सेक्स का डबल मजा लेना चाहते हैं तो आज ही आजमाएं ‘डर्टी टौकिंग’

यों तो भारतीय समाज का एक बड़ा तबका सेक्स पर खुल कर बात नहीं पसंद करता व सेक्स आनंद की चीज है, यह तो पता होता है पर सिर्फ रात के अंधेरे में ही. कमरे की बत्तियों को बुझा कर सेक्स का लुत्फ उठाने वालों के लिए यह भले ही एक सामान्य प्रक्रिया लगती हो, पर विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्स में नए नए प्रयोग शारीरिक सुख के साथ साथ मानसिक खुशी भी देती है.

लंबे सेक्स लाइफ के दौरान उब गए हों, कुछ नयापन चाहते हों, सेक्स संबंध के दौरान चुहूलबाजी कर उसे और भी मजेदार बनाना चाहते हों, तो डर्टी टौकिंग विद सेक्स संबंधों में गरमाहट ला देगी.

क्या है डर्टी टौकिंग

सेक्स के दौरान डर्टी टौकिंग न तो गाली है न ही ऐसी कोई बात कहनी होती है, जो सेक्स पार्टनर को बुरी लगे. सेक्स में डर्टी टौकिंग सेक्स क्रिया के दौरान साथी के अंगों को निहारना, सहलाना, हलकी छेड़छाड़ व खुल कर बातचीत करनी होती है.

कैसे बनाएं मजेदार

अगर आप को अपने प्यार भरे शब्दों के बाण से साथी को घायल करने में थोङी भी महारत हासिल है, तो डर्टी टौकिंग का कुछ इस तरह अंदाज गुदगुदी का एहसास कराएगी-

* सेक्स के दौरान कमरे की बत्तियों को जलने दें. संभव हो तो रंगीन बल्व जलाएं.

* हलका म्यूजिक चला दें. इस से मदहोशी का आलम बना रहेगा.

* एकदूसरे के अंगों को अपलक निहारें और उन की तारीफ करें.

* सेक्स के दौरान बातचीत उस पल को और हसीन बनाता है. आप चाहें तो तेज स्वर में भी बातचीत कर सकते हैं.

* अंगों का खुल कर नाम लें और बताएं कि वे आप को कितने पसंद हैं. सेक्स पार्टनर से भी ऐसा ही करने को कहें.

* इस दौरान सेक्स पार्टनर को अपनी आंखें खुली रखने के लिए बोलें.

* किचन में, बाथरूम में, बाथटब में बनाए सेक्स संबंधों को याद करें और खूब हंसें.

* कंडोम्स को ले कर भी खुल कर बात करें कि आप के सेक्स पार्टनर को कौन सी पसंद हैं.

* मार्केट में कई फ्लेवर्स व रंगों के कंडोम्स उपलब्ध हैं. उन पर खुल कर बात करिए और उन्हें आजमाइए भी.

यकीन मानिए, सेक्स की उपरोक्त क्रियाएं तनाव व भागदौड़ भरी जिंदगी से अलग ही सुकून देंगी और न सिर्फ रोमांचक लगेंगी, रिश्तों में नई जान व ताजगी का एहसास भी कराएंगी. याद रखिए कि सेक्स कुदरत का दिया एक अनमोल तोहफा है.

जानें आखिर क्या है सेक्सरिंग: कहीं प्यार के नाम पर आप भी ना फंस जाएं

युवाओं का पहला आकर्षण प्रेम ही होता है. शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो रोमांस के इस फेज में न फंसा हो. कोई अपना लव इंटरैस्ट अपनी क्लासमेट में ढूंढ़ता है तो कोई पासपड़ोस की ब्यूटीफुल युवती पर फिदा हो जाता है. युवावस्था के आकर्षण से जुड़े हारमोंस ही हमें किसी विपरीतलिंग की तरफ आकर्षित करते हैं.

हालांकि हर बार यह प्यार सच्चा हो, इस की कोई गारंटी नहीं. प्यार के नाम पर कैमिकल लोचा भी हो सकता है, प्यार एकतरफा भी हो सकता है और कई बार लव को लस्ट यानी वासना की शक्ल में भी देखा जाता है. इन सब प्यार की अलगअलग कैटेगरीज से गुजरता हर युवा मैच्योर होतेहोते सीखता है कि लव के असल माने क्या हैं?

इस रोमांटिक फेज में उपरोक्त कैटेगरीज के अलावा एक और खतरनाक फेज होता है सेक्सरिंग का यानी प्यार के नाम पर जब कोई युवती किसी युवा को फंसा ले तो वह सेक्सरिंग में उलझ कर रह जाता है.

प्यार में सौदा नहीं

अचानक लड़की आप के करीब आ जाए तो उस पर लट्टू होने के बजाय जरा दिमाग लगा कर सोचिए कि इस नजदीकी की वजह प्यार है या आप की मोटी जेब, क्योंकि प्यार कोई सौदेबाजी नहीं होती. जो लड़की आप से प्यार करेगी वह बातबात पर महंगे गिफ्ट्स नहीं मांगेगी और न ही हर समय आप की जेब ढीली करेगी. अगर आप की गर्लफ्रैंड भी आप से ज्यादा आप के तोहफों पर ध्यान देती है तो समझ जाइए कि आप भी सेक्सरिंग में फंसने वाले हैं.

सिंगल होना शर्मिंदगी नहीं

सेक्सरिंग का सब से आसान शिकार युवतियां ज्यादातर उन युवकों को बनाती हैं जो सिंगल होते हैं. साइकोलौजिस्ट भी मानते हैं कि हमारे समाज व युवाओं का रवैया कुछ ऐसा है कि जो लड़के सिंगल होते हैं उन का मजाक बनाया जाता है, उन पर जल्द से जल्द गर्लफ्रैंड बनाने का दबाव डाला जाता है. मानो किसी युवक की गर्लफ्रैंड नहीं है तो उस में कोई न कोई कमी होगी.

इस मनोवैज्ञानिक दबाव के तले दब कर युवक अपनी सोचसमझ खो कर एक अदद युवती की तलाश में जुट जाता है जो जल्दी से जल्दी उस की गर्लफ्रैंड बनने को तैयार हो. भले इस के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. इसी जल्दबाजी व मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा चालाक व शातिर युवतियां उठाती हैं और सिंगल युवकों को झूठे प्यार के सेक्सरिंग में फांस कर उन की जेबें ढीली करती हैं. कई मामलों में तो उन की पढ़ाईलिखाई व कैरियर तक बरबाद कर डालती हैं.

युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि सिंगल होना कोई  शर्मिंदगी की बात नहीं है. जब तक कोई ईमानदार या सच्चा प्यार करने वाली युवती न मिले, सिंगल रहना बेहतर है. पढ़ाई, कैरियर, शौक व दोस्तों को समय दे कर सेक्सरिंग से बचने में ही समझदारी दिखाने वाले युवा कुछ बन पाते हैं.

इमोशनल अत्याचार के साइड इफैक्ट्स

अकसर युवतियों से धोखा खाए या यों कहें कि सेक्सरिंग के शिकार युवक भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं और प्रतिक्रियास्वरूप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन के भविष्य को खतरे में डाल देता है.

जनवरी 2017, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके के रोहन को जब एक युवती ने झूठे प्यार के जाल में फंसा कर चूना लगाया तो उस ने उस से बदला लेने की ठान ली व एक दिन स्कूल से लौटते समय युवती के चेहरे पर ब्लैड मार दिया.

घायल युवती के परिजनों ने रोहन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी. इस तरह मामला उलटा पड़ गया. युवती का तो कुछ नहीं बिगड़ा, रोहन को जरूर हवालात की हवा खानी पड़ी.

अकसर सेक्सरिंग के शिकार युवा इमोशनली इतने डिस्टर्ब हो जाते हैं कि धोखा खाए प्रेमी की तरह उस युवती से बदला लेने की ठान लेते हैं. आएदिन हम प्रेम में ठुकराए प्रेमियों की आपराधिक कृत्यों की खबरें पढ़ते रहते हैं. कोई तेजाब से हमला करता है तो कोई युवती का अपहरण तक कर डालता है. कोई सेक्स संबंधों की  पुरानी तसवीरों, सेक्स क्लिप्स या प्रेमपत्रों के नाम पर लड़की को सबक सिखाना चाहता है.

प्यार से अपराध की ओर न जाएं

याद रखिए ये तमाम हिंसात्मक व अनैतिक रास्ते अपराध की उन गलियों की ओर ले जाते हैं, जहां से युवाओं के लिए वापस आना नामुमकिन सा हो सकता है. एक तो पहले ही युवती ने फंसा कर आप का धन व समय बरबाद कर दिया. उस पर उस से बदला लेने के लिए अतिरिक्त समय, धन व भविष्य दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

बेहतर यही है कि उस बात को भूल कर आप अपने कैरियर पर ध्यान दें. एक न एक दिन आप को सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस धोखेभरी लवस्टोरी से इतना जरूर सीखिए कि अगली बार जब कोई युवती आप की भावनाओं से खिलवाड़ कर आप पर सेक्सरिंग का वार करे तो उस के झांसे में न आएं.

सेक्सरिंग के लक्षण

कोई युवती आप से सचमुच प्यार करती है या फंसा रही है, उसे समझने के लिए सेक्सरिंग के कुछ लक्षण समझना जरूरी है. निम्न पौइंट्स से समझिए कि कौन सी युवती स्वाभाविक तौर पर सेक्सरिंग के जाल में आप को फंसाना चाहती है :

–       जब बातबात पर शौपिंग, पार्टी या महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करे.

–       जब खुद से जुड़ी जानकारियां छिपाए व आप की हर बात जानना चाहे.

–       आप के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराए.

–       अपने फैमिली या फ्रैंड सर्किल से मिलवाते वक्त आप की पौकेट खाली करवाए.

–       बातबात पर आप की तारीफ करे और आप की हर बात पर सहमति जताए.

–       हर जरूरत पर आर्थिक मदद की डिमांड करे.

–       झगड़े की वजहों में पैसों का ताना मारे.

–       आप के अमीर व संपन्न दोस्तों से करीबी बढ़ाए.

–       आप की आर्थिक मदद करने से कतराए या बहाने बनाए.

–       प्यार के नाम पर भावनात्मक सहारे के बजाय सिर्फ फिजिकल रिलेशन को तरजीह दे.

अगर इन तमाम पौइंट्स पर आप की गर्लफ्रैंड खरी उतर रही हो तो सावधान हो जाइए. आप पर सेक्सरिंग फेंका जा चुका है. सही मौका पाते ही सेक्सरिंग का छल्ला गले से निकाल फेंकिए और ब्रेकअप सौंग पर जम कर अपनी फेक लवर से आजादी का जश्न मनाइए.

बिना कंडोम फटे भी ठहर सकता है गर्भ, जानें कैसे करें बचाव?

बर्थ कंट्रोल के लिए आज सभी कंडोम से परिचित है. जिसका यूज सेक्स के दौरान अनचाही प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार ऐसे केसेस भी सुनने को मिलते है कि कंडोम के इस्तेमाल के बावजूद भी गर्भ ठहर जाता है. कई बार सेक्स के दौरान कंडोम फट जाता है, जिससे प्रेग्नेंसी का खतरा रहता है, लेकिन क्या आप जानते हैं, कंडोम का सही इस्तेमाल करने के बाद भी कई महिलाएं प्रेग्ननेंट हो जाती हैं.

वैसे तो बर्थ कंट्रोल के लिए सबसे बेहतर कंडोम माना जाता है, लेकिन कई बार ये तरीका भी फेल हो जाता है. डौक्टरों के मुताबिक कंडोम यूज करने पर भी प्रेग्नेंसी के चांसेज हो सकते हैं. चलिए जानते हैं, आखिर कंडोम  यूज करने के बाद भी प्रेग्नेंसी की संभावना क्यों होती है?

फेल हो जाते हैं कंडोम

एक्सपर्ट्स के मुताबिक सही समय में कंडोम का यूज न किया जाए, तो प्रेग्नेंसी के चांंसेज होते हैं, क्योंकि यह जानना भी जरुरी है कि प्री-कम में भी स्पर्म होते हैं. तो ऐसा नहीं है कि जब एजैक्युलेशन हो उससे ही गर्भ ठहरेगा. कंडोम फटने से भी गर्भ ठहर जाएगा.

