मैं अपनी बड़ी बहन की दोस्त को पसंद करता हूं, मुझे क्या करना चाहिए?

सवाल-

मेरी उम्र 16 साल है और मैं 12वीं कक्षा में पढ़ता हूं. मेरी एक बड़ी बहन है जो 18 साल की है और कालेज के फर्स्ट ईयर में है. मेरी बहन की एक दोस्त है जो 17 साल की है. वह मुझे बहुत अच्छी लगती है. वह कभीकभी घर आती है तो उस की और मेरी नजरें आपस में टकरा जाती हैं, लेकिन बात आज तक नहीं हो पाई.

जब भी उस से नजरें टकराती हैं तो पता नहीं क्यों ऐसा लगता है जैसे वह भी वही फील कर रही हो जो मैं फील कर रहा हूं. मैं उस से बात करना चाहता हूं, उसे जानना चाहता हूं लेकिन उस के रिस्पौंस से डरता हूं. कहीं वह मुझे खुद से छोटा समझ कर या ‘सहेली का भाई है’ इस कारण मना न कर दे. या हो सकता है कि वह मुझे पसंद करती हो और बाकी सभी लड़कियों की तरह बताने में झिझक रही हो. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप की परेशानी जायज है पर आजकल उम्र से ज्यादा लोग सामने वाले की पर्सनैलिटी, पसंदनापसंद और थिंकिंग को इंपोर्टैंस देते हैं. आप का यह सोचना कि आप की बहन की सहेली कहीं आप को छोटा समझ कर या सहेली का भाई समझ कर मना न करे, सही है. लेकिन, इस तथ्य को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि अगर आप उसे पसंद होंगे तो वह भी खुद को नहीं रोक पाएगी. वह आप की बहन की दोस्त है तो आप अपनी बहन से इस बारे में बात कर सकते हैं.

आप यदि सीधा उस लड़की से बात करेंगे तो हो सकता है उस की नजर में आप गिर जाएं और साथ ही आप की बहन भी. समझदारी से काम लें. नौर्मल फ्रैंड्स की तरह बात करने की कोशिश करें. उस के हावभाव से आप को उस के मन में क्या है, पता चल जाएगा. उस के बाद ही उस से आगे कुछ बात करने या मन की बात कहने के बारे में सोचें.

सैक्स पावर : आनंद में पावर और पार्टनर का खेल

दिक्कत तो यह है कि हर किसी ने सैक्स को जंग का मैदान मान लिया है, जिस में जीत के माने होते हैं पार्टनर पर बेवजह ताकत आजमाना, जबकि सैक्स के सही माने हैं हारजीत से परे संतुष्टि के लिए एक जरूरी और कुदरती काम हमबिस्तरी करना, जिस में मजा और सुख भी कुदरती ही होता है. एक लंबा तगड़ा मर्द भी कई बार अपनी बीवी को वह संतुष्टि और सुख नहीं दे पाता, जो दुबलापतला आम मर्द, जिसे बोलचाल की जबान में ‘सिंगल फ्रेम’ कहा जाता है, दे देता है.

24 साला शीला का पति खासा पहलवान टाइप दिखता है, लेकिन बिस्तर में जल्द पस्त पड़ जाता है. शीला बेचारी आधीअधूरी रह जाती है. उस समय तो उस का गुस्सा और बढ़ जाता है, जब पति करवट बदल कर 5-10 मिनट में खर्राटे भरने लगता है और वह घंटों नींद के इंतजार में नदी में प्यासी मछली की तरह तड़पती रहती है.

कई बार तो शीला का मन करता है कि वह सोते हुए पति की कमर पर एक जोरदार लात मारते हुए कहे कि जब बुझाते नहीं बनता तो यह आग लगाते ही क्यों हो. लेकिन सुबह वह सब भूलने लगती है, क्योंकि पति उस का पूरा खयाल रखता है, छोटेबड़े हर काम में हाथ बंटाता है और उस की हर फरमाइश पूरी करने की कोशिश करता है.

शीला की पड़ोसन रुक्मिणी अकसर उसे छेड़ा करती है कि यार, तुम तो किस्मत वाली हो, जो पति तुम्हें इतना प्यार करता है. असली रानी तो वही होती है, जिस का पति उस के आगेपीछे मंडराता रहे.

रुक्मिणी का पति ‘सिंगल फ्रेम’ है, लेकिन बिस्तर में डेढ़ से 2 घंटे उसे छकाता है कि खुद रुक्मिणी को उस का अंगअंग सहलाते हुए कहना पड़ता है कि अब बस भी करो… क्या पीस ही डालोगे.

शीला रुक्मिणी को खुश देख कर हैरान होती थी कि जब मेरा लंबातगड़ा शौहर एक डेढ़ मिनट में टें बोल जाता है, तो इस का सींकिया पहलवान तो आधा मिनट में फुस हो जाता होगा, फिर भी यह हंसतीमुसकराती रहती है, तो मैं क्यों बातबात में चिढ़चिढ़ा जाती हूं?

मजा पावर और पार्टनर का

हकीकत कुछ और निकली. जब शीला और रुक्मिणी दोनों एकदूसरे से खुलने लगीं और सैक्स की भी बातें करने लगीं, तो शीला ने अपना दुखड़ा रुक्मिणी को बताया.

जवाब में पहले तो रुक्मिणी ने अपने पति के बारे में बताया कि वे देखने में भले ही दुबलेपतले हों, लेकिन बिस्तर में ऐसा हाहाकार मचा देते हैं कि मैं तो

घंटे 2 घंटे के लिए सीधे जन्नत पहुंच जाती हूं.

फिर रुक्मिणी ने बड़ेबूढ़ों और सयानों की तरह शीला को समझाया कि टैंशन मत लो, सैक्स में पावर अपनी जगह है, लेकिन प्यार करने का तरीका उस से भी अहम है.

रुक्मिणी द्वारा ली गई शीला की यह फ्री कोचिंग क्लास तब हफ्तेभर दोपहर में चली, जब दोनों के शौहर काम पर चले जाते थे, जिस से शीला के ज्ञानचक्षु के साथसाथ दूसरे चक्षु भी खुल गए.

सैक्स से ताल्लुक रखते कई वीडियो भी रुक्मिणी ने शीला को दिखाए थे और चुपचाप से ला कर एक किताब और मैगजीन भी दी, जिस में सैक्स के कई लेख छपे थे.

इन्हें देख और पढ़ कर शीला को समझ आया कि गड़बड़ कहांकहां है और उन्हें कैसेकैसे दूर कर सैक्स का आनंद लिया जा सकता है.

शीला को अब लग रहा था कि वह और उस का शौहर कहां चूक कर रहे थे और सैक्स शरीर से ज्यादा दिमाग का खेल है. एक हुनर है, जिस में पहले सब्र और बाद में उतावलापन होना चाहिए, जबकि उस का पति एकदम उतावला हो कर टूट पड़ता था.

खैर, पूरी गलती पति की भी नहीं थी, क्योंकि शीला ने तो कभी पति को अपनी ख्वाहिश बताई ही नहीं. यह वह गलती है, जो सैक्स में अकसर होती है कि सारी जिम्मेदारी मर्द के कंधों पर डाल दी जाती है.

शादी के शुरुआती दिनों से ही पैदा हुई यह समस्या अगर समय रहते न सुलझाई जाए, तो सैक्स बेहद उबाऊ और रस्मी होता जाता है और दोनों को वह मजा नहीं आता, जो उन्होंने सुना, पढ़ा और देखा होता है.

खासतौर से मर्दों की हालत खस्ता हो जाती है और वे खुद को कमजोर समझते हुए सैक्स इश्तिहारों, टैंटों और यहांवहां नीमहकीमों से सैक्स पावर के तरीके और दवाएं ट्राई करने लगते हैं, जिन से फायदा तो कोई होता नहीं, उलटे नुकसान सैकड़ों होने लगते हैं.

