जब लड़की बोल दे ‘परे हट नामर्द’

अनिल और श्रुति का कई महीने से मिलनाजुलना था. वे दोनों इस रिश्ते को अब शादी में बदलना चाहते थे. एक दिन श्रुति ने उस से कहा कि शादी से पहले वह अनिल के साथ एक बार हमबिस्तर होना चाहती है, लेकिन अनिल शादी से पहले हमबिस्तर होने के पक्ष में नहीं था.

दरअसल, श्रुति नहीं चाहती थी कि उसे शादी के बाद सैक्स संबंधों को ले कर किसी तरह की समस्या झेलनी पडे़, लेकिन जब अनिल श्रुति की दलील सुनने को तैयार नहीं हुआ तो श्रुति को अनिल की मर्दानगी पर कुछ शक होने लगा.

अब श्रुति अनिल को परखना चाहती थी, इसलिए उस ने अनिल के साथ एक दिन बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया और दोनों एक पिकनिक स्पौट पर साथसाथ एक ही कमरे में रुके, जहां श्रुति ने अनिल के साथ छेड़छाड़ शुरू की, लेकिन इस का अनिल पर कोई असर नहीं हुआ. वह अनिल को सैक्स संबंध बनाने के लिए खुला औफर दे रही थी, लेकिन अनिल के सैक्स के नाम पर दूर भागने से उस के मन में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा.

श्रुति ने कहा कि अगर उस ने उस के साथ सैक्स करने से इनकार किया तो वह लोगों से चिल्ला कर कहेगी कि होटल के कमरे में उसे अकेला पा कर उस ने जबरदस्ती करने की कोशिश की है.

आखिर अनिल भी श्रुति के सामने अपने कपडे़ उतारने को तैयार हो गया, लेकिन लाख प्रयासों के बाद भी अनिल सैक्स के मामले में फुस्स साबित हुआ तो श्रुति का गुस्सा सातवें आसमान पर था, क्योंकि उसे अनिल के नानुकुर का राज पता चल चुका था. वह बोली कि तुम अपनी नामर्दी की बात जानते हुए भी मुझ से यह बात छिपाते रहे. तुम ने प्यार के नाम पर मेरे साथ धोखा किया है.

नामर्दी छिपाने के लिए की जाती है शादी

नामर्दी के मामले में होने वाली शादियां भी अकसर धोखे से ही की जाती हैं, जिस का बाद में खुलासा होना निश्चित होता है. फिर भी नामर्दी के शिकार लोग कालेज में घंटों लड़कियों का इंतजार करने व उन पर डोरे डालने से बाज नहीं आते और जब बात प्यार व सैक्स तक पहुंचती है तब वे अपने पार्टनर के साथ सैक्स करने में आनाकानी करते हैं. ज्यादातर मामलों में शादी से पहले सैक्स संबंध स्थापित न हो पाने की वजह से उस के होने वाले जीवनसाथी को यह पता ही नहीं चलता कि जो व्यक्ति उस के साथ अपनी मर्दानगी की बड़ीबड़ी बातें कर रहा है वह बिस्तर पर जाने के बाद फुस्स साबित होगा.

रिचा के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. डाक्टरी की पढ़ाई के दौरान ही वह अपने सहपाठी से प्रेम कर बैठी और बाद में दोनों ने शादी कर ली, लेकिन जब शादी की पहली रात रिचा के लाख प्रयास के बाद भी उस का पति संबंध नहीं बना पाया तो उस ने पति से कहा कि जब उसे पता था कि वह नामर्द है तो फिर मुझे धोखे में रख कर शादी क्यों की? उस के पति राजेश ने उसे विश्वास दिलाया कि उस की यह नामर्दी अस्थायी है जो कुछ दवाओं से दूर हो सकती है, चूंकि रिचा और राजेश मैडिकल सैक्टर से ही थे, इसलिए उन्होंने इस बात को सावधानी से लिया और राजेश आज अपनी अस्थायी नामर्दी से मुक्ति पा कर सफल वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहा है.

चूंकि रिचा एक डाक्टर थी इसलिए उसे पता था कि नामर्दी क्या होती है और उस का निदान किस तरह से संभव है, लेकिन ज्यादातर नामर्दी के मामलों में समस्या को दूर नहीं किया जाता. ऐसे में स्थिति तलाक तक पहुंच जाती है या फिर महिला के अपने पति के अलावा किसी दूसरे के साथ शारीरिक संबंध स्थापित हो जाते हैं, जो आगे चल कर हत्या या आत्महत्या का कारण भी बन जाता है.

सौम्या के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ. उस ने कालेज लाइफ में एक युवक से प्रेम किया और उस की रजामंदी से शादी भी हो गई, लेकिन शादी की पहली रात जब सौम्या का पति उस से सैक्स संबंध न बना पाया तो सौम्या और उस के पति में तूतू मैंमैं हो गई और वह बोली कि जब तुम नामर्द थे तो तुम ने मुझ से प्रेम क्यों किया और यह बात छिपा कर शादी क्यों की.

शादी के दूसरे दिन ही सौम्या ने अपने सासससुर से कहा कि वह उन के बेटे से तलाक लेना चाहती है, क्योंकि वह नामर्द है.

सौम्या के मामले में उस का पति शादी न कर के अपनी किरकिरी से बच सकता था, लेकिन शादी के लिए उस ने नामर्दी की बात छिपा कर लोगों में अपनी जगहंसाई कराई, जिस की वजह से वह घोर मानसिक निराशा का शिकार हो गया.

इस तरह के तमाम मामले सामने आते हैं, जिस में युवकों द्वारा युवतियों से धोखे से शादी कर ली जाती है और बाद में पता चलता है कि उस के अंग में या तो तनाव ही नहीं आता या फिर वह सैक्स से पहले ही स्खलित हो जाता है.

शादी से पहले सैक्स संबंध

भारत में शादी से पहले सैक्स संबंध बनाना गलत माना जाता है. ऐसे में जब शादी हो जाए और बिस्तर पर जाने के बाद यह पता चले कि जिस मर्द के साथ उस की शादी हुई है वह नामर्द है तो शादी से पहले संजोए गए उस के सारे सपनों पर न केवल पानी फिर जाता है बल्कि वैवाहिक जीवन भी बरबाद हो जाता है.

ऐसे में अगर युवती ने अपने होने वाले पति के साथ शादी से पहले सैक्स संबंध बनाए हैं तो निश्चित ही उस का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतेगा, क्योंकि उसे यह पता होता है कि वह जिस के साथ शादी करने जा रही है उस के साथ सैक्स संबंध सफल होंगे या नहीं.

कालेज लाइफ के दौरान प्यार हो जाना आम बात है और ज्यादातर मामलों में प्यार शादी में बदल जाता है. ऐसे में प्यार करने वाले युवकयुवती में शादी से पहले सैक्स संबंध बन जाना आम बात है. इसे आमतौर पर अच्छा भी माना जा सकता है, क्योंकि इस तरह से शादी करने में धोखे की आशंका एकदम समाप्त हो जाती है.

शादी से पहले अपने होने वाले पति के सैक्स की जानकारी रखना हर महिला का अधिकार होना चाहिए और यह बिना सैक्स संबंध बनाए संभव नहीं है. इसलिए पुराने दकियानूसी खयालों से निकल कर युवाओं को इस की पहल करनी होगी.

