भोजपुरी एक्ट्रेस रानी चटर्जी का फिटनेस फ्रीक लुक देख, रह जाएंगे हैरान

भोजपुरी इंडस्ट्री की एक्ट्रेसस का जलवा अपने आप में सबसे अलग हैं, फिर चाहे उनके गाने हो या एक्टिंग स्टाइल, भोजपुरी स्टार्स ने सब के दिलों में अपनी अलग पहचान बनाई हैं. पर अब समय बदल रहा हैं. भोजपुरी एक्ट्रेसस अब बौलीबुड एक्ट्रेसस की तरह ना सिर्फ खुद को समय के साथ बदल रही हैं बल्कि बौलीबुड एक्ट्रेसस की तरह  खुद फिट रखने में भी पीछे नहीं हैं. इन्हीं एक्ट्रेसस की कड़ी मैं पहला नाम आता भोजपुरी स्टार रानी चटर्जी का, वैसे तो रानी की एक्टिंग के सभी दिवाने हैं लेकिन इन दिनों वो अपने फिटनेस फ्रीक अंदाज के लिए चर्चा में हैं. आए दिन इंस्टाग्राम में रानी अपनी गिमिंग की फोटोज शेयर करती रहती हैं जिसे उनके फैंस खासा पसंद कर रहें हैं.

 

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चर्चाओं में रहना हैं पसंद

रानी भोजपुरी फिल्मों की उन चुनिंदा एक्ट्रेसस में से एक हैं जो सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वो रोजोना अपनी कसरत की फोटोस शेयर कर फैंस को अपडेट करती रहती  हैं. रानी हमेशा से अलग करने के लिए जानी जाती हैं फिर चाहे उनका फिल्म चुननें का तरीका हो या फिर एक्टिंग, लोगों के दिल में रानी राज करती आई हैं. शायद यही कारण हैं की उनको बेस्ट पौपुलर एक्ट्रेसस से सम्मानित भी किया जा चुका हैं. रानी ने अपने कैरियर की शुरुआत “ससुरा बड़ा पइसा वाला” से की, जो भोजपुरी फिल्मों की सुपर हिट फिल्मों में से एक है. 2013 भोजपुरी फिल्म अवार्ड में रानी को “बेस्ट एक्ट्रेस अवार्ड” मिला. इसके बाद मौरीशस में आयोजित एगो फिल्म अवार्ड में उनकों “बेस्ट पौपुलर एक्ट्रेस अवार्ड” से सम्मानित किया गया.

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पौपुलर होना चाहती थी रानी

रानी का जन्म मुंबई में हुआ था.  वही से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की. रानी का बचपन से ही सपना था की वो बहुत पौपुलर हो और अपने इस सपने को पूरा करने क् लिए उन्होंने बहुत मेहनत की और 2004 में भोजपुरी फिल्म से डेब्यू किया, रानी ने अपने सपने को  बखूबी पूरा भी किया. रानी ने भोजपुरी फिल्मों नें कई सारी हिट फिल्में देकर मेकर्स के दिल तो जीता ही साथ ही भोजपुरी फिल्म के स्तर को भी बढ़ाया.

 

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 फैंस कर रहें हैं फिटनेस को फौलो

रानी के फोटोस और वीडियों को फैंस काफी  फौलो कर रहें हैं. उनकी जिमिंग फोटोस काफी वायरस हो रही हैं. फैंस उनके बदलते लुक्स की तारीफ कर रहें हैं वही कुछ उनको इस मेहनत भरे वर्कआउट के लिए विश कर रहें हैं.

जल्द ही रानी की फिल्म “रानी की हुकुमत” आने वाली हैं जिसे लेकर वो काफी एक्साइटेड हैं.

भोजपुरी फिल्मों में परिवार होता है

परिवार समाज की बुनियाद माना जाता है और भारत में इस की अहमियत दूसरे देशों के बजाय ज्यादा है. इसलिए यह और भी अहम हो जाता है कि फिल्में इस पर रोशनी डालें और भोजपुरी फिल्मों का इस मामले में कोई सानी नहीं है.

कुछ फिल्में जैसे ‘नदिया के पार’, ‘गंगा’, ‘गंगा किनारे मोरा गांव’, ‘हमार बेटवा’, ‘आंगन की लक्ष्मी’, ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला’, ‘तुलसी’, ‘गंगापुत्र’, ‘गंगा देवी’, ‘बीवी नंबर 1’, ‘जीजाजी की जय हो’, ‘जींस वाली भौजी’, ‘भैयादूज’, जैसी फिल्में पारिवारिक मसाले को ध्यान में रख कर ही बनाई गई हैं.

इस तरह की फिल्में बना कर भोजपुरी सिनेमा ने भारतीय समाज में अलग छाप छोड़ी है, क्योंकि फिल्में न केवल परिवार को एकजुट रखने का आईना दिखाती हैं, बल्कि परिवार के हर सदस्य को अपनी जिम्मेदारी का अहसास भी कराती हैं. इसलिए भोजपुरी फिल्मों की पारिवारिक तानेबाने में बहुत बड़ी जगह है.

फिल्म ‘नदिया के पार’ देख कर आप को लगेगा कि हम अपने घरपरिवार या फिर समाज की कोई कहानी सुन रहे हैं. इस फिल्म में एक किसान अपने

2 भतीजों के साथ उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहता है. किसान के बीमार होने के बाद उस का इलाज वैद्य द्वारा किया जाता है और जब ठीक होने पर किसान इलाज की कीमत चुकाने के संबंध में वैद्य से बात करता है तो वह वैद्य अपनी बड़ी बेटी रूपा के लिए किसान के बड़े भतीजे ओमकार का हाथ मांगता है, जिस के लिए वह राजी भी हो जाता है क्योंकि दोनों का घरपरिवार अच्छा है.

राजीखुशी दोनों की शादी हो जाती है. जब रूपा पेट से होती है तो उस की छोटी बहन गुंजा कुछ दिनों के लिए उस के घर आती है जहां वह ओमकार के छोटे भाई चंदन के प्यार में पड़ जाती है.

इस बारे में जब रूपा की बहन को पता चलता है तो वह दोनों की शादी करवाने का वादा करती है लेकिन एक हादसे में रूपा की मौत होने के चलते उन दोनों के प्यार के बारे में किसी को पता नहीं चल पाता है.

इस बीच पारिवारिक हालात के चलते दोनों को अपने प्यार को कुरबान करने की नौबत आ जाती है और वे इस के लिए राजी भी हो जाते हैं लेकिन जब घर वालों को इस बारे में पता चलता है तो वे उन दोनों की शादी करवाते हैं.

यानी इस फिल्म में परिवार और रिश्तों की अहमियत को दिखाते हुए परिवार की एकजुटता पर फोकस किया गया है.

वहीं फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला’ में हम कह सकते हैं कि बहुत कम फिल्में ऐसी होती हैं जिन में ससुर और दामाद के रिश्तों पर कहानी की बुनियाद टिकी होती है लेकिन हीरो मनोज तिवारी की इस फिल्म में भले ही कौमेडी का तड़का लगाया गया है लेकिन ससुरदामाद के रिश्तों के बीच की तल्खी और भावनात्मक लड़ाई को भी बखूबी दिखाया गया है. इस तरह से इस में 2 परिवारों की कहानी को सिलसिलेवार तरीके से जोड़ा गया है.

ऐसी ही एक फिल्म ‘गंगा’ आई थी जिस में पारिवारिक रिश्तों के साथ ही सामाजिक बंधनों के बीच के टकराव को बखूबी दिखाया गया. वहीं फिल्म ‘गंगापुत्र’ में मांबेटे के रिश्ते को केंद्र में रखा गया.

आप को बता दें कि फिल्म ‘जीजाजी की जय हो’ में भी साली और जीजा के मजाक को बहुत ही चुटीले और मजेदार ढंग से दिखाया गया. इस से इस रिश्ते की अहमियत पता चलती है. फिल्म ‘जींस वाली भौजी’ में घर में भाभी के किरदार को अहमियत दी गई.

फिल्म ‘भैयादूज’ में भी भाईबहन के रिश्तों की मिठास को रुपहले परदे पर घोला गया.

कुलमिला कर हम कह सकते हैं कि जिस तरह से बौलीवुड फिल्में हीरोहीरोइन के इर्दगिर्द ही घूमती हैं वहीं भोजपुरी फिल्मों में जितनी अहमियत हीरोहीरोइन को दी जाती है उतनी ही दूसरे रिश्तों को भी मिलती है, जो हमें भोजपुरी फिल्में देखने पर मजबूर करता है.

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