यह जरूर करें

शीला ने हफ्तेभर में रुक्मिणी से जो सीखा और फिर उसे आजमा कर अपनी सैक्स लाइफ भी जन्नत वाली बना ली. वे टिप्स और ट्रिक्स हर उस मर्दऔरत को आजमानी चाहिए, जिन से लगता है कि वे कमजोरी के चलते पार्टनर को संतुष्टि नहीं दे पा रहे या पार्टनर उन्हें संतुष्टि नहीं दे पा रहा, जैसे :

* सैक्स में एकदूसरे से खुल कर बातचीत करें और हमबिस्तरी के दौरान अपनी पोजीशन पार्टनर को बताते रहें और सैक्स पोजीशन बदलते भी रहें.

* दिल में जो भी फीलिंग्स आएं, उन्हें अपने पार्टनर को बताते रहने से उस की उत्तेजना और ड्राइव बढ़ती है. खासतौर से मर्दों को लगता है कि अभी तो 2-4 सीढि़यां ही चढ़ी हैं, छत तक पहुंचतेपहुंचते तो लुत्फ और बढ़ जाएगा.

* सैक्स की शुरुआत धीमेधीमे करनी चाहिए. पार्टनर पर एकदम भूखे भेडि़ए की तरह नहीं टूट पड़ना चाहिए. इस से जल्द डिस्चार्ज होने की गुंजाइश बढ़ जाती है.

* सभी मर्दों और खासतौर से लड़कों को चाहिए कि वे फोरप्ले को जितना हो सके, लंबा खींचें. लड़कियों को भी उन का पूरा साथ देना चाहिए. इस के लिए दोनों शर्तें लगा सकते हैं कि देखें, पहले कौन हथियार डालता है. इस दौरान दोनों एकदूसरे को उत्तेजित करने वाली सैक्स क्रियाएं करते रहें.

* अकसर मर्दों को जल्दी डिस्चार्ज होने की शिकायत रहती है, जिसे वे कमजोरी समझने की भूल कर बैठते हैं. इसे ही एरैक्टाइल डिस्फंक्शन यानी ईडी कहते हैं.

* मर्दों को यह ध्यान रखना चाहिए कि उन का अंग बाहर होने की वजह से यह बेहद कुदरती बात है, जिसे हमेशा किसी दवा या बाहरी तरीके से दूर नहीं किया जा सकता. इस के लिए उन्हें अपने अंग पर नहीं, बल्कि दिमाग पर कंट्रोल रखना चाहिए. हर 5-7 मिनट में एक छोटा सा ब्रेक ले कर फिर से फोरप्ले शुरू करना जल्द डिस्चार्ज होने से बचने का बेहतर तरीका है.

* रोजाना की कसरत और खानपान से सैक्स लाइफ पर भी फर्क पड़ता है, लेकिन यह सोचना बेमानी है कि रात को छुआरे या जीरासौंफ, मूसली वगैरह खाने से सैक्स पावर बढ़ती है. ऐसे टोनेटोटकों और उपायों को करने से खुद पर से भरोसा और उठता जाता है, क्योंकि ये कारगर नहीं होते. हां, खाना जरूर ताकत बढ़ाने वाला खाते रहना चाहिए और शराब, ज्यादा चाय और दूसरे नशों से बचना चाहिए.

* इस पर भी बात न बने, तो किसी माहिर सैक्सोलाजिस्ट को दिखाना चाहिए. लेकिन उस से भी पहले एक बार वह तरीका आजमा कर देख लेना चाहिए, जो रुक्मिणी के कहने पर शीला और उस के पति ने आजमाया था. यह तरीका सैक्स की सत्ता पार्टनर को सौंप देने और मुख मैथुन का है. शीला ने पति के जल्द पस्त पड़ने के कुछ देर बाद पति का अंग देर तक सहलाया और उस का मुख मैथुन किया तो दूसरा राउंड लंबा चला. लेकिन इस के लिए साफसफाई का खास ध्यान रखना चाहिए और दोनों की रजामंदी इस में होनी चाहिए.

* पत्नियों को भी खास एहतियात बरतने की जरूरत है कि वे पति की सैक्स पावर कम होने पर बजाय लात मारने की बात सोचने के उस से प्यार से बात करें, उस का साथ दें और उस का हौसला बढ़ाती रहें.

कसरत ही है कारगर

अव्वल तो सैक्स अपनेआप में ही एक ऐसी कसरत है, जिस से कभी जी नहीं भरता, इसीलिए 80-85  साल के बूढ़े की भी हसरतें जवान होती हैं. लेकिन इस खेल में वह बहुत ज्यादा देर और दूर तक दौड़ नहीं सकता. 20-25 की उम्र में जब फर्राटा लगा कर दौड़ा जा सकता है, तब अगर कुछ कदमों के बाद ही हांफने लगे और आप दौड़ते हुए मंजिल तक पहुंचने में खुद को नाकाम पाने लगें तो तय है कि न तो आप सही खुराक ले रहे हैं और न ही कसरत कर रहे हैं.

सैक्स और हमबिस्तरी के ट्रैक पर अगर आप आखिर तक दौड़ना चाहते हैं, और पार्टनर को पहले थका देना चाहते हैं तो कुछ कसरत जरूर रोजाना करिए. ये आप को बिस्तर में समय से पहले हांफने नहीं देंगी.

कसरत सेहत के साथसाथ सैक्स में भी कारगर साबित होती है, यह माहिर अकसर बताते रहते हैं. एक बार भी सैक्स कर चुके किसी भी शख्स को यह तजरबा हो जाता है कि हमबिस्तरी के क्लाइमैक्स पर हांफने लगता है, लेकिन इस हांफने में कोफ्त नहीं, बल्कि आनंद होता है, जिस के लिए जरूरी है कि रोज नियम से कम से कम 3 किलोमीटर दौड़ा या तेज कदमों से चला जाए. इस से शरीर में खून उतनी ही तेजी से दौड़ता है, जितना कि हमबिस्तरी के दौरान दौड़ता है.

दौड़ने से शरीर के पूरे अंग अपना काम सलीके से करते हैं और हाजमा भी दुरुस्त होता है, लेकिन अहम बात इस से स्टैमिना बढ़ता है, जो सैक्स के दौरान हर किसी के लिए जरूरी होता है, इसलिए खुद भी दौड़ें और साथ में अपने पार्टनर को भी दौड़ाएं.

मोटे होते लोगों के लिए तो दौड़ना बेहद कारगर होता है, क्योंकि इस से न केवल गैरजरूरी चरबी छंटती है, बल्कि सभी मसल्स भी मजबूत होती हैं और शरीर में चुस्तीफुरती बनी रहती है.

दौड़ने के बाद अहम कसरत तैरना है, जो सैक्स पावर बढ़ाने में मददगार साबित होता है. तैरने से भी नसों में खून तेजी से दौड़ता है, जिस से उन में बेवक्त ढीलापन नहीं आता. रोजाना कम से कम आधा घंटा तैरना हमबिस्तरी में भी इतनी ही देर टिकाए रखने में मदद करता है, इसलिए जितना ज्यादा हो सकता है, अगर रोज मुमकिन न हो, तो हफ्ते में 4 दिन तैरना भी फुरती देता है.

यों तो हरेक तरह की कसरत से सैक्स पावर बढ़ती है, लेकिन पुशअप्स से कुछ ज्यादा बढ़ती है, क्योंकि इस में हाथपैरों और जांघों की मसल्स को ज्यादा मजबूती मिलती है, दूसरे इस में आप हमबिस्तरी के आम आसन में यानी ऊपर होते हैं. पुशअप सैक्स के दौरान ज्यादा देर टिके रहने में मदद करते हैं. रोजरोज एक ही पोजीशन में सैक्स करने से ऊब चुके लोगों के लिए पुशअप पोजीशन बदल कर सैक्स करने में मदद करते हैं.