नपुंसकता के कारण

सैक्स संबंध में संतुष्टि के मानदंडों का आकलन करना कठिन है, लेकिन शादी से पहले युवती व उस के परिवार वालों को चाहिए कि जिस युवक के साथ उस की बेटी की शादी होने जा रही है वे इस मसले पर उस से खुल कर बात करें और अगर कहीं शक की गुजाइंश हो तो उस युवक से दूरी बना लेनी चाहिए.

यह भी जरूरी नहीं कि पुरुष जिसे नामर्दी समझ रहा है वह असल में हो. यह उस का भ्रम भी हो सकता है, क्योंकि उस के अंग में तनाव न आना किन्हीं दूसरे कारणों की वजह हो सकता है. ऐसे में पुरुष को भी चाहिए कि एक बार सैक्स स्पैशलिस्ट से सलाह जरूर ले.

नामर्दी के ज्यादातर मामले स्थायी नहीं होते. अंग में तनाव न आना, कुछ ही क्षणों में हमबिस्तरी के दौरान पस्त हो जाना, अस्थायी नामर्दी में गिना जाता है. जिस का इलाज संभव है. अगर इस में उस की महिला मित्र द्वारा समझदारी और संयम दिखाया जाए तो पति की इस समस्या से नजात दिलाने में वह मदद कर सकती है.

सैक्स विशेषज्ञ डा. मलिक मोहम्मद अकमलुद्दीन का कहना है कि नामर्दी के मामले में यह देखा गया है कि या तो पुरुष के अंग में तनाव आता ही नहीं है और किसी तरह तनाव आता भी है तो वह सैक्स संबंध बनाने से पहले ही पस्त हो जाता है. इस का मतलब जरूरी नहीं कि वह नामर्द हो. हो सकता है कि वह अस्थायी नामर्दी का शिकार हो.

इस अस्थायी नामर्दी के तमाम कारण हो सकते हैं, जिन में मानसिक अवसाद, नशा, धूम्रपान, मधुमेह, हृदय रोग, हाई ब्लडप्रैशर और दवा की अत्यधिक डोज लेना भी शामिल हैं. नामर्दी का कारण अंग में चोट लगने की वजह भी होता है, जिसे समय से इलाज कर दूर किया जा सकता है, इसलिए अगर कोई अस्थायी नपुंसकता का शिकार है तो उसे किसी योग्य डाक्टर को दिखाना चाहिए.

ज्यादा उम्र के शख्स से शादी करने से बचें

आप यदि अपनी उम्र से दोगुनी उम्र के बड़े व्यक्ति से शादी का विचार मन में ला रही हैं तो इस खयाल को मन से निकाल दीजिए, क्योंकि ज्यादातर मामलों में पति की उम्र में ज्यादा अंतर होने से सैक्स ताकत जल्दी खत्म हो जाती है फिर पत्नी को या तो सैक्स के बिना तड़पते हुए बाकी जीवन काटने पर मजबूर होना पड़ता है या तो किसी गैर मर्द से संबंध स्थापित करना पड़ता है, जो ठीक नहीं है.

दूर हो सकती है नामर्दी

पुरुषों की तंत्रिका तंत्र संबंधी बीमारियां भी नामर्दी का कारण बन सकती हैं. अगर इन समस्याओं से नजात पा ली जाए तो निश्चय ही नामर्दी की समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

डा. अकमलुद्दीन के अनुसार अगर पुरुष को लगता है कि उस के अंग में तनाव नहीं आ रहा है तो उसे डाक्टर से परामर्श लेना नहीं भूलना चाहिए, क्योंकि नामर्दी के 75 फीसदी मामलों में नामर्दी से छुटकारा पाया जा सकता है.

पुरुष की नामर्दी को दूर करने में महिला पार्टनर भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उसे कोशिश करनी चाहिए कि पार्टनर के साथ संयम और प्यार से पेश आए और उस में मानसिक तनाव और निराशा की भावना को न उपजने दे.

यदि पति की दिनचर्या अनियंत्रित है तो उस में भी सुधार करने के प्रयास करने चाहिए, पति के अच्छे खानपान व नियंत्रित लाइफस्टाइल को बढ़ावा देना चाहिए. इन उपायों को अपना कर कुछ हद तक नामर्दी की समस्या से नजात पाई जा सकती है.

नामर्दी से छुटकारा दिलाने वाली कई दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं जिन का सेवन करने से अंग में पर्याप्त तनाव आ जाता है, लेकिन दवाओं का उपयोग बिना डाक्टर के परामर्श के नहीं करना चाहिए. यह जानलेवा भी साबित हो सकता है.

नार्मदी दूर करने में वैक्यूम पंप कारगर साबित हुआ है. रक्त कोशिका संबंधित समस्या या रक्त विकार से पीड़ित पुरुषों के लिए यह उपयोगी साबित हुआ है. यह एक तरह का वैक्यूम पंप होता है जिस को पुरुष अपने अंग में डाल कर पंप करता है. इस से उस के अंग में तनाव आ जाता है और वह सैक्स के लिए तैयार हो जाता है. इस पंप का उपयोग बिना डाक्टरी सलाह के नहीं किया जाना चाहिए.

सैक्स से पहले फोरप्ले व आफ्टर प्ले भी कारगर उपाय हैं. इस से जोश में वृद्धि होती है जिस से अंग में रक्त संचार बढ़ने से तनाव आ सकता है.

स्थायी नामर्दी की दशा में पुरुष को शादीविवाह जैसे पचडे़ से दूर रहना चाहिए, क्योंकि न तो यह शादी सफल हो सकती है और न ही उस का विवाहित जीवन.

अगर मातापिता की तरफ से अरेंज मैरिज का दबाव बनाया जाए तो नामर्दी के शिकार युवक को खुल कर अपनी समस्या उन्हें बतानी चाहिए, ताकि सोचसमझ कर फैसला लिया जा सके और शादी के बाद होने वाली किल्लत और जिल्लत दोनों से बच सकें.

जब बेड पर अग्रैसिव हो पति

जब से देश में फिल्मों के साथसाथ वैब सीरीज बनने का सिलसिला शुरू हुआ है, तब से उन में गालीगलौज, गोलीबारी और गरमागरम सीन दिखाने का मानो लाइसैंस मिल गया है. ऐसी ही एक वैब सीरीज आई थी ‘मिर्जापुर सीजन 1’, जिस में मुन्ना त्रिपाठी नाम का किरदार अपने घर की नौकरानी को भी नहीं छोड़ता है.

नशे में वह बिस्तर पर दरिंदा बन जाता है और नौकरानी लड़की घर की भाभी के सामने हाथ जोड़ कर कहती है कि वह मुन्ना का बिस्तर गरम नहीं करेगी, क्योंकि वह उसे पूरी तरह निचोड़ देता है और जिस्म का बुरा हाल कर देता है.

किसी लड़की को कोई मर्द पूरी तरह से संतुष्ट कर दे, यह सब सुनने में बहुत अच्छा लगता है और पहली बार में यही जताता है कि जब कोई लड़की या औरत बिस्तर पर संतुष्ट हो जाती है, तो अपने पार्टनर का साथ पूरी जिंदगी निभाती है.

पर, जब यही मर्द पार्टनर शैतान बन कर उस के जिस्म पर हावी हो जाता है, उसे नोंच डालता है, तो वह ‘मिर्जापुर’ वाली नौकरानी लड़की की तरह हाथ जोड़ जाती है.

sex

यह तो फिल्मी सीन है या समस्या है, पर अगर असली जिंदगी में कोई औरत या लड़की किसी के सामने ऐसी ही गुहार लगाए तो क्या होगा? दिल्ली प्रैस की लोकप्रिय पत्रिका ‘सरस सलिल’ के एक कौलम ‘सच्च्ची सलाह’ में बहुत सी पाठिकाएं ऐसे ही सवाल करती हैं. जैसे एक औरत का सवाल आया था कि ‘मैं 36 साल की शादीशुदा औरत हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरे पति सैक्स के दौरान काफी जोश में आ जाते हैं. वे मेरे शरीर को खेल का मैदान बना देते हैं और हवस के जोश में मेरे बदन पर यहांवहां काटते हैं और नाखून से नोंचते हैं.