जेब में न रखें कंडोम

एक्सपर्ट्स ये भी बताते हैं कि अगर आप प्रेग्नेंसी नहीं चाहती हैं, तो उसके लिए आप कोई दूसरा कॉन्ट्रासेप्टिव मेथड का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. वही, ठीक तरीके से पहनने से भी इसके फेल होने के चांसेज कम होते हैं. इसलिए एक्सपर्ट्स सलाह देते है कि वॉलट, कार या अपनी जेब में रखे कंडोम यूज न करें. इन्हे ठंडी जगह पर ड्रॉर में रखना चाहिए. शरीर की गर्मी या फ्रिक्शन से इनके खराब होने का खतरा ज्यादा रहता है.

थीन कंडोम करें यूज

बचाव का एक सही तरीका ये भी है कि आप सेक्स के दौरान पर्याप्त संतुष्टि पाने के लिए एक्स्ट्रा थिन कंडोम या अल्ट्रा-थिन कंडोम का इस्तेमाल कर सकते हैं. इस तरह के कंडोम इस्तेमाल करने पर इसके होने का अहसास भी नहीं होता.

मुहब्बत पर सेक्स का कब्जा क्यों?

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए.

कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

नहीं चाहते अपनी सेक्स लाइफ में कोई प्रोब्लम, तो जरूर अपनाएं ये टिप्स

Sex News in Hindi: कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उन के पति में अब पहले वाला जोश नहीं रहा और वे अब सेक्स में ज्यादा दिलचस्पी नहीं लेते. कई बार पुरुष चाह कर भी यौन समागम नहीं कर पाते क्योंकि उन के मन में डर या संकोच बैठ जाता है कि क्या वे सफलतापूर्वक यौन संबंध नहीं बना पाएंगे और अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाएंगे. उन का पुराना जोश और उमंग वापस लौटा कर अपनी सेक्स लाइफ को आनंदमयी बनाने के लिए आप अपना सकती हैं ये उपाय:

भारी न पड़े काम

उन्हें प्रेमपूर्वक समझाएं कि आप का कैरियर बेशक बेहद महत्त्वपूर्ण है और उसे पूरा समय देना भी जरूरी है, लेकिन इसे बैडरूम में घुसा लेना ‘बैड हैबिट’ ही माना जाएगा. जितना औफिस का काम कैरियर लाइफ के लिए जरूरी है, उतना ही शयनकक्ष का काम पर्सनल लाइफ के लिए जरूरी है. कमाई सुख के लिए की जाती है और आप सुख से ही वंचित रह जाएं तो ऐसी कमाई से क्या फायदा? मस्तिष्क दूसरे जंजाल से मुक्त रहेगा तभी शरीर के दूसरे अंगों को अपना काम करने का सही निर्देश दे पाएगा. इसलिए औफिस का काम औफिस में ही छोड़ कर आएं ताकि घर पर एकाग्रता और सुकून के साथ घर का काम कर सकें.

एक बार और ट्राई करें

सफलता का जो फौर्मूला कैरियर लाइफ या ऐकेडमिक लाइफ में काम करता है, वही यहां भी काम करता है. अगर आप के पति एक बार सेक्स करने में विफल हो गए और इरैक्शन से वंचित रह गए, तो इस का मतलब यह कतई नहीं है कि ऐसा बारबार होगा. ‘ट्राई वन मोर टाइम’ का फौर्मूला यहां भी लागू होता है. उन से खुल कर बात करें और बताएं कि अगर आप हस्तमैथुन करते वक्त उत्तेजित हो जाते हैं और इंटरकोर्स के वक्त नहीं हो पाते, तो जाहिर है प्रौब्लम अंग में नहीं उमंग में है यानी आप के दिमाग में झूठा भय समा चुका है.

दुत्कारें नहीं पुचकारें

पति आप के पास आएं, आप को सहलाएं और चूमने की कोशिश करें तो उन्हें दुत्कार कर दूर न भगाएं. इस से उन का उत्साह ठंडा पड़ जाएगा और वे अच्छे तरीके से परफौर्म नहीं कर पाएंगे. आप भी उतनी ही गर्मजोशी से उन्हें पुचकारें, दुलारें, सहलाएं और चूमें. इस से उन के मन में आत्मवश्वास लौटेगा और सेक्स की भावना भी जाग्रत होगी. ज्यादतर मामलों में ऐसी स्थिति में इरैक्शन न होने की समस्या भी हल हो जाती है. आप का स्पर्श और चुंबन उन के लिए सेक्स के मामले में टौनिक का काम करेगा.

व्यायाम से बनेगा काम

उन्हें शारीरिक रूप से ऐक्टिव रहने और नियमित व्यायाम करने के लिए प्रेरित करें और जरूरत पड़े तो आप भी उन का साथ दें. वे टालमटोल करें, तो उन्हें समझाएं कि इस का असर उन के और आप के यौन जीवन पर पड़ रहा है. ऐक्सरसाइज न करने या ऐक्टिव न रहने से ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त नहीं रहता, जिस का सीधा असर उत्तेजना और इरैक्शन पर पड़ता है. इसलिए रोज पुश अप्स, स्पौट जौगिंग और वौकिंग के लिए समय जरूर निकालें.

धुएं में न उड़ाएं जिंदगी का मजा

सिगरेट को स्टाइल स्टेटमैंट समझना बंद कर दें. पति को समझाएं कि धुआं सिगरेट का नहीं उन की जिंदगी का उड़ रहा है. कई अध्ययनों से पता चल चुका है कि स्मोकिंग से नपुंसकता की समस्या हो सकती है. शराब पीना भी कोई अच्छी बात नहीं है. शराब पीने से सेहत चौपट हो जाती है, लिवर नष्ट होने लगता है और जाहिर सी बात है स्वास्थ्य दुरुस्त नहीं रहता, तो इरैक्शन में प्रौब्लम आती है.

वेट को करें सैट

मोटापा अपनेआप में ही एक बीमारी है और यह अपने साथ कई बीमारियों को भी लाता है. वजन ज्यादा रहेगा, तो शरीर में लचीलापन नहीं रहेगा. लचीलापन नहीं रहेगा, तो पुरुष सेक्स क्या खाक करेगा वजन अनियंत्रित रहने पर शरीर में शुगर बढ़ जाती है. नतीजा, डायबिटीज. डायबिटीज तो इरैक्शन का दुश्मन नंबर वन है. वैसे भी मोटापा हार्ट डिजीज, हाई ब्लडप्रैशर, हाई कोलैस्ट्रौल वगैरह का सबब बन सकता है. इसलिए उन्हें वजन कम रखने, पौष्टिक भोजन करने और अपनी सेहत के प्रति जागरूक रहने के लिए प्रेरित करें.

