मेरी पत्नी के सेक्स संबंध उसी के औफिस में एक सहकर्मी के साथ हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय और 5 साल की एक बेटी का पिता हूं. शादी के कुछ सालों तक हमारी वैवाहिक जिंदगी आराम से चली. इधर 1-2 साल से पत्नी कुछ बदलीबदली सी लगती है. सेक्स संबंध बनाए महीनों हो जाते हैं. मेरी इच्छा होती भी है तो पत्नी बहाना बना जाती है. उस के बदले व्यवहार को देखते हुए मैं ने पड़ताल की, तो पता चला कि पत्नी के संबंध उसी के औफिस में एक सहकर्मी से हैं. मैं ने पत्नी को रास्ते पर लाने की पूरी कोशिश की पर असफल रहा. अब मैं चाहता हूं कि इस रिश्ते को खत्म कर दूं और पत्नी से तलाक ले लूं. कृपया सलाह दें?

जवाब-

वैवाहिक जीवन में पति अथवा पत्नी द्वारा सेक्स के प्रति उदासीनता, सेक्स संबंध बनाने से इनकार करना तलाक का आधार बनता है. आप ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की पर पत्नी नहीं मानी, इसलिए आप चाहें तो तलाक ले सकते हैं पर यह आप की निजी राय हो सकती है.

जो भी निर्णय करें सोचसमझ कर करें, क्योंकि आप की 5 साल की बेटी भी आप दोनों की जिम्मेदारी है. उस पर तलाक का बुरा असर पड़ सकता है. तलाक आसान नहीं और आप को अधर में टांग सकता है. जिस हक की चाह आप को है, संभव है मिले ही नहीं.

पहली बार सेक्स करते वक्त ध्यान में रखें ये 10 बातें

सेक्स के बारे में बात करने से चाहे आप कितना भी कतराएं, यकीन मानिए इसमें डूब जाने जितना मज़ा किसी और में नहीं. फिर चाहे आप बौयफ्रेंड के साथ अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती हों या फिर शादी के बाद की पहली रात हो, यह एहसास बहुत खास होता है. लेकिन पहली बार की घबराहट भी उतनी ही होती है, जितना की उत्साह.

दोस्तों के बीच टौयलेट जोक्स और लूज टौक करने में आप अव्वल हैं. फिल्म हो या टीवी, बेड सीन्स देखने में बड़ा मजा आता है. मगर जब खुदकी बारी आई तो टांय टांय फिस्स. आप तो कागज की शेर निकलीं. इतना घबराएंगी तो जीत कैसे हासिल होगी. सेक्स है कोई रौकेट सांइस नहीं. आइए जानते हैं कि वो कौन सी 10 बातें हैं, जिनका ध्यान पहली बार सेक्स करते समय जरूर रखना चाहिए.

मन से तैयार हों तभी बढ़ें आगे

पहला मिलन हमेशा रहता है याद यह जुमला बहुतों से सुना होगा और इससे जुड़ी कई कहानियां भी. कहानियों पर न जाएं. व्यावहारिक होकर सोचें कि क्या वाकई पहली बार सेक्स करना इतना रोमांचित करने वाला होता है! बेशक हो सकता है बशर्ते, पूरी तैयारी के साथ यह कदम उठाया जाए. जब कान्फिडेंट होंगी तभी इसका आनंद ले पाएंगी. क्या मैं इसके लिए तैयार हूं? यह सवाल उतना ही अहम है, जितना आपका सांस लेना. बौयफ्रेंड हो या पति, सोच समझकर, कम्फर्टेबल होने पर ही आगे बढ़ें.

महकी महकी हों आप

चर्चित सेक्सोलौजिस्ट डा. प्रकाश कोठारी की सलाह है, “साथ तभी महकेगा जब आप खुशबू से सराबोर होंगे. कोई अच्छी फ्रेगरैंस लगाएं, क्योंकि सुगंध का आपके मन मस्तिष्क पर बहुत असर पड़ता है. किसी को परफ्यूम पसंद आता है, तो किसी को शरीर की गंध उत्तेजित करती है.” खूशबू आप दोनों को एक दूसरे की ओर आकर्षित करने के साथ साथ एक दूसरे के सामने सहज भी बनाएगी.

जोश पर तनाव हावी न होने दें

क्या पहली बार में दर्द होगा? डा. कोठारी के मुताबिक़, यह एक मिथक है. पहली बार की उत्सुकता और घबराहट इतनी ज्यादा होती है कि हल्की सी छुअन भी हमारे पूरे शरीर में सिहरन पैदा कर देती है. क्या होगा, क्या नहीं, इस घबराहट में हमारे नर्व्स भी तनाव में आ जाते हैं. दूसरा हम अपने प्राइवेट पार्ट्स को भी कसकर बंद कर लेते हैं, क्योंकि हम सहज नहीं होते. इसलिए प्रवेश करने में काफी दिक्कत होती है. और हम मान बैठते हैं कि पहली बार में दर्द होता है. आप जितनी ज्यादा सहज और तनाव मुक्त रहेंगी, उतना ज्यादा बेहतर होगा आपका अनुभव.

आर्गैज्म की राह न ताकें

हो सकता है पहली बार में आपको आर्गैज्म न मिले, तो घबराएं नहीं. क्योंकि शुरुआत में हमें पता ही नहीं होता, कि किस तरह से हमें आर्गैज्म मिलेगा. अलग अलग पोजिशन्स ट्राई करें. कई शोध तो यह भी कहते हैं कि लड़कियों को इंटरकोर्स से पूरा सुख या आर्गैज्म मिलता ही नहीं है. इसकी परवाह न करें, केवल उस पल का आनंद उठाएं.

ड्रेसिंग का भी रखें ख्याल

कपड़ों की भी अहम भूमिका होती है. इसलिए अपने पार्टनर की पसंद का या आकर्षक ड्रेसिंग ज़रूर करें. खुद को मेंटेन रखें, ताकि आप कान्फिडेंट महसूस कर सकें. यह बात लड़कों पर भी लागू होती है. दाढ़ी मूंछ ट्रिम करना न भूलें. किस करते समय सोचिए आपकी पार्टनर का क्या हाल होगा? सेक्सी कपड़े पहनने का मतलब यह नहीं कि कुछ ऐसा पहन लें, जिसमें आप सहज ही न हों. ज्यादा मेकअप करने से भी बचें.

बातचीत है सेक्स की पहली सीढ़ी

जी हां, बातचीत. इसे सेक्स का चार अक्षरों का पर्यायवाची कहा जाता है. यानी बातचीत से ही सेक्स की शुरुआत होती है. इसे संभोग यूं ही नहीं कहा जाता. संभोग यानी सम भोग. जहां दोनों मिलकर इसका बराबर आनंद उठाते हैं. जहां कोई एक्स्पर्ट या नौसिखिया नहीं है. पहली बार सेक्स कर रहे हैं, इसलिए घबराहट थोड़ी होगी. बात करें, धीरे धीरे हिचक कम होगी. बातों बातों में एक दूसरे का हाथ पकड़ लें. धीरे धीरे फोरप्ले की ओर बढ़ें.

हो सकता है शुरुआत करने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन सेक्स कोई अछूता विषय नहीं है. यह आपकी जिंदगी का एक अभिन्न हिस्सा है, यह बात भूले नहीं. हो सके तो एक दो दिन पहले से ही सेक्स के बारे में बातें करना शुरू कर दें. सेक्स के दौरान अपने पार्टनर को बताएं कि शरीर के किस हिस्से में आप सबसे ज्यादा उत्तेजना महसूस करती हैं और उनसे भी यही सवाल करें.

फोरप्ले है अहम

यह समझ लें, जो मज़ा सफ़र में है, वो मंजिल में नहीं. जल्दबाजी की तो आप चोटिल भी हो सकती हैं, इसलिए अपने प्राइवेट पार्ट में नैचुरल लूब्रिकेशन आने दें. और यह तभी संभव है जब आप और आपका पार्टनर फोरप्ले को खुलकर एन्जौय कर पाएंगे. फोरप्ले जितना लंबा चलेगा आप उतना कम्फर्टेबल महसूस करते जाएंगे. दरअस्ल, स्पर्श से हमारे मस्तिष्क में औक्सिटोसिन नामक हार्मोन रिलीज़ होता है. इसे रिलीज़ होने दें और फोरप्ले से सेक्स की शुरुआत करें.