‘इस से मु झे काफी दर्द होता है. कभीकभी तो मेरी नाभि भी हिल जाती है. जब भी मैं उन से अपने दिल का हाल बताती हूं, तो उन का एक ही जवाब होता है कि हमबिस्तरी के दौरान वे खुद पर काबू नहीं रख पाते हैं. मैं क्या करूं?’

ऐसे सवाल का अमूमन जवाब दिया जाता है कि ‘बहुत से जोड़े इस तरह की अग्रैसिव हमबिस्तरी का मजा लेते हैं, पर इस में उन दोनों की रजामंदी होना जरूरी है, पर चूंकि यह आप की इच्छा के मुताबिक नहीं हो रहा है और आप के लिए मजे से ज्यादा सजा बन गया है, तो पति को प्यार से सम झाएं. अगर वह नहीं मानता है, और आप को ज्यादा सताता है तो किसी माहिर काउंसलर से सलाह लें.’

ऐसा क्यों होता है कि दिनभर शांत सा दिखने वाला पति बिस्तर पर इतना ज्यादा उतावला हो जाता है कि पत्नी ‘हायहाय’ करती रह जाती है? यह ‘हायहाय’ तब और ज्यादा भयावह हो जाती है, जब कोई पत्नी रात में अपने ही बैडरूम में घुसने से पहले कतराती है. उसे पति द्वारा खरीदा हुआ एक ‘सैक्स गुलाम’ सम झ लिया जाता है. सैक्स के नाम पर वह उसे थप्पड़ मारता है, दांतों से काटता है, छाती पर जख्म दे देता है और नाजुक अंग को भी नहीं छोड़ता है.

सैक्स में पति का अग्रैसिव होना किसी हद तक दुखदायी नहीं होता है, क्योंकि एक रिसर्च के मुताबिक, 70 फीसदी लोग इस हद तक रफ सैक्स या ‘बिस्तर पर बदमाशी’ को ऐंजौय करते हैं कि वे अपने पार्टनर खासकर महिला पार्टनर को बांधने से ले कर कई ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं, जिस से दोनों पार्टनर को भरपूर मजा मिलता है.

लेकिन, जब इस में महिला पार्टनर की रजामंदी न हो तो यह सैक्स नहीं, बल्कि सामने वाले को चोट पहुंचाना माना जाता है. लिहाजा, आप को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप जबरदस्ती कुछ न करें. जो चीजें करना आप के पार्टनर को पसंद न हों, तो उस पर किसी तरह का दबाव न बनाएं. इस के लिए पार्टनर के साथ बात करना बेहद जरूरी है.

अल्फा वन एंड्रोलौजी के डायरैक्टर और फैलो औफ यूरोपियन कौंसिल औफ सैक्सुअल मैडिसिन के डाक्टर अनूप धीर का मानना है, ‘शादी के बाद सैक्स को ले कर मची कलह तब ज्यादा जोर पकड़ती है, जब कोई पति अपनी पत्नी के सामने बिस्तर पर ऐसी डिमांड रखता है, जो प्यार करना तो बिलकुल नहीं होती है. पत्नी ऐसी डिमांड को सिरे से खारिज कर देती है.

‘सही कहें तो पति की ऐसी मांग बिलकुल नाजायज होती है, जबकि उन के दिमाग में यह घुस चुका होता है कि सैक्स करने का यही तरीका उन्हें संतुष्ट कर सकता है या मजा दे सकता है और वे बिस्तर पर आक्रामक हो जाते हैं.

‘जब पत्नी अपने पति की ऐसी बेहूदा मांग को पूरा करने से मना कर देती है, तो वे किसी भी जायज और नाजायज तरीके से अपनी बात मनवाने की कोशिश करते हैं, जिस में जिस्मानी चोट पहुंचाने के साथसाथ जोरजबरदस्ती करना भी शामिल रहता है.

‘इस से शादी पर बहुत बुरा असर पड़ता है. कभीकभी तो बात तलाक लेने तक पहुंच जाती है. लिहाजा, पति की ऐसी दरिंदगी पर पत्नी को किसी काउंसलर का सहारा लेना चाहिए और अगर बात न बने तो फिर पुलिस या महिला आयोग की शरण में जाना चाहिए.’

बहुत से पति अपनी पत्नी को बैडरूम में ‘स्वीटहार्ट’ कह कर पुकारते हैं. जब वही ‘स्वीटहार्ट’ बिस्तर पर पति से संबंध बनाते हुए ‘स्वीट सैक्स’ चाहती हैं, तो पति को उन की भावनाओं का खयाल रखना चाहिए और अपने प्यार के पलों को हवस के जोश में रौंदने से बचना चाहिए.

4 साल पहले मैने बौयफ्रेंड के साथ सेक्स किया था, क्या मेरे पति को इस बात का पता चल सकता है?

सवाल

मैं 25 वर्षीय अविवाहित युवती हूं. इसी वर्ष के अंत तक घर वाले मेरी शादी कर देना चाहते हैं. मैं बहुत परेशान हूं, क्योंकि कालेज के दिनों में मेरे बौयफ्रैंड ने मुझे बरगला कर एक बार शारीरिक संबंध बना लिया था. उस के बाद मैं ने उस से सारे संबंध तोड़ लिए. इस बात को 4 साल हो चुके हैं. मैंने सुना है कि सुहागरात को ही पति को ज्ञात हो जाता है कि लड़की का कौमार्य भंग हो चुका है. यदि ऐसा हुआ और पति ने मुझे अपमानित कर के छोड़ दिया तो क्या होगा? इस से तो अच्छा यही होगा कि मैं शादी ही न करूं? पर घर वालों से क्या कहूं कि मैं शादी क्यों नहीं करना चाहती? बड़ी उलझन में हूं. बताएं क्या करूं?

जवाब

अतीत में आप के साथ जो हुआ उसे भूल जाएं. कौमार्य या शील भंग जैसे शब्द आज बेमानी हो गए हैं. आप जब तक अपने मुंह से नहीं कहेंगी आप के भावी पति नहीं जान पाएंगे कि आप का किसी से संबंध बन चुका है. सुनीसुनाई बातों पर ध्यान न दें और भविष्य की सुखद कल्पना करें. सब अच्छा होगा. जरूरी है विवाह के बाद पतिपत्नी का एकदूसरे पर विश्वास हो. रिश्तों को ईमानदारी से निभाएंगे तो कोई समस्या नहीं होगी.

इस उम्र में बढ़ती जाती है सेक्स की इच्छा

60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग यौन संबंध बनाने को लेकर ज्यादा इच्छुक रहते हैं. हालिया शोध में यह बात सामने आई है. अध्ययन के प्रमुख लेखक डॉ. क्रिस्टीन मिलरोड द्वारा किए गए शोध के मुताबिक, 60 की उम्र लांघने के बाद बुजुर्ग यौन संबंध बनाते वक्त अनिवार्य सुरक्षा लेना भी जरूरी नहीं समझते.