रस्सी कूदना भी सैक्स पावर बढ़ाने वाली कारगर कसरत है. कई रिसर्च में यह साबित हो चुका है कि मोटे लोगों को ज्यादा देर तक टिके रहने में दिक्कत होती है, हालांकि इसे कमजोरी नहीं कहा जा सकता, लेकिन जो फुरती और स्टैमिना कम वजन वाले लोगों में होता है, वह ज्यादा वजन वाले लोगों में नहीं होती, इसलिए रोजाना थकने तक रस्सी कूदें, जो अपने कमरे में भी आसानी से मुमकिन है.

सैक्स पावर को ले कर फिक्रमंद लोगों को तुरंत ही कसरत शुरू कर देनी चाहिए, लेकिन यह ध्यान रखना चाहिए कि इस का असर रातोंरात नहीं दिखता, बल्कि थोड़ा समय लगता है.

जाने वे संकेत, जिनसे आप जान सकती हैं कि आपका मेल पार्टनर वर्जिन है या नहीं

आज के समय में लड़के हो या लड़की अधिकतर शादी से पहले ही सेक्स के बारे में जानने की चाह रखते हुए पोर्न वीडियो देखना पसंद करने लगते है ऐसे में उन्हें थोड़ी बहुत जानकारी हासिल हो जाती है लेकिन इसका मतलब यह नहीं की उन्हें सेक्स का अनुभव है असल में सेक्स का अनुभव सेक्स करने से ही आता है। अब ऐसे में आप कैसे जान सकती है कि आपका मेल पार्टनर वर्जिन है या नहीं। सबसे पहले आप ये जान लें की वर्जिनिटी परखने का कोई टेस्ट नहीं है।

आमतौर पर लड़कियों के मामले में लोगो की राय बनी होती है कि लड़की का यदि हाइमन टुटा हुआ है तो इसका मतलब वो लड़की वर्जिन नहीं है मतलब वो पहले भी सेक्स कर चुकी है और कई बार ऐसी गलत फहमी के चलते रिश्ते भी टूट जाते हैं लेकिन डॉक्टर्स के अनुसार हाइमन योनि के पास एक छेद के रूप में होता है। ऐसा भी संभव नहीं है कि यह हर लड़की में हो कई बार जन्म के समय लगभग 10-15 प्रतिशत लड़कियों के शरीर में हाइमन नहीं होता है।

इसलिए हाइमन टूटने से कौमार्य खोने का कोई मतलब ही नहीं बनता है। यहां तक कि यह हाइमन कई बार साइकिलिंग करते समय ,अधिक वजन उठाने से या टम्पून बदलते समय भी टूट जाता है। लेकिन यदि बात करें लड़को की वर्जिनिटी कि तो इसके लिए कोई शारारिक या कोई जाँच का तरीका नहीं है लेकिन आप कुछ संकेतो के जरिए जान सकती हैं कि आपका पार्टनर आपसे पहले भी किसी और के साथ सेक्स कर चुका है। तो चलिए जानते हैं ऐसे संकेतों के बारे में।

घबराहट, एंग्जायटी और शर्माना

90% पुरुषों और महिलाओं को पहली बार सेक्स करने के दौरान परफॉर्मेंस एंग्जाइटी होती है।जिसका कारण उनका सेक्स के प्रति अति-उत्तेजना है जो घबराहट को बढ़ाता है। यदि आपका साथी आपके साथ सेक्स तो करना चाहता है लेकिन आपको छूने से भी घबरा रहा है तो यह संकेत है कि यह उसका फर्स्ट टाइम सेक्स अपील है।

कंडोम का इस्तेमाल सही से ना कर पाना

जिस पुरुष को कंडोम के इस्तेमाल का कोई ज्ञान ना हो । और उसका इस्तेमाल कर पाना मुश्किल हो रहा हो तो, हो सकता है कि यह उसका पहला चांस हो लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि उसने कभी सेक्स ना किया हो। हो सकता है कि उसने पहले सेक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग ही न करा हो।

चुंबन और फोरप्ले की समझ ना होना

किसी के बीच संबंध बनाने से पहले सबसे पहला कदम किस से ही जुडा होता है वर्जिन लड़का सही तरिके से अपनी पार्टनर को चुंबन कर पाने में भी असहज होता है बल्कि जो पहले भी सेक्स कर चुके होते है वो स्मूच या सीधे लिपलॉक किस करने के लिए उत्तेजित होते हैं।

वहीं सेक्स में फोरप्ले का बहुत बड़ा रोल होता है क्योंकि फोरप्ले से लड़के व लड़की दोनों को सुखद सेक्स करने के लिए प्रेरित करता है। जिसे सेक्स के अनुभव होगा वो पहले फोरप्ले जरूर करना चाहेगा साथ ही उसे बेहतर सेक्स मूव्स की जानकारी होगी जिस के जरिए वो लड़की को अच्छे से संतुष्ट करने की कोशिश करेगा लेकिन जो पहली बार सेक्स कर रहा है उसे सही जानकारी नहीं होती है और वह फोरप्ले न करके सेक्स करने की जल्दी में होता है।

योनि सेक्स में परेशानी व जल्दी डिस्चार्ज होंना

पहली बार संबंध बनाने वाले लड़के को बढ़ती हुई कामोत्तेजना के कारण जल्दी डिस्चार्ज होने कि सम्भावना होती है। वहीं योनि सेक्स करते समय सही जगह पर इंटरकोस करने में उन्हें परेशानी आती है जबकि पहले सेक्स कर चुके लड़के को अनुभव होता है। जिससे उन्हें इंटरकोस करने में समस्या नहीं होती।

सेक्स रिश्तों के लिए कितना जरूरी

रिया और राहुल की नई शादी हुई थी पर राहुल पर काम का प्रेशर ज्यादा होने से वो रिया को वक़्त ही नहीं दे पा रहा था अक्सर उसे शहर से बाहर जाना पड़ता था संयुक्त परिवार होने के कारण रिया को भी ऑफिस और घर मे पूरा सामंजस्य बिठाना पड़ रहा था ऐसे में उनमें अक़्सर झगड़े होने लगे थे और नौबत यहाँ तक आ गयी कि रिया गुस्से में अपने मायके चली गई तब राहुल के एक दोस्त के कहने पर दोनों मैरिज कॉउंसलर के पास गए.

उसने दोनों का पक्ष सुनने के बाद दोनों से एक छोटा दो 3 दिन का ट्रिप प्लान करने की सलाह दी जहाँ सिर्फ वो दोनों हों और वहाँ से लौटकर मिलने को कहा.लौटकर आने तक दोनों का झगड़ा सुलझ गया था अब उन्हें उस कॉउंसलर के पास जाने की जरूरत ही नहीं थी.प्रश्न ये है कि इन तीन चार दिनों में उन दोनों के बीच क्या बदल गया ?

इसका सीधा सा जवाब है कि पति पत्नी का संबंध भले ही आत्मा से जुड़ा बँधन है फिर भी शारीरिक अंतरंगता इस रिश्ते के लिए बेहद महत्वपूर्ण है . जब भी इस रिश्ते में सेक्स की कमी होती है तो कहीं न कहीं अलगाव पनपने लगता है. चूँकि हम भारतीय समाज मे रहते हैं जहाँ पर इस विषय पर चर्चा करना आज भी वर्जित है ऐसे में इस बात को समझना और भी मुश्किल हो जाता है.जबकि ये एक स्वाभाविक ज़रूरत है जिसकी पूर्ति होना आवश्यक है.पति पत्नी के संबंधों की मजबूती के लिए इसके अलावा भी बहुत सी बातें जरूरी हैं पर इस पहलू को नज़रअंदाज़ तो कतई नहीं किया जा सकता है.

हर किसी के जीवन में कभी न कभी ये प्रश्न खड़ा होता है कि क्या शारिरिक संबंधों का शादी के रिश्ते में होना जरूरी है इसके बिना क्या ये रिश्ता खत्म हो जाएगा ? सवाल लाज़मी है जवाब भी उतना ही आसान .जी हाँ ये बहुत ही जरूरी है आपसी तालमेल के लिए.