शादीशुदा जोड़े के लिए 9 बैडरूम सीक्रेट

शादीशुदा जिंदगी में प्यार के रंग भरने में बैडरूम की अहम भूमिका होती है. ज्यादातर आराम के लिए पतिपत्नी बैडरूम को ही चुनते हैं. इसलिए बीचबीच में बैडरूम में थोड़ा सा बदलाव कर रोमांटिक जीवन को लंबे समय तक बरकरार रख सकते हैं.

1. दीवारों पर कलर:

बैडरूम में दीवारों के रंग का भी अपना अलग महत्त्व होता है. मुहब्बत के रंग को गाढ़ा करने के लिए अपनी दीवारों पर हलके गुलाबी रंग, आसमानी हलके हरे रंगों का प्रयोग करें, क्योंकि रंग भी अपनी भाषा बोलते हैं. रोमांस में प्यार का भाव जगाते हैं रंग.

2. लुभावनी तसवीरें लगाएं:

बैडरूम में अच्छी और रोमांटिक तसवीर लगाएं. बीभत्स, ऊर्जाहीन, शेर, दौड़ते घोड़े आदि की तसवीरें न लगाएं. बर्ड, हंस, गुलाब के फूलों की तसवीरें लगाएं. इस तरह की तसवीरें आप के जीवन को रोमांस और मुहब्बत से भर देंगी.

3. लाइट:

रोमांस जगाने के लिए रोशनी की अहम भूमिका होती है. बैडरूम में गुलाबी हलके आसमानी रंग की लाइट का प्रयोग करें. लाइट बैडरूम में डायरैक्ट नहीं, बल्कि इनडायरैक्ट पड़नी चाहिए. लैंपशेड, कौर्नर लाइट का भी प्रयोग किया जा सकता है. इस से बैडरूम में मादकता और मुहब्बत का समावेश होता है. कमरे में जितनी कम लाइट होती है, एकदूसरे के प्रति आकर्षण उतना ही गहरा होता है.

4. खुशबू:

मुहब्बत और रोमांस को बरकरार रखने के लिए कई तरह की खुशबुओं का प्रयोग किया जा सकता है. लैवेंडर, मोगरा, चंदन आदि की खुशबू से पतिपत्नी का मूड बन जाता है. कमरे में गुलदस्ते रखें. रोमांस बढ़ाने के लिए अरोमा कैंडल जलाएं. खुशबू इनसान के अंदर कई तरह के भाव पैदा करती है. कैंडल की लाइट न केवल बैडरूम को सौंदर्य प्रदान करती है, बल्कि एकदूसरे को रोमांस के लिए भी उकसाती है.

5. बिस्तर:

मन और मूड को बनाने में बिस्तर का बहुत बड़ा योगदान होता है. गद्दे चुभने वाले न हों, बैड की आवाज आप को डिस्टर्ब न करे. बैडशीट का रंग और कोमलता दोनों मुहब्बत को, रोमांस को भड़काने वाले होने चाहिए.

6. डिस्टर्बैंस न हो:

बैडरूम के बाहर कोई ऐसी बेल न लगाएं जो आप को बारबार डिस्टर्ब करे. अलार्म क्लौक, मोबाइल, सिंगिंग खिलौने आदि दूर रखें. बैडरूम को ऐसा बनाएं ताकि आप अपने पार्टनर को कंफर्टेबल फील करा सकें.

7 . फ्रूट्स:

अंगूर, केला, स्ट्राबैरी, सेब, चीकू आदि की खुशबू मादक होती है. ऐसे में अगर आप ऐसे फ्रूट्स रखते हैं, खाते हैं तो इस का असर आप के रोमांस पर भी पड़ता है.

8. बैडरूम को सजा कर रखें:

रोमांस, मुहब्बत के लिए पार्क, बगीचा, समुद्री किनारा, खुला आसमान आदि प्रेमियों को आकर्षित करते हैं. अत: बैडरूम को वैसा ही लुक देने की कोशिश करें. परदे ऐसे लगवाएं जिन से आसमान नजर आए. हलके रंग के परदे ही लगाएं. हलकी रोशनी ही कमरे में आए ताकि आप का मूड ज्यादा से ज्यादा रोमांटिक बने.

9. बैडरूम को रोमांटिक लुक दें:

अपने बैडरूम में आर्टिफिशियल फाउंटेन, बड़े पेड़ या चित्र लगाएं. बैड, सोफा, अलमारी आदि की जगह बदलती रहें ताकि आप के पार्टनर को रूम पुराना न लगे. मुहब्बत, रोमांस का बैडरूम से मजबूत रिश्ता होता है, जो जीवन में नयापन लाते रहते हैं.

आखिर क्या है आपकी प्रेमिका की सेक्सुअल चाहते, जानें यहां

प्रेमी प्रेमिका के संबंध सिर्फ सेक्स तक ही सीमित नहीं होने चाहिए. सेक्स के अलावा भी दुनिया में बहुतकुछ ऐंजौय करने को है. संबंधों में प्रगाढ़ता और केयरिंग होना भी जरूरी है. प्रेमिका द्वारा नई ड्रेस पहन कर आने पर उस की प्रशंसा करना, उसे सराहते हुए उस के हाथों को चूम लेना, बात करने के तरीके को सराहना आदि बातें मन को गहराई तक छू जाने वाली हैं. रिश्तों में मजबूती के लिए ये बातें बेहद जरूरी हैं. प्रेमिका को जताएं कि आप उसे सिर्फ सेक्स के लिए ही नहीं चाहते बल्कि सेक्स से भी अहम है आप का उस के प्रति प्रेम और लगाव.

आज प्रेम के मापदंड तेजी से बदल रहे हैं. युवावस्था में विपरीतलिंग के प्रति आकर्षण युवकयुवती को एकदूसरे के प्रति प्रेम के बंधन में बांधता है और फिर बातें, मुलाकातें और एकदूसरे के प्रति समर्पित होने तक का रिश्ता बनता है. प्रेमसंबंधों के चलते युवकयुवतियां एकांत मिलते ही संबंध बनाने से भी गुरेज नहीं करते. प्रेमी जहां सेक्स के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं और सेक्स करने को तत्पर रहते हैं वहीं प्रेमिका का रुझान सिर्फ दैहिक सुख तक नहीं रहता बल्कि उन पलों के रोमांच को समेट लेने का भी करता है.