पैसे देकर यौन संबंध बनाने वाले 60 से 84 वर्ष के बुजुर्गो में यह देखने को मिला है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, उनकी यौन संबंध बनाने की इच्छा भी बढ़ती जाती है. वे बार-बार यौन संबंध बनाने के लिए पैसे खर्च करते हैं. वे ज्यादा से ज्यादा बार अपने पेड-पार्टनर के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने के इच्छुक रहते हैं.

मिलरोड के मुताबिक, लोगों के बीच यह आम धारणा है कि बुजुर्गो में यौन संबंध बनाने के प्रति रुचि कम हो जाती है और वे रुपये खर्च कर संबंध बनाने के लिए साथी की तलाश नहीं करते हैं. परन्तु यह सही नहीं है. युवाओं के मुकाबले बुजुर्ग अपने पेड पार्टनर के साथ संबंध बनाते वक्त कम से कम एहतियात बरतने का प्रयास करते हैं.

डॉक्टर क्रिस्टीन मिलरोड व पोर्टलैंड विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर मार्टिन मोंटो ने 60 से 84 वर्ष की उम्र के बीच के उन 208 बुजुर्गो पर यह सर्वेक्षण किया, जो पैसे देकर यौन सबंध बनाते हैं. अध्ययन के दौरान पाया गया कि 59.2 प्रतिशत बुजुर्ग ऐसे हैं, जो हमेशा सबंध बनाते वक्त कंडोम का इस्तेमाल करना जरूरी नहीं समझते. करीब 95 प्रतिशत बुजुर्ग हस्तमैथुन करते वक्त सुरक्षा नहीं बरतते. जबकि 91 प्रतिशत मुखमैथुन के दौरान सुरक्षा लेना जरूरी नहीं समझते.

31.1 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि जीवन काल के दौरान वे यौन संक्रमण का शिकार हुए, जबकि 29.2 प्रतिशत लोगों ने बताया कि वे अपनी पसंदीदा पेड पार्टनर के साथ बार-बार संबंध बनाते हैं.

मिलरोड और मोंटो ने यह सलाह दी कि स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े लोग बुजुर्गो में संक्रमण संबंधित बीमारी का इलाज करते वक्त उनके पार्टनर के बारे में जरूर पूछें और उनसे सुरक्षित यौन संबंध बनाने के तरीकों के बारे में बताएं. चिकित्सकीय एवं मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों को यह कभी भी मान कर नहीं चलना चाहिए कि व्यक्ति बुजुर्ग है, तो वह पेड-संबंध नहीं बनाएगा.

मेरा बेटा जो भी याद करता है उसे कुछ ही देर में भूल जाता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरा बेटा 10 साल का है और 5वीं क्लास में पढ़ताहै. दिक्कत यह है कि वह जो भी याद करता है, उसे कुछ ही देर में भूल जाता है. इस समस्या का क्या हल हो सकता है?

जवाब

बच्चे कई बार होमवर्क करना भूल जाते हैं और यह पूरी तरह सामान्य है. इसी तरह वे क्लासरूप में दिन में बैठेबैठे सपनों की दुनिया में खो सकते हैं या खाने की मेज पर बेचैन हो सकते हैं. लेकिन साथ ही, एकाग्रता में कमी, आवेश से भरा होना और हाइपरएक्टिविटी जैसे लक्षण बच्चों में अटैंशन डैफिसिट डिसऔर्डर की निशानी भी हो सकते हैं. एकाग्रता में कमी और आनाकानी करना इस बात का लक्षण हो सकता है कि बच्चे को एकाग्र होने में परेशानी है. उस का ध्यान जरा-जरा सी बात पर बंट जाता है या वह काम पूरा होने से पहले ही उस से बोर हो जाता है.

बच्चे को पढ़ने के लिए सही माहौल व जगह दें. आप को अपने भुलक्कड़ बच्चे को शोरशराबा या टैलीविजन से दूर रखना होगा. वह जगह आरामदायक होनी चाहिए ताकि बच्चा बेचैन न हो. किसी मनोवैज्ञानिक से भी सलाह ले सकते हैं.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

 

खुशहाल सेक्स लाइफ यानी खुशियों का खजाना

सफल सेक्स जीवन सचमुच खुशियों का खजाना है. यह बात सिर्फ मनोविद ही नहीं कहते बल्कि शरीर विज्ञानी भी इस सच्चाई की तस्दीक करते हैं. सेक्स हमारे लिए फायदेमंद क्यों हैै यह जानना किसी रहस्य को उद्घाटित करना नहीं है बल्कि सहज और खुशियों से भरी जिंदगी को जीना है.

सेक्स एक अद्भुत अनुभूति है, जो न सिर्फ हमें मानसिक रूप से मजबूत बनाती है, बल्कि कई रोगों से भी हमारा बचाव करती है. यदि लोग इस तथ्य को समझ जाएं तो समाज की बहुत-सी समस्याएं हल हो सकती हैं साथ ही लोगों में एक सकारात्मक ऊर्जा संचरित हो उसका इस्तेमाल रचनात्मक कार्यों में किया जा सकता है.

सेक्स पति-पत्नी के रिश्ते की प्रगाढ़ता का आईना है. यदि सेक्स-जीवन अच्छा है तो जाहिर है पूरा दांपत्य-जीवन भी सुखी होगा और जब दांपत्य-जीवन सुखमय होगा तो उसका सकारात्मक प्रभाव जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ेगा. क्योंकि सेक्स एक बहुत बड़ा -स्ट्रेस रिलीवर’ है. शरीर में तनाव पैदा करने वाले जो हार्मोंस होते हैं, सेक्स के जरिए उनका स्तर काफी हद तक कम हो जाता है और व्यक्ति तनावमुक्त हो जाता है. इसके अलावा तनाव से होनेवाली बीमारियों से भी वह बचा रहता है. जैसे सोरायसिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप आदि.

सेक्स एक बेहतरीन व्यायाम भी है. खासतौर से हृदय के लिए यह एक अच्छा व्यायाम साबित होता है. शोधों से यह साबित हो चुका है कि जिन लोगों के सेक्स-संबंध अच्छे व सामान्य होते हैं, उनमें हार्ट-अटैक की संभावना बहुत कम हो जाती है क्योंकि सेक्स की क्रिया कार्डियो पल्मोनरी एक्सरसाइज के समान ही होती है जिससे रक्त संचारण अच्छा होता है तथा धमनियों में कोलेस्ट्राॅल भी नहीं जमता. सेक्स को जितना शारीरिक फायदा है उतना ही मानिसक फायदा भी है.

सेक्स साथी की नज़दीकी से अकेलेपन की भावना दूर होती है और मन प्रफुल्लित रहता है. सेक्स के दौरान या उससे पहले जो ‘फोर प्ले’ होता है, वह रक्तसंचार में वृद्धि कर वही लाभ देता है जो मालिश से मिलता है. अधिकतर पुरुष बिना फोर प्ले के ही अपनी पत्नी से संबंध बना लेते हैं जिससे उनकी पत्नियों को काफी तकलीफ होती है, क्योंकि पुरुष सेक्स के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं, जबकि स्त्रियां प्यार भरी बातें व स्पर्श को महसूस करकें इस क्रिया के लिए तैयार होती हैं. पर पुरुष इसे समझे बिना यही सोचते हैं कि वे जैसा महसूस करते हैं, उनकी पत्नियां भी वही उत्तेजना महसूस करती होंगी.