इसी तरह सुमि और रजत की अरेंज्ड मैरिज हुई थी पर कुछ ही दिनों में दोनों में बात बात पर लड़ाइयाँ होने लगीं बात इतनी बढ़ी कि दोनों में बोलचाल बन्द हो गई .फिर किसी के कहने पर वो दोनों एक कॉउंसलर के पास गए दोनों से बात करके उसने उन्हें जो समस्या बताई उस से दोनों ही सहमत थे .असल में बात ये थी कि नई शादी के कुछ महीनों तो सब नया सा था तो दोनों को अच्छा लगता था फिर धीरे धीरे एक जैसा सब चलने से दोनों को ही सब उबाऊ लगने लगा जिसका सीधा असर उनके आपसी संबंधों पर पड़ने लगा.

रजत की इच्छा रहती कि कभी सुमि भी पहल करे ऐसा न होने पर वो एक मशीन की तरह एक ही ढर्रे पर यंत्रवत सब करता इस से न उसे संतुष्टि होती न ही सुमि को इसके उलट सुमि चाहती कि रजत उसे पहले खूब प्यार करे उसके बाद सेक्स की शुरुवात हो पर संकोच वश कह नही पाती इसके कारण दोनों के रिश्ते में परेशानी खड़ी हो गई .कुल मिलाकर बात ये है कि पति पत्नी के रिश्ते में मानसिक जुड़ाव जितना ज़रूरी है उस से भी ज़्यादा जरूरी है शारीरिक संबंधों का तालमेल वरना रिश्ते की गाड़ी को पटरी से उतरते देर नहीं लगती.इस बात को लेकर हर व्यक्ति का अपना नज़रिया होता है परंतु एक बात तय है कि ये प्यार जताने का एक तरीका है जब दो लोग एक दूसरे पर पूरा भरोसा कायम कर लेते हैं तभी आगे बढ़ते हैं .भारतीय समाज मे शादी के बाद ही शारीरिक संबंधों को जायज़ माना जाता है परंतु लिव इन के नए कॉन्सेप्ट ने इस सोच को काफी हद तक प्रभावित किया है.ऐसे में ये जानना बेहद आवश्यक हो जाता है कि किसी भी रिश्ते की सफलता के लिए शारीरिक संबंधों की भूमिका क्या होती है.

तनाव को दूर करने में कारगर

इस बात को लेकर कई शोध हुए हैं जिनमे ये बताया गया है कि सेक्स से मानसिक तनाव कम होता है.ऐसे में ये तनाव कम करने में मदद करता है और छोटे मोटे आपसी विवाद सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

आपसी सामंजस्य

किसी भी कपल की सेक्सुअल लाइफ ये पता लगता है कि उनकी आपसी साझेदारी और समझ का स्तर क्या है.किसी भी कपल की सेक्स लाइफ उनके बीच विश्वास का प्रतीक होती है.

असुरक्षा की भावना से मुक्ति

सेक्स रिश्ते में एक विश्वास क़ायम करता है जिस से एक दूसरे से दूर रहने पर भी साथ होने का अहसास बना रहता है .एक दूसरे को खो देने की जो असुरक्षा मन मे होती है उस भावना को ये दूर करता है.

प्यार जताने का तरीका

ये प्यार जताने का एक कारगर तरीका होता है. अंतरंग संबंध जितने मजबूत और स्वस्थ्य होते हैं रिश्ता भी उतना ही मजबूत होता है. जिन रिश्तों में सेक्स की कमी होती है अक्सर उन रिश्तों में तनाव होता है या कभी कभी तो अलगाव की स्थितियाँ भी निर्मित हो जाती हैं.

स्वास्थ्य के लिए लाभकारी

एक शोध में ये बात सामने आई है कि रोज एक बार सेक्स करने वाले लोग सेक्स से परहेज रखने वालों से ज़्यादा स्वस्थ्य और लंबा जीवन जीते हैं.सेक्स के दौरान शरीर से जो हार्मोन निकलते हैं वो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.इस दौरान एक मिनट में लगभग पाँच कैलोरी खर्च होती है जिसके कारण ये व्यायाम जैसा लाभ देता है.

हर युवा को जाननी चाहिए कंडोम से जुड़ी ये जानकारियां

मां बनने की खुशी से भला कौन वंचित रहना चाहता है? मगर सही वक्त और सही स्थिति का होना बहुत जरूरी है. सेक्स के दौरान या उसके बाद तमाम सुविधा-असुविधा के बारे में जानकारी रखना बहुत आवश्यक है. तभी एक परिवार सफल व सुखी परिवार बना रह सकता है. यह जिम्मेदारी सिर्फ एक पार्टनर की नहीं बल्कि दोनों की, बराबर की है. युवाओं को अकसर इस संबंध में सही जानकारी नहीं होती. यहां प्रस्तुत है इस संबंध में वैज्ञानिक जानकारी ताकि कई तरह के रोगों और असमय गर्भधारण से बचा जा सके.

कंडोम को हमेशा तवज्जो देना क्यों जरूरी है?

सेक्स हर हाल में शारीरिक संबंध है जो अपने साथ-साथ कई किस्म की बीमारियां भी लिए होता है. जरा सी लापरवाही किसी की पूरी दुनिया बदल सकती है. किसी के जीवन का अंत भी हो सकता है. इसलिए सेक्स के बारे में सोचने के साथ ही कंडोम के बारे में सोचना जरूरी है. क्योंकि इससे ही सुरक्षित सेक्स संभव है. संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए कंडोम एक बेहतर विकल्प है.

संक्रामक रोग, असमय प्रेग्नेंसी के बारे में दोनो सोचें

इन सब विषयों के बारे में सोचना सिर्फ महिलाओं की ही जिम्मेदारी नहीं है. दरअसल लोगों की इस पर अपनी-अपनी राय है कि कंडोम, प्रेग्नेंसी आदि यह सब पुरुषों के सोचने का विषय है. वास्तव में संक्रामक रोगों से बचाव और असामयिक प्रेग्नेंसी की समस्या दोनो की ही समस्या है. विशेषतौर पर महिलाओं को इस मामले में मुखर होने की जरूरत है.

कंडोम न मिलने की स्थिति में क्या करना चाहिए?

कंडोम एक ऐसा सुरक्षा कवच है जिसकी तुलना मंे कोई और गर्भनिरोधक नहीं है. हालांकि गर्भनिरोधक कई मौजूद हैं मगर बिना किसी रिस्क फैक्टर के कंडोम का इस्तेमाल किया जा सकता है. इसका कोई दुष्परिणाम नहीं होता. लेकिन कोई ऐसी स्थिति आ जाए जब सेक्स करने के दौरान कंडोम न हो तो क्या किया जाए? बाजार में कई दूसरे गर्भनिरोधक भी आपके काम आ सकते हैं. ध्यान रखें यह गर्भनिरोधक सिर्फ गर्भ ठहरने की आशंका को ही सुनिश्चित करते हैं. इनमें किसी किस्म की दूसरी सुरक्षा नहीं होती.

क्या पहली बार सेक्स में ही कोई महिला गर्भवती हो सकती है?

यह एक ऐसा सवाल है जिसका कोई जवाब नहीं है. इसलिए युवाओं का यह जानना बहुत जरूरी है कि चाहे आप पहली बार सेक्स कर रहे हों या दसवीं बार, कंडोम का इस्तेमाल करना न भूलें. हालांकि यह थोड़ी परेशान करने वाली बात लग सकती है कि पहली बार सेक्स में भी कंडोम का इस्तेमाल किया जाए? लेकिन हकीकत यही है कि अगर अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहते हैं तो कंडोम का उपयोग बिना झिझक करें.

कंडोम कहां से खरीदे जा सकते हैं? क्या कंडोम अलग-अलग प्रकार के भी होते हैं?