ऐसे में जहां प्रेमी सिर्फ संबंध बना कर अपने प्यार के इजहार की इतिश्री समझ लेते हैं वहीं प्रेमिका दिलोजान से एकदूसरे को चाहने, मीठी बातें, छेड़छाड़ और सेक्स के बाद भी प्रेमी की बांहों में खुद को महफूज समझने जैसी भावनाओं को प्यार की अभिव्यक्ति समझती है. साथ ही यह भी चाहती है कि उस का प्रेमी उस की सैक्सुअली इच्छाओं को खुद ब खुद समझे व जाने.

ऐसा ही कुछ रूपम के साथ हुआ. कालेज में साथ पढ़ते रूपम को रोहन से कब प्यार हो गया पता ही न चला. मिलनेमिलाने का सिलसिला चला तो वे एकांत भी तलाशने लगे. ऐसे में जब भी रोहन एकांत पाता तो बस रूपम को बांहों में जकड़ लेता और सेक्स को उन्मुख होता. ऐसे में उन के बीच सेक्स संबंध भी बन गए पर रूपम इस से संतुष्ट न थी. उसे अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कैसे करनी है, अच्छी तरह पता था, लेकिन रोहन से बेइंतहा प्यार के बावजूद उन की सेक्स लाइफ में जरा भी रोमांच न था. इस बारे में वह रोहन से बात भी न कर पाती. दरअसल, वह समझ नहीं पा रही थी कि रोहन से किस तरह बात करे कि उसे बुरा न लगे.

रूपम की तरह ज्यादातर युवतियां चाहती हैं कि उन की कुछ सैक्सुअल चाहतें उन के प्रेमियों को खुद समझनी चाहिए. नौर्थवैस्टर्न यूनिवर्सिटी इलिनौयस की सेक्सुअलिटी प्रोग्राम की थेरैपिस्ट पामेला श्रौफ कहती हैं कि ज्यादातर प्रेमी अपनी प्रेमिका की सेक्सुअल चाहतों और प्राथमिकताओं को नहीं समझते. पामेला ने इस विषय पर प्रेमिकाओं के मन की बात जानी तो उन्हें कुछ ऐसी सेक्स प्राथमिकताएं पता चलीं जिन्हें प्रेमिका अपने प्रेमी से कहना तो चाहती थी, पर कह नहीं पाई.

मजेदार सेक्स नहीं रोमांटिक अंदाज चाहिए

युवतियों को आनंददायक सेक्स के लिए सिर्फ इंटरकोर्स की नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बिताए हर क्षण में अच्छी फीलिंग और अनुभव की जरूरत होती है. प्रेमिका को यह बात कतई अच्छी नहीं लगती कि प्रेमी जब भी उन से मिले सिर्फ पढ़ाई, कैरियर के बारे में बात करे या फिर एकांत मिलते ही उसे दबोच ले.

इस से प्रेमिका के मन में ऐसी भावना आती है कि वह एक भोग की वस्तु है. ऐसे में वह अपने प्रेमी को बेहद स्वार्थी और खुद को भोग की वस्तु समझने लगती है. हर प्रेमिका चाहती है कि उस का प्रेमी उसे केवल सेक्स के लिए ही नहीं बल्कि मन से भी उतना ही प्यार करे, उस पर ध्यान दे, उस के साथ अपनी बातें शेयर करे, प्रेमपूर्वक बातें करे, उस की भावनाओं को जाननेसमझने की कोशिश करे.

कुछ समाजशास्त्रियों का कहना है कि युवतियां अपनी जिंदगी के हर पहलू को एकदूसरे से जोड़ कर देखती हैं, जबकि युवक समझते हैं कि स्ट्रैस और झगड़े को सेक्स के वक्त एकतरफ रख देना चाहिए. इन चीजों या अन्य समस्याओं को सेक्स से नहीं जोड़ना चाहिए.

सच यह है कि सेक्स का असली मजा अफैक्शन के कारण ही आता है. मानसिक रूप से अपनापन, प्यार और नजदीकियां होती हैं तभी सेक्स संबंध सही माने में उत्तेजनापूर्ण होते हैं.

जब कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को समयसमय पर छोटेमोटे उपहार देता है, उसे कौफी हाउस ले जाना, लंचडिनर करवाना और सिनेमा दिखाना आदि ऐसी बातें हैं जो दर्शाती हैं कि प्रेमी अपनी प्रेमिका को महत्त्व देता है और अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा मानता है. ऐसे में सेक्स का मजा भी कई गुणा बढ़ जाता है.

प्रेमिका में भी पूर्ण समर्पण की चाह

कई अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि सिर्फ 60 फीसदी प्रेमिकाएं ही ऐसी हैं जिन्होंने जितनी बार अपने प्रेमी से संभोग किया, उस से कम से कम आधी बार ही चरम आनंद का अनुभव किया. लेकिन उन्हें प्रेमी की खुशी के लिए सेक्स के दौरान चरम आनंद का दिखावा करना पड़ा. ऐसे में कई बार तो उन के मन में अपराधबोध आ जाता है कि कहीं उन्हीं में तो कोई कमी नहीं.

दरअसल, युवतियों में भी अपने अंगों की बनावट, आकार और साफसफाई को ले कर तुलनात्मक हीनता की भावना होती है, इसीलिए वे अंधेरे में ही निर्वस्त्र होना चाहती हैं. ऐसे में वे अपने प्रेमी से अपने अंगों और सौंदर्य की प्रशंसा की अपेक्षा रखती हैं. कई प्रेमी अपनी प्रेमिका को मोटी, काली जैसे संबोधनों से नवाजते हैं. ऐसे में प्रेमिका का तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है. ऐसी प्रेमिकाएं अपने प्रेमी के साथ सेक्स संबंध बनाने से भी कतराती हैं. जाहिर है, उन का यौन जीवन नीरस और आनंदविहीन हो जाता है.

झूठी प्रशंसा की जरूरत नहीं

समझदार प्रेमी वही है जो अपनी प्रेमिका की त्वचा की कोमलता, आंखों की खूबसूरती, होंठों, लंबे घने बालों, उस की मांसल टांगों, वक्ष, नितंब आदि की खूबसूरती व सेक्सुअली अट्रैक्शन की प्रशंसा कर प्रेमिका का आत्मविश्वास बढ़ाए और हंसीठिठोली करे ताकि प्रेमिका पूर्ण समर्पण व सहयोग करे.