इन सबके अलावा जिन लोगों का सेक्स जीवन अच्छा होता है, वे स्वभाव से शांत व खुशमिज़ाज रहते हैं, क्योंकि सेक्स जीवन का असर जीवन के हर क्षेत्र पर पड़ता है. जिसका सेक्स जीवन अच्छा नहीं होता, वे आगे चलकर चिड़चिड़े हो जाते हैं.

फायदों की फेहरिस्त

– अच्छे सेक्स के बाद अच्छी नींद आती है और अच्छी नींद के अपने अनंत फायदे होते हैं.

– उच्च रक्तचाप वालों के लिए भी अच्छा व नियमित सेक्स बहुत फायदेमंद होता है.

– स्वस्थ व सामान्य सेक्स संबंध व्यक्ति के स्वाभिमान तथा आत्मविश्वास को बढ़ाता है. यह आत्मविश्वास जीवन के अन्य क्षेत्रों में बहुत लाभ पहुंचाता है.

– सेक्स ‘माइग्रेन’ की एक बहुत ही अच्छी दवा है. अक्सर शादी से पहले लड़कियां माइग्रेन से पीड़ित होती हैं, इसकी प्रमुख वजह होती है काम-वासना का दमन. इसके अलावा काम-भावना के दमन से और भी कई शारीरिक व मानसिक समस्याएं पैदा हो जाती हैं. जैसे हिस्टीरिया, स्प्लिट पर्सनैलिटी. यदि शादी के बाद सेक्स जीवन अच्छा हो तो इन समस्याओें से दूर-दूर तक वास्ता नहीं पड़ता.

– लड़कियों को मासिक के दौरान पेडू में जो दर्द होता है, वह शादी के बाद सेक्स से दूर हो सकता है, क्योंकि पुरुषों के वीर्य में  ‘प्रोस्टा ग्लैंडिन’ होता है जो एक दर्दनिवारक हार्मोन होता है.

– जो लोग नियमित रूप से सप्ताह में दो बार सेक्स करते हैं, उनके शरीर में इक्यूलोब्यूलिन की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो सर्दी से शरीर की सुरक्षा करता है.

– अच्छे सेक्स से फर्टिलिटी भी बढ़ जाती है. यदि आप बच्चा चाहते हैं, तो सेक्स के दौरान पोजीशन बदलते रहें. सेक्स जितना अधिक आनंददायक होता है, पुरुष के शुक्राणु उतने ही फर्टाइल होते हैं.

– सेक्स एक बेहतरीन पेनकिलर होता है. शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो और उसी समय आप अच्छे सेक्स का आनंद उठा लें, तो आपका दर्द गायब हो जाएगा.

उदासी, सेक्स का मजा भी किरकिरा कर देती है

वसीम बरेलवी का एक शेर है-हमारे घर का पता पूछने से क्या हासिल / उदासियों की कोई शहरियत नहीं होती. मतलब यह कि उदास होंगे तो कुछ भी अच्छा नहीं लगेगा. उदासी एक ऐसी नकारात्मकता है जो हर चीज को अपने रंग में रंग लेती है . यहां तक कि सेक्स जैसी सनसनाती चाहत भी उदासी के मनोभाव में न सिर्फ फीकी बल्कि जोशहीन हो जाती है. क्योंकि उदासी होती ही इतनी नकारात्मक भावना है . इसलिए उदास हों तो सेक्स करने से बचें क्योंकि उदासी सेक्स का मजा तो किरकिरा कर ही देगी,भविष्य के लिए भी इसके प्रति अरुचि की गांठ बना सकती है.

लेकिन कई बार दांपत्य जीवन में विशेषकर महिलाओं का व्यवहार उदासीनता बढ़ाने वाला होता है. कई स्त्रियां यौनक्रिया आरंभ होने से पूर्व या इसके दौरान भी प्यार का माहौल बनाने  की जगह शिकवे-शिकायतें शुरू कर देती हैं या दूसरी निरर्थक घरेलू बातें ले बैठती हैं.स्त्री का ऐसा व्यवहार पुरुष में सहवास के प्रति उदासीनता भर देती है. उसकी यौनेच्छा कमजोर हो जाती है. पुरुष की भावनाएं पूरी तरह ऊफान पर नहीं आ पातीं. जिस वेग से उसे सहवास करना चाहिए, वह कर नहीं पाता है. ऐसा भी प्रायः देखा गया है कि शिश्न में उत्थान तक नहीं आता या कमजोर होता है. ऐसी स्थितियां बार-बार आने पर पुरुष को सहवास से उदासीनता होने लगती है. संसर्ग से उसका मन उचाट हो जाता है. ऐसी बात नहीं कि स्त्री को ऐसी अवस्था नहीं भुगतनी पड़ती. उपर्युक्त हालात बनने से उसे भी पुरुष से शारीरिक संबंध बनाने में खुशी की बजाय परेशानी होने लगती है. सहवास में उसे भी रुचि नहीं रह जाती. यही अरुचि उसे उदासीनता की अवस्था में ला पटकती है.

स्त्री चाहती है कि उसके शरीर रूपी पुस्तक में, जिसमें अनेकानेक अध्याय हैं, उनके महज पन्ने पलटकर न छोड़ दिये जाएं. वह रोज बदले हुए पुरुष (कहने का मतलब हर बार नये तरीके से) के साथ संबंध बनाने की कामनाओं को अपने मन में समेटे होती है. पुरुष के कई रूपों को देखने की उसे इच्छा होती है. यह तभी संभव हो सकता है, जब उसका पति या प्रेमी हर बार नये तरीके से सहवास करे. अगर आप छोटी-छोटी बातों पर उदास हो जाते हैं तो यह जीवन के प्रति नैराश्य की भावना है और आपके सेक्स व्यवहार के लिए बेहद हानिकारक. उदासी और उत्तेजना एक-दूसरे के जन्मजात शत्रु हैं. उदास रहने वाला व्यक्ति कभी भी बिस्तर पर बहुत सफल नहीं हो पाता . अतः उदासी ओढ़े रखना कतई अच्छा नहीं है.

तनावों को शयनकक्ष से दूर रखें

चूँकि आज तनाव के कारण हैं मसलन- आर्थिक विषमताएं बढ़ गई हैं. हर कोई अपने में फोकस है. जीवन में जबरदस्त प्रतिस्पर्धा है. सवाल है क्या इस तनावों के बीच उदासी से बचा जा सकता है ? क्या इस सबके बीच लरजता हुआ सेक्स करना संभव है. जवाब है नहीं . सेक्स की तो छोड़िये लगातार तनाव में रहने के चलते कई तरह की बीमारियों से भी ग्रस्त हो सकते हैं. मसलन ब्लड प्रेशर का बढ़ना, हृदय रोग, पागलपन तथा कई मानसिक बीमारियां भी निरंतर तनाव में रहने के चलते हो जाती हैं. ऐसे में यह तनाव सहवास के लिए बिल्कुल प्रतिकूल है. यहां तक कि तनाव से ग्रस्त व्यक्ति हस्तमैथुन करके भी पूरी तरह से चैन नहीं पता.

इसीलिए विशेषज्ञ कहते हैं कि तनाव में हों तो सेक्स कभी न करें. क्योंकि तनाव के कारण सहवास को सफलतापूर्वक संपन्न करना संभव नहीं है. ऐसी अवस्था में यौन क्रिया करने से कई गलतफहमियां हो जाएंगी, जो बाद में मानसिक यौन रोग में परिवर्तित हो सकती हैं. इस तथ्य को जान लेना अति आवश्यक है कि अगर मस्तिष्क तनावों से भरा रहेगा तो सेक्स की भावनाएं ही नहीं आयेंगी. इसका मतलब है कि व्यक्ति सेक्स के लिए भावनात्मक रूप से तैयार ही नहीं होगा. ऐसा व्यक्ति पूरी क्षमता से सहवास को सम्पन्न नहीं कर सकता. अगर सहवास क्रिया से शारीरिक और मानसिक संतुष्टि नहीं होती तो इसके अनेक दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं. शरीर में थकान का बना रहना भी इसका एक दुष्परिणाम है. इससे स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ सकता है. काम में दिल का न लगना मानसिक तनाव का ही कारण है.