कंडोम पहनना न भूलें

एक दूसरे में खोने का अर्थ यह नहीं कि आप लापरवाही करें. माना कि पहली बार करने की हड़बड़ाहट में यह ग़लती सबसे आम है. लेकिन यह गलती जोखिम भरी है. महिलाओं के लिए विशेष कंडोम बनाए गए हैं. मेडिकल स्टोर्स में यह उपलब्ध हैं. पहले से ही प्रैक्टिस करें, ताकि उस दिन आपका मजा किरकिरा न हो. यदि आपकी बजाय आपका पार्टनर प्रोटेक्शन इस्तेमाल करनेवाले हैं, तो उन्हें याद दिलाना न भूलें.

बाहरी लूब्रिकेशन से गुरेज न करें

पहली बार में घबराहट की वजह से कई बार लूब्रिकेशन ठीक तरह से नहीं निकलता. इसलिए आप कृत्रिम लूब्रिकेशन्स का विकल्प चुन सकती हैं. पेट्रोलियम जेली से लेकर नारियल तेल तक ऐसे कई सुरक्षित विकल्प हैं, जो आपके घर में आसानी से उपलब्ध होंगे. इसके अलावा बाजार में भी कई तरह के लूब्रिकेंट्स हैं, जिन्हें आप खरीद सकती हैं.

सेफ्टी का रखें ध्यान

सुरक्षा बहुत जरूरी है. ऐसी जगह ढूंढ़ें, जो पूरी तरह सेफ हो. यदि शादी से पहले सेक्स के बारे में सोच रही हैं तो किसी होटल या दोस्त के घर न जाएं. पार्टनर या आपका घर सबसे सुरक्षित जगह है. यदि आप जगह को लेकर असहज रहेंगी, तो आपका पूरा ध्यान सेक्स पर नहीं होगा. डर आपको सफल भी नहीं होने देगा. बेडरूम में कैंडल्स हों तो कहना ही क्या. फूलों से घर को महकाएं, ताकि सहजता बढ़े.

पहली बार इन पोजिशन्स को आज़माएं

मिशनरीः यह सबसे बुनियादी और आसानी से की जा सकने वाली पोजिशन है.

साइड बाय साइड पोजिशनः इस पोजिशन में पुरुष को आसानी से प्रवेश करने का मौका मिलेगा और आप भी कम्फर्टेबल रहेंगी.

गर्ल औन टौपः यदि आप सहज हों, तो इस पोजिशन को भी चुन सकती हैं. यह पोजिशन आपके पार्टनर को जल्दी उत्तेजित महसूस कराएगी और नियंत्रण भी आपके हाथों में होगा.

आखिर क्या है आपकी प्रेमिका की सेक्सुअल चाहते, जानें यहां

प्रेमी प्रेमिका के संबंध सिर्फ सेक्स तक ही सीमित नहीं होने चाहिए. सेक्स के अलावा भी दुनिया में बहुतकुछ ऐंजौय करने को है. संबंधों में प्रगाढ़ता और केयरिंग होना भी जरूरी है. प्रेमिका द्वारा नई ड्रेस पहन कर आने पर उस की प्रशंसा करना, उसे सराहते हुए उस के हाथों को चूम लेना, बात करने के तरीके को सराहना आदि बातें मन को गहराई तक छू जाने वाली हैं. रिश्तों में मजबूती के लिए ये बातें बेहद जरूरी हैं. प्रेमिका को जताएं कि आप उसे सिर्फ सेक्स के लिए ही नहीं चाहते बल्कि सेक्स से भी अहम है आप का उस के प्रति प्रेम और लगाव.

आज प्रेम के मापदंड तेजी से बदल रहे हैं. युवावस्था में विपरीतलिंग के प्रति आकर्षण युवकयुवती को एकदूसरे के प्रति प्रेम के बंधन में बांधता है और फिर बातें, मुलाकातें और एकदूसरे के प्रति समर्पित होने तक का रिश्ता बनता है. प्रेमसंबंधों के चलते युवकयुवतियां एकांत मिलते ही संबंध बनाने से भी गुरेज नहीं करते. प्रेमी जहां सेक्स के लिए जल्दी तैयार हो जाते हैं और सेक्स करने को तत्पर रहते हैं वहीं प्रेमिका का रुझान सिर्फ दैहिक सुख तक नहीं रहता बल्कि उन पलों के रोमांच को समेट लेने का भी करता है.

ऐसे में जहां प्रेमी सिर्फ संबंध बना कर अपने प्यार के इजहार की इतिश्री समझ लेते हैं वहीं प्रेमिका दिलोजान से एकदूसरे को चाहने, मीठी बातें, छेड़छाड़ और सेक्स के बाद भी प्रेमी की बांहों में खुद को महफूज समझने जैसी भावनाओं को प्यार की अभिव्यक्ति समझती है. साथ ही यह भी चाहती है कि उस का प्रेमी उस की सैक्सुअली इच्छाओं को खुद ब खुद समझे व जाने.

ऐसा ही कुछ रूपम के साथ हुआ. कालेज में साथ पढ़ते रूपम को रोहन से कब प्यार हो गया पता ही न चला. मिलनेमिलाने का सिलसिला चला तो वे एकांत भी तलाशने लगे. ऐसे में जब भी रोहन एकांत पाता तो बस रूपम को बांहों में जकड़ लेता और सेक्स को उन्मुख होता. ऐसे में उन के बीच सेक्स संबंध भी बन गए पर रूपम इस से संतुष्ट न थी. उसे अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति कैसे करनी है, अच्छी तरह पता था, लेकिन रोहन से बेइंतहा प्यार के बावजूद उन की सेक्स लाइफ में जरा भी रोमांच न था. इस बारे में वह रोहन से बात भी न कर पाती. दरअसल, वह समझ नहीं पा रही थी कि रोहन से किस तरह बात करे कि उसे बुरा न लगे.

रूपम की तरह ज्यादातर युवतियां चाहती हैं कि उन की कुछ सैक्सुअल चाहतें उन के प्रेमियों को खुद समझनी चाहिए. नौर्थवैस्टर्न यूनिवर्सिटी इलिनौयस की सेक्सुअलिटी प्रोग्राम की थेरैपिस्ट पामेला श्रौफ कहती हैं कि ज्यादातर प्रेमी अपनी प्रेमिका की सेक्सुअल चाहतों और प्राथमिकताओं को नहीं समझते. पामेला ने इस विषय पर प्रेमिकाओं के मन की बात जानी तो उन्हें कुछ ऐसी सेक्स प्राथमिकताएं पता चलीं जिन्हें प्रेमिका अपने प्रेमी से कहना तो चाहती थी, पर कह नहीं पाई.

मजेदार सेक्स नहीं रोमांटिक अंदाज चाहिए

युवतियों को आनंददायक सेक्स के लिए सिर्फ इंटरकोर्स की नहीं बल्कि अपने प्रेमी के साथ बिताए हर क्षण में अच्छी फीलिंग और अनुभव की जरूरत होती है. प्रेमिका को यह बात कतई अच्छी नहीं लगती कि प्रेमी जब भी उन से मिले सिर्फ पढ़ाई, कैरियर के बारे में बात करे या फिर एकांत मिलते ही उसे दबोच ले.

इस से प्रेमिका के मन में ऐसी भावना आती है कि वह एक भोग की वस्तु है. ऐसे में वह अपने प्रेमी को बेहद स्वार्थी और खुद को भोग की वस्तु समझने लगती है. हर प्रेमिका चाहती है कि उस का प्रेमी उसे केवल सेक्स के लिए ही नहीं बल्कि मन से भी उतना ही प्यार करे, उस पर ध्यान दे, उस के साथ अपनी बातें शेयर करे, प्रेमपूर्वक बातें करे, उस की भावनाओं को जाननेसमझने की कोशिश करे.

कुछ समाजशास्त्रियों का कहना है कि युवतियां अपनी जिंदगी के हर पहलू को एकदूसरे से जोड़ कर देखती हैं, जबकि युवक समझते हैं कि स्ट्रैस और झगड़े को सेक्स के वक्त एकतरफ रख देना चाहिए. इन चीजों या अन्य समस्याओं को सेक्स से नहीं जोड़ना चाहिए.

सच यह है कि सेक्स का असली मजा अफैक्शन के कारण ही आता है. मानसिक रूप से अपनापन, प्यार और नजदीकियां होती हैं तभी सेक्स संबंध सही माने में उत्तेजनापूर्ण होते हैं.

जब कोई प्रेमी अपनी प्रेमिका को समयसमय पर छोटेमोटे उपहार देता है, उसे कौफी हाउस ले जाना, लंचडिनर करवाना और सिनेमा दिखाना आदि ऐसी बातें हैं जो दर्शाती हैं कि प्रेमी अपनी प्रेमिका को महत्त्व देता है और अपनी जिंदगी का अहम हिस्सा मानता है. ऐसे में सेक्स का मजा भी कई गुणा बढ़ जाता है.

प्रेमिका में भी पूर्ण समर्पण की चाह

कई अध्ययनों से स्पष्ट हुआ है कि सिर्फ 60 फीसदी प्रेमिकाएं ही ऐसी हैं जिन्होंने जितनी बार अपने प्रेमी से संभोग किया, उस से कम से कम आधी बार ही चरम आनंद का अनुभव किया. लेकिन उन्हें प्रेमी की खुशी के लिए सेक्स के दौरान चरम आनंद का दिखावा करना पड़ा. ऐसे में कई बार तो उन के मन में अपराधबोध आ जाता है कि कहीं उन्हीं में तो कोई कमी नहीं.

दरअसल, युवतियों में भी अपने अंगों की बनावट, आकार और साफसफाई को ले कर तुलनात्मक हीनता की भावना होती है, इसीलिए वे अंधेरे में ही निर्वस्त्र होना चाहती हैं. ऐसे में वे अपने प्रेमी से अपने अंगों और सौंदर्य की प्रशंसा की अपेक्षा रखती हैं. कई प्रेमी अपनी प्रेमिका को मोटी, काली जैसे संबोधनों से नवाजते हैं. ऐसे में प्रेमिका का तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है. ऐसी प्रेमिकाएं अपने प्रेमी के साथ सेक्स संबंध बनाने से भी कतराती हैं. जाहिर है, उन का यौन जीवन नीरस और आनंदविहीन हो जाता है.

झूठी प्रशंसा की जरूरत नहीं

समझदार प्रेमी वही है जो अपनी प्रेमिका की त्वचा की कोमलता, आंखों की खूबसूरती, होंठों, लंबे घने बालों, उस की मांसल टांगों, वक्ष, नितंब आदि की खूबसूरती व सेक्सुअली अट्रैक्शन की प्रशंसा कर प्रेमिका का आत्मविश्वास बढ़ाए और हंसीठिठोली करे ताकि प्रेमिका पूर्ण समर्पण व सहयोग करे.

सेक्स के बाद भी चाहिए अटैंशन

कई बार प्रेमी प्रेमिका के साथ एकांत पाते ही अंतरंग क्षणों का जम कर आनंद उठाते हैं और फिर चरम पर पहुंच कर स्खलित होते ही मुंह फेर कर प्रेमिका को घरहोस्टल छोड़ने या फिर जाने को कहते हैं, मानो उन्हें अब प्रेमिका से कोई मतलब ही नहीं. उन्हें मतलब तो उस से सिर्फ सेक्स की दरकार थी.

ऐसे में प्रेमिका खुद को बेहद अकेली, उपेक्षित और यूज ऐंड थ्रो वाली वस्तु समझती है. उसे लगता है कि बस सेक्स प्रेमी का अंतिम उद्देश्य था. प्रेमिका चाहती है कि सेक्स और स्खलन के बाद भी प्रेमी उसे चूमे, उस के अंगों को सहलाए ऐसा करतेकरते प्रेमिका को बांहों में भरते हुए उसे वापसी के लिए कहे या छोड़ कर आए. इस से प्रेमिका को आत्मसंतोष महसूस होता है.

चाहिए नौन सेक्सुअल टच

युवतियों को यह बात बिलकुल अच्छी नहीं लगती कि मिलने पर उन का प्रेमी उन्हें एक बार भी छुए या चूमे नहीं और बस एकांत पा कर फोरप्ले के लिए ही बढ़े बल्कि प्रेमिका चाहती है कि जब प्रेमी उस से मिले तो उसे छुए, चूमे लेकिन यह टच नौन सेक्सुअल हो. वह छेड़छाड़ या हंसीमजाक के लिए या अपनापन जताने के लिए छुए. कभी उस के बालों को सहलाए, उस की पीठ पर हाथ फेरे, उस के गालों को चूमे, थपथपाए, होंठों को चूमे.

अत: रिश्ते में मजबूती के लिए ये बातें बेहद जरूरी हैं. प्रेमिका को जताएं कि आप उसे सिर्फ सेक्स के लिए नहीं चाहते बल्कि सेक्स से भी अहम है आप का उस के प्रति प्रेम व लगाव.

उत्तेजना के लिए रोमांटिक बातें जरूरी

एकांत पाते ही प्रेमिका को जकड़ लेना और उत्तेजित हुए बिना ही सेक्स करना प्रेमिका को बिलकुल नहीं भाता. इस के विपरीत वह अपने प्रेमी से एकांत के समय मीठी छेड़छाड़, रोमांटिक बातें और गुदगुदाने वाले सैक्सी किस्से सुनना पसंद करती है जो उसे भीतर तक भनभना दें. इस से उस का मूड बनता है.

इसी प्रकार सेक्स के दौरान प्रेमिका की प्रशंसा, उस के साथ प्यार का इजहार और उस का नाम ले कर आहें भरना, गरम सांसें लेना प्रेमिका को उत्तेजना से भर देता है. सेक्स थेरैपिस्ट लिन एटवाटर का कहना है, ‘‘युवतियों को शारीरिक संबंधों से ज्यादा दिलचस्पी मानसिक उत्तेजना और मानसिक संबंधों में नजर आती है.’’

यूनिवर्सिटी औफ कैलिफोर्निया मैडिकल स्कूल की साइकोलौजिस्ट लोनी बारबच कहती हैं, ‘‘अकसर पढ़ाई और अगर जौब है तो औफिस वर्क के दबाव के बीच किसी युवती को सब से ज्यादा जरूरत सहानुभूति और प्रेमपूर्ण बातों की ही होती है. उसे शरीर सहलाने से जितना मजा मिलता है उस से कई गुणा ज्यादा मजा उस का मन सहलाने से मिलता है. हर प्रेमिका चाहती है कि उस का प्रेमी उस के साथ रोमांटिक बातें करें.

जानें क्या करें जब सेक्स लगने लगे बोरिंग

विवाह के कुछ वर्ष बाद न सिर्फ जीवन में बल्कि सेक्स लाइफ में भी एकरसता आ जाती है. कई बार कुछ दंपती इस की तरफ से उदासीन भी हो जाते हैं और इस में कुछ नया न होने के कारण यह रूटीन जैसा भी हो जाता है. रिसर्च कहती है कि दांपत्य जीवन को खुशहाल व तरोताजा बनाए रखने में सेक्स का महत्त्वपूर्ण योगदान है. लेकिन यदि यही बोरिंग हो जाए तो क्या किया जाए?

पसंद का परफ्यूम लगाएं

अकसर महिलाएं सेक्स के लिए तैयार होने में पुरुषों से ज्यादा समय लेती हैं और कई बार इस वजह से पति को पूरा सहयोग भी नहीं दे पातीं, इसलिए यदि आज आप का मूड अच्छा है तो आप वक्त मिलने का या बच्चों के सो जाने का इंतजार न करें. अपने पति के आफिस से घर लौटने से पहले ही या सुबह आफिस जाते समय कानों के पीछे या गले के पास उन की पसंद का कोलोन, परफ्यूम लगाएं, वही खुशबू, जो वे रोज लगाते हैं. किन्से इंस्टिट्यूट फौर रिसर्च इन सेक्स, जेंडर एंड रिप्रोडक्शन के रिसर्चरों का कहना है कि पुरुषों के परफ्यूम की महक महिलाओं की उत्तेजना बढ़ाती है और सेक्स के लिए उन का मूड बनाती है.

साइक्लिंग करें

अमेरिकन हार्ट फाउंडेशन द्वारा जारी एक अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि नियमित साइक्लिंग जैसे व्यायाम करने वाले पुरुषों का हृदय बेहतर तरीके से काम करता है और हृदय व यौनांगों की धमनियों व शिराओं में रक्त के बढ़े हुए प्रवाह के कारण वे बेडरूम में अच्छे प्रेमी साबित होते हैं. महिलाओं पर भी साइक्लिंग का यही प्रभाव पड़ता है. तो क्यों न सप्ताह में 1 बार आप साइक्लिंग का प्रोग्राम बनाएं.

हालांकि साइक्लिंग को सेक्स विज्ञानी हमेशा से शक के दायरे में रखते हैं, क्योंकि ज्यादा साइक्लिंग करने से साइकिल की सीट पर पड़ने वाले दबाव के कारण नपुंसकता हो सकती है. लेकिन कभीकभी साइक्लिंग करने वाले लोगों को ऐसी कोई समस्या नहीं होती.