सेक्स के बाद भी चाहिए अटैंशन

कई बार प्रेमी प्रेमिका के साथ एकांत पाते ही अंतरंग क्षणों का जम कर आनंद उठाते हैं और फिर चरम पर पहुंच कर स्खलित होते ही मुंह फेर कर प्रेमिका को घरहोस्टल छोड़ने या फिर जाने को कहते हैं, मानो उन्हें अब प्रेमिका से कोई मतलब ही नहीं. उन्हें मतलब तो उस से सिर्फ सेक्स की दरकार थी.

ऐसे में प्रेमिका खुद को बेहद अकेली, उपेक्षित और यूज ऐंड थ्रो वाली वस्तु समझती है. उसे लगता है कि बस सेक्स प्रेमी का अंतिम उद्देश्य था. प्रेमिका चाहती है कि सेक्स और स्खलन के बाद भी प्रेमी उसे चूमे, उस के अंगों को सहलाए ऐसा करतेकरते प्रेमिका को बांहों में भरते हुए उसे वापसी के लिए कहे या छोड़ कर आए. इस से प्रेमिका को आत्मसंतोष महसूस होता है.

चाहिए नौन सेक्सुअल टच

युवतियों को यह बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती कि मिलने पर उन का प्रेमी उन्हें एक बार भी छुए या चूमे नहीं और बस एकांत पा कर फोरप्ले के लिए ही बढ़े बल्कि प्रेमिका चाहती है कि जब प्रेमी उस से मिले तो उसे छुए, चूमे लेकिन यह टच नौन सेक्सुअल हो. वह छेड़छाड़ या हंसीमजाक के लिए या अपनापन जताने के लिए छुए. कभी उस के बालों को सहलाए, उस की पीठ पर हाथ फेरे, उस के गालों को चूमे, थपथपाए, होंठों को चूमे.

अत: रिश्ते में मजबूती के लिए ये बातें बेहद जरूरी हैं. प्रेमिका को जताएं कि आप उसे सिर्फ सेक्स के लिए नहीं चाहते बल्कि सेक्स से भी अहम है आप का उस के प्रति प्रेम व लगाव.

उत्तेजना के लिए रोमांटिक बातें जरूरी

एकांत पाते ही प्रेमिका को जकड़ लेना और उत्तेजित हुए बिना ही सेक्स करना प्रेमिका को बिलकुल नहीं भाता. इस के विपरीत वह अपने प्रेमी से एकांत के समय मीठी छेड़छाड़, रोमांटिक बातें और गुदगुदाने वाले सैक्सी किस्से सुनना पसंद करती है जो उसे भीतर तक भनभना दें. इस से उस का मूड बनता है.

इसी प्रकार सेक्स के दौरान प्रेमिका की प्रशंसा, उस के साथ प्यार का इजहार और उस का नाम ले कर आहें भरना, गरम सांसें लेना प्रेमिका को उत्तेजना से भर देता है. सेक्स थेरैपिस्ट लिन एटवाटर का कहना है, ‘‘युवतियों को शारीरिक संबंधों से ज्यादा दिलचस्पी मानसिक उत्तेजना और मानसिक संबंधों में नजर आती है.’’

यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया मैडिकल स्कूल की साइकोलौजिस्ट लोनी बारबच कहती हैं, ‘‘अकसर पढ़ाई और अगर जौब है तो औफिस वर्क के दबाव के बीच किसी युवती को सब से ज्यादा जरूरत सहानुभूति और प्रेमपूर्ण बातों की ही होती है. उसे शरीर सहलाने से जितना मजा मिलता है उस से कई गुणा ज्यादा मजा उस का मन सहलाने से मिलता है. हर प्रेमिका चाहती है कि उस का प्रेमी उस के साथ रोमांटिक बातें करें.

जानें क्या करें जब सेक्स लगने लगे बोरिंग

विवाह के कुछ वर्ष बाद न सिर्फ जीवन में बल्कि सेक्स लाइफ में भी एकरसता आ जाती है. कई बार कुछ दंपती इस की तरफ से उदासीन भी हो जाते हैं और इस में कुछ नया न होने के कारण यह रूटीन जैसा भी हो जाता है. रिसर्च कहती है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल व तरोताजा बनाए रखने में सेक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लेकिन यदि यही बोरिंग हो जाए तो क्या किया जाए?

पसंद का परफ्यूम लगाएं

अकसर महिलाएं सेक्स के लिए तैयार होने में पुरुषों से ज्यादा समय लेती हैं और कई बार इस वजह से पति को पूरा सहयोग भी नहीं दे पातीं, इसलिए यदि आज आप का मूड अच्छा है तो आप वक्त मिलने का या बच्चों के सो जाने का इंतजार न करें. अपने पति के आफिस से घर लौटने से पहले ही या सुबह आफिस जाते समय कानों के पीछे या गले के पास उन की पसंद का कोलोन, परफ्यूम लगाएं, वही खुशबू, जो वे रोज लगाते हैं. किन्से इंस्टिट्यूट फौर रिसर्च इन सेक्स, जेंडर एंड रिप्रोडक्शन के रिसर्चरों का कहना है कि पुरुषों के परफ्यूम की महक महिलाओं की उत्तेजना बढ़ाती है और सेक्स के लिए उन का मूड बनाती है.

साइक्लिंग करें

अमेरिकन हार्ट फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि नियमित साइक्लिंग जैसे व्यायाम करने वाले पुरुषों का हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हृदय व यौनांगों की धमनियों व शिराओं में रक्त के बढ़े हुए प्रवाह के कारण वे बेडरूम में अच्छे प्रेमी साबित होते हैं. महिलाओं पर भी साइक्लिंग का यही प्रभाव पड़ता है. तो क्यों न सप्ताह में 1 बार आप साइक्लिंग का प्रोग्राम बनाएं.

हालांकि साइक्लिंग को सेक्स विज्ञानी हमेशा से शक के दायरे में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा साइक्लिंग करने से साइकिल की सीट पर पड़ने वाले दबाव के कारण नपुंसकता हो सकती है. लेकिन कभीकभी साइक्लिंग करने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

स्वस्थ रहें

वर्जिनिया की प्रसिद्ध सेक्स काउंसलर एनेट ओंस का कहना है कि कोई भी शारीरिक क्रिया, जिस के द्वारा आप के शरीर के रक्तप्रवाह की मात्रा कम होती है, सेक्स से जुड़ी उत्तेजना को कम करती है. सिगरेट या शराब पीना, अधिक वसायुक्त भोजन लेना, कोई शारीरिक श्रम न करना शरीर के रक्तप्रवाह में गतिरोध उत्पन्न कर के सेक्स की उत्तेजना को कम करता है. एक स्वस्थ दिनचर्या ही आप की सेक्स प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है.

दवाइयां

वे दवाइयां, जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं, हमारी सेक्स लाइफ का स्विच औफ कर सकती हैं. इन में से सब से ज्यादा बदनाम ब्लडप्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाइयां और एंटीडिप्रेसेंट्स हैं. इन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां और कई गैरहानिकारक दवाइयां भी सेक्स की दुश्मन हैं, इसलिए कोई नई दवा लेने के कारण यदि आप को सेक्स के प्रति रुचि में कोई कमी महसूस हो रही हो तो अपने डाक्टर से बात करें.

सोने से पहले ब्रश

बेशक आप अपने साथी से बेइंतहा प्रेम करती हों, लेकिन अपने शरीर की साफसफाई का ध्यान अवश्य रखें. ओरल हाइजीन का तो सेक्स क्रीडा में महत्त्वपूर्ण स्थान है. यदि आप के मुंह से दुर्गंध आती हो तो आप का साथी आप से दूर भागेगा, इसलिए रात को सोने से पहले किसी अच्छे फ्लेवर वाले टूथपेस्ट से ब्रश जरूर करें.

स्पर्श की चाहत को जगाएं

आमतौर पर लोगों को गलतफहमी होती है कि अच्छी सेक्स क्रीडा के लिए पहले से मूड होना या उत्तेजित होना आवश्यक है, लेकिन यह सत्य नहीं है. एकसाथ समय बिताएं, बीते समय को याद करें, एकदूसरे को बांहों में भरें. कभीकभी घर वालों व बच्चों की नजर बचा कर एकदूसरे का स्पर्श करें, फुट मसाज करें. ऐसी छोटीछोटी चुहलबाजी भी आप का मूड फ्रेश करेगी और फोरप्ले का काम भी.

थ्रिलर मूवी देखें

वैज्ञानिकों का मानना है कि डर और रोमांस जैसी अनुभूतियां मस्तिष्क के एक ही हिस्से से उत्पन्न होती हैं, इसलिए कभीकभी कोई डरावनी या रोमांचक मूवी एकसाथ देख कर आप स्वयं को सेक्स के लिए तैयार कर सकती हैं.

फ्लर्ट करें

वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लर्टिंग से महिलाओं के शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जो रोमांटिक अनुभूतियां उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए दोस्तों व सहेलियों के बीच सेक्सी जोक्स का आदानप्रदान करें, कभीकभी किसी हैंडसम कुलीग, दोस्त के साथ फ्लर्ट भी कर लें. अपने पति के साथ भी फ्लर्टिंग का कोई मौका न छोड़ें. आप स्वयं सेक्स के प्रति अपनी बदली रुचि को देख कर हैरान हो जाएंगी.

उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर का कारण कहीं सेक्स असंतुष्टि तो नहीं

कुछ अरसा पहले आए सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसले में धारा 497 को रद्द कर विवाहेतर संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया. उस समय के सीजेआई दीपक मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवाह से बाहर बनाया गया संबंध एक व्यक्तिगत मुद्दा हो सकता है. यह तलाक का आधार तो बन सकता है, परंतु यह अपराध नहीं है.

देश की शीर्ष अदालत के इस फैसले से बहस छिड़ गई है. समाज में बढ़ रहा व्यभिचार समाज के तानेबाने को तोड़ने का कुत्सित प्रयास तो कर रहा है, लेकिन प्रश्न यह भी उठा रहा है कि आखिर बढ़ते व्यभिचार और विवाहेतर संबंध का कारण क्या है?

मानव सभ्यता के विकास के साथ समाज ने शारीरिक संतुष्टि और सेक्स संबंधों की मर्यादा के लिए विवाह नामक संस्था को सामाजिक मंजूरी दी होगी. विवाह के बाद पति और पत्नी के बीच के सेक्स संबंध शुरू में तो ठीक रहते हैं, परंतु समय के साथ सेक्स के प्रति अरुचि व पार्टनर की जरूरतों पर पर्याप्त ध्यान न दिया जाना कलह के कारण बनते हैं.

आमतौर पर सुखद सेक्स उसी को माना जाता है, जिस में दोनों पार्टनर और्गेज्म पा सकें. यदि पतिपत्नी सेक्स संबंध में एकदूसरे को संतुष्ट कर पाने में सफल होते हैं तो उन के दांपत्य संबंधों की कैमिस्ट्री भी अच्छी रहती है.

राकेश और प्रतिभा की शादी को 5 वर्ष हो चुके हैं. उन की 2 साल की एक बेटी भी है. परंतु बेटी के जन्म के साथ ही प्रतिभा का ध्यान अपनी बेटी में ही रम गया. पति की छोटीछोटी जरूरतों का ध्यान रखने वाली प्रतिभा अब पति के प्रति बेपरवाह सी हो गई है.

कभी रोमांटिक मूड होने पर राकेश जब सेक्स करने की पहल करता है, तो प्रतिभा उसे यह कह कर झिड़क देती है कि तुम्हें तो बस एक ही चीज से मतलब है. इस से राकेश कुंठित हो कर चिड़चिड़ाने लगता. मन मसोस कर अपनी कामेच्छा दबा लेता. धीरेधीरे सेक्स करने की कुंठा से उस के मन में कहीं और शारीरिक संबंध बनाने के खयाल आने लगे. प्रतिभा जैसी अनेक महिलाओं का यही व्यवहार राकेश जैसे पुरुषों को दूसरी महिलाओं के साथ संबंध बनाने को प्रोत्साहित करता है.

जिस तरह स्वादिष्ठ भोजन करने के बाद कुछ और खाने की इच्छा नहीं होती, ठीक उसी तरह सेक्स क्रिया से संतुष्ट पतिपत्नी अन्यत्र सेक्स के लिए नहीं भटकते. दांपत्य जीवन में सुख प्राप्त करने के लिए पतिपत्नी को अपनी सेक्स जरूरतों का ध्यान रखना चाहिए. सेक्स की पहल आम तौर पर पति द्वारा की जाती है. पत्नी को भी चाहिए कि वह सेक्स की पहल करे. पतिपत्नी में से किसी के भी द्वारा की गई पहल का स्वागत कर, सेक्स संबंध स्थापित कर, एकदूसरे की संतुष्टि का खयाल रख कर विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

बच्चों के जन्म के बाद भी सेक्स के प्रति उदासीन न हों. सेक्स दांपत्य जीवन का मजबूत आधार है. शारीरिक संबंध जितने सुखद होंगे भावनात्मक प्यार उतना ही मधुर होगा. घर में पत्नी के सेक्स के प्रति रूखे व्यवहार के चलते पति अन्यत्र सुख की तलाश में संबंध बना लेता है. कामकाजी पति द्वारा पत्नी को पर्याप्त समय और यौन संतुष्टि न देने से वह भी अन्य पुरुष से शारीरिक संबंध बना लेती है, जिस की परिणति दांपत्य जीवन में तनाव और बिखराव के रूप में देखने को मिलती है.

स्वाभाविक होता है बदलाव

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि संबंधों में यह बदलाव स्वाभाविक है. शादी के शुरू के सालों में पतिपत्नी एकदूसरे के प्रति जो खिंचाव महसूस करते हैं, वह समय के साथ खत्म होता जाता है और तब शुरू होती है रिश्तों में उकताहट.

आर्थिक, पारिवारिक और बच्चों की परेशानियां इस उकताहट को बढ़ावा देती हैं. फिर इस उकताहट को दूर करने के लिए पतिपत्नी बाहर कहीं सुकून तलाशते हैं, जहां उन्हें फिर से अपने वैवाहिक जीवन के शुरू के वर्षों का रोमांच महसूस हो. यहीं से विवाहेतर संबंधों की शुरुआत होती है.

एक रिसर्च से पता चला है कि अलगअलग लोगों में इन संबंधों के अलगअलग कारण हैं. किसी से भावनात्मक जुड़ाव, सेक्स लाइफ से असंतुष्टि, सेक्स से जुड़े कुछ नए अनुभव लेने की लालसा, वक्त के साथ आपसी संबंधों में प्रेम की कमी, अपने पार्टनर की किसी आदत से तंग होना, एकदूसरे को जलाने के लिए ऐसा करना विवाहेतर संबंधों के कारण होते हैं.

महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे की सोच

भारतीय संस्कृति में महिलाओं के प्रति दोयमदर्जे का व्यवहार आज भी देखने को मिलता है. सामाजिक परंपराओं की गहराई में स्त्री द्वेष छिपा है. ये परंपराएं पीढि़यों से महिलाओं को गुलाम से अधिक कुछ नहीं मानती हैं. उन्हें इस तरह ढाला जाता है कि वे अपने शरीर के आकार से ले कर निजी साजसज्जा तक के लिए अनुमति लें.

जो महिला अपने ढंग से जीने के लिए परंपराओं और वर्जनाओं को तोड़ने का प्रयास करती है उस पर समाज चरित्रहीन होने का कलंक लगा देता है. पति को घर में व्यवस्था, पत्नी का समय व बढि़या तृप्तिदायक खाना, सुखचैन का वातावरण और देह संतुष्टि चाहिए. परंतु पति खुद उस की सुखसुविधाओं और शारीरिक जरूरतों का उतना खयाल नहीं रखता. पत्नी से यह चाह जरूर की जाती है कि वह पति की नैसर्गिक इच्छाएं पूरी करती रहे.

मनोवैज्ञानिकों के अनुसार विवाहेतर संबंधों को रोकने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. यदि आपसी रिश्ते की गरमाहट कम हो गई है तो रिश्ते को पुराने कपड़े की तरह निकाल कर नए कपड़ों की तरह नए रिश्ते बनाना समस्या का हल नहीं है. अपने पार्टनर को समझाने के कई तरीके हैं. उस से बातचीत कर समस्या को सुलझाया जा सकता है. सेक्स को ले कर की गई बातचीत, सेक्स के नएनए तरीके प्रयोग में ला कर एकदूसरे की शारीरिक संतुष्टि से विवाहेतर संबंधों से बचा जा सकता है.

फोरप्ले से और्गेज्म तक का सफर

एक नामी फैशन मैगजीन के सर्वेक्षण के अनुसार महिलाओं के और्गेज्म यानी चरमसुख को ले कर कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं. इस औनलाइन शोध में 18 से 40 साल की आयु वाली 2300 महिलाओं से प्रश्न किए गए, जिन में 67% महिलाओं ने माना कि वे फेक और्गेज्म यानी और्गेज्म होने का नाटक करती हैं. 72% महिलाओं ने माना कि उन का साथी स्खलित होने के बाद उन के और्गेज्म पर ध्यान नहीं देता है. सर्वेक्षण के यह आंकड़े बताते हैं कि ज्यादातर मामलों में पति और पत्नी अकसर सेक्स संबंधों में और्गेज्म तक नहीं पहुंच पाते हैं.

सेक्स को केवल रात्रिकालीन क्रिया मान कर निबटाने से सहसंतुष्टि नहीं मिलती. जब दोनों पार्टनर को और्गेज्म का सुख मिलेगा तभी सहसंतुष्टि प्राप्त होगी. पत्नी और पति का एकसाथ स्खलित होना और्गेज्म कहलाता है. सुखद सेक्स संबंधों की सफलता में और्गेज्म की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है.

सेक्स को शारीरिक तैयारी के साथसाथ मानसिक तैयारी के साथ भी किया जाना चाहिए. यह पतिपत्नी की आपस की जुगलबंदी से ही मिलता है. सेक्स करने से पहले की गई सेक्स से संबंधित छेड़छाड़ भूमिका बनाने में सहायक होती है. कमरे का वातावरण, बिस्तर की जमावट, अंतर्वस्त्र जैसी छोटीछोटी बातें सेक्स के लिए उद्दीपक का कार्य करती हैं.

सेक्स के दौरान घरपरिवार की समस्याएं बीच में नहीं आनी चाहिए. सेक्स संबंध के दौरान छोटीछोटी बातों को ले कर की जाने वाली शिकायतें संबंध को बोझिल बनातीं और सेक्स के प्रति अरुचि भी उत्पन्न करती हैं. सेक्स के लिए नए स्थान और नए तरीकों का प्रयोग कर संबंध को प्रगाढ़ बनाया जा सकता है. सेक्स की सहसंतुष्टि यकीनन दांपत्य जीवन को सफल बनाने के साथसाथ विवाहेतर संबंध बनाने से रोकने में भी मददगार साबित हो सकती है.

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