कंडोम कोई ऐसी अंजान चीज नहीं है जिसे खरीदने के लिए मुश्किल सामने आती है. यह आपको कहीं भी आसानी से उपलब्ध हो सकता है. कैमिस्ट की दुकान से इसे आसानी से खरीदा जा सकता है. जब आप सेक्स से नहीं शरमाते तो किसी के सामने एक शब्द ‘कंडोम’ कहने में शरम कैसी?

अब जहां तक बात है इसके प्रकार की तो विभिन्न प्रकार के कंडोम मार्केट में उपलब्ध हैं. अपनी सहूलियत के अनुसार जो पसंद हो, उसका इस्तेमाल कर सकते हैं. उनमें से कुछ इस प्रकार हैं-

मैटीरियलः ज्यादातर कंडोम लैटेक्स और पाॅलीयूरीथेन से बने होते हैं. लैटेक्स के द्वारा बनाए गए कंडोम ज्यादा मजबूत होते हैं. प्रेग्नेंसी और संक्रामक रोगों से दूसरों के मुकाबले यह ज्यादा सुरक्षा प्रदान करते हंै.

साइजः बाजार में अलग-अलग लम्बाई का कंडोम उपलब्ध होता है. कोई छोटे होते हैं, कई ज्यादा लम्बे होते हैं तो कई की चैड़ाई ज्यादा होती है तो कुछ पतले होते हैं. अगर पैकेट में लिखा है ‘लार्ज’ अथवा ‘स्माॅल’ इसका मतलब उसकी लम्बाई से नहीं बल्कि चैड़ाई से है. कंडोम खरीदते वक्त बिना शरमाएं अपने शिश्न के साइज अनुसार ही कंडोम खरीदें.

लुब्रीकेटः लुब्रीकेट यानी चिकनाई. कुछ कंडोम ऐसे भी होते हैं जिसमे जरा भी चिकनाहट नहीं होती. जबकि कुछ में सिलिकन बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं तो कुछ में वाॅटर बेस्ड लुब्रीकेंट्स होते हैं.

कलर्डः लैटेक्स या कंडोम का वास्तविक रंग क्रीमी व्हाईट होता है. लेकिन बाजार में कंडोम अलग-अलग रंगों में भी उपलब्ध हैं.

फ्लेवर्डः कुछ सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन, ओरल सेक्स की वजह से भी फैलते हैं. सो, अगर ओरल सेक्स के दौरान भी कंडोम का उपयोग किया जाए तो अच्छा है. कई दफा लोगों को लैटेक्स की गंध और उसका स्वाद पसंद नहीं आता. इसलिए फ्लेवर्ड कंडोम बेहतर विकल्प हैं.

कंडोम कितना कारगर है?

वास्तव में यह निर्भर करता है उपयोग करने वाले पर. अगर कंडोम का उपयोग सही मायने में किया जाए तो 94प्रतिशत से लेकर 97प्रतिशत तक तमाम समस्याओं से निजात दिलाता है. प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोग, सभी से निजात दिलाने में यह कारगर साबित हुआ है. एचआईवी से तो यह लगभग 100प्रतिशत तक राहत देता है. कुछ लोग मानते हैं कि कुछ वायरस हैं जिनके सामने कंडोम असफल है, जबकि ऐसा नहीं है.

क्या दो कंडोम का इस्तेमाल एक कंडोम के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है?

नहीं. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने से कई समस्याएं खड़ी हो सकती हैं. मसलन दोनों कंडोम घिसने के कारण फट सकते हैं. साथ ही यह किसी भी व्यक्ति के लिए सहज नहीं है. दो कंडोम पहनकर सेक्स करने में असुविधा होती है.

फीमेल कंडोम क्या है?

मेल कंडोम की ही तरह बाजार में फीमेल कंडोम भी मौजूद है. फीमेल कंडोम एक पाउच की तरह होता है. इसे वैजाइना में फिट किया जाता है.

कंडोम कैसे पहना जाता है?

ध्यान रखें कंडोम का इस्तेमाल करना बहुत जरूरी है. उससे भी जरूरी है उसका सही से इस्तेमाल करना. शिश्न और योनि के बीच संपर्क होने से पहले ही कंडोम को लगाया जाना चाहिए. अन्यथा प्रेग्नेंसी या संक्रामक रोगों से बचना मुश्किल हो सकता है.

पुरुष को कंडोम तब लगाना चाहिए जब उसका शिश्न लम्बा और खड़ा हो जाए. कंडोम को खोलते समय दांत का उपयोग न करें; क्योंकि हो सकता है कि आपके दांतों की वजह से कंडोम में दरार पड़ जाए और वह आपको न दिखे.

अगर कंडोम फट जाए?

अगर सेक्स के दौरान कंडोम फट जाए तो तुरंत वहीं सेक्स प्रक्रिया रोक दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें. कई दफा ऐसा होता है कि आपके महसूस हो रहा है कि कंडोम फट गया है, जबकि ऐसा नहीं होता. कई बार यह मात्र एक वहम होता है. मगर बेहतर है कि रह-रहकर कंडोम को चेक करते रहें. अगर सेक्स के दौरान लगे कि आपका वीर्य कहीं न कहीं से निकलकर योनि के अंदर प्रवेश कर चुका है तो बेहतर है तुरंत डाॅक्टर से संपर्क करें या किसी प्रिकाॅशनरी गर्भनिरोधक का इस्तेमाल करें. इसी से बचाव हो सकता है.

क्या ओरल सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है?

हां, कई डिजीज ऐसे होते हैं जो ओरल सेक्स से शरीर के अंदर प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए कंडोम का उपयोग अवश्य करें.

सेक्स करना कब रोकना चाहिए?

पुरुषों को यह ध्यान में रखना चाहिए कि जब वह अपना शिश्न गुदा से या योनि से बाहर निकालने वाला हो तो उसे कंडोम को पकड़ लेना चाहिए. इसे आहिस्ता से निकालने के बाद सावधानीपूर्वक किसी सही जगह पर फेकना चाहिए. कंडोम को यूज करने के बाद टायलेट में न फेंके और न ही यादगार के रूप मेें अपने कमरे में सजाने का सामान बनाएं. उसे डस्टबिन में ही फेंके.

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा एक्स अब मेरे साथ एक बार फिर रिलेशनशिप में आना चाहता है. उस का कहना है कि वह मुझ से कभी मूव औन नहीं कर पाया और न ही मुझे भूल पाया है. वहीं, मैं तो कब की उस से मूव औन कर चुकी हूं, यहां तक कि कुछ महीनों पहले एक लड़के को डेट भी किया था. फिलहाल मैं सिंगल हूं.

हम दोनों के ब्रेकअप की वजह उस का मुझे ले कर हमेशा कन्फ्यूज्ड रहना था. क्या पता अब वह क्लियर हो गया हो. क्या यह सही रहेगा कि मैं सिंगल तो हूं ही तो अपने एक्स के साथ ही रिलेशनशिप में आ जाऊं?

जवाब-

अगर आप रिलेशनशिप में इसलिए आना चाहती होतीं कि आप भी उस से उतना ही प्यार करती हैं जितना वह करता है तो मेरा सुझाव होता कि बिलकुल आइए, रिलेशनशिप में आखिर बुराई क्या है. लेकिन, आप के मन में अब अपने एक्स के लिए कोई प्यार नहीं है और शायद रिस्पैक्ट भी नहीं है तभी तो आप बिना फीलिंग्स उस के साथ रिलेशनशिप में आना चाहती हैं.

आप जानती हैं कि वह आप से प्यार करता है और आप अब नहीं करतीं. हो सकता है कि उस का कन्फ्यूजन आप को ले कर खत्म हो गया हो लेकिन क्या अब आप कन्फ्यूज्ड नहीं हैं? यह तो बिल्कुल हिस्टरी रिपीट करने वाली बात हो गई. तब शायद आप को तकलीफ हुई थी, अब आप अपने एक्स को तकलीफ देंगी.