स्वस्थ रहें

वर्जिनिया की प्रसिद्ध सेक्स काउंसलर एनेट ओंस का कहना है कि कोई भी शारीरिक क्रिया, जिस के द्वारा आप के शरीर के रक्तप्रवाह की मात्रा कम होती है, सेक्स से जुड़ी उत्तेजना को कम करती है. सिगरेट या शराब पीना, अधिक वसायुक्त भोजन लेना, कोई शारीरिक श्रम न करना शरीर के रक्तप्रवाह में गतिरोध उत्पन्न कर के सेक्स की उत्तेजना को कम करता है. एक स्वस्थ दिनचर्या ही आप की सेक्स प्रक्रिया को बेहतर बना सकती है.

दवाइयां

वे दवाइयां, जिन्हें हम स्वस्थ रहने के लिए खाते हैं, हमारी सेक्स लाइफ का स्विच औफ कर सकती हैं. इन में से सब से ज्यादा बदनाम ब्लडप्रेशर के लिए ली जाने वाली दवाइयां और एंटीडिप्रेसेंट्स हैं. इन के अलावा गर्भनिरोधक गोलियां और कई गैरहानिकारक दवाइयां भी सेक्स की दुश्मन हैं, इसलिए कोई नई दवा लेने के कारण यदि आप को सेक्स के प्रति रुचि में कोई कमी महसूस हो रही हो तो अपने डाक्टर से बात करें.

सोने से पहले ब्रश

बेशक आप अपने साथी से बेइंतहा प्रेम करती हों, लेकिन अपने शरीर की साफसफाई का ध्यान अवश्य रखें. ओरल हाइजीन का तो सेक्स क्रीडा में महत्त्वपूर्ण स्थान है. यदि आप के मुंह से दुर्गंध आती हो तो आप का साथी आप से दूर भागेगा, इसलिए रात को सोने से पहले किसी अच्छे फ्लेवर वाले टूथपेस्ट से ब्रश जरूर करें.

स्पर्श की चाहत को जगाएं

आमतौर पर लोगों को गलतफहमी होती है कि अच्छी सेक्स क्रीडा के लिए पहले से मूड होना या उत्तेजित होना आवश्यक है, लेकिन यह सत्य नहीं है. एकसाथ समय बिताएं, बीते समय को याद करें, एकदूसरे को बांहों में भरें. कभीकभी घर वालों व बच्चों की नजर बचा कर एकदूसरे का स्पर्श करें, फुट मसाज करें. ऐसी छोटीछोटी चुहलबाजी भी आप का मूड फ्रेश करेगी और फोरप्ले का काम भी.

थ्रिलर मूवी देखें

वैज्ञानिकों का मानना है कि डर और रोमांस जैसी अनुभूतियां मस्तिष्क के एक ही हिस्से से उत्पन्न होती हैं, इसलिए कभीकभी कोई डरावनी या रोमांचक मूवी एकसाथ देख कर आप स्वयं को सेक्स के लिए तैयार कर सकती हैं.

फ्लर्ट करें

वैज्ञानिकों का मानना है कि फ्लर्टिंग से महिलाओं के शरीर में आक्सीटोसिन नामक हारमोन का स्राव होता है, जो रोमांटिक अनुभूतियां उत्पन्न करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए दोस्तों व सहेलियों के बीच सेक्सी जोक्स का आदानप्रदान करें, कभीकभी किसी हैंडसम कुलीग, दोस्त के साथ फ्लर्ट भी कर लें. अपने पति के साथ भी फ्लर्टिंग का कोई मौका न छोड़ें. आप स्वयं सेक्स के प्रति अपनी बदली रुचि को देख कर हैरान हो जाएंगी.

जवान रहने के लिए उम्रभर करें सैक्स

कुछ दिनों से आलोक कुछ बदलेबदले से नजर आ रहे हैं. वे पहले से ज्यादा खुश रहने लगे हैं. आजकल उन की ताजगी देख कर जवान भी दंग रह जाते हैं. असल में उन के घर में एक नन्ही सी खुशी आई है. वे पिता बन गए हैं. 52 साल की उम्र में एक बार फिर पिता बनने का एहसास उन को हर पल रोमांचित किए रखता है.

इस खुशी को चार चांद लगाती हैं आलोक की 38 साल की पत्नी सुदर्शना. सुदर्शना की हालांकि यह पहली संतान है लेकिन आलोक की तीसरी है.

दरअसल, आलोक की पहली पत्नी को गुजरे 5 साल बीत चुके हैं. उन के बच्चे जवान हो चुके हैं और अपनीअपनी गृहस्थी बखूबी संभाल रहे हैं. कुछ साल पहले की बात होती तो इन हालात में आलोक के दिल और दिमाग में बच्चों के सही से सैटलमैंट के आगे कोई बात नहीं आती. इस उम्र में अपनी खुशी के लिए फिर से शादी की ख्वाहिश भले ही उन के दिल में होती, लेकिन समाज के दबाव के चलते इस खुशी को वे अमलीजामा न पहना पाते. अब जमाना बदल चुका है. लोग अपनी सेहत के प्रति सजग हो गए हैं, एंप्टी नैस्ट सिंड्रोम से बाहर निकल रहे हैं और अपनी खुशियों को ले कर भी वे ज्यादा मुखर हैं. अब लोग 70 साल तक सेहतमंद और ताजगी से भरपूर रहते हैं.

जब आलोक ने देखा कि उन के बच्चों का उन के प्रति दिनप्रतिदिन बरताव बिगड़ता जा रहा है. अपने कैरियर व भावी जिंदगी को बेहतर बनाने की आपाधापी में बच्चों के पास उन की खुशियों को जानने व महसूस करने की फुरसत नहीं है तो आलोक ने न केवल उन से अलग रहने का फैसला लिया, बल्कि एक बार फिर से अपनी जिंदगी को ढर्रे पर लाने का मन बनाया.

एक दिन इंटरनैट के जरिए आलोक की मुलाकात सुदर्शना से हुई जो उन्हीं की तरह अच्छी जौब में थीं. पैसे के नजरिए से सैटल थी, लेकिन कैरियर के चक्कर में सही उम्र में शादी न हो सकी थी. वे 37 साल की हो चुकी थीं. उन्होंने एक खूबसूरत नौजवान का जो ख्वाब देखा था, उसे अब भूल चुकी थीं. उन्हें अब एक प्रैक्टिकल दोस्त चाहिए था.

सुदर्शना को आलोक में जीवनसाथी के सभी गुण नजर आए. दोनों ने झटपट कानूनी तरीके से शादी कर ली.

कोकशास्त्र में कहा गया है कि मर्दों की सैक्स क्षमता पूरी तरह से उन के अपने हाथों में होती है. दरअसल, जवानी में जो अपनी सेहत पर ध्यान देते हैं उन के लिए अधेड़ावस्था जैसी कोई चीज ही नहीं होती. सच बात तो यह है कि इस जमाने में अधेड़ उम्र के माने वे नहीं रहे जो आधी सदी पहले तक हुआ करते थे. औरतें जरूर अभी तक रजोनिवृत्ति के चलते कुदरत के सामने अपने मातृत्व को लंबे समय तक कायम रखने को ले कर मजबूर हैं लेकिन स्त्रीत्व का आकर्षण उन में भी उम्र का मुहताज नहीं रहा.

सैक्स का सुख लें

आज मर्द चाहे 50 का हो या 55 का या फिर 60 साल का, सेहतमंद रहने की सजगता ने उसे इस उम्र में भी फिट बनाए रखा है, हालांकि इस में उसे कुदरत का भी साथ मिला है. असल में उम्र ढलने के साथसाथ उस के परफौर्मैंस में कुछ गिरावट तो आती है, लेकिन उस की यह क्षमता बिलकुल खत्म नहीं होती.

यहां कनफ्यूज न हों, पहले भी यह सब सहजता से होता रहा है. मगर इस तरह की क्षमताएं आमतौर पर राजाओं, महाराजाओं और अमीरउमरावों तक ही सीमित होती थीं क्योंकि वही आमतौर पर सेहतमंद होते थे और सेहत के प्रति सजग होते थे. आम आदमी के लिए पहले न तो इतनी सहजता से सेहतमंद रहने के साधन उपलब्ध थे, न ही इस का ज्ञान था, इसलिए उन में बुढ़ापा जल्दी आ जाता था.

वैसे लंबे समय तक सैक्स में सक्षम और सक्रिय बने रहने का एक आसान उपाय है हस्तमैथुन. हस्तमैथुन एक ऐसी प्रक्रिया है जिस में किसी दूसरे की जरूरत नहीं होती. शरीर विज्ञान की सीख कहती है कि शरीर के जिस अंग को आप सक्रिय बनाए रखेंगे उस की उम्र उतनी ही लंबी होगी और वह उतनी ही देर तक सक्षम रहेगा. वास्तव में यह बात सैक्स के मामले में भी सही है. असल में जो इंसान जितना ज्यादा सैक्स करता है वह उतनी ही देर तक सैक्स कर सकता है.

मशहूर विशेषज्ञ डा. जौनसन का भी कहना था और आज के सैक्सोलौजिस्ट भी इस बात को मानते हैं कि लंबे समय तक सैक्स क्षमता बरकरार रखने के लिए युवावस्था में सैक्स सक्रियता जरूरी है. अगर यह सक्रियता रहती है तो 50 साल की उम्र के बाद भी मर्द को नामर्द होने का डर नहीं रहता. यही नहीं, वह 70 साल तक पिता बनने का सुख भी हासिल कर सकता है.

सैक्सोलौजिस्ट हस्तमैथुन को विशेष महत्त्व देते हैं. असल में जो मर्द अपने अंग को जितना सक्रिय रखता है, उस की उतनी ही सैक्स की चाहत बढ़ती है क्योंकि इस प्रक्रिया में अंग की अच्छीखासी ऐक्सरसाइज होती है.

कई बार पति इसलिए भी अपनी पत्नियों को संतुष्ट नहीं कर पाते क्योंकि वे सैक्स के मामले में लगातार सक्रिय नहीं रहते. इस से उन के अंग की ऐक्सरसाइज भी नहीं हो पाती और ऐन मौके पर शर्मिंदगी उठानी पड़ती है. कहने का मतलब यह है कि इस मामले में निष्क्रियता सैक्स सुख से वंचित कर देती है.

सैक्सोलौजिस्टों की मानें तो हस्तमैथुन सैक्स क्षमता बनाए रखने का एक कारगर तरीका है. यह न सिर्फ पुरुषों को सेहतमंद रखता है बल्कि अच्छीखासी प्रैक्टिस भी कराता है. इतना ही नहीं, उम्र ढलने के साथ सैक्स की चाहत को बढ़ाने में मदद करता है.

खानपान व जीवनशैली सुधारें

इन तमाम बातों के साथसाथ यह भी ध्यान देने योग्य है कि अपने खानपान व मोटापे को भी नजरअंदाज न करें. सैक्स जीवन पर सब से ज्यादा बुरा असर मोटापा ही डालता है. मोटापे का अलावा वजन विटामिन बी-1 के लिए जिगर और थायराइड से होड़ करता है और इन दोनों ही अंगों को खराब कर देता है, जबकि सैक्स क्षमता के लिए दोनों ही अंग महत्त्वपूर्ण हैं. मोटा इंसान पतले इंसान की तुलना में सैक्स की कम इच्छा करता है. जब वह इच्छा करेगा भी, न तो वह पार्टनर को संतुष्ट कर पाता है और न खुद ही संतुष्ट हो पाता है.

इस में दोराय नहीं है कि सैक्स सब के जीवन का अभिन्न हिस्सा है. ऐसे में न सिर्फ खानपान, जीवनशैली आदि का खयाल रखना होता है बल्कि कुछ सावधानियां भी बरतनी पड़ती हैं, खासकर उन लोगों के लिए जो नशीले पदार्थों के आदी होते हैं.

लब्बोलुआब यह है कि भविष्य को आनंदमय बनाना है तो युवावस्था से ही इस का ध्यान रखना होगा. इतना ही नहीं, अपने भावनात्मक रिश्तों को भी मजबूत बनाने की जरूरत है. आज के दौर में बच्चे अपने कैरियर के लिए घर से दूर चले जाते हैं. ऐसे में मातापिता घर में अकेले रह जाते हैं. ऐसे पतिपत्नी के लिए सैक्स जीवन को ऊर्जावान बनाए रखता है. कहने की बात नहीं है कि सैक्स शारीरिक क्रिया के अलावा मानसिक संतुष्टि भी है. इसलिए चैन और सुकून से जीने के लिए अपने लाइफस्टाइल को बदल डालें और 60 वर्ष की उम्र के बाद भी गुनगुनाएं, ‘अभी तो मैं जवान हूं…’

आपके लिए फायदेमंद होगी स्पर्म से जुड़ी ये जानकारी

वीर्य या स्पर्म आदमी के अंडकोष और अंग के मार्ग में मौजूद प्रोस्टै्रट, सैमाइनल वैसिकल और यूरेथल ग्रंथियों से निकले रसों से बनता है. वीर्य में तकरीबन 60 फीसदी सैमाइनल वैसिकल, 30 फीसदी प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रिसाव और केवल 10 फीसदी अंडकोष में बने शुक्राणु यानी स्पर्म होते हैं, जो वीर्य में तैरते रहते हैं. शुक्राणु की मदद से ही बच्चे पैदा होते हैं.

अंडकोष यानी शुक्राशय आदमी के शरीर के बाहर लटके होते हैं, क्योंकि शुक्राणु बनने के लिए शरीर से कुछ कम तापमान की जरूरत होती है. अगर किसी वजह से अंडकोष अंदर ही रह जाते हैं, तो ये खराब हो जाते हैं. शुक्राशय के 2 काम हैं, शुक्राणु बनाना और पुरुषत्व हार्मोन टैस्ट्रोस्ट्रान बनाना.

टैस्ट्रोस्ट्रान कैमिकल ही आदमी में क्रोमोसोम के साथ लिंग तय करता है. इसी के चलते बड़े होने पर लड़कों में बदलाव होते हैं, जैसे अंग के आकार में बढ़ोतरी, दाढ़ीमूंछें निकलना, आवाज में बदलाव, मांसपेशियों का ताकतवर होना वगैरह.

किशोर उम्र तक शुक्राशय शुक्राणु नहीं बनाते. ये 11 से 13 साल के बीच शुरू होते हैं और तकरीबन 17-18 साल तक पूरी तेजी से बनते हैं.

अंडकोष से निकल कर शुक्राणु इस के ऊपरी हिस्से में इकट्ठा हो कर पकते हैं. यहां पर ये तकरीबन एक महीने तक सक्रिय रहते हैं. शुक्राणु बनने की पूरी प्रक्रिया में 72 दिन का समय लगता है.

किशोर उम्र में बनना शुरू हो कर शुक्राणु जिंदगीभर बनते रहते हैं. हां, अधेड़ उम्र में इस के बनने की रफ्तार धीमी हो जाती है. शुक्राणु के बनने में दिमाग में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि, एफएसएच हार्मोन व टैस्टीज से निकले टैस्ट्रोस्ट्रान हार्मोन का हाथ होता है. इन हार्मोनों की कमी होने पर शुक्राणु बनना बंद हो जाते हैं.

वीर्य में मौजूद शुक्राणु 2 तरह के होते हैं, 3 3 या 3 4. अगर औरत के अंडे का मिलन 3 3 से होता है, तो लड़की और अगर 3 4 से होता है, तो लड़का पैदा होता है.

मां के पेट में बच्चे का लिंग आदमी के शुक्राणुओं द्वारा तय होता है. इस में औरत का कोई बस नहीं होता है. वीर्य में सब से ज्यादा रस सैमाइनल वैसिकल ग्रंथि से निकले पानी से होता है. इस में फ्रक्टोज शुक्राणुओं का पोषक तत्त्व होता है. इस के अलावा रस में साइट्रिक एसिड, प्रोस्ट्राग्लैंडिन और फाइब्रोजन तत्त्व भी पाए जाते हैं.

प्रोस्ट्रैट ग्रंथि का रस दूधिया रंग का होता है. इस में साइट्रेट, कैल्शियम, फास्फेट, वीर्य में थक्का बनाने वाले एंजाइम और घोलने वाले तत्त्व होते हैं. इन में अलावा मूत्र में स्थित यूरेथल ग्रंथियों का रिसाव भी वीर्य में मिल जाता है.

स्खलन के समय शुक्राशय से निकले शुक्राणु सैमाइनल वैसिकल व प्रोस्टै्रट के स्राव के साथ मिल कर शुक्र नली द्वारा होते हुए मूत्र नलिका से बाहर हो जाते हैं.

यह भी जानें

* एक बार में निकले वीर्य की मात्रा 2 से 5 मिलीलिटर होती है.

* वीर्य चिकनापन लिए दूधिया रंग का होता है और इस में एक खास तरह की गंध होती है.

* वीर्य का चिकनापन सैमाइनल वैसिकल व पीए प्रोस्टै्रट के स्राव के चलते होता है. अगर पीए अम्लीय है, वीर्य पीला या लाल रंग लिए है, तो यह बीमारी की निशानी है.

* वीर्य से बदबू आना भी बीमारी का लक्षण हो सकता है.

* 2-3 दिन के बाद निकला वीर्य गाढ़ा होता है, क्योंकि इस में शुक्राणुओं की संख्या ज्यादा होती है.

* वीर्य निकलने के बाद जम जाता है. पर इस में मौजूद रसायन फाइब्रोलाइसिन एंजाइम इसे 15-20 मिनट में दोबारा पतला कर देते हैं. अगर वीर्य दोबारा पतला न हो, तो यह बीमारी की निशानी है.

* 4-5 दिन बाद एक घन मिलीलिटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 8 से 12 करोड़ होती है. यानी एक बार में तकरीबन 40 करोड़ शुक्राणु निकलते हैं, पर एक ही शुक्राणु अंडे को निषेचित करने के लिए काफी होता है.

* अगर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या 6 करोड़ प्रति मिलीलिटर से कम हो, तो आदमी में बच्चे पैदा करने की ताकत कम होती है. अगर 2 करोड़ से कम हो, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* सामान्य शुक्राणु छोटे से सांप की शक्ल का होता है. इस का सिरा गोल सा होता है और सिर पर एक टोपी होती है, जिस को एक्रोसोम कहते हैं. साथ में गरदन, धड़ और पूंछ होती है.

* अगर शुक्राणुओं के आकार में फर्क हो, तब भी बच्चे पैदा करने की ताकत कम हो जाती है. यह फर्क सिर, धड़ या पूंछ में हो सकता है. अगर असामान्य शुक्राणुओं की संख्या 20 फीसदी से भी ज्यादा होती है, तो आदमी नामर्द हो सकता है.

* शुक्राणु वीर्य में हमेशा तैरते रहते हैं. अगर शुक्राणु सुस्त हैं या 40 फीसदी से ज्यादा गतिहीन हैं, तो भी आदमी नामर्द हो सकता है.

* अगर वीर्य में मवाद, खून या श्वेत खून की कणिकाएं मौजूद हों, तो यह भी बीमारी की निशानी है.

* वीर्य या शुक्राणु बनने में खराबी कई बीमारियों के चलते हो सकती है. हार्मोन के बदलाव से शुक्राणुओं की संख्या कम हो सकती है.

* शुक्राशय में कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जैसे मम्स, लेप्रोसी, सिफलिस वगैरह.

* ट्यूमर, इंफैक्शन, फाइलेरिया से शुक्राशय खराब हो सकता है.

* शुक्राणु के बनने में प्रोटीन, विटामिन, खासतौर से विटामिन ई की जरूरत होती है.

वीर्य संबंधी गलतफहमियां

 *  अगर पेशाब के साथ वीर्य या वीर्य जैसा चिपचिपा पदार्थ निकलता है, तो लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. वे समझते हैं कि उन की ताकत कम हो रही है. नतीजतन, वे कई बीमारियों को न्योता दे बैठते हैं, जबकि वीर्य के निकलने या धातु निकलने से जिस्मानी ताकत में कमी होने का कोई संबंध नहीं है.

* हस्तमैथुन करने या रात को वीर्य गिरने से नौजवान समझते हैं कि इस के द्वारा उन की ताकत निकल रही है और वे तनावग्रस्त हो जाते हैं, जबकि यह सामान्य प्रक्रिया है.

* वीर्य जमा नहीं होता. अगर वीर्य के साथ शुक्राणु बाहर न निकलें, तो शरीर में इन की कमी हो जाती है. इसी तरह शौच जाते समय जोर लगाने से भी कुछ बूंद वीर्य निकल सकता है, इसलिए घबराएं नहीं.

* कुछ लोगों में यह गलतफहमी है कि वीर्य की एक बूंद 40 बूंद खून के बराबर है. यह गलत सोच है. वीर्य जननांगों का स्राव है, जो लार, पसीना या आंसू की तरह ही शरीर में बनता है.

* कुछ लोगों का मानना है कि वे वीर्य गिरने के समय जीवनदायक रस को बरबाद करते रहे हैं.

* अगर वीर्य के निकल जाने से कीमती ताकत का नाश होता है, तो सभी शादीशुदा आदमी कमजोर हो जाते, इसलिए वीर्य और सैक्स संबंध के बारे में गलत सोच न बनाएं, तनाव से दूर रहें और कामयाब जिंदगी का लुत्फ उठाएं.

जानें क्या हैं यौन रोग के शुरुआती लक्षण

शादी के कुछ समय के बाद रेखा के अंदरूनी अंग से कभीकभी कुछ तरल पदार्थ निकलने लगा, पर उस ने इस तरफ खास ध्यान नहीं दिया. मगर कुछ दिनों बाद जब उसे उस तरल पदार्थ से बदबू आने का एहसास होने लगा और अंग में खुजली भी होने लगी तो वह तुरंत डाक्टर के पास गई.

डाक्टर ने जांच कर के रेखा को बताया कि उसे यौन रोग हो गया है, पर घबराने वाली कोई बात नहीं है क्योंकि समय पर दिखा लिया. इलाज पर कम पैसा खर्च कर बीमारी ठीक हो जाएगी.

सीमा जब अपने पति के साथ शारीरिक संबंध बनाती तो उसे दर्द होता. उस ने इस परेशानी के बारे में डाक्टर को बताया. डाक्टर ने सीमा के अंगों की जांच कर के बताया कि उसे यौन रोग हो गया है. समय से इलाज कराने पर सीमा की बीमारी दूर हो गई.

यौन रोग पतिपत्नी के संबंधों में बाधक बन जाते हैं. यौन रोग के डर से लोग संबंध बनाने से डरने लगते हैं. कई बार यौन रोगों से अंदरूनी अंग से बदबू आने लगती है, जिस की वजह से सैक्स संबंधों से रुचि खत्म हो जाती है. ऐसे में पतिपत्नी एकदूसरे से दूर जा कर कहीं और संबंध बनाने लगते हैं.

क्या है यौन रोग

यौन रोग शरीर के अदरूनी अंगों में होने वाली बीमारियों को कहा जाता है. यह एक पुरुष और औरत के साथ संपर्क करने से भी हो सकता है और बहुतों के साथ संबंध रखने से भी हो सकता है. यौन रोग से ग्रस्त मां से पैदा होने वाले बच्चे को भी यह रोग हो सकता है. ऐसे में अगर मां को कोई यौन रोग है, तो बच्चे का जन्म डाक्टर की सलाह से औपरेशन के जरीए कराना चाहिए. इस से बच्चा योनि के संपर्क में नहीं आता और यौन रोग से बच जाता है.

कभीकभी यौन रोग इतना मामूली होता है कि उस के लक्षण नजर ही नहीं आते हैं. इस के बाद भी इस के परिणाम खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए यौन रोग के मामूली लक्षण को भी नजरअंदाज न करें. मामूली यौन रोग कभीकभी अपनेआप ठीक हो जाते हैं, पर इन के बैक्टीरिया शरीर में रह जाते हैं, जो कुछ समय बाद शरीर में तेजी से हमला करते हैं. यौन रोग शरीर की खुली और छिली जगह वाली त्वचा से ही फैलते हैं.

यौन रोग का घाव इतना छोटा होता है कि उस का पता ही नहीं चलता है. पति या पत्नी को भी इस का पता नहीं चलता है. यौन रोगों का प्रभाव 2 से 20 सप्ताह के बीच कभी भी सामने आ सकता है. इस के चलते औरतों को माहवारी बीच में ही आ जाती है. यौन रोग योनि, गुदा और मुंह के द्वारा शरीर में फैलते हैं. यौन रोग कई तरह के होते हैं. इन के बारे में जानकारी होने पर इन का इलाज आसानी से हो सकता है.

हार्पीज: हार्पीज बहुत ही आम यौन रोग है. इस रोग में पेशाब करते समय जलन होती है. पेशाब के साथ कई बार मवाद भी आता है. बारबार पेशाब जाने को मन करता है. बुखार भी हो जाता है. टौयलेट जाने में भी परेशानी होने लगती है. जिसे हार्पीज होता है उस के मुंह और योनि में छोटेछोटे दाने हो जाते हैं. शुरुआत में ये अपनेआप ठीक भी हो जाते हैं. अगर ये दोबारा हों तो इलाज जरूर कराएं.

व्हाट्स: व्हाट्स में शरीर के तमाम हिस्सों में छोटीछोटी फूलनुमा गांठें पड़ जाती हैं. व्हाट्स एचपीवी वायरस यानी ह्यूमन पैपिलोमा वायरस के चलते फैलता है. यह 70 प्रकार का होता है. अगर ये गांठें अगर शरीर के बाहर हों और 10 मिलीमीटर के अंदर हों तो इन्हें जलाया जा सकता है. 10 मिलीमीटर से बड़ा होने पर औपरेशन के जरीए हटाया जाता है.

योनि में फैलने वाले वायरस को जैनरेटल व्हाट्स कहते हैं. यह योनि में बच्चेदानी के मुख पर हो जाता है. अगर समय पर इलाज न हो तो यह घाव कैंसर का रूप ले लेता है. अगर यह हो तो 35 साल की उम्र के बाद एचपीवी का कल्चर जरूर करा लें. इस से घाव का पूरा पता चल जाता है.

गनेरिया: इस रोग में पेशाब की नली में घाव हो जाता है, जिस से पेशाब की नली में जलन होने लगती है. कई बार खून और मवाद भी आने लगता है. इस का इलाज ऐंटीबायोटिक दवाओं के जरीए किया जाता है. अगर यह बारबार होता है तो इस का घाव पेशाब की नली को बंद कर देता है, जिसे बाद में औपरेशन के द्वारा ठीक किया जाता है.

गनेरिया को साधारण बोली में सुजाक भी कहा जाता है. इस के होने पर तेज बुखार भी आता है. इस के बैक्टीरिया की जांच के लिए मवाद की फिल्म बनाई जाती है. अगर यह बीमारी शुरू में ही पकड़ में आ जाए तो इलाज आसानी से हो जाता है. बाद में इलाज कराने में मुश्किल आती है.

सिफलिस: यह यौन रोग भी बैक्टीरिया के कारण फैलता है. यह यौन संबंध के कारण ही होता है. इस रोग के चलते पुरुषों के अंग के ऊपर गांठ सी बन जाती है. कुछ समय के बाद यह ठीक भी हो जाती है. इस गांठ को शैंकर भी कहा जाता है. शैंकर से पानी ले कर माइक्रोस्कोप द्वारा ही बैक्टीरिया को देखा जाता है. इस बीमारी की दूसरी स्टेज पर शरीर में लाल दाने से पड़ जाते हैं. यह कुछ समय के बाद शरीर के दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगता है.

इस बीमारी का इलाज तीसरी स्टेज के बाद मुमकिन नहीं होता है. खराब हालत में यह शरीर की धमनियों को प्रभावित करता है. धमनियां फट भी जाती हैं. यह रोग आदमी और औरत दोनों को हो सकता है. इस का इलाज दवा और इंजैक्शन से होता है.

बिस्तर पर पति की मनमानी पर चुप न रहें

रात के 9 बजे थे. कमला बिस्तर पर लेटी हुई थी, तभी उस का पति आया. उस ने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर में घुस कर सोने की तैयारी करने लगा. कमला कुछ नहीं बोली, जबकि आज उस का मन यह काम करने को नहीं था. सीमा की हालत दूसरी है. वह पति की जल्दबाजी को उस की लालसा समझती रही, मगर जब उस ने बिस्तर पर आते ही सीमा पर झपटना नहीं छोड़ा, तो उस ने पति से कहा, ‘‘तुम मुझे समझते क्या हो?’’

‘‘क्यों, क्या हुआ तुम्हें?’’ पति ने जानना चाहा.

‘‘यही कि तुम बिस्तर पर आते ही बाज की तरह झपट पड़ते हो.’’

‘‘तो क्या हुआ?’’

पति के इतना कहते ही सीमा भड़क गई, ‘‘क्या मुझ में जान नहीं है? क्या तुम ने मुझे जानवर समझ रखा है?’’

सीमा के आंसू निकल पड़े, ‘‘मैं भी हाड़मांस की जीतीजागती इनसान हूं. मेरी भी कुछ इच्छाएं, पसंदनापसंद और भावनाएं हैं. कभी आप ने यह जानने की कोशिश की है? आप को तो अपने काम से मतलब है. बिस्तर पर आए और झपट पड़े, जैसे मैं कहीं भागी जा रही हूं.’’

सीमा बोलती रही और उस का पति चुपचाप सुनता रहा. मगर ऐसा सभी के साथ नहीं होता है. कुछ औरतें सीमा की तरह कह नहीं पाती हैं. बस, वे हालात को जैसेतैसे कबूल कर लेती हैं.

नीला का पति रोज ही उस के साथ सोने की जिद करता था, इसलिए उस ने पति की इच्छा से समझौता कर लिया. जब भी उस का पति आता, वह उस के सामने बिछ जाती. उस का पति अपनी मनमानी करता रहता.

आखिर एक दिन पति खीज उठा, ‘‘यह क्या है? तुम तो जिंदा लाश जैसी पड़ी रहती हो. मैं ही सबकुछ करता रहता हूं.’’

‘‘हुं…,’’ नीला ने टालने की गरज से कहा, तो उस के पति ने पूछा, ‘‘आखिर तुम साथ क्यों नहीं देती हो?’’

तब नीला ने बताया, ‘‘आप ने कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि मैं ऐसा क्यों करती हूं? शुरूशुरू में मेरी भी कुछ इच्छाएं और उमंगें थीं, जिन्हें मैं पूरा करना चाहती थी. मगर मैं कह नहीं पाती थी. सोचती थी कि आप प्यार से पूछेंगे.

‘‘मगर आप ने कभी यह जानने की कोशिश ही नहीं की कि मैं क्या चाहती हूं? मेरी इच्छा क्या है? बस, आप तो आते ही शुरू हो जाते थे.

‘‘कई दिनों तक मैं यह देखती रही. आखिर मैं ने ही अपनी इच्छा का दम घोंट लिया. जैसा आप चाहते थे, वैसा ही होने लगा. मैं ने कभी इस बात का विरोध नहीं किया.’’

आखिर औरतें बिस्तर पर अपनी इच्छा अनिच्छा क्यों नहीं कह पाती हैं, जबकि पति की इच्छा का सम्मान करते हुए वे बिस्तर पर पड़ी रहती हैं?

शुरूशुरू में तो पति को पत्नी की इस आदत पर हैरानी नहीं होती है, मगर जब उस की यौन जिंदगी सामान्य और सही ढर्रे पर आती है, तो पत्नी का साथ उसे अखरने लगता है.

इस के मूल में पत्नी को मिले संस्कार होते हैं. इसी वजह से वह इच्छा न होते हुए भी पति के लिए बिस्तर पर तैयार रहती है. यह इस की एक वजह है, मगर सचाई कुछ और ही है.

औरत के दिमाग में आदमी की सोच का डर बैठा रहता है, जो बिस्तर पर उसे चुप रखता है. इसी सोच के चलते वह बिस्तर पर चुप ही रहती है.

वह आदमी की दोहरी दिमागी सोच से वाकिफ होती है. वह जानती है कि अगर उस ने बिस्तर पर अपनी इच्छा या भावना जाहिर की, तो उसे दूसरे मतलब में लिया जाएगा. उसे कुलटा और बदचलन समझ कर शक की निगाह से देखा जाएगा. अगर वह चुप रही, तो उसे शर्मीली समझ लिया जाएगा. ज्यादा हुआ, तो गंवार कह दिया जाएगा.

यही वजह है कि कई पत्नियां पति की इच्छा को ही देख कर अपना वैसा बरताव बना लेती हैं. अगर यौन जिंदगी में पति अपनी पत्नी का दखल नहीं चाहता है, तो पत्नी अपनी इच्छा को दबा कर के पति की मरजी के मुताबिक चलने लगती है. पति जैसा चाहता है, वैसा ही करने देती है. वह खुद कुछ नहीं करती और कहती है.

ऐसे में एक समय ऐसा आता है, जब पति अपनी पत्नी से ऊब जाता है. ऐसी दशा में पत्नी से उस का झगड़ा हो जाता है. अकसर वह पत्नी को ठंडी मान कर दूसरी जगह संबंध बना लेता है.

अगर पति समझदार होता है, तो पत्नी से बातचीत करता है. उसे अपने भरोसे में ले कर प्यार व मनुहार से उस के दिल की बात जान लेता है. तब पत्नी के मुताबिक काम कर के अपनी यौन जिंदगी सुख से भरी बना लेता है.

औरतमर्द की जरूरत समझने वाले मर्द कभी औरत के ठंडेपन की शिकायत नहीं करते हैं. वे जानते हैं कि औरत व मर्द की जिस्मानी बनावट में बहुत फर्क होता है.

औरत एक नदी की तरह होती है, जो धीरेधीरे उफान पर आती है और धीरेधीरे ही शांत होती है, जबकि मर्द तूफान की तरह होता है, जो जल्दी आ कर जल्दी ही चला जाता है.

मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं आ रहा है कि उसके शक को कैसे दूर करूं?

सवाल

मेरी सगाई हो चुकी है. पहले मेरा एक प्रेमी था, जिस ने मेरे साथ शारीरिक संबंध बनाए थे, पर बाद में उस ने मुझे धोखा दे दिया. जिस से मेरी सगाई हुई, उस के साथ भी शादी से पहले मेरा जिस्मानी संबंध हुआ, पर जब खून नहीं आया तो उसे शक हुआ. पूछने पर मैं ने मना कर दिया कि मैं ने पहले ऐसा नहीं किया था, मगर ज्यादा जोर देने पर मैं ने कह दिया कि मेरे साथ रेप हुआ था और वह लड़का कई साल तक मुझ से जबरदस्ती करता रहा, अब नहीं करता. बाद में मैं ने कहा कि मैं तो मजाक कर रही थी. अब मंगेतर मेरा यकीन नहीं करता और पूछता है कि उस का नाम तो बता दो और यह भी कि कितने सालों तक किया. मैं अपने मंगेतर से बहुत प्यार करती हूं, पर समझ नहीं पा रही हूं कि उसे कैसे समझाऊं?

जवाब

आप ने गलत काम भी किया और खुद अपनी इमेज बिगाड़ ली. बारबार झूठ बोल कर आप ने अपने मंगेतर का भरोसा भी खो दिया. न तो आप को उस धोखेबाज प्रेमी से संबंध बनाना चाहिए था, न ही मंगेतर से. शायद आप की जिस्मानी भूख ही ज्यादा थी, फिर भी मंगेतर से रेप की बात कर के आप ने खुद ही बात बिगाड़ ली. अगर मंगेतर शक्की है, तो अपनी मंगनी तोड़ दें.

लड़की के शादी और सैक्स से जुड़े सवाल और उन के हल

शादी तय होते ही हर लड़की के मन में जहां एक तरफ अनकही खुशी होती है वहीं दूसरी ओर मन में डर भी रहता है कि न जाने नया घर, वहां के रीतिरिवाज, घर के लोग कैसे होंगे? क्या मैं उस माहौल में सहज महसूस कर पाऊंगी? ऐसे तमाम सवालों के साथसाथ एक अहम पहलू यानी सैक्स जीवन को ले कर भी मन में अनगिनत जिज्ञासाएं होती हैं, जिन के बारे में वह हर बात को शेयर करने वाली मां से भी नहीं पूछ पाती है और न ही भाभी या बहन से.

सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं एक विवाहयोग्य लड़की के मन में होना आम बात है. इसी विषय पर बात करते हुए 2 महीने पूर्व विवाह के बंधन में बंधी रीमा कहती है कि विवाह तय होते ही मैं ने मां से पूछा कि मां पहली रात के बारे में सोच कर घबराहट हो रही है, क्या होगा जरा बताइए?

तब मां ने झुंझलाते हुए जवाब दिया कि घबराओ नहीं, सब ठीक होगा. जब विवाहित सहेली से पूछा तो उस ने कहा कि संबंध बनाते समय बड़ा दर्द होता है. पर अब अपने अनुभव से कह सकती हूं कि यदि आप मानसिक और शारीरिक रूप से सहज हैं, साथ ही पति का स्नेहपूर्ण स्पर्श है, तो कोई समस्या नहीं आती.

भले आज कितनी ही प्रीमैरिटल काउंसलिंग संस्थाएं खुल गई हों पर जरूरी नहीं कि हर लड़की का परिवार एक बड़ी फीस दे कर अपनी बेटी को वहां भेज सके. मगर सवाल उठता है कि भावी दुलहन अगर मन की जिज्ञासाओं को अपनी मां से नहीं पूछ सकती, भाभी, बहन और सहेली भी उसे ठीक से नहीं बताएंगी और बताएंगी भी तो वे उन के निजी अनुभव होंगे और जरूरी नहीं कि भावी दुलहन के साथ भी वैसा ही हो, ऐसे में वह क्या करे?

हम ने विवाहयोग्य लड़कियों व जिन के विवाह होने वाले हैं, ऐसी कई लड़कियों से उन के मन की जिज्ञासाओं को जाना कि वे मोटेतौर पर मन में किस प्रकार की जिज्ञासाएं रखती हैं. प्रस्तुत हैं, उन की जिज्ञासाएं…

जिज्ञासाएं कैसी-कैसी

हर लड़की के मन में जिज्ञासा उपजती है कि क्या प्रथम मिलन के दौरान रक्तस्राव होना जरूरी है? क्या यही कौमार्य की पहचान है? क्या प्रथम मिलन पर बहुत दर्द होता है? इन के अलावा यदि विवाहपूर्व किसी और से शारीरिक संबंध रहा है तो क्या पति को उस का पता चल जाएगा? क्या माहवारी के दौरान सैक्स किया जा सकता है? क्या रात में 1 से अधिक बार शारीरिक संबंध स्थापित करने पर शरीर में कमजोरी आ जाती है? कौन सा गर्भनिरोधक उपाय अपनाएं ताकि तुरंत गर्भवती न हो? आदि.

इन सभी प्रश्नों के उत्तर देते हुए मदर ऐंड चाइल्ड हैल्थ स्पैशलिस्ट व फैमिली प्लानिंग काउंसलर डा. अनीता सब्बरवाल ने बताया कि प्रथम समागम के समय खून आने का कौमार्य से कोई संबंध नहीं होता. दरअसल, बढ़ती उम्र में खेलकूद या व्यायाम आदि के दौरान भी हाइमन नाम की पतली झिल्ली फट जाती है और लड़कियों को इस का पता भी नहीं चलता. इस के अलावा जो लड़कियां हस्तमैथुन करती हैं उन की झिल्ली भी फट सकती है. अत: विवाहयोग्य लड़कियों को मन से यह बात निकाल देनी चाहिए कि खून न आने से कौमार्य पर प्रश्नचिह्न लग सकता है.

इसी तरह प्रथम मिलन पर दर्द होना भी जरूरी नहीं है. अकसर शर्म और झिझक के कारण लड़कियां सैक्स के दौरान सहज नहीं हो पातीं, जिस के कारण योनि में गीलापन नहीं आ पाता और शुष्कता के कारण दर्द होता है. इसलिए संबंध बनाते समय पति का साथ दें. विवाहपूर्व बने शारीरिक संबंधों के बारे में पति को तब तक पता नहीं चल सकता जब तक पत्नी स्वयं न बताए.

ऐसे ही माहवारी के दौरान सैक्स करने से कोई हानि नहीं होती. फिर भी सैक्स न किया जाए तो अच्छा है, क्योंकि एक तो पत्नी वैसे ही रक्तस्राव, पीएमएस जैसी तकलीफों से गुजर रही होती है, उस पर कई पति ओरल सैक्स पर जोर डालते हैं, जो सही नहीं है.

अधिकांश लड़कियों के मन में यह जिज्ञासा भी बहुत रहती है कि सैक्स अधिक बार करने से कमजोरी आती है. दरअसल, ऐसा नहीं है, पत्नियां पतियों की सैक्स आवश्यकता से अनजान होती हैं. इस कारण उन्हें लगता है कि अधिक बार सैक्स करना हानिकारक होगा, जबकि ऐसा कुछ नहीं है. हां, फैमिली प्लानिंग उपाय के लिए अच्छा होगा कि पत्नी किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिले ताकि वह शादी के बाद तुरंत गर्भवती न हो कर वैवाहिक जीवन का पूर्ण आनंद उठा सके.

ध्यान देने योग्य बातें

–सेक्स संबंधी जानकारी इंटरनैट पर आधीअधूरी मिलती है. अत: उस पर ध्यान न दें.

–फैंटेसी में न जिएं और ध्यान रखें कि हर चीज हर किसी को नहीं मिलती.

–यदि कोई बीमारी है जैसे डायबिटीज, अस्थमा आदि तो उस की जानकारी विवाहपूर्व ही भावी पति को होनी चाहिए. इसी तरह पति को भी कोई बीमारी हो तो उस का पता पत्नी को होना चाहिए.

–मन की यह जिज्ञासा कि ससुराल वाले कैसे होंगे तो ध्यान रखें, हर घर के तौरतरीके अलग होते हैं. जरूरी यह है कि बड़ेबुजुर्गों को सम्मान दें, घर के तौरतरीकों को अपनाने की कोशिश करें तथा अपनी मुसकराहट व काम से सब का दिल जीतें. मन में जितनी भी सेक्स संबंधी जिज्ञासाएं हैं उन्हें किसी अच्छी पत्रिका के सैक्स कौलम के अंतर्गत प्रकाशित होने वाले लेखों को पढ़ कर शांत करें.

–यदि किसी समस्या का समाधान लेखों में न मिले तो उसे किसी पत्रिका के ‘सैक्स कौलम’ में लिख कर भेजें. ऐसे कौलमों की समस्याओं के समाधान योग्य डाक्टरों से पूछ कर ही प्रकाशित किए जाते हैं.

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