय संगीत सीखा भी और अभी भी मैंने संगीत छोड़ा नहीं है. हर दिन संगीत का रियाज करती हूं. और मेरी नजर में एक वर्सेटाइल कलाकार के लिए संगीत का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. फिलहाल मैंने अभी तक किसी फिल्म में पार्शवगायन नहीं किया है. लेकिन भविष्य में जब भी मौका मिलेगा, मैं जरूर करना चाहूंगी. हां!! मैं सोशल मीडिया पर एक दो मिनट के अपने स्वरबद्ध गानों को लोड करती रहती हूं. मेरा अपना खुद का यूट्यूब चैनल है, जिस पर मैं अपने गाने लोड करती रहती हूं.

कादर खान का वो इंटरव्यू जिसे अमिताभ नहीं देखना चाहेंगे

कुछ ही दिनों पहले देश के जाने माने हास्य कलाकार कादर खान का निधन हुआ. इसके बाद उनके कई पुराने इंटरव्यूज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. इन सब के बीच उनका एक ऐसा इंटरव्यू वायरल हुआ है जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन के बारे में एक अहम खुलासा किया था.

ये इंटरव्यू यूट्यूब पर मौजूद है जिसमें कादर खान अपने फिल्मी करियर के बारे में बात कर रहे हैं. बातों बातों में उन्होंने अमिताभ बच्चन का जिक्र किया था. ये बात जगजाहिर है कि अपने करियर के एक हिस्से में अमिताभ बच्चन के साथ उनके संबंध सहज नहीं थे और फिल्‍म शहंशाह से बाहर होने के बाद दोनों से साथ किसी फिल्‍म में काम नहीं किया.

इस इंटरव्‍यू में कादर खान ने बताया है कि कुछ लोग अमिताभ बच्‍चन को सर-सर कहकर बात कर रहे थे. कादर खान ने थोड़ी जिज्ञासा से पूछा कि ये सर कौन है. तभी अमिताभ वहां आए और उन्‍होंने कहा कि ये हैं सर. इस पर कादर खान ने कहा कि ये तो अमित हैं. इसपर कादर खान ने उस इंटरव्‍यू में काफी भावुक होकर कहा कि आप अपने दोस्‍त, अपने भाई को सर कहकर थोड़े न बुलाते हैं.

लेकिन कादर खान का सर न कहना अमिताभ बच्‍चन को इतना बुरा लग गया कि उन्‍होंने कादर खान को फिल्‍म शहंशाह से बाहर करवा दिया. उसके बाद दोनों ने किसी भी फिल्‍म में साथ काम नहीं किया.

द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर : अक्षय खन्ना का शानदार अभिनय

रेटिंग : डेढ़ स्टार

हम बार बार इस बात को दोहराते आए हैं कि सरकारें बदलने के साथ ही भारतीय सिनेमा भी बदलता रहता है. (दो दिन पहले की फिल्म ‘उरी : सर्जिकल स्ट्राइक’ की समीक्षा पढ़ लें.) और इन दिनों पूरा बौलीवुड मोदीमय नजर आ रहा है. एक दिन पहले ही एक तस्वीर सामने आयी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, फिल्मकार करण जोहर के पूरे कैंप के साथ बैठे नजर आ रहे हैं. फिल्मकार भी इंसान हैं, मगर उसका दायित्व अपने कर्तव्य का सही ढंग से निर्वाह करना होता है. इस कसौटी पर फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ के निर्देशक विजय रत्नाकर गुटे खरे नहीं उतरते. उन्होंने इस फिल्म को एक बालक की तरह बनाया है. इस फिल्म से उनकी अयोग्यता ही उभरकर आती है. ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ एक घटिया प्रचार फिल्म के अलावा कुछ नहीं है. इस फिल्म के लेखक व निर्देशक अपने कर्तव्य के निर्वाह में पूर्णरूपेण विफल रहे हैं.

2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे डा. मनमोहन सिंह के करीबी व कुछ वर्षों तक उनके मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू की किताब ‘‘एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ पर आधारित फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ में भी तमाम कमियां हैं. फिल्म में डा. मनमोहन सिंह का किरदार निभाने वाले अभिनेता अनुपम खेर फिल्म के प्रदर्शन से पहले दावा कर रहे थे कि यह फिल्म पीएमओ के अंदर की कार्यशैली से लोगों को परिचित कराएगी. पर अफसोस ऐसा कुछ नहीं है. पूरी फिल्म देखकर इस बात का अहसास होता है कि पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह अपने पहले कार्यकाल में संजय बारू और दूसरे कार्यकाल में सोनिया गांधी के के हाथ की कठपुतली बने हुए थे. पूरी फिल्म में उन्हे बिना रीढ़ की हड्डी वाला इंसान ही चित्रित किया गया है.

‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ में तत्कालीन प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह को शुरुआत में ‘सिंह इज किंग’ कहा गया. पर धीरे धीरे उन्हे अति कमजोर, बिना रीढ़ की हड्डी वाला इंसान, एक परिवार को बचाने में जुटे महाभारत के भीष्म पितामह तक बना दिया गया, जिसने गांधी परिवार की भलाई के लिए देश के सवालों के जवाब देने की बजाय चुप्पी साधे रखी. फिल्म में डा. मनमोहन सिंह की इमेज को धूमिल करने वाली बातें ही ज्यादा हैं.

फिल्म की कहानी पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार व करीबी रहे संजय बारू (अक्षय खन्ना) के नजरिए से है. कहानी 2004 के लोकसभा चुनावों में यूपीए की जीत के साथ शुरू होती है. कुछ दलों द्वारा उनके इटली की होने का मुद्दा उठाए जाने के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (सुजेन बर्नेट) स्वयं प्रधानमंत्री/पीएम बनने का लोभ त्यागकर डा. मनमोहन सिंह (अनुपम खेर) को पीएम पद के लिए चुनती हैं. उसके बाद कहानी में प्रियंका गांधी (अहाना कुमार), राहुल गांधी (अर्जुन माथुर), अजय सिंह (अब्दुल कादिर अमीन), अहमद पटेल (विपिन शर्मा), लालू प्रसाद यादव (विमल वर्मा), लाल कृष्ण अडवाणी (अवतार सैनी), शिवराज पाटिल (अनिल रस्तोगी), पी वी नरसिम्हा राव (अजित सतभाई), पी वी नरसिम्हा राव के बड़े बेटे पी वी रंगा राव (चित्रगुप्त सिन्हा), नटवर सिंह सहित कई किरदार आते हैं.

संजय बारू, जो पीएम के मीडिया सलाहकार हैं, लगातार पीएम की इमेज को मजबूत बनाते जाते हैं. वैसे भी संजय बारू ने मीडिया सलाहकार का पद स्वीकार करते समय ही शर्त रख दी थी कि वह हाई कमान सोनिया गांधी को नहीं, बल्कि सिर्फ पीएम को ही रिपोर्ट करेंगें. इसी के चलते पीएमओ में संजय बारू की ही चलती है, इससे अहमद पटेल सहित कुछ लोग उनके खिलाफ हैं. यानी कि उनके विरोधियों की कमी नहीं है. पर संजय बारू पीएम में काफी बदलाव लाते हैं. वह उनके भाषण लिखते हैं.

उसके बाद पीएम का मीडिया के सामने आत्म विश्वास से लबरेज होकर आना, अमेरिकी राष्ट्रति बुश के साथ न्यूक्लियर डील पर बातचीत, इस सौदे पर लेफ्ट का सरकार से अलग होना, समाजवादी पार्टी का समर्थन देना, पीएम को कटघरे में खड़े किए जाना, पीएम के फैसलों पर हाई कमान का लगातार प्रभाव, पीएम और हाई कमान का टकराव, विरोधियों का सामना जैसे कई दृश्यों के बाद कहानी उस मोड़ तक पहुंचती है, जहां न्यूक्लियर मुद्दे पर पीएम डा. मनमोहन सिंह स्वयं इस्तीफा देने पर आमादा हो जाते हैं. पर राजनीतिक परिस्थितियों के चलते सोनिया उनको इस्तीफा देने से रोक लेती हैं. उसके बाद हालात ऐसे बदलते हैं कि संजय बारू अपना त्यागपत्र देकर सिंगापुर चले जाते हैं, मगर डा. मनमोहन सिंह से उनके संपर्क में बने रहते हैं.

उसके बाद की कहानी बड़ी तेजी से घटित होती है, जिसमें डा. मन मोहन सिंह पूरी तरह से हाई कमान सोनिया व गांधी परिवार के सामने समर्पण भाव में ही नजर आते हैं. अहमद पटेल भी उन पर हावी रहते हैं. फिर आगे की कहानी में उनकी जीत के अन्य पांच साल दिखाए गए हैं, जो एक तरह से यूपीए सरकार के पतन की कहानी के साथ कोयला, 2 जी जैसे घोटाले दिखाए गए हैं. फिल्म में इस बात का चित्रण है कि प्रधानमंत्री डा मनमोहन सिंह स्वयं इमानदार रहे, मगर उन्होंने हर तरह के घोटालों को परिवार विशेष के लिए अनदेखा किया. फिल्म उन्हे परिवार को बचाने वाले भीष्म की संज्ञा देती है. पर फिल्म की समाप्ति में 2014 के चुनाव के वक्त की राहुल गांधी व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाएं दिखायी गयी हैं.

फिल्म के लेखक व निर्देशक दोनों ने बहुत घटिया काम किया है. फिल्म सिनेमाई कला व शिल्प का घोर अभाव है. पटकथा अति कमजोर है. इसे फीचर फिल्म की बजाय ‘डाक्यू ड्रामा’ कहा जाना चाहिए. क्योंकि फिल्म में बीच बीच में कई दृश्य टीवी चैनलों के फुटेज हैं. एडीटिंग के स्तर भी तमाम कमियां है. फिल्म में पूरा जोर गांधी परिवार की सत्ता की लालसा, सोनिया गांधी की अपने बेटे राहुल को प्रधानमंत्री बनाने की बेसब्री, डा मनमोहन सिंह के कमजोर व्यक्तित्व व संजय बारू के ही इर्द गिर्द है.

डा. मनमोहन सिंह को लेकर अब तक मीडिया में जिस तरह की खबरें आती रही हैं, वही सब कुछ फिल्म का हिस्सा है, जबकि संजय बारू उनके करीबी रहे हैं, तो उम्मीद थी कि डा मनमोहन सिंह की जिंदगी के बारे में कुछ रोचक बातें सामने आएंगी, पर अफसोस ऐसा कुछ नहीं है. फिल्म में इस बात को भी ठीक से नहीं चित्रित किया गया कि अहमद पटेल किस तरह से खुरपैच किया करते थे. कोयला घोटाला, 2 जी घोटाला आदि को बहुत सतही स्तर पर ही उठाया गया है. फिल्म में सभी घोटालों पर कपिल सिब्बल की सफाई देने वाली प्रेस कांफ्रेंस भी मजाक के अलावा कुछ नजर नहीं आती.

कमजोर पटकथा व कमजोर चरित्र चित्रण के चलते एक भी चरित्र उभर नहीं पाया. कई चरित्र तो महज कैरीकेचर बनकर रह गए हैं. फिल्म के अंत में बेवजह ठूंसे गए राहुल गांधी व नरेंद्र मोदी की चुनाव प्रचार की सभाओं के टीवी फुटेज की मौजूदगी लेखकों, निर्देशक व फिल्म निर्माताओं की नीयत पर सवाल उठाते हैं. पूरी फिल्म एक ही कमरे में फिल्मायी गयी नजर आती है.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो संजय बारू के किरदार में अक्षय खन्ना ने काफी शानदार अभिनय किया है. मगर पटकथा व चरित्र चित्रण की कमजोरी के चलते अनुपम खेर अपने अभिनय में खरे नहीं उतरते, बल्कि कई जगह उनका डा. मनमोहन सिंह का किरदार महज कैरीकेचर बनकर रह गया है. किसी भी किरदार में कोई भी कलाकार खरा नहीं उतरता. फिल्म का पार्श्वसंगीत भी सही नहीं है.

एक घंटे 50 मिनट की अवधि की फिल्म ‘‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’’ का निर्माण सुनील बोहरा व धवल गाड़ा ने किया है. संजय बारू के उपन्यास पर आधारित फिल्म के निर्देशक विजय रत्नाकर गुटे, लेखक विजय रत्नाकर गुटे, मयंक तिवारी, कर्ल दुने व आदित्य सिन्हा, संगीतकार सुदीप रौय व साधु तिवारी, कैमरामैन सचिन कृष्णन तथा कलाकार हैं – अनुपम खेर, अक्षय खन्ना, सुजेन बर्नेट, अहाना कुमार, अर्जुन माथुर, अब्दुल कादिर अमीन, अवतार सैनी, विमल वर्मा, अनिल रस्तोगी, दिव्या सेठ, विपिन शर्मा, अजीत सतभाई, चित्रगुप्त सिन्हा व अन्य.

20 सेकेंड में देखिए अनुपम खेर से ‘मनमोहन सिंह’ का बनना

हाल ही में अनुपम खेर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है. वीडियो में वो मेकअप से अनुपम से मनमोहन बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. अनुपम से मनमोहन बनने में उन्हें 2 घंटे लगते थे. पर इस पूरे वक्त को उन्होंने टाइम लैप्स से बस 20 सेकेंड्स में दिखाया है. अनुपम ने मेकअप आर्टिस्ट अभिलाषा, पगड़ी के लिए जसप्रीत और बाकी टीम का धन्यवाद देते हुए लिखा है कि आपके बिना में ये नहीं कर सकता था.

आपको बता दें कि अनुपम खेर अपनी नई फिल्म ‘दी एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ के साथ जल्दी दी बड़े पर्दे पर नजर आने वाले हैं. इस फिल्म में वो देश के पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह के किरदार में दिखेंगे. ये फिल्म संजय बारू की किताब दी ‘एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ पर आधारित है. इसमें अनुपम खेर के अलावा अक्षय खन्ना भी मुख्य भूमिका में हैं.

अपनी शादी पर सलमान ने कही बड़ी बात, जानिए आप भी

इस साल ईद पर सलमान अपने फैंस के लिए फिल्म भारत ले कर बड़े पर्दे पर आ रहे हैं. फिल्म की शूटिंग भी शुरू हो चुकी है. फिल्म का निर्देशन अली अब्बास जफर कर रहे हैं. इसी बीच एक दिलचस्प वाकया सामने आया. आपको बता दें कि हाल ही में सलमान कपिल शर्मा के शो में शामिल हुए. शो के दौरान उन्होंने फिल्म से जुड़ी एक दिलचस्प बात शेयर की है.

शो में कपिल ने फिल्म भारत में सलमान के किरदार पर सवाल किए. सलमान ने कहा कि वो जिस किरदार को फिल्म में निभा रहे हैं वो 72 साल बाद भी कुंआरा रहता है. इसी में आगे उन्होंने कहा कि इसी किरदार को वो अपने रियल लाइफ में भी फौलो कर रहे हैं. आपको बता दें कि सलमान अपनी शादी की बात पर खुद ही माजक बनाते रहते हैं. अब ऐसे में भले ही सलमान के फैन्स को यह न पता चल पाए कि सलमान की रियल लाइफ में शादी कब होगी, लेकिन भारत में उनका किरदार क्या होगा. उसका राज उन्होंने खोल दिया है.

आपको बता दें कि सलमान खान की फिल्म भारत का अंतिम शेड्यूल शुरू हो चुका है. फिल्म के डायरेक्टर अली अब्बास जफर कहते हैं, “फिल्म भारत का अंतिम शूटिंग शेड्यूल आज से शुरू हो गया है. अब ईद दूर नहीं.” यह फिल्म ईद के मौके पर रिलीज होने वाली है. फिल्म भारत में सलमान खान के अलावा तब्बू, दिशा पाटनी और कटरीना कैफ की अहम भूमिका है इस फिल्म में पहले कटरीना की जगह प्रियंका चोपड़ा थी. लेकिन शादी के कारण उन्होंने फिल्म से अपना नाम वापिस ले लिया था.

2019 में रिलीज होंगी ये 9 बड़ी फिल्में

साल 2019 में कई बड़ी फिल्में आने वाली हैं. दर्शकों के लिए ये साल बंपर एंटरटेनमेंट ले कर आ रहा है. इस साल रिलीज होने वाली कुछ फिल्मों की चर्चा पहले से ही है. कुछ के ट्रेलर भी आ चुके हैं. अब देखने वाली बात होगी कि ये बौक्स औफिस पर कैसा प्रदर्शन करेंगी.

मनोरंजन के लिहाज से 2018 काफी अहम रहा. हालांकि कई फिल्मों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया. एक ओर जहां बड़ी बजट और स्टारकास्ट के बाद भी फिल्में बौक्य औफिस पर औंधे मुंह गिरी, वहीं कुछ कम बजट की फिल्मों ने दर्शकों के दिल जीत लिए.

आइए एक नजर डालते हैं 2019 में आने वाली बड़ी फिल्मों और उनकी रिलीज डेट्स पर…

मणिकर्णिका- द क्वीन औफ झांसी

big movies of 2019

कंगना रनौत स्टारर फिल्म ‘मणिकर्णिका- द क्वीन ऑफ झांसी’ साल के पहले महीने में 25 तारीख को रिलीज होगी. आपको बता दें कि  फिल्म में कंगना ने मुख्य भूमिका निभाने के अलावा निर्देशन का भी काम किया है. फिल्म का ट्रेलर रिलीज होने के बाद से ही दर्शकों की सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. फिल्म में कंगना जबरदस्त एक्शन करती नजर आएंगी. फिल्म में डैनी, अंकिता लोखंडे, सुरेश ओबेराय, कुलभूषण खरबंदा नजर आ रहे हैं.

एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा

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‘एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा’ सोनम कपूर और अनिल कपूर की फिल्म है. इस फिल्म में पहली बार बाप-बेटी की ये जोड़ी बड़े पर्दे पर साथ दिखेगी. इस  फिल्म में जूही चावला और राजकुमार राव भी अहम रोल में हैं. मूवी अगले साल वैलेंटाइन से पहले 1 फरवरी को रिलीज होगी.

गली बौय

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इस फिल्म में रणवीर सिंह और आलिया भट्ट एक साथ नजर आएंगे. फिल्म के डायरेक्टर हैं जोया अख्तर. इसकी कहानी मुंबई की सड़कों के रैपर्स की जिंदगी पर आधारित है. फिल्म 14 फरवरी को रिलीज होने वाली है.

 टोटल धमाल

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आपको बता दें कि ये फिल्म धमाल सीरीज की तीसरी फिल्म है. इसमें अजय देवगन, अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित, बोमन ईरानी, जौनी लीवर और संजय मिश्रा है.  फिल्म 22 फरवरी को रिलीज होगी.

केसरी

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फिल्म में अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा लीड रोल में हैं. ये फिल्म साल 1897 के सारागढ़ी युद्ध पर आधारित है.

कलंक

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आलिया भट्ट और वरुण धवन स्टारर फिल्म ‘कलंक’ 19 अप्रैल को रिलीज होगी. अभिषेक वर्मन द्वारा निर्देशित ‘कलंक’ में माधुरी दीक्षित नेने, संजय दत्त, वरुण धवन, आदित्य रौय कपूर और सोनाक्षी सिन्हा जैसे सितारे भी प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

स्टूडेंट औफ द ईयर 2

big movies of 2019

फिल्म  में टाइगर श्रौफ, अनन्या पांडे और तारा सुतारिया अहम रोल में है. फिल्म 10 मई को रिलीज होगी.

 भारत

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सलमान खान की अगली फिल्म भारत है. ये एक पीरियड ड्रामा फिल्म है. इसमें सलमान खान के अपोजिट कटरीना कैफ हैं. फिल्म का निर्देशन अली अब्बास जफर ने किया है. फिल्म 5 जून को रिलीज की जाएगी.

 हाउसफुल 4

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हाउसफुल 4, 26 अक्टूबर को रिलीज होगी. फिल्म में में अक्षय कुमार, रितेश देशमुख, अभिषेक बच्चन और बौबी देओल हैं.

 

‘ठाकरे’ पर एक्टर सिद्धार्थ का बड़ा बयान

स्व. बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ का निर्माण हिंदी व मराठी, दो भाषाओं में किया गया है. 26 दिसंबर को फिल्म ‘ठाकरे’ के मराठी व हिंदी दोनों भाषाओं मे ट्रेलर रिलीज किया गया. पर दोनो भाषाओं के ट्रेलर में जबरदस्त अंतर है. मराठी भाषा के फिल्म के ट्रेलर में दक्षिण भारतीयों के प्रति कई अपशब्दों का प्रयोग किया गया है. जिन पर सेंसर बोर्ड ने भी आपत्ति जताई है. पर शिवसेना नेता, सांसद व फिल्म ‘ठाकरे’ के निर्माता संजय राउत ने ऐलान कर दिया है कि सेंसर बोर्ड इस फिल्म के किसी भी संवाद को काट नहीं सकता. 25 जनवरी 2019 को प्रदर्शित होने वाली अभिजीत पनसे निर्देशित और नवाजुद्दीन सिद्दिकी व अमृता राव के अभिनय से सजी इस फिल्म के ट्रेलर में महाराष्ट्र खासकर मुंबई में बसे अप्रवासी भारतीयों वो भी खासकर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ नफरत सूचक संवाद हैं. इसमें एक संवाद- ‘उठाओ लुंगी बजाओ पुंगी’ कई बार दोहराया गया है. यह संवाद विशेषकर दक्षिण भारतीयों के बारे में ही है. दक्षिण भारतीय ही लुंगी ज्यादा पहनते हैं. उल्लेखनीय है कि यह संवाद हिंदी फिल्म के ट्रेलर में नहीं है.

ट्रेलर आने के बाद कुछ ही घंटों में ही इसका विरोध शुरू हो गया है. सबसे पहले दक्षिण भारतीय अभिनेता सिद्धार्थ ने ट्वीटर पर लिखा, ‘यह दक्षिण भारतीयों के प्रति नफरत वाला भाषण है.’

बता दे कि 1966 में शिवसेना नेता के ‘मराठी माणुस’ को लेकर यह संवाद ‘स्लोगन’ हुआ करता था.1966 में शिवसेना पार्टी का गठन करते समय बाल ठाकरे ने मांग की थी कि महाराष्ट्र में स्थानीय लोगों को ही नौकरी में प्राथमिकता दी जानी चाहिए. इतना ही नहीं मुंबई में रह रहे अप्रवासी भारतीयों के खिलाफ उस वक्त बाला साहेब ठाकरे ने कई तरह की मुहीमें चलाई थी.

वैसे फिल्म ‘ठाकरे’ के हिंदी ट्रेलर में भूमिपुत्रों का मुद्दा जरुर उठाया गया है, मगर दक्षिण भारतीयों के खिलाफ किसी तरह के स्लोगन नहीं है. इससे यह साफ जाहिर होता है कि शिवसेना पार्टी की तरफ से फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर व इस फिल्म का उपयोग मराठी भाषी लोगों को एकजुट कर वोट बटोरने का प्रयास किया जा रहा है.

उधर सेंसर बोर्ड ने भी फिल्म के तीन संवादों को हटाने के लिए कहा है, मगर शिवसेना नेता व फिल्म के निर्माता संजय राउत का कहना है कि सेंसर बोर्ड किसी संवाद को हटा नहीं सकता. संजय राउत का दावा है कि फिल्म ‘ठाकरे’ में कुछ भी काल्पनिक नही है, सब कुछ वास्तविक है. मगर यह उनका सबसे बड़ा झूठ है. इतिहास इस बात का साक्षी है कि बाला साहेब ठाकरे अपने जीवन में कभी भी किसी भी अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकीलों या जज के सवालों के जवाब देने नहीं गए. मगर हिंदी व मराठी दोनों भाषाओं के ट्रेलर में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के बाद बाला साहेब ठाकरे अदालत के कटघरे में खड़े होकर वकील व जज के सवालों के जवाब देते हुए नजर आ रहे हैं, जो कि पूर्णरूप से गलत है.

siddharth on movie thackrey

फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार मूलतः उत्तर प्रदेश निवासी अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने निभाया है. बाला साहेब ठाकरे पूरी जिंदगी माइनौरिटी और उत्तर प्रदेश के लोगों के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं. इसी पर कटाक्ष करते हुए अभिनेता सिद्धार्थ ने कहा, ‘फिल्म मंटो’ तक में नवाजुद्दीन सिद्दिकी का प्रशंसक रहा हूं. इसलिए नहीं कि इस फिल्म में उन्होने एक अच्छे इंसान का किरदार निभाया है. उन्होने कई फिल्मों में बुरे इंसान का भी किरदार निभाया है. पर उन फिल्मों में बुरे को बुरा ही दिखाया गया.मगर अब उन्होने फिल्म ‘ठाकरे’ में बाला साहेब ठाकरे का किरदार निभाया है, जिसमें बाला साहेब ठाकरे का महिमा मंडन किया गया है.जब माइनौरिटी के खिलाफ बात करने वाले मराठी भाषी को महिमा मंडित करने वाले का किरदार एक उत्तर भारतीय मुस्लिम अभिनेता निभाए, इसे भी न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता.’

नावजुद्दीन सिद्दिकी पर कटाक्ष करते हुए सिद्धार्थ ने आगे ट्वीट किया है, ‘फिल्म के निर्माताओं के लिए बाला साहेब ठाकरे का किरदार नवाजुद्दीन सिद्दकी द्वारा निभाया जाना काफी किफायती रहा, क्योंकि नवाज ही खुद को उस दृश्य में थप्पड़ मार सकते हैं, जिसमें बाला साहेब ठाकरे उत्तर भारतीयों की पिटाई करते हैं.’

दक्षिण के अभिनेता सिद्धार्थ द्वारा ट्वीटर पर फिल्म ‘ठाकरे’ के खिलाफ हमला बोले जाने के बाद ट्वीटर पर मराठी फिल्म ‘ठाकरे’ के ट्रेलर के खिलाफ जमकर हमले जारी हैं.

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