तनावमुक्त सहवास को ही एक किस्म की संभोग समाधि कहते हैं. समाधि का अर्थ होता है-सांसारिक तनावों से मुक्त होकर क्रिया करना. यौन की क्रिया को भी तनावों से मुक्त रहकर करना सुखद माना गया है. तनावमुक्त सहवास से व्यक्ति स्वच्छ तथा ताजा हो जाता है. नींद अच्छी से आती है. मस्तिष्क पूर्ण रूप से क्रियाशील बना रहता है. जिस तरह मंदिर के भीतर प्रवेश करने से पूर्व जूते उतारकर पांव साफ किए जाते हैं और फिर भीतर जाया जाता है, ठीक इसी प्रकार रात को शयनकक्ष में पत्नी के पास जाने से पूर्व मानसिक तनावों की गर्द को हटा देना चाहिए. निश्चय ही इससे मनवांछित सुख की प्राप्ति होगी. ऐसा न करने की स्थिति में निश्चित रूप से सहवास में पुरुष को ही विफलता नहीं मिलेगी बल्कि स्त्री को भी संतुष्टि प्राप्त नहीं हो पायेगी.

क्या है जेंडर इक्वैलिटी और ज्यादा सेक्स का संबंध

औस्टेलियाई महिलाओं के औसतन 11 सेक्स पार्टनर्स होते हैं और अमेरिकी महिलाओं के 4. भारतीय महिलाओं का एक ही सेक्स पार्टनर होता है. ये आंकड़े फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी के रौय बौमीस्टर के अध्ययन को सही साबित करते हैं. उनका अध्ययन, सेक्शुअल इकोनौमिक्स : ए रिसर्च बेस्ड थ्योरी औफ सेक्शुअल इंटरैक्शन और व्हाय दि मैन बायज डिनर, कहता है कि ऐसे देश, जहां लैंगिक समानता (जेंडर इक्वैलिटी) का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाओं के एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं.

वे जनरल औफ सोशल साइकोलौजी सर्वेइंग में प्रकाशित उस रिसर्च की ओर ध्यान दिलाते हैं, जिसमें 37 देशों के 3 लाख लोगों पर सर्वे करने के बाद पाया गया था कि जिन देशों में लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं कैशुअल सेक्स में ज्यादा लिप्त थीं. हमने जानने की कोशिश की कि भारतीय महिलाओं के संदर्भ में इसका क्या औचित्य है?

सेक्स, आपूर्ति व मांग से अछूता नहीं है

इस असमानता के पीछे कई सांस्कृतिक और आर्थिक कारण हैं. रौय की थ्योरी कहती है कि (औसतन) महिलाओं की तुलना में पुरुषों में सेक्स की चाहत ज्यादा होती है और रिश्तों में सेक्स तभी संभव है, जब महिला यह चाहे. यहां भी आपूर्ति और मांग का नियम लागू होता है. जिस लिंग का अभाव होता है, उसके पास शक्ति होती है. ‘‘यदि महिलाओं के पास खुद पैसे कमाने के ज्यादा अवसर नहीं हैं तो वे सेक्स को बहुत मूल्यवान बनाए रखना चाहेंगी, क्योंकि सेक्स ही वह मुख्य चीज है, जो वे किसी पुरुष को दे सकती हैं,’’ रौय कहते हैं.

पुरुषों के लिए महिलाओं की सेक्शुएलिटी की बहुत अहमियत होती है; एक पुरुष जिसे किसी महिला से सेक्स की जरूरत है, उसे इसके बदले में उस महिला को कोई मूल्यवान चीज देनी होगी, जैसे-विवाह का प्रस्ताव. ‘‘ऐसे देश, जहां महिलाओं की दशा अच्छी नहीं है, महिलाएं सेक्स पर अंकुश रखती हैं, ताकि इसका मूल्य ऊंचा रहे और पुरुष सेक्स पाने के लिए ताउम्र प्रतिबद्घता का वचन दें,’’ रौय कहते हैं. ‘‘और पुरुष सेक्स के लिए कुछ भी कर सकते हैं.’’

साइकोलौजिस्ट की राय में

साइकोलौजिस्ट डा. छवि खन्ना रौय के निष्कर्षों से पूरी तरह सहमत हैं. ‘‘अध्ययन बताते हैं कि जहां लैंगिक समानता का स्तर ऊंचा है, वहां महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ती हैं और वहां के सामाजिक नियम भी सेक्शुअल गतिविधियों को प्रतिबंधित नहीं करते. ऐसे समाज में महिलाएं कैशुअल सेक्स में लिप्त भी रहती हैं और उन्हें सेक्स संबंधों का पहला अनुभव भी अपेक्षाकृत कम उम्र में हो जाता है,’’ यह बताते हुए वे कहती हैं, ‘‘लैंगिक समानता से महिलाओं को अपनी सेक्शुएलिटी को अपनी इच्छा के अनुसार व्यक्त करने का अवसर मिलता है.’’

आम लोगों की राय में

इन्वेस्टमेंट बैंकर, प्रिया नायर, 28, कहती हैं कि मेरी परवरिश ऐसे परिवार में हुई है, जहां महिलाओं को बिल्कुल बराबरी के अधिकार मिलते हैं. उन्हें हमेशा से पता था कि उनकी इच्छाओं को उतना ही महत्व मिलेगा, जितना किसी पुरुष की इच्छा को मिलता. ‘‘इस अध्ययन के बारे में जानकर मुझे लगता है कि, क्योंकि मैं आत्मनिर्भर और बुद्घिमान हूं इसलिए मेरे पास पुरुष को देने के लिए सेक्स के अलावा भी बहुत कुछ है,’’ वे कहती हैं. ‘‘इसका ये भी मतलब है कि मैं इतनी आत्मविश्वासी और खुले विचारों की हूं कि किसी पुरुष को ये बता सकती हूं कि मैं क्या चाहती हूं.’’

वहीं मीडिया कंसल्टेंट, पुरंजय मेहता, 26, का मानना है कि भारत के संदर्भ में ये अध्ययन केवल शहरों के लिए सही है. ‘‘जब महिलाएं आत्मविश्वास के साथ अपनी सेक्शुएलिटी का अन्वेषण करती हैं, तब उनके ज्यादा सेक्शुअल पार्टनर्स बनते हैं. ऐसा छोटे कस्बों की युवतियों के साथ नहीं होता, क्योंकि उन्हें अब भी पारंपरिक, लैंगिक असमानता वाले मूल्यों के साथ परवरिश मिलती है.’’

वहीं साइकोलौजिस्ट डा. सोनाली गुप्ता रोहित की बातों से सहमत हैं. ‘‘यह सच है कि शहरों में लैंगिक समानता ज्यादा होती है और महिलाएं जो पाना चाहती हैं, खुलकर उसे पाने का प्रयास करती हैं,’’ वे कहती हैं. ‘‘मैं उनके एक से अधिक सेक्शुअल पार्टनर्स होने के बारे में तो नहीं कह सकती, पर ये जरूर कह सकती हूं कि ऐसी महिलाओं के साथ सेक्स एक आनंददायक प्रक्रिया होती है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि उन्हें क्या चाहिए.’’