वैसे भी एक्स के साथ एक बार फिर किसी रिश्ते में बंधने से पहले सोच लेना चाहिए. यह बौलीवुड या टीवी सीरियल नहीं है, असल जीवन बेहद उलझा हुआ होता है. जब तक मन से आप बिलकुल तैयार न हों, फीलिंग्स एक सी न हों, तब तक एक्स से दूरी बनाए रखने में ही फायदा है. बिना बात खुद हर्ट होना या उसे हर्ट करना बेतुका है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

ताऊजी मेरी शादी उस लड़की से कराना चाहते हैं जिसे मैं पसंद नहीं करता, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 साल है और मैं शहर में अपने ताऊजी के साथ रहता हूं. उन की पहचान की एक लड़की है, जिस के साथ वे मेरा रिश्ता कराना चाहते हैं, पर वह लड़की मुझे पसंद नहीं है.

मैं अपने ताऊजी की बहुत इज्जत करता हूं और उन्होंने हमारे परिवार के लिए बहुत कुछ किया है. मुझे उस लड़की से शादी नहीं करनी है. ताऊजी को मनाने के लिए मैं क्या करूं?

जवाब-

ताऊजी के एहसानों के बदले जिंदगी दांव पर न लगाएं. अगर लड़की आप को पसंद नहीं तो साफ शब्दों में नम्रता से इस रिश्ते से इंकार कर दें. एहसानों का बदला तो मौका और जरूरत पड़ने पर कभी भी चुकाया जा सकता है, लेकिन इस अहम रिश्ते में जो खटास उस के वजूद में आने के पहले ही पड़ गई है, वह जिंदगीभर आप को सालती रहेगी, इसलिए ताऊजी को साफसाफ मना कर दें कि आप उन की बहुत इज्जत करते हैं और उपकार भी मानते हैं, पर जहां सवाल पूरी जिंदगी का हो वहां नापसंदगी वाला रिश्ता शर्तों पर नहीं निभा सकते.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz

सब्जेक्ट में लिखें-  सरस सलिल-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

19 दिन 19 टिप्स: सेक्स चाहिए बच्चा नहीं

विवाह के बाद जोड़े सेक्स का तो जम कर लुत्फ उठाते हैं पर बच्चा पैदा करने से परहेज करते हैं. कई युवा ऐसे भी हैं जो विवाह किए बगैर सेक्स का मजा लेते रहते हैं. कई युवा कंडोम, कौपर टी, गर्भनिरोधक गोलियों आदि का इस्तेमाल कर जिस्मानी रिश्ते बना रहे हैं. इस के पीछे उन का मकसद केवल सेक्स का मजा लेना ही होता है न कि बच्चे को जन्म देना. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो वे उसे गिराने में जरा भी देर नहीं लगाते हैं.

सेक्स का आनंद नैचुरल और सेफ तरीके से उठाया जाए तो मजा दोगुना हो जाता है. ऐसा नहीं करने से कई तरह की बीमारियों और परेशानियों में फंसने की गुंजाइश रहती है.

आजकल मातृत्व और पितृत्व की भावना कम होती जा रही है. औरत और मर्द का रिश्ता केवल सेक्ससुख का ही रह गया है. इसी वजह से यह चलन चल पड़ा है कि लोग मांबाप बनने से कतराते हैं. समाजविज्ञानी हेमंत राव कहते हैं कि महज सेक्स का सुख उठाने वाले जोड़े 30-35 साल की उम्र तक तो यह आनंद उठा सकते हैं लेकिन उस आयु तक अगर बच्चा पाने से परहेज किया जाए तो तरहतरह की जिस्मानी और दिमागी परेशानियां शुरू हो जाती हैं. कई ऐसे मामले हैं जहां लंबे समय तक बच्चे न चाहने वाले जोड़ों को बाद में काफी दिक्कतें उठानी पड़ती हैं.

हर चीज का समय होता है. बारबार गर्भपात कराने पर बच्चेदानी कमजोर हो जाती है, उस के फटने के आसार भी बढ़ जाते हैं. बारबार गर्भपात कराने से बां झपन की समस्या के होने का भी खतरा होता है. अगर बच्चा ठहर भी जाता है तो जन्म लेने वाले बच्चे के कमजोर और बीमार होने का खतरा बना रहता है. कई ऐसे उदाहरण हैं जहां देर से बच्चा होने पर वह दिमागी और जिस्मानी तौर पर बहुत कमजोर होता है. उस के कई अंगों का ठीक से विकास नहीं हो पाता है.

आज के युवा बच्चे को ऐसेट नहीं बल्कि लाइबिलिटी मानते हैं. यही वजह है कि ‘सेक्स का मजा लो और फिर अपने काम में लग जाओ’ की सोच बढ़ती जा रही है. अब वंश आगे बढ़ाने और मांबाप बनने का आनंद उठाना गुजरे जमाने की बात जैसी होती जा रही है. पहले के लोग बच्चे को बुढ़ापे का सहारा मानते थे पर आज के लोगों की सोच ऐसी नहीं है. उन की सोच है कि पैसा है तो सबकुछ खरीदा जा सकता है. कैरियर बनाओ, पैसा कमाओ और सेक्स का भरपूर मजा उठाओ, यही आज के युवाओं की सोच है.

हमारे देश में आज भी शादी की तमाम रस्मों और हनीमून की प्लानिंग तो की जाती है पर बच्चों की नहीं, जिस का नतीजा अनचाहा गर्भ या गर्भपात ही होता है. डा. नीरू अरोरा कहती हैं, ‘‘गर्भनिरोधक यानी कौंट्रासैप्टिव के चुनाव के मामले में आज कई दंपती यह तय ही नहीं कर पाते हैं कि कौन सा गर्भनिरोधक उन के लिए उपयुक्त है.’’

गर्भनिरोधकों के बारे में महिलाओं के मन में अनेक गलत धारणाएं रहती हैं, जैसे गर्भनिरोधक गोली से भविष्य में गर्भधारण में समस्या होगी, सेक्स की चाहत नहीं रहेगी, कैंसर की संभावना बढ़ेगी, वजन बढ़ जाएगा वगैरह. ये सारी धारणाएं गलत हैं.

‘गर्भनिरोधक गोलियों के प्रयोग से ओवेरियन कैंसर व सिस्ट के चांसेस कम होते हैं. इन के प्रयोग से घबराना नहीं चाहिए.’’

गर्भनिरोधक 2 प्रकार के होते हैं, प्राकृतिक व कृत्रिम.

A. प्राकृतिक गर्भनिरोधक

प्राकृतिक गर्भनिरोधक तरीकों का प्रयोग करते समय किसी भी तरह की गर्भनिरोधक दवाओं का प्रयोग नहीं किया जाता. इस के खास तरीके में सिर्फ मासिक चक्र को ध्यान में रखते हुए ‘सेफ पीरियड’ में ही सेक्स किया जाता है.

1 सुरक्षित मासिक चक्र :

परिवार नियोजन के प्राकृतिक तरीकों में से एक सुरक्षित मासिक चक्र है. इस तरीके के तहत ओव्यूलेशन पीरियड के दौरान शारीरिक संबंध न रखने की सावधानियां बरती जाती हैं.

आमतौर पर महिलाओं में अगला पीरियड शुरू होने के 14 दिन पहले ही ओव्यूलेशन होता है. ओव्यूलेशन के दौरान शुक्राणु व अंडे के फर्टिलाइज होने की ज्यादा संभावना होती है. दरअसल, शुक्राणु सेक्स के बाद 24 से 48 घंटे तक जीवित रहते हैं, जिस से इस दौरान गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.

फायदा :

इस में न किसी दवा की, न किसी कैमिकल की और न ही किसी गर्भनिरोधक की जरूरत होती है. इस में किसी भी तरह का रिस्क या साइडइफैक्ट का डर भी नहीं रहता.

नुकसान :

यह तरीका पूरी तरह से कामयाब नहीं कहा जा सकता. यदि पीरियड समय पर नहीं होता तो गर्भधारण की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है.

2 कैलेंडर वाच :

प्राकृतिक तरीकों में एक कैलेंडर वाच है, जिसे सालों से महिलाएं प्रयोग में लाती हैं. इस में ओव्यूलेशन के संभावित समय को शरीर का टैंप्रेचर चैक कर के जाना जाता है और उसी के अनुसार सेक्स करने या न करने का निर्णय लिया जाता है. इस में महिलाओं को तकरीबन रोज ही अपने टैंप्रेचर को नोट करना होता है. जब ओव्यूलेशन होता है तो शरीर का तापमान आधा डिगरी बढ़ जाता है.

फायदा :

इस में किसी भी प्रकार की दवा या कैमिकल का उपयोग नहीं होता. इस से कोई साइड इफैक्ट नहीं पड़ता और न सेहत के लिए ही कोई नुकसान होता.

नुकसान :

यह उपाय भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है, खासकर उन महिलाओं के लिए जिन की माहवारी नियमित नहीं होती.

3 स्खलन विधि :

इस विधि में स्खलन से पहले सेक्स क्रिया रोक दी जाती है, ताकि वीर्य योनि में न जा सके.

फायदा : इस का कोई भी साइड इफैक्ट नहीं है.

नुकसान : सहवास के दौरान हर पल दिमाग में इस की चिंता रहती है. लिहाजा, सेक्स का पूरापूरा आनंद नहीं मिल पाता. इस के अलावा शुरू में निकलने वाले स्राव में कुछ मात्रा में स्पर्म्स भी हो सकते हैं. इसलिए यह विधि कामयाब नहीं है.

B. कृत्रिम गर्भनिरोधक

प्रैग्नैंसी रोकने की जिम्मेदारी अकसर महिलाओं को ही उठानी पड़ती है. इसलिए उन्हें इस के लिए इस्तेमाल होने वाले कौंट्रासैप्टिव की जानकारी होना बेहद जरूरी है.

  1. गर्भनिरोधक गोलियां : गर्भनिरोधक गोलियां भी कई प्रकार की होती हैं :

साइकिल गर्भनिरोधक गोली : इस का पूरा कोर्स 21 दिन का होता है. इस की 1 गोली माहवारी के पहले दिन से ही रोज ली जाती है. इस के साथ ही 3 हफ्ते तक बिना नागा यह गोली लेनी चाहिए.

फायदा :

इस के उपयोग से माहवारी के समय दर्द से भी आराम मिलता है.

नुकसान :

आप यदि एक दिन भी गोली खाना भूल गईं तो प्रैग्नैंट हो सकती हैं, साथ ही सिरदर्द, जी मिचलाना, वजन बढ़ना आदि समस्याएं भी हो जाती हैं.

ओनली कौंट्रासैप्टिव पिल :

इसे ओसीपी भी कहा जाता है. इस का भी कोर्स 21 दिनों का होता है, जिस में 7 गोलियां हीमोग्लोबिन की भी होती हैं. इस तरीके से महिलाओं को एनीमिया की शिकायत नहीं होती क्योंकि इस में प्रोजेस्टेरोन और इस्ट्रोजन हार्मोन होते हैं.

आपातकालीन गोलियां: असुरक्षित सहवास के बाद अनचाहे गर्भ से बचने के लिए इस का इस्तेमाल किया जाता है.

फायदा :

इस गोली का सेवन यौन संबंध बनाने के 72 घंटों के अंदर किया जाता है तो यह 96 फीसदी तक प्रभावशाली होती है.

नुकसान :

इस का प्रयोग करना स्वास्थ्य की दृष्टि से ठीक नहीं है.

2. कौपर टी :

गर्भनिरोधक के रूप में यह विश्व में सब से ज्यादा इस्तेमाल होती है. यह अंगरेजी के टी (ञ्ज) अक्षर के शेप की होती है और इस में पतला सा तार लगा होता है. इसे गर्भाशय के भीतर लगाया जाता है. इस से गर्भ नहीं ठहर पाता. जब भी बच्चे की चाहत हो इसे निकलवाया जा सकता है.

फायदा :

इस में 99 फीसदी तक फायदा है. एक बार बच्चा होने के बाद दूसरा बच्चा होने के समय में गैप के लिए कौपर टी एक अच्छा जरिया है.

नुकसान :

कौपर टी लगाने के बाद 2-3 महीने तक माहवारी ज्यादा आती है, लेकिन बाद में ठीक हो जाती है. इसे डाक्टर के द्वारा ही लगाया और निकलवाया जाता है.

3. गर्भनिरोधक इंजैक्शन :

यह इस्ट्रोजन व प्रोजेस्टेरौन का इंजैक्शन है. यह 2 महीने या 3 महीने में लगाया जाता है. यह ओव्यूलेशन रोकता है, जिस से गर्भ नहीं ठहरता.

फायदा :

इस का 99 फीसदी फायदा होता है. माहवारी भी कम दिनों तक होती है और माहवारी में दर्द नहीं होता.

नुकसान :

इस से वजन बढ़ जाता है. इस इंजैक्शन के बाद नियमित व्यायाम और खानपान में संतुलित आहार जरूरी है.

टीनएज में बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

युवाओं में भले ही पोर्नोग्राफी देखने का चलन बढ़ रहा हो, पर सेक्स एजुकेशन के नाम पर उन की जानकारी शून्य ही होती है. सेक्स एजुकेशन पोर्नोग्राफी से अलग होती है. इस की जानकारी टीनएज में जरूरी है. इस से लड़कियों को कई तरह की परेशानियों से बचाया जा सकता है.

16 साल की नेहा अपनी मामी के घर आई थी. उस के स्कूल में गरमी की छुट्टियां चल रही थीं. नेहा के मामामामी शहर में एक बड़े घर में रहते थे. घर का काम करने के लिए नौकरचाकर थे. एक दिन नेहा की मामी अपने किसी परिचित से मिलने चली गईं. घर पर नेहा और उस के मामा थे. दोनों टीवी पर एक फिल्म देख रहे थे. इसी बीच नेहा के मामा ने कहा कि आओ तुम्हें एक खेल खिलाते हैं. नेहा कुछ समझ नहीं पाई, लेकिन जो हुआ वह बहुत बुरा और रिश्तों को कलंकित करने वाला था. नेहा को इस का परिणाम पता ही नहीं था. मामा ने नेहा से कहा कि इस बात को वह किसी को न बताए. नेहा भी इस खेल को बुरा खेल समझ कर भूल गई थी.

इस के बाद नेहा का मन मामा के घर में नहीं लगा. कुछ ही दिनों बाद वह वापस अपने घर आ गई. समय बीतने लगा. इसी बीच नेहा की तबीयत कुछ खराब रहने लगी तो मां ने डाक्टर को दिखाया. डाक्टर ने कुछ टैस्ट किए और इस के बाद नेहा की मां को जो कुछ बताया उस पर उन्हें यकीन ही नहीं हुआ.

डाक्टर ने साफसाफ शब्दों में कह दिया कि नेहा मां बनने वाली है. डाक्टर और उस की मां ने जब नेहा से पूछा तो उस ने बताया कि किस तरह एक दिन मामा ने उस के साथ दुष्कर्म किया.

सेक्स की जानकारी जरूरी

स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘इस तरह के मामले कोई अचंभे वाली बातें नहीं हैं. ऐसी बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं, जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हुआ है. इसीलिए इस बात की जरूरत है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सेक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर इस काम को सरलता से कर सकती हैं. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सेक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए.’’

डाक्टर सुनीता का कहना है, ‘‘जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं, उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों का यौनशोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल की उम्र के बीच यह बता दिया जाए कि सेक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जाता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर कभी इस तरह की कोई घटना घटती है तो लड़की मां को यह बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.’’

शारीरिक संबंधों में समझदारी

शारीरिक संबंध बनाने से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा लाइलाज बीमारियां भी शामिल हैं. इसलिए पेरैंट्स व टीचर्स को चाहिए कि वे घर व स्कूल में लड़कियों को गर्भनिरोधक गोलियों के बारे मेें बताएं कि इन का उपयोग कैसे और क्यों किया जाता है.

अधिकतर लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटनाएं हो जाती हैं तो वे या तो मां बन जाती हैं या फिर आत्महत्या कर लेती हैं. उन्हें इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोलियां भी आती हैं, जिन्हें खाने से अनचाहे गर्भ से नजात मिल सकती है. वैसे कई दवाएं अब आसानी से दवा की दुकानों पर भी उपलब्ध हैं. लेकिन दवा लेने से पहले बेहतर होगा कि आप किसी डाक्टर से मिल लें और जो भी पिल्स डाक्टर कहें वही लें.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों द्वारा एक दिन कुछ घंटे किशोरियों की परेशानियों को हल किया जाना चाहिए. यहां परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए जिस से छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके. बढ़ती उम्र की लड़कियों को कंडोम के बारे में बताना जरूरी होता है. यह केवल गर्भ ठहरने से ही नहीं रोकता, बल्कि यौनरोगों से भी बचाव करता है.

पीरियड्स में न घबराएं

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में पीरियड्स को ले कर होती है. आमतौर पर पीरियड्स आने की उम्र 12 से 15 साल के बीच की होती है. अगर इस उम्र में पीरियड्स न आए तो डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

डाक्टर सुनीता का कहना है कि पीरियड में देरी का कारण खानपान में कमी, आनुवंशिक जैसे मां और बहन को अगर पीरियड्स देर से आए होंगे तो उस के साथ भी देरी हो सकती है. कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर से सलाहमशवरा करने के बाद ही पता चलेगा कि सही कारण क्या है.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि  कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस के पीरियड्स नहीं होते हैं. डाक्टर सुनीता कहती हैं, ‘‘ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन पीरियड्स किसी कारण से नहीं आते हैं. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक पीरियड्स नहीं होंगे, गर्भ नहीं ठहर सकता है.

पीरियड्स में कई दूसरी तरह की परेशानियां भी आती हैं. कभीकभी ये समय से शुरू तो हो जाते हैं लेकिन बीच में एकदो माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में ये नौर्मल होते हैं, लेकिन यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी पीरियड्स का समय तो ठीक होता है, लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होते हैं. यदि ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास रुक हो जाता है.

डाक्टर सुनीता कहती हैं कि परेशानी की बात तो यह है कि कुछ लोग अपनी लड़कियों को डाक्टर के पास लाने से घबराते हैं. उन का मानना है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है. जिस से उस का होने वाला पति उस पर शक कर सकता है,  लेकिन अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.

बदलते समय के अनुसार करें ड्रैस का चुनाव

टीनएज में शरीर में बदलाव शुरू होता है. इस उम्र से ही सही तरह के इनरवियर का इस्तेमाल शुरू कर देना चाहिए. कौटन के इनरवियर पहनने चाहिए. एकदम फिटिंग वाले इनरवियर न पहनें. इस से बौडी के पार्ट की ग्रोथ रुक जाती है.

टीनएज में बौडी को ज्यादा डाइट की जरूरत होती है. ऐसे में शरीरकी जरूरत के हिसाब से डाइट लेनी चाहिए. खाने में जंकफूड से परहेज करें. खाने के साथसाथ ऐक्सरसाइज का भी ध्यान रखें. यह फिटनैस के लिए जरूरी है. फिट बौडी पर हर डै्रस अच्छी लगती है. शरीर की साफसफाई खासकर इनरपार्ट की बहुत जरूरी है. सफाई न होने से फंगस होने की आशंका बढ़ जाती है.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का कारण कहीं सेक्स असंतुष्टि तो नहीं

कुछ अरसा पहले आए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में धारा 497 को रद्द कर विवाहेतर संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया. उस समय के सीजेआई दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाह से बाहर बनाया गया संबंध एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है. यह तलाक का आधार तो बन सकता है, परंतु यह अपराध नहीं है.

देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से बहस छिड़ गई है. समाज में बढ़ रहा व्यभिचार समाज के तानेबाने को तोड़ने का कुत्सित प्रयास तो कर रहा है, लेकिन प्रश्न यह भी उठा रहा है कि आखिर बढ़ते व्यभिचार और विवाहेतर संबंध का कारण क्या है?

मानव सभ्यता के विकास के साथ समाज ने शारीरिक संतुष्टि और सेक्स संबंधों की मर्यादा के लिए विवाह नामक संस्था को सामाजिक मंजूरी दी होगी. विवाह के बाद पति और पत्नी के बीच के सेक्स संबंध शुरू में तो ठीक रहते हैं, परंतु समय के साथ सेक्स के प्रति अरुचि व पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न दिया जाना कलह के कारण बनते हैं.

आमतौर पर सुखद सेक्स उसी को माना जाता है, जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सेक्स संबंध में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रतिभा की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है. परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रतिभा का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रतिभा अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है.

कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश जब सेक्स करने की पहल करता है, तो प्रतिभा उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता. मन मसोस कर अपनी कामेच्छा दबा लेता. धीरेधीरे सेक्स करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल आने लगे. प्रतिभा जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.

जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सेक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सेक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को अपनी सेक्स जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए. सेक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सेक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की गई पहल का स्वागत कर, सेक्स संबंध स्थापित कर, एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

बच्चों के जन्म के बाद भी सेक्स के प्रति उदासीन न हों. सेक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सेक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पति अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेता है. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने से वह भी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लेती है, जिस की परिणति दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव के रूप में देखने को मिलती है.

स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के शुरू के सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट.

आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं, जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के शुरू के वर्षों का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

एक रिसर्च से पता चला है कि अलगअलग लोगों में इन संबंधों के अलगअलग कारण हैं. किसी से भावनात्मक जुड़ाव, सेक्स लाइफ से असंतुष्टि, सेक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम की कमी, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना, एकदूसरे को जलाने के लिए ऐसा करना विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं.

महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे की सोच

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है. ये परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम से अधिक कुछ नहीं मानती हैं. उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए अनुमति लें.

जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है. पति को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुखचैन का वातावरण और देह संतुष्टि चाहिए. परंतु पति खुद उस की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह चाह जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक इच्छाएं पूरी करती रहे.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेतर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्ते की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्ते को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है. अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सेक्स को ले कर की गई बातचीत, सेक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

फोरप्ले से और्गेज्म तक का सफर

एक नामी फैशन मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं के और्गेज्म यानी चरमसुख को ले कर कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. इस औनलाइन शोध में 18 से 40 साल की आयु वाली 2300 महिलाओं से प्रश्न किए गए, जिन में 67% महिलाओं ने माना कि वे फेक और्गेज्म यानी और्गेज्म होने का नाटक करती हैं. 72% महिलाओं ने माना कि उन का साथी स्खलित होने के बाद उन के और्गेज्म पर ध्यान नहीं देता है. सर्वेक्षण के यह आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में पति और पत्नी अकसर सेक्स संबंधों में और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाते हैं.

सेक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. पत्नी और पति का एकसाथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सेक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है.

सेक्स को शारीरिक तैयारी के साथसाथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सेक्स करने से पहले की गई सेक्स से संबंधित छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. कमरे का वातावरण, बिस्तर की जमावट, अंतर्वस्त्र जैसी छोटीछोटी बातें सेक्स के लिए उद्दीपक का कार्य करती हैं.

सेक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सेक्स संबंध के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली शिकायतें संबंध को बोझिल बनातीं और सेक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सेक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों का प्रयोग कर संबंध को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सेक्स की सहसंतुष्टि यकीनन दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथसाथ विवाहेतर संबंध बनाने से रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें