टेररिस्ट से मुकाबले को तैयार होगी अब यूपी की महिला होमगार्ड्स

यूपी की महिला होमगार्ड्स अब अपनी हिम्मत और हौसले से दुश्मन को पस्त करेंगी. किसी भी परिस्थितियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहेंगी. वीआईपी की आतंकियों से सुरक्षा की जिम्मेदारी और प्रमुख स्थलों की सुरक्षा भी संभालती नजर आएंगी.

प्रदेश सरकार बहुत जल्द महिला होमगार्ड्स को एंटी-टेरेरिस्ट (आंतकवाद रोधी) मॉड्यूल का प्रशिक्षण देने जा रही है. होमगार्ड विभाग को अन्य सुरक्षा बलों की तरह सशक्त बनाने की तैयारी कर रही है. सरकार ने प्रशिक्षण लेने वाले होमगार्ड्स को ड्यूटी भत्ता देने का भी बड़ा फैसला लिया है. इसके लिए विभाग के अधिकारियों को 100 दिन में प्रस्ताव बनाकर भेजने का लक्ष्य सौंपा है.

योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में होमगार्ड्स विभाग का कायाकल्प करने के लिए संकल्पित है. 20 प्रतिशत पदों पर महिलाओं की भर्ती के साथ ही उनके प्रशिक्षण में एंटी-टेरेरिस्ट मॉड्यूल के साथ-साथ अन आर्म्ड कम्बैट और पीएसओ ड्यूटी के मॉड्यूल को शामिल करने जा रही है. शहरी और ग्रामीण पुरुष और महिला होमगार्ड्स की प्रशिक्षण अवधि में भिन्नता को खत्म करके उसको 90 दिन किया जाएगा.

इन 90 दिनों में नए माड्यूलों को शामिल कर होमगार्ड्स की दक्षता एवं कार्यकुशलता को बढ़ाने में मदद मिलेगी. इससे शांति एवं कानून व्यवस्था तो सुदृढ़ होगी ही साथ में ड्यूटी पर नागरिकों को महिला होमगार्ड्स बेहतर सेवायें उपलब्ध करा पायेगी. सरकार ने विभागीय अधिकारियों से प्रशिक्षणरत होमगार्ड्स को ड्यूटी पर मानते हुए प्रशिक्षण भत्ते के स्थान पर ड्यूटी भत्ता देने की योजना भी बना ली है. बता दें कि यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने होमगार्ड्स विभाग को आगे बढ़ाने के तेजी से प्रयास शुरू किये हैं. महिला और पुरुष होमगार्ड्स को भी आधुनिक प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की जा रही है.

‘सीवर पॉइंट’ को उत्तर प्रदेश सरकार ने बना दिया ‘सेल्फी पॉइंट’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा शुरू किए गए नमामि गंगे का अभियान आजादी के बाद भारत की नदी संस्कृति को पुनर्जीवित करने की महत्वपूर्ण योजना बनी. ये बातें रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम में कहीं. गंगा यात्रा कार्यक्रम में पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 25 सौ किलोमीटर के अपने लंबे प्रवाह में पांच राज्य में से यूपी में यमुना और गंगा मां का सबसे ज्यादा आशीर्वाद है. मां गंगा से जुड़ी योजनाएं पहले भी बनती थी 1986 में गंगा एक्शन प्लान कार्य शुरू भी हुआ. केंद्र व राज्य सरकारों को मिलकर इस योजना से जुड़कर कार्य करना था इस एक्शन प्लान में बिहार, बंगाल उत्तर प्रदेश तीन राज्य थे. लेकिन नमामि गंगे योजना के पहले हमने जब गंगा नदी का मूल्यांकन किया तो पता चला की गंगा सर्वाधिक प्रदूषित है.

उन्होंने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि नमामि गंगे का ये अभियान यूपी में सफल हुआ. उत्तर प्रदेश के कानपुर में गंगा की स्थिति पीड़ादायक थी. इसके जल में जीव नष्ट हो जाते थे. लगातार 100 साल से सीसामऊ से रोज 14 करोड़ लीटर सीवर इसमें गिरता था.  लेकिन हमारी सरकार ने इस सीवर पॉइंट को सेल्फी पॉइंट में बदला. आज एक बूंद भी सीवर गंगा में नहीं गिरता है और जल के साथ जीव भी यहां सुरक्षित हैं. प्रयागराज के 2019 में आयोजित हुए कुंभ की सफलता की कहानी भी स्वच्छता और अविरल निर्मल गंगा की गाथा को कहती है. हमारी सरकार ने न सिर्फ गंगा मां पर बल्कि उसकी सहायक 10 नदियों पर भी अपना ध्यान केंद्रित किया. प्रयागराज के कुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और गंगा के निर्मल अविरल से आचमन भी किया. उन्होंने कहा कि कोई भी योजना तब सफल होती है जब सरकार के साथ समाज भी उसमें बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. और इस योजना की सफलता भी हमें तभी मिली जब समाज ने हमारा साथ दिया.

गंगाजल आचमन और पूजा करने योग्य-सीएम

काशी में गंगा निर्मल दिखती है आज गंगाजल आचमन और पूजा करने योग्य हो गया है. यहां डॉल्फिन भी दिखाई देती है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार की योजना को ध्यान में रखते हुए नदियों में कचरे के प्रवाह को रोकने का कार्य किया. जिसमें से अब तक 46 में से 25 का काम पूरा हो चुका है, 19 में काम चल रहा है और दो कार्य प्रगति पर है. आज हमारी सरकार इस योजना को आगे बढ़ा रही है. शवदाह गृह को आधुनिक किया जा रहा है. तकनीक को अपनाकर निर्मल गंगा को बनाने का काम किया जा रहा है. मुझे लगता है कोई भारतीय ऐसा नहीं होगा जो गांव का नाम लेकर आचमन न करता हो. आज सरकार के साथ समाज को भी एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि सिर्फ गंगा ही नहीं गंगा के साथ उसकी 10 सहयोगी नदियों को भी ध्यान में रखकर अपना योगदान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सबको नदियों में कूड़ा कचरा डालने से बचना होगा आज नमामि गंगे की सफलता के पीछे लोगों का बहुत बड़ा सहयोग रहा है. हमारी सरकार लगातार इन नदियों के उत्थान पर कार्य कर रही है. जो ड्रेनेज व सीवर के लिए अलग से व्यवस्था की जा रही है. साल 2019 में गंगा परिषद बैठक में हमने गंगा यात्रा निकाली, जो बिजनौर से कानपुर और कानपुर से बिजनौर तक निकली.

जनपद और राज्य स्तर पर किया गंगा समिति का गठन-सीएम

गंगा के उत्थान के साथ हम प्राकृतिक खेती और किसानों की मदद कर रहे हैं. आज गंगा के दोनों तटों पर बागवानी, गंगा नर्सरी, गंगा घाट, गंगा पार्क स्थापित हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि सर्वाधिक प्रवाह यूपी में होने के कारण आज हमारी सरकार ने दोनों तटों पर वृक्षारोपण, किसानों को फ्री में पौधा और 3 साल की सब्सिडी देने के कार्यक्रम को तेजी से चल रहे हैं. जिसको हम निरंतर युद्ध स्तर पर बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं. मेरी सभी से अपील है कि समाज गंगा की धारा को निर्मल और अविरल बनाने में आगे आए. हमारी सरकार ने गंगा समिति का गठन जनपद और राज्य स्तर पर किया है जिसके तहत लगातार कार्यक्रमों का आयोजन हो रहा है.

‘निर्भया-एक पहल’ 75,000 महिलाओं के लिए जागरूकता कार्यक्रम

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी कल 29 सितम्बर, 2021 को यहां मिशन शक्ति के अन्तर्गत ‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम का शुभारम्भ करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी द्वारा ‘एक जनपद, एक उत्पाद योजना’ के विशेष आवरण तथा विशेष विरूपण का विमोचन भी किया जाएगा.

‘निर्भया-एक पहल’ कार्यक्रम के अन्तर्गत प्रदेश के सभी 75 जनपदों मेें प्रति जनपद 1,000 महिलाओं का एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम तथा 03 दिवसीय कौशल क्षमता विकास प्रशिक्षण संचालित किया जाएगा. 75,000 महिलाओं को इस कार्यक्रम के माध्यम से लाभान्वित किया जाएगा.

प्रदेश के सभी 75 जनपदों में कल सम्बन्धित जनपद के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पाद के सम्बन्ध में भारतीय डाक विभाग के सहयोग से एक विशेष कवर तथा विशेष विरूपण का अनावरण एवं विमोचन किया जाएगा. इस प्रकार, एक ही दिवस और समय पर प्रदेश में 75 विशेष आवरण जारी किए जाएंगे. यह सभी आवरण देश के विभिन्न डाक घरों में भेजे जाएंगे, जिससे प्रदेश के ओ0डी0ओ0पी0 उत्पादों को व्यापक राष्ट्रीय पहचान मिलेगी.

योगी काशी के मूल स्वरुप के साथ खींच रहे विकास का ख़ाका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब जापान के शहर क्योटो की यात्रा पर गए थे, तभी से वह चाहते थे कि काशी के मूल स्वरूप को बरकार रखते हुए इस प्राचीन शहर को क्योटो के तर्ज पर विकसित किया जाए . यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने काशी के हेरिटेज़ को ध्यान में रखते हुए तेजी से वाराणसी में चौतरफ़ा विकास का ख़ाका खींचा है. जिसका परिणाम अब सामने आने लगा है. इसकी बानगी है , गोदोलिया से शीतला घाट तक पिंक कॉरिडोर. वाराणसी का गौदोलिया क्षेत्र अब ग़ुलाबी गलियारा सा दिखने लगा है. सड़क के दोनों तरफ़ की प्राचीन इमारतों को उनके मूल स्वरुप के साथ ख़ूबसूरत बनाया गया है . काशी के हेरिटेज़ को ध्यान में रखते हुए दुकानों व भवनों को सजाया सवारा गया है. चित्रकारी की थीम वाराणसी के प्राचीन पौराणिक भवनों के संरचना पर आधारित है. वाराणसी नगर के ऐतिहासिक भवनों एवं किलों में प्रयोग किये गये पत्थर की नक्काशी तथा भवनों की संरचना, डिजाईनों का ,चित्रकारी के कार्य में समावेश किया गया है.

काशी के गोदोलिया क्षेत्र में आप आये तो शायद चौंक जाएंगे. इस क्षेत्र का रंग -रूप संवर गया है. गोदोलिया से शीतला घाट तक जाने वाला रास्ता अब आपको बदला-बदला सा नज़र आएगा. इस बाज़ार से गुजरने पर आप को ग़ुलाबी एहसास होगा. इस मार्ग के दोनों तरफ के भवनों और दुकानों में एक रूपता दिखे इसका ध्यान रखते हुए सुंदरीकरण का काम किया गया है. काशी के हेरिटेज को ध्यान में रखते हुए भवनों व दुकानों की समरूपता को बनाए रखते हुए गोदौलिया चौराहे से शीतला घाट तक जाने वाले मार्ग के दोनो तरफ स्थित 58 भवनों एवं 350 दुकानों के शटर पर पेंटिंग,फसाड डिजाइनिंग का काम किया गया है. इस बाज़ार में पड़ने वाली सभी दुकानों के साइनेज बोर्ड में भी एक रूपता रखी गई है. जो देखने में सुन्दर लग रहे है. पेंटिंग की थीम वाराणसी के धार्मिक ,आध्यात्मिक व ऐतिहासिक भवनों के बनावट पर आधारित है. बनारस के ऐतिहासिक भवनों एवं किलों में प्रयोग किये गए पत्थर की नक्काशी तथा भवनों की संरचना, गुम्बद, खिड़की, दरवाजों, झज्जों के डिजाईनों की चित्रकारी के कार्य में इसका समावेश किया गया है.

वाराणसी विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष ईशा दुहन ने बताया की काशी बहुत प्राचीन शहर है. इसका मूलस्वरूप बदले बिना यहाँ के धरोहरों को सहेजने का काम किया जा रहा है. ऐतिहासिक धरोहरों के पेंटिंग में इस्तमाल रंगों का ख़ास ख़्याल रखा गया है. इसका चयन चुनार के लाल पत्थर से लिया गया है क्योकि चुनार के लाल पत्थर ही वाराणसी के अधिकतर प्राचीन भवनों, महलों, किलों में उपयोग किया गया है. दुकानों के शटर का डिजाईन श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर की डिजाईन पर आधारित है. वाराणसी स्मार्ट सिटी के अन्तर्गत वाराणसी विकास प्राधिकरण द्वारा ग़ुलाबी गलियारे का काम कराया जा रहा है. जिसकी लागत करीब 94 लाख रुपये आयी है.

डेल्टा वैरियंट को रोकने में यूपी रहा सफल: क्रैग केली

लखनऊ . ऑस्‍ट्रेलिया के संसद सदस्‍य क्रेग केली ने सूबे के मुखिया सीएम योगी आदित्‍यनाथ के कोरोना प्रबंधन की तारिफ की. उन्‍होंने आइवरमेक्टिन के प्रयोग साथ प्रदेश में कोरोना वायरस के नए वेरिएंट डेल्‍टा को नियंत्रित करने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को सराहा है.  सांसद क्रेग केली ने कहा कि 24 करोड़ की आबादी वाले उत्‍तर प्रदेश ने आइवरमेक्टिन टैबलेट का प्रयोग कर  दूसरी लहर पर अंकुश लगाया है.

केली ने ट्वीट करते हुए कहा कि भारतीय राज्‍य उत्‍तर प्रदेश की जनसंख्‍या 230 मिलियन है. इसके बावजूद कोरोना संक्रमण के नए वेरिएंट डेल्‍टा पर लगाम लगाई है. यूपी में आज कोरोना के दैनिक केस 182 है जबकि यूके की जनसंख्‍या 67 मिलियन है और दैनिक केस 20 हजार 479 हैं.

कोरोना वायरस से संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए यूपी सरकार ने स्‍वास्‍थ्‍य विभाग की सलाह अनुसार प्रदेश में आइवरमेक्टिन को कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए प्रयोग किया इसके साथ ही डॉक्‍सीसाइक्लिन को भी उपचार के लिए प्रयोग में लाया गया. बता दें कि उत्‍तर प्रदेश देश का पहला राज्‍य था जिसने बड़े पैमाने पर रोगनिरोधी और चिकित्‍सीय उपयोग में  आइवरमेक्टिन का प्रयोग किया.

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर

योगी के यूपी मॉडल की चर्चा चारो ओर है. कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाने के लिए प्रदेश सरकार की नीतियों को बांबे हाईकोर्ट, सुप्रीमकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ ने भी सराहा है. ट्रिपल टी, मेडिकल किट वितरण समेत ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में सैनिटाइजेशन का कार्य युद्धस्‍तर पर किया गया.

उत्तर प्रदेश में निराश्रित महिलाओं के लिए बनेगी कार्ययोजना

लखनऊ. सूबे के मुखिया योगी आदित्‍यनाथ ने जब से सत्‍ता की बागडोर संभाली है तब से लेकर अब तक वो प्रदेश की महिलाओं व बेटियों की सुरक्षा, स्‍वावलंबन और सम्‍मान के लिए प्रतिबद्ध है. प्रदेश में कवच अभियान और मिशन शक्ति जैसा वृहद अभियान इसके साक्षी हैं. प्रदेश में महिलाओं के लिए कई स्‍वर्णिम योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जिससे सीधे तौर पर महिलाओं को लाभ मिल रहा है. प्रदेश में अब जल्‍द ही कोरोना के कारण निराश्रित महिलाओं से जुड़ी एक बड़ी योजना की शुरूआत होने जा रही है. जिसके लिए सीएम ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की तर्ज पर महिला एवं बाल विकास विभाग को विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं. जिसपर विभाग द्वारा तेजी से कार्य शुरू कर दिया गया है.

निराश्रित महिला पेंशन के लिए पात्र महिलाओं को पेंशन वितरण के लिए ब्लॉक व न्याय पंचायत स्तर पर विशेष शिविर आयोजित किए जाने के भी निर्देश दिए हैं. उन्‍होंने राजस्व विभाग द्वारा ऐसी महिलाओं को प्राथमिकता के साथ नियमानुसार पारिवारिक उत्तराधिकार लाभ दिलाए जाने की व्‍यवस्‍था को सुनिश्चित करने के लिए कहा है.

विभाग द्वारा काम किया गया शुरू, सीधे तौर पर मिलेगा महिलाओं को लाभ

कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं के लिए एक विशेष योजना को विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है. महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से सीएम के निर्देशानुसार कार्ययोजना पा काम शुरू कर दिया गया है. विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया कि प्रदेश में कोरोना काल में निराश्रित हुई महिलाओं को पहले चरण में चिन्हित किया जाएगा जिसके बाद इन चिन्हित महिलाओं को राज्‍य सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं से जोड़ते हुए उनको स्‍वावलंबी बनाने का कार्य किया जाएगा. उन्‍होंने बताया कि जल्‍द ही योजना को तैयार कर ली जाएगी.

वृद्धजनों की जरूरतों व समस्याओं का त्वरित लिया जाएगा संज्ञान

सीएम ने आला अधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि ओल्ड एज होम में रह रहे सभी वृद्धजनों की जरूरतों और समस्याओं का त्वरित संज्ञान लिया जाए. इनके पारिवारिक विवादों का समाधान जल्‍द से जल्‍द कराने संग इनके स्वास्थ्य की बेहतर ढंग से देखभाल किए जाने के निर्देश दिए.

बैंकिग सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने का काम करेगी बैंक सखी

लखनऊ. राज्य सरकार ने महिलाओं को रोजगार देने की में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी पहल की है. गांव-गांव तक बैंकिंग सेवाओं को पहुंचाने के लिये उसने 17500 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बनाने का काम पूरा कर लिया है.

प्रदेश के ग्रामीण विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि 17500 बीसी सखी का प्रशिक्षण पूरा हो चुका है और उनको पैसा हस्तांतरित किया जा रहा है.  इसके अलावा 58 हजार बीसी सखी को प्रशिक्षण देने का काम तेज गति से किया जा रहा है.

सरकार के इस प्रयास से बैंकिंग सेवाएं लोगों के घरों तक पहुंची हैं. ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों को अपने बैंक खातों से धनराशि निकालने और उसे जमा करने में बड़ी आसानी हुई है. उनका बैंक शाखाओं तक जाने का खर्चा बच रहा है और घर के करीब ही बैंक के रूप में बीसी सखी मिल जा रही हैं.

सीएम योगी आदित्यनाथ ने आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश बनाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिये मिशन रोजगार, मिशन शक्ति और मिशन कल्याण योजनाओं को शुरु किया है. इसके तहत तैयार किये गये मास्टर प्लान को सरकार से सम्बद्ध संस्थान तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं. इस क्रम में बैंक ऑफ बड़ौदा और यूको बैंक के सहयोग से यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) ने 1200 बीसी सखी (बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट) बना लिये हैं. कम्पनी अगले साल तक 7000 बीसी सखी बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में लगी है. गांव से लेकर शहरों में बीसी सखी 24 घंटे बैंकिंग सेवाएं दे रहे हैं.

22 मई 2020 से उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की सभी महिलाओं को लाभ पहुंचाने के लिये बीसी सखी योजना की शुरुआत की. इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश राज्य की सभी महिलाओं को रोजगार के नए अवसर मिले हैं. उत्तर प्रदेश् राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की ओर से प्रदेश में 30 हजार हजार बीसी सखी बनाने का कार्यक्रम बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ मिलकर किया जा रहा है. यूपी इंडस्ट्रियल कंसलटेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) इसमें भी सहयोगी की भूमिका निभा रहा है. इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति, वित्त एवं विकास निगम लिमिटेड के माध्यम से 500 अनुसूचित जाति के युवक-युवतियों को रोजगार के अवसर देते हुए बीसी सखी बनाए हैं.

बीसी सखी बनाने के लिये पूर्व सैनिकों, पूर्व शिक्षकों, पूर्व बैंककर्मियों और महिलाओं को प्राथमिकता दी गई है. बीसी सखी बनने के लिये योग्यता में 12वीं कक्षा पास होना अनिवार्य किया गया है. अभ्यर्थी को कम्यूटर चलाना आना चाहिये, उसपर को वाद या पुलिस केस नहीं होना चाहिये. ऐसे अभ्यर्थी के चयन से पहले एक छोटी सी परीक्षा भी ली जाती है. इसमें उत्तीर्ण होने वाला अभ्यर्थी बीसी सखी बन सकता है.

इज्जतदार काम मिला और लोगों की सेवा का अवसर भी

बड़हलगंज जिला गोरखपुर में बीसी सखी योजना से जुड़ने वाले धर्मेन्द्र सिंह ने बताया कि वो पहले वस्त्र उद्योग से जुड़े थे. बीसी सखी योजना से जुड़ने के बाद उनको काफी फायदा हुआ. उनका कहना है कि इज्जदतार काम मिलने के साथ लोगों की सेवा का भी बड़ा अवसर मिला है. लोगों को तत्काल बैंकिंग सेवा मिलने से खुद को भी खुशी होती है.

बीसी सखी योजना से जुड़कर प्रत्येक माह मिलने लगी एक निश्चित आमदनी

कस्बा सेथल जिला बरेली के आसिफ अली ने बताया कि बीसी सखी बनने के बाद भविष्य सुरक्षित करने के लिये प्रत्येक माह एक निश्चित आमदनी का माध्यम बना है. इससे पहले मैं ऑनलाइन कैफे चलाता था, ऑनलाइन आधार बनाने का भी काम करता था. इन सेंटरों के बंद होने के बाद रोजगार नहीं था. इसके बाद बीसी सखी योजना से जुड़कर एक स्थायी रोजगार मिला है.

लोगों को बैंकों में लाइन लगाना और समय लगाना हुआ बंद

लखनऊ में नक्खास निवासी मोहसिन मिर्जा ने बताया कि बीसी सखी योजना के तहत बैंकिंग सेवाओं को देना रोजी-रोटी का बेहतर साधन बना है. सबसे अधिक फायदा इससे बैंक के ग्राहकों को हुआ है. उनको बैंक में लाइन लगाने और समय लगाना बन्द हो गया है और बैंक तक जाने का किराया भी उनका बचा है. छोटे स्तर पर बैंकिंग सेवाएं लोग हमारे केंन्द्रों से ले रहे हैँ.

बैंकिंग सेवाओं को आसानी से प्राप्त करने की बड़ी पहल

सोनभद्र के भगवान दास बताते हैं कि बीसी सखी योजना से उनको रोजगार मिला है. प्रत्येक माह उनकी आमदनी बढ़ती जा रही है. सबसे अधिक सुविधा ग्राहकों को मिली है. सरकार की ओर से बैंकिंग सेवाओं की बड़ी सौगात खासकर गांव के लोगों को दी गई है. ग्रामीण पहले बैंक से पैसा निकालने और जमा करने में आने-जाने में जो खर्चा करते थे उसकी भी बचत हो रही है.

उत्तर प्रदेश में कोविड के समय घर लौटे श्रमिकों की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सराहा

लखनऊ. योगी सरकार ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई पूरी प्रतिबद्धता के साथ जारी रखते हुए विकास और जनकल्‍याणकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रदेश में लागू किया. उच्‍चतम न्‍यायालय ने भी अपने फैसले में कोविड 19 के कारण दूसरे प्रदेशों से घर वापस आने वाले श्रमिकों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा की गई व्यवस्थाओं की तारीफ की है. कोर्ट ने संज्ञान लिया कि पोर्टल पर अपलोड डाटा के अनुसार उस दौरान कुल 37,84,255 श्रमिकों की घर वापसी हुई थी. स्किल मैपिंग के बाद अब तक 10,44,710 श्रमिकों को सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत संघटित क्षेत्र में रोजगार दिया जा चुका है. इसके अलावा अधिकांश को रोजगार से जोड़े जाने के कारण दूसरी लहर में सिर्फ चार लाख प्रवासी ही आए. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ते हुए रोजगार के साथ-साथ विकास की कड़‍ियों को जोड़ते हुए प्रदेश सरकार ने न सिर्फ प्रवासी मजदूरों की घर वापसी कराई बल्कि उनके भरण पोषण की व्‍यवस्‍था करते हुए श्रमिकों को सरकार की स्‍वर्णिम योजनाओं के तहत रोजगार भी दिलाया है.

प्रवासी श्रमिकों की परेशानियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं को निस्‍तारित करते हुए यूपी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की तारिफ की. कोरोना काल के दौरान प्रदेश सरकार ने श्रमिकों व कामगारों, ठेला, खोमचा,  रेहड़ी लगाने वालों की भरण-पोषण की व्‍यवस्‍था को सुनिश्‍चित किया. लॉकडाउन के दौरान बड़ी संख्‍या में यूपी लौटे श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता दिया गया. उनको राशन किट का वितरण करने का बड़ा काम किया. बता दें क‍ि नीत‍ि आयोग, बाम्‍बे हाईकोर्ट, डब्‍ल्‍यूएचओ के बाद सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार की सराहना की है.

दक्षता के अनुसार श्रमिकों को दिया गया रोजगार

प्रदेश सरकार ने जिला मुख्‍यालय पर इनकी स्किल मैपिंग कराई और उनकी दक्षता के अनुसार स्थानीय स्तर पर उनको रोजगार देने का भी भरसक प्रयास किया. प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश सरकार के इन प्रयासों का जिक्र करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इस बाबत पंजीकरण से लेकर स्किल मैपिंग तक के कार्यो को खुद में बड़ा काम माना है. बता दें कि प्रदेश सरकार ने अपनी कई योजनाओं से इन श्रमिकों को जोड़ते हुए रोजगार दिया.

पारदर्शिता के लिए बनाया गया पोर्टल

सरकार अपने इन कर्यो के बारे में सुप्रीमकोर्ट में शपथपत्र भी दे चुकी है. यही नहीं पारदर्शिता के लिए  http://www.rahat.up.nic.in नाम से एक पोर्टल भी बनवाया था. इसमें वापस आए श्रमिकों और उनके हित में सरकार द्वारा उठाए गए सभी कदमों की अपडेट जानकारी थी.

कम्युनिटी किचन की पहल

जरूरतमंद प्रवासी श्रमिकों और अन्य को भूखा न रहना पड़े इसके लिए प्रदेश सरकार ने कम्युनिटी किचन की शुरुआत की जिसका उल्लेख सुप्रीम कोर्ट ने भी किया और अन्य राज्यों को भी यह व्यवस्था चलाने को कहा.

1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को किए गए हस्तांतरित

योगी सरकार ने कोरोना संक्रमण के दौरान प्रवासी कामगारों व श्रमिकों को सभी तरह की सुविधाएं पहुंचाई. जिसके तहत परिवहन निगम की बसों के जरिए लगभग 40 लाख प्रवासी कामगरों व श्रमिकों को उनके गृह जनपदों तक भेजने, चिकित्‍सकीय सुविधाएं उपलब्‍ध कराने व उनको स्‍थानीय स्‍तर पर रोजगार दिलाने के लिए बड़े पैमाने पर व्‍यवस्‍था की गई. इसके साथ ही प्रवासी श्रमिकों को राशन किट वितरण के साथ ही आर्थिक सहायता देते हुए प्रति श्रमिक एक हजार रुपए की धनराशि भी ऑनलाइन माध्‍यम से दी. इन लाभों में से 20.67 लाख परिवारों ने लाभ उठाया, जिसमें से 16.35 लाख को 15-दिवसीय राशन किट प्रदान किया गया. कुल 1,51,82,67,000 रुपये 15.18 लाख प्रवासियों को हस्तांतरित किए गए हैं. राशन किट के अलावा योगी सरकार ने सामुदायिक रसोई की भी स्थापना की.

टीकाकरण और जांच में उत्तर प्रदेश ने पकड़ी रफ्तार

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के जनपदों में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आए हैं. प्रदेश में कराए गए सीरो सर्वे के शुरुआती नतीजों के मुताबिक सर्वेक्षण में लोगों में हाई लेवल एंटीबॉडी की पुष्टि हुई है. बता दें कि प्रदेश में चार जून से सभी जनपदों में सीरों सर्वे को शुरू किया गया था  सीरो सर्वे प्रदेश के सभी 75 जिलों में किया गया. सर्वे के जरिए किस जिले के किस क्षेत्र में कोरोना का कितना संक्रमण फैला और आबादी का कितना हिस्सा संक्रमित हुआ इसकी पड़ताल इस सर्वे से की गई. इसके साथ ही इस सर्वे के जरिए कितने लोगों में कोरोना से लड़ने के लिए एंटीबाडी बन चुकी है इसकी जानकारी एकत्र की गई है. ऐसे में सीरो सर्वे के शुरुवाती नतीजे सकारात्मक आना प्रदेशवासियों के लिए राहत भरी खबर है.

टीकाकरण और जांच में रफ्तार पकड़ते हुए नए वेरिएंट डेल्टा प्लस की जांच को अनिवार्य करते हुए युद्धस्तर पर कोरोना की तीसरी लहर से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियों को अंतिम रूप प्रदेश में दिया जा रहा है. प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या में कमी होने की बावजूद भी प्रदेश में ट्रिपल-टी की रणनीति पर कार्य किया जा रहा है. प्रदेश में संक्रमण दर 0.1 प्रतिशत से भी कम स्तर पर आ चुकी है, जबकि रिकवरी रेट 98.5 प्रतिशत पहुंच गया है. बता दें कि ज्यादातर जिलों में संक्रमण के नए केस इकाई की संख्या  में दर्ज किए जा रहे हैं, तो 50-52 से अधिक जिलों में 50 से कम एक्टिव केस ही रह गए हैं. प्रदेश में अब कुल एक्टिव केस की संख्या 3,423 है.

पिछले 24 घंटों में एक ओर जहां दो लाख 69 हजार 272 सैम्पल की जांच की गई, वहीं मात्र 226 नए पॉजिटिव केस सामने आए. उत्तर प्रदेश में अब तक 05 करोड़ 65 लाख 40 हज़ार 503 कोविड टेस्ट किए जा चुके हैं. प्रदेश में अब तक कुल 16 लाख 79 हजार 416 प्रदेशवासी कोरोना से लड़ाई जीत कर स्वस्थ हो चुके हैं.

सितंबर में हुआ था सीरो सर्वे

कोरोना की पहली लहर के दौरान पिछले साल सितंबर में 11 जिलों में सीरो सर्वे कराया गया था. यह सर्वे लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, गोरखपुर, आगरा, प्रयागराज, गाजियाबाद, मेरठ, कौशांबी, बागपत व मुरादाबाद में हुआ था.

मिशन जून के तहत निर्धारित समय से पाया यूपी ने लक्ष्य

मिशन जून के तहत एक माह में एक करोड़ प्रदेशवासियों के टीकाकरण के निर्धारित लक्ष्य को यूपी सरकार ने 24 जून को ही प्राप्त कर लिए. निशुल्क टीकाकरण अभियान के तहत प्रदेश में अब  प्रतिदिन सात लाख से अधिक डोज दी जा रही हैं. अब तक 02 करोड़ 90 लाख से अधिक वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं. करीब 42 लाख लोगों ने टीके के दोनों डोज प्राप्त कर लिए हैं. एक जुलाई से हर दिन न्यूनतम 10 लाख लोगों को टीका-कवर देने का लक्ष्य यूपी सरकार ने निर्धारित किया है. विकास खंडों को क्लस्टर में बांटकर वैक्सीनेशन की नीति के अच्छे परिणाम प्रदेश में देखने को मिले हैं. पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर यह एक तिहाई विकास खंडों में लागू है  अब सरकार जल्द ही एक जुलाई से इसे पूरे प्रदेश में लागू करेगी.

नौकरी के पीछे भागना छोड़, नौकरी देने वाला बन रहा यूपी का युवा : सीएम योगी

लखनऊ . महामारी का दौर थमने की आहट के साथ ही योगी सरकार ने एक बार फिर रोजगार-स्वरोजगार के कार्यों को तेजी देनी शुरू कर दी है मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक साथ 31,542 सूक्ष्म, छोटे और मंझोले उद्योगों को विस्तार के लिए 2505.58 करोड़ का ऋण प्रदान किया. साथ ही, एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक की सभी जरूरतों में मदद के लिए विशेष पोर्टल की शुरुआत करते हुए 09 जिलों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर की आधारशिला भी रखी.

ऑनलाइन स्वरोजगार संगम के इस खास मौके पर सीएम ने कहा कि ऐसे ही ऋण मेले अगले एक माह में सभी 75 जिलों में आयोजित किए जाने चाहिए.

मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विकास में एमएसएमई इकाइयों की सराहना करते हुए कहा कि आज प्रदेश में युवा वर्ग नौकरी के पीछे भागने की बजाय नौकरी देने की सोच के साथ अपने लक्ष्य तय कर रहा है. प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जनपद-एक उत्पाद जैसी योजनाओं ने युवाओं को बड़ा सहारा दिया है. स्वरोजगार के कार्यक्रमों में महिलाओं-बेटियों ने खूब उत्साह दिखाया है. वैसे भी, लखनऊ की चिकनकारी जैसे परंपरागत शिल्प को महिलाओं की भूमिका हमेशा से ही रही है. प्रधानमंत्री जी ने जिस “आत्मनिर्भर भारत” की परिकल्पना की है, युवाओं की यही सोच, ऐसे प्रयास ही उसका आधार हैं.

सीएम योगी ने कहा कि बीते साल कोरोना की पहली लहर के दौरान हमारे सामने 40 लाख प्रवासी श्रमिकों के जीवन और जीविका को सुरक्षित करने की चुनौती थी. एमएसएमई इकाइयों ने इस दिशा में बहुत सराहनीय कार्य किया. बीते वर्ष भी कोविड काल में करीब 34 हजार एमएसएमई इकाइयों को वित्तीय सहायता दी गई थी, तो कोविड की दूसरी लहर के नियंत्रण में आते ही फिर से उद्योगों को ऋण उपलब्ध कराने का कार्यक्रम हो रहा है. मुख्यमंत्री ने एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह, अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल सहित पूरी विभागीय टीम के साथ-साथ स्टेट लेवल बैंकर्स कमेटी के सहयोग को भी सराहां सीएम ने जनपदीय अधिकारियों को जिला स्तरीय बैंकर्स कमेटी के साथ समन्वय बनाकर युवाओं को स्वरोजगार के लिए वित्तीय संसाधन मुहैया कराने के भी निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि उत्पादों की मैपिंग कराई जाए, हमारे यहां प्रतिभा का अभाव नहीं, मंच देने भर की देर है. उत्तर प्रदेश आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने में सबसे अहम भूमिका निभाएगा.

विश्वकर्माओं को मिला टूल-किट का उपहार: मुख्यमंत्री ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजनांतर्गत कविता साहू और मंजू कश्यप को सिलाई, राहुल को बढ़ई , अमित कुमार को सुनार तथा रिजवान को नाई से जुड़े व्यवसाय के लिए जरूरी टूल-किट का उपहार भी दिया.

उत्पादन से मार्केटिंग तब सबके लिए मिलेगी मदद:

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को गाजियाबाद, मैनपुरी, मऊ, मीरजापुर, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, आगरा, मुरादाबाद और भदोही में प्रस्तावित कॉमन फैसिलिटी सेंटर का शिलान्यास किया. 79 करोड़ 54 लाख के खर्च से तैयार होने वाले इन केंद्रों पर उद्यमियों को ओडीओपी योजनांतर्गत जनपद के चिन्हित उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक के समस्त अवयवों जैसे कच्चा माल, डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरण एवं ऊर्जा संरक्षण तथा पैकेजिंग आदि की सुविधाएं मिल सकेंगी.इसके अलावा, सीएम ने https://diupmsme.upsdc.gov.in/en पोर्टल का भी शुभारंभ किया.

विश्व में हो ओडीओपी की चर्चा: सिद्धार्थ नाथ

एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि बीते चार वर्षों में प्रदेश के एमएसएमई सेक्टर ने बड़ी ऊंचाइयां हासिल की हैं. सीएम योगी के अभिनव प्रयोग ओडीओपी की चर्चा न केवल देश, बल्कि विदेशों में भी हो रही है. सरकार ने परंपरागत शिल्प, उद्योगों को विकास के लिए बड़ा संबल दिया है. इससे पहले, एसीएस नवनीत सहगल ने विभागीय गतिविधियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी भी दी.

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