उम्र के साथ ऐसे बदलता है सेक्स बिहेवियर

शादीशुदा जिंदगी में दूरियां बढ़ाने में सेक्स का भी अहम रोल होता है. अगर परिवार कोर्ट में आए विवादों की जड़ में जाएं तो पता चलता है कि ज्यादातर झगड़ों की शुरुआत इसी को ले कर होती है. बच्चों के बड़े होने पर पतिपत्नी को एकांत नहीं मिल पाता. ऐसे में धीरेधीरे पतिपत्नी में मनमुटाव रहने लगता है, जो कई बार बड़े झगड़े का रूप भी ले लेता है. इस से तलाक की नौबत भी आ जाती है. विवाहेतर संबंध भी कई बार इसी वजह से बनते हैं.

मनोचिकित्सक डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘उम्र के हिसाब से पति और पत्नी के सेक्स का गणित अलगअलग होता है. यही अंतर कई बार उन में दूरियां बढ़ाने का काम करता है. पतिपत्नी के सेक्स संबंधों में तालमेल को समझने के लिए इस गणित को समझना जरूरी होता है. इसी वजह से पतिपत्नी में सेक्स की इच्छा कम अथवा ज्यादा होती है. पत्नियां इसे न समझ कर यह मान लेती हैं कि उन के पति का कहीं चक्कर चल रहा है. यही सोच उन के वैवाहिक जीवन में जहर घोलने का काम करती है. अगर उम्र को 10-10 साल के गु्रपटाइम में बांध कर देखा जाए तो यह बात आसानी से समझ आ सकती है.’’

शादी के पहले

आजकल शादी की औसत उम्र लड़कियों के लिए 25 से 35 के बीच हो गई है. दूसरी ओर खानपान और बदलते परिवेश में लड़केलड़कियों को 15 साल की उम्र में ही सेक्स का ज्ञान होने लगता है. 15 से 30 साल की आयुवर्ग की लड़कियों में नियमित पीरियड्स होने लगते हैं, जिस से उन में हारमोनल बदलाव होने लगते हैं. ऐसे में उन के अंदर सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. वे इस इच्छा को पूरी तरह से दबाने का प्रयास करती हैं. उन पर सामाजिक और घरेलू दबाव तो होता ही है, कैरियर और शादी के लिए सही लड़के की तलाश भी मन पर हावी रहती है. ऐसे में सेक्स कहीं दब सा जाता है.

इसी आयुवर्ग के लड़कों में सेक्स के लिए जोश भरा होता है. कुछ नया करने की इच्छा मन पर हावी रहती है. उन की सेहत अच्छी होती है. वे हर तरह से फिट होते हैं. ऐसे में शादी, रिलेशनशिप का खयाल उन में नई ऊर्जा भर देता है. वे सेक्स के लिए तैयार रहते हैं, जबकि लड़कियां इस उम्र में अपनी इच्छाओं को दबाने में लगी रहती हैं.

30 के पार बदल जाते हैं हालात

महिलाओं की स्थिति: 30 के बाद शादी हो जाने के बाद महिलाओं में शादीशुदा रिलेशनशिप बन जाने से सेक्स को ले कर कोई परेशानी नहीं होती है. वे और्गेज्म हासिल करने के लिए पूरी तरह तैयार होती हैं. महिलाएं कैरियर बनाने के दबाव में नहीं होती. घरपरिवार में भी ज्यादा जिम्मेदारी नहीं होती. ऐसे में सेक्स की उन की इच्छा पूरी तरह से बलवती रहती है. बच्चों के होने से शरीर में तमाम तरह के बदलाव आते हैं, जिन के चलते महिलाओं को अपने अंदर के सेक्सभाव को समझने में आसानी होती है. वे बेफिक्र अंदाज में संबंधों का स्वागत करने को तैयार रहती हैं.

पुरुषों की स्थिति: उम्र के इसी दौर में पति तमाम तरह की परेशानियों से जूझ रहा होता है. शादी के बाद बच्चों और परिवार पर होने वाला खर्च, कैरियर में ग्रोथ आदि मन पर हावी होने लगता है, जिस के चलते वह खुद को थका सा महसूस करने लगते हैं. यही वह दौर होता है जिस में ज्यादातर पति नशा करने लगते हैं. ऐसे में सेक्स की इच्छा कम हो जाती है.

महिला रोग विशेषज्ञा, डाक्टर सुनीता चंद्रा कहती हैं, ‘‘हमारे पास बांझपन को दूर करने के लिए जितनी भी महिलाएं आती हैं उन में से आधी महिलाओं में बांझपन का कारण उन के पतियों में शुक्राणुओं की सही क्वालिटी का न होना होता है. इस का बड़ा कारण पति का मानसिक तनाव और काम का बोझ होता है. इस के कारण वे पत्नी के साथ सही तरह से सेक्स संबंध स्थापित नहीं कर पाते.’’

नौटी 40 एट

40 के बाद की आयुसीमा एक बार फिर शारीरिक बदलाव की चौखट पर खड़ी होती है. महिलाओं में इस उम्र में हारमोन लैवल कम होना शुरू हो जाता है. उन में सेक्स की इच्छा दोबारा जाग्रत होने लगती है. कई महिलाएं अपने को बच्चों की जिम्मेदारियों से मुक्त पाती हैं, जिस की वजह से सेक्स की इच्छा बढ़ने लगती है. मगर यह बदलाव उन्हीं औरतों में दिखता है जो पूरी तरह से स्वस्थ रहती हैं. जो महिलाएं किसी बीमारी का शिकार या बेडौल होती हैं, वे सेक्स संबंधों से बचने का प्रयास करती हैं.

40 प्लस का यह समय पुरुषों के लिए भी नए बदलाव लाता है. उन का कैरियर सैटल हो चुका होता है. वे इस समय को अपने अनुरूप महसूस करने लगते हैं. जो पुरुष सेहतमंद होते हैं, बीमारियों से दूर होते हैं वे पहले से ज्यादा टाइम और ऐनर्जी फील करने लगते हैं. उन के लिए सेक्स में नयापन लाने के विचार तेजी से बढ़ने लगते हैं.

50 के बाद महिलाओं में पीरियड्स का बोझ खत्म हो जाता है. वे सेक्स के प्रति अच्छा फील करने लगती हैं. इस के बाद भी उन के मन में तमाम तरह के सवाल आ जाते हैं. बच्चों के बड़े होने का सवाल मन पर हावी रहता है. हारमोनल चेंज के कारण बौडी फिट नहीं रहती. घुटने की बीमारियां होने लगती हैं. इन परेशानियों के बीच सेक्स की इच्छा दब जाती है.

इस उम्र के पुरुषों में भी ब्लडप्रैशर, डायबिटीज, कोलैस्ट्रौल जैसी बीमारियां और इन को दूर करने में प्रयोग होने वाली दवाएं सेक्स की इच्छा को दबा देती हैं. बौडी का यह सेक्स गणित ही पतिपत्नी के बीच सेक्स संबंधों में दूरी का सब से बड़ा कारण होता है.

डाक्टर मधु पाठक कहती हैं, ‘‘ऐसे में जरूरत इस बात की होती है कि सेक्स के इस गणित को मन पर हावी न होने दें ताकि सेक्स जीवन को सही तरह से चलाया जा सके.’’

रिलेशनशिप में सेक्स का अपना अलग महत्त्व होता है. हमारे समाज में सेक्स पर बात करने को बुरा माना जाता है, जिस के चलते वैवाहिक जीवन में तमाम तरह की परेशानियां आने लगती हैं. इन का दवाओं में इलाज तलाश करने के बजाय अगर बातचीत कर के हल निकाला जाए तो समस्या आसानी से दूर हो सकती है. लड़कालड़की सही मानो में विवाह के बाद ही सेक्स लाइफ का आनंद ले पाते हैं. जरूरत इस बात की होती है कि दोनों एक मानसिक लैवल पर चीजों को देखें और एकदूसरे को सहयोग करें. इस से आपसी दूरियां कम करने और वैवाहिक जीवन को सुचारु रूप से चलाने में मदद मिलती है.

समझें प्रेमी के इशारे ताकि न मिले धोखा

भले ही आप एक नया रिश्ता शुरू कर रही हैं या फिर पहले से ही किसी रिश्ते में हैं और अपने प्रेमी को बहुत प्यार करती हैं, उस पर भरोसा करती हैं तो उसी भरोसे, प्यार और विश्वास की अपेक्षा आप उस से भी अवश्य करती होंगी. जब दो लोग एकदूसरे को पूरी ईमानदारी से चाहें तो जिंदगी बहुत खुशनुमा हो जाती है, लेकिन अगर दोनों में से एक भी स्वार्थपूर्ति और धोखा देने की राह पर चल निकलता है तो दूसरे साथी को समझने में देर नहीं करनी चाहिए.

अगर आप को भी पिछले कुछ दिनों से अपने साथी पर शक हो रहा है तो इन इशारों को समझें और सही निर्णय लें :

इग्नोर करना

कालेज में नजर पड़ने पर भी जब वह आप को इग्नोर करे और खाली पीरियड में आप के साथ टाइम स्पैंड करने के बजाय अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक में व्यस्त रहने लगे. आप के बारबार पास आने पर चिपकू कहे, तो समझ लीजिए अब बात आप की सैल्फ रिस्पैक्ट पर आ गई है. अब आप उस के पीछे भागना छोड़ दें और साथी के इग्नोरैंस को समझने की कोशिश करें तथा उस से थोड़ी दूरी बना लें, तब खुद ब खुद यह पता चल जाएगा कि आप का रिश्ता कितना मजबूत है.

डेट पर इंतजार करवाना

डेट फिक्स होने पर जो पहले आप का घंटों इंतजार करता था, आज आप के एक मिनट भी लेट होने पर झल्लाना शुरू कर दे. सिर्फ यही नहीं बल्कि जब पूरी सिचुएशन ही बदलने लगे और वह आप का नहीं बल्कि आप उस का इंतजार करने लगें तो समझ जाएं कि मामला गड़बड़ है.

झूठ बोलना

सच्चा प्यार विश्वास की नींव पर टिका होता है और वहां झूठ का कोई स्थान नहीं होता, लेकिन अगर आप का प्रेमी आप से छोटीछोटी बातों में झूठ बोलता है, तो समझ लीजिए कि वह आप के और अपने रिश्ते के बारे में भी झूठ बोल रहा है. इस बारे में उस से खुल कर बात करें ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके.

फोन करना कम कर देना

जहां पहले प्रेमी आप को दिन में कई बार कौल करता था और मना करने पर भी उसे आप की चिंता या आप से बात करने का मन होता था, वह अब कौल ही नहीं करता या बहुत कम करता है और बिजी होने का बहाना बनाता है. अगर आप कौल करती हैं तो घंटों उस का फोन बिजी रहता है, तो समझ लीजिए कि दाल में कुछ काला है.

डिमांड पूरी न करना

अब यह डिमांड फिजिकली भी हो सकती है और जनरल किसी बात को ले कर भी जैसे कि मूवी दिखाना, कोई नई ड्रैस दिलाना, किसी रैस्टोरैंट में खाना खिलाना आदि. पहले मुंह से बात निकलते ही बौयफ्रैंड उसे पूरा करने की कोशिश करता था, लेकिन अब चिढ़ कर वह साफ इनकार कर देता है.

पैसे की तरफ भागना

अगर प्रेमी पैसे को प्यार से ज्यादा अहमियत देने लगे और बातबात पर पैसे की बात करे, यहां तक कि अमीर युवतियों पर लाइन मारने लगे तो समझ लीजिए कि आप का नाता ज्यादा दिन टिकने वाला नहीं है.

मिलने से कतराना

पहले आप से रोज मिलने की जिद करने वाला पार्टनर जब खुद से मिलने की बात करने से भी कतराने लगे और आप के कहने पर भी मिलने की इच्छा न जताए तो यह समझें कि उसे अब आप में इंट्रस्ट नहीं है.

किसी और युवती के साथ घूमना

अगर आप ने अपने बौयफ्रैंड को कई बार किसी और युवती के साथ घूमते देखा है, तो उसे हलके में न लें. भले ही वह लाख दलीलें दे कि वह सिर्फ उस की अच्छी दोस्त है और उस से किसी काम से मिला था, लेकिन आप उस पर पूरी तरह से विश्वास न करें, बल्कि उस पर नजर रखें. अगर शक सही निकले तो समय रहते बौयफ्रैंड के धोखे और उस की हरकतों से आप को सचेत होना होगा.

फोन हिस्टरी डिलीट होना

अगर प्रेमी के कौल रिकौर्ड, मैसेज रिकौर्ड आदि बिलकुल क्लीन रहते हैं और वह आप को अपना फोन देने से भी हिचकिचाने लगा है, तो समझ लें कुछ गड़बड़ जरूर है.

खर्च करने से बचें

पहले आप पर हजारों रुपए लुटा देने वाला प्रेमी अब हर बार छुट्टे न होने के बहाने बना कर बिल आप से भरवाए, आप पर खर्च करना भी बंद कर दे. तो समझ लें कि वह आप को अपनी लाइफ का इतना अहम हिस्सा नहीं समझता.

तारीफ करना बंद कर दे

क्या वह पहले हमेशा आप की तारीफ किया करता था और अब अचानक उस ने आप की तारीफ करना बंद कर दिया, बल्कि अब उसे आप के हर काम में नुक्स नजर आने लगा है? वह आप की किसी भी बात की तारीफ न करता हो, तो समझ लीजिए कि उस ने ये बातें किसी और के लिए बचा कर रख ली हैं.

शादी के बारे में बात करने से बचे

जब भी आप प्रेमी से अपनी और उस की शादी के बारे में बात करें तो उस का टालमटोल करना और नाराज होना यह दर्शाता है कि वह आप को सीरियसली नहीं ले रहा है.

धोखे की आशंका हो तो…

जैसे ही आप को पता चले कि आप का प्रेमी आप को धोखा दे रहा है या फिर चीटिंग कर रहा है तो उसे छोड़ने में ज्यादा वक्त न लगाएं. वह आप को छोड़े इस से पहले ही आप उसे छोड़ दें ताकि आप की सैल्फ  रिस्पैक्ट बनी रहे.

– ऐसा करने से पहले अपने लव लैटर्स, कार्ड्स और जरूरी सामान उस से वापस ले लें.

– प्रेमी का साथ छूटने पर डिप्रैशन में जाने के बजाय इस बात की खुशी मनाएं कि चलो, अच्छा है ऐसे गलत युवक से आप का पीछा जल्दी ही छूट गया.

– अब अपना मन पढ़ाई में लगाएं और उसे भूलने की कोशिश करें. इस से अच्छे युवक आप को मिल जाएंगे.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें