‘स्लीप सेक्स’ बर्बाद न कर दे आपकी जिंदगी

स्लीप सेक्स को मेडिकल भाषा में सेक्सोनोमिया भी कहते हैं जो कि एक सेक्सुअल डिसऑर्डर है. इस बीमारी में इंसान सोते हुए सेक्स करता है. आपको याद होगा कि आपने 2014 में एक स्वीडिश घटना की एक न्यूज पढ़ी या सुनी होगी. जिसमें एक स्वीडिश आदमी को 2014 में रेप के आरोप से बाइज्जत बरी कर दिया गया था. क्योंकि उसके वकील ने कोर्ट में प्रूफ कर दिया था कि वो उस समय नींद में था और उसका दिमाग क्या कर रहा है इसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी. उसके वकील ने कोर्ट को बताया था कि वह इंसान सेक्सोनोमिया का शिकार है और उसने नींद में रेप किया है, इसलिए वह निर्दोष है. जिसके बाद इस घटना की चर्चा पूरी दुनिया में होने लगी.

जहां इस केस के बाद सेक्सोनोमिया पर रिसर्च होने लगी वहीं एक्टिविस्ट इस फैसले का विरोध करने लगे. उनका कहना था कि इससे मुजरिमों को रेप के जुर्म से बचने का आसान वैज्ञानिक रास्ता मिल जाएगा जो एक हद तक सच भी है. आज सेक्सोनोमिया के कारण कई लोगों की वैवाहिक जिंदगी तो खराब हो चुकी है. लेकिन फिर भी भारत में इस पर शायद ही चर्चा हो. तो आइए आज इस लेख के जरिए इस पर चर्चा करना शुरू करते हैं और पता करते हैं कि क्या है सेक्सोनोमिया और कैसे एक इंसान करता है स्लीप सेक्स.

स्लीप सेक्स या सेक्सोनोमिया

स्लीप सेक्स एक भयंकर बीमारी है जो मरीजों के साथ मरीजों के आसपास रहने वालों की जिंदगी बर्बाद कर देती है. जैसे की नींद में चलने की बीमारी होती है वैसे ही ये नींद में सेक्स करने की बीमारी है. इसमें इंसान नींद में सेक्स करने लगता है. कई बार स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि इंसान रेप तक कर देता है और अगली सुबह जब उठता है तो उसे कुछ याद भी नहीं रहता.

सेक्सोनोमिया के एक ऐसे ही मामले के बारे में मिनेसोटा विश्वविद्यालय में प्रफेसर, एमडी, न्यूरोलॉजिस्ट मिशेल क्रेमर बोर्नेमन बताते हैं जिसमें एक वैवाहिक दंपति के सो जाने के बाद पति नींद में मैस्टर्बेट करने लगता था. शुरू में पत्नी ने इसे नजरअंदाज किया लेकिन जब ये ज्यादा हो गया तो दोनों ने डॉक्टर से बात की. डॉक्टर से मिलने के बाद पता चला कि वो ऐसा सेक्सुअल डिसऑर्डर से ग्रस्त होने के कारण करते हैं, जिसे स्लीप सेक्स या सेक्सोम्निया भी कहते हैं.

इस डिसऑर्डर पर 1996 में टोरंटो विश्वविद्यालय के डॉ. कॉलिन शापिरो और डॉ. निक ने ओटावा विश्वविद्यालय से डॉ. पॉल के साथ मिलकर कनाडा में इस पर एक रिसर्च पेपर तैयार किया. इस रिसर्च पेपर के पब्लिश होने के बाद दुनिया भर में इस पर चर्चा होनी शुरू हो गई. इसका नुकसान ये रहा कि इसके बाद से कई आरोपियों के वकील अपने मुवक्किल को रेप के केस से बचाने के लिए इस डिसऑर्डर का सहारा लेने लगे.

पेरोसोम्निया की स्थिति

स्लीप सेक्स असल में एक पेरोसोम्निया की स्थिति है जिसमें मरीज को ये नहीं पता होता कि वो जगा है या सोया हुआ है. मरीज का दिमाग कन्फ्यूज रहता है. मरीज को देखकर कोई नहीं कह सकता की वो सोया हुआ है. जबकि सच्चाई ये होती है कि मरीज को पता नहीं होता कि वो क्या कर रहा है.

अब भी इस पर दुनिया के शोधकर्ता रिसर्च कर रहे हैं. शोधकर्ता इस बीमारी का कारण पता नहीं कर पा रहे हैं. लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि जिन लोगों को नींद में चलने और बोलने की बीमारी है उनमें सेक्सोनोमिया होने की ज्यादा संभावना है.

आखिर क्यों घातक है खुद को बिस्तर पर कमतर समझना?

एक नहीं, बल्कि अनेक बातों से यह साफ है कि सैक्स करने के दौरान शरीर से ज्यादा भावनाएं असरकारी होती हैं, क्योंकि सैक्स भले शरीर के जरीए होता हो, लेकिन उसे तैयार मन ही करता है, भावनाएं करती हैं, इसलिए इस काम में शरीर से ज्यादा मन और भावनाओं की जरूरत होती है.

जब हम किसी बात को ले कर खुद को कमतर आंकने लगते हैं, तो भले मजदूरी कर लें, बो झा उठा लें, गाड़ी चला लें, लेकिन सैक्स नहीं कर सकते, क्योंकि सैक्स में सिर्फ मांसपेशियों की ताकत से काम नहीं चलता, बल्कि इस के लिए मन में एक खास किस्म की भावनात्मक लहर का होना जरूरी है और वह मेकैनिकल नहीं होती. मतलब, कामयाब सैक्स का कोई मेकैनिज्म नहीं है कि हर बार उसे एक ही तरीके से दोहरा दिया जाए.

मन की लहर एक ऐसी आजाद लहर जैसी है, जो भावनाओं के जोर में ही पैदा होती है. यह जोर तकनीकी रूप से पैदा तो नहीं किया जा सकता, पर तकनीकी रूप से इसे कई सामाजिक और दिमागी बाधाएं रोक जरूर देती हैं.

जब हम में डर, अपराध और कमतर होने की सोच पैदा होती है, तो हमारे अंदर खुशी की तरंगें नहीं पैदा होतीं. ऐसे में हम गुस्से की तमाम चीजें तो कर सकते हैं, लेकिन खुशी और प्यार नहीं जता सकते, इसीलिए हम सैक्स भी नहीं कर सकते, क्योंकि सैक्स करना आखिरकार मन को खुशियों और भावनाओं से भरा होना होता है.

नैगेटिव भावनाएं खुशियों को छीन लेती हैं और मन में पैदा होने वाली लहर से हमें वंचित कर देती हैं, इसलिए शरीर में तरंगें नहीं जागती हैं और वह सैक्स के लिए तैयार नहीं होता. नतीजतन, हम डिप्रैशन में, हीन भावनाओं के शिकार होने पर या ऐसे ही दूसरे तनाव के पलों में सैक्स के लिए तैयार नहीं होते हैं.

कुदरत ने इस मामले में अच्छे डीलडौल वाले या बहुत ताकतवर को यह खासीयत नहीं बख्शी है कि वह किसी भी मानसिक और शारीरिक हालात में सेक्स कर सके.

अच्छे से अच्छे पहलवान, बड़े से बड़े एथलीट के दिमाग में भी अगर यह बात बैठ जाए कि वह सही से सैक्स नहीं कर पाएगा, तो फिर चाहे कुछ भी हो जाए, वह ऐसा नहीं कर सकेगा.

सच कहें तो सैक्स भावनाओं की ड्राइव है और इस में जरा सी भी किसी भावना को ठेस लग जाए, जरा सी हिचक आ जाए, शक पैदा हो जाए, तो फिर कुछ नहीं हो सकता.

दरअसल, हीन भावनाएं हमारे दिलोदिमाग में कई तरह से आती हैं. एक वजह तो सामाजिक होती है, जिस में हमें बचपन से ही ठूंसठूंस कर दिमाग में भरा जाता है कि यह छोटा है, यह बड़ा. यह ऊंची जाति का है, यह नीची जाति का है. यह बैस्ट है, यह नहीं है. फिर कर्मकांडों का भी एक बड़ा रोल होता है.

छोटीबड़ी उम्र और सामाजिक रिश्तों की भी एक लक्ष्मण रेखा होती है. कई बार वह सही होती है, कई बार मन का वहम होती है. लेकिन सैक्स के मामले में जो सब से बड़ी हीन भावना होती है, वह ऐसे गलत प्रचारों से आई है, जिन के जरीए कुछ लोग अपनी रोटी सेंकते हैं. मतलब सैक्स की कमजोरी, शारीरिक कद, रंग, हैसियत, ये सब बातें दिमाग में भरी गई ऐसी हीन भावनाएं हैं, जो हमें सैक्स के मामले में कमजोर बनाती हैं.

हीन भावना से छुटकारे के लिए खुद पर यकीन की जरूरत होती है. अपनी हैसियत को पहचानने और अपनी ताकत को सही आंकने से भी कमतर होने की सोच से उबरा जा सकता है.

ऐसे उपाय न करने से कमतर होने के भाव आप की पूरी जिंदगी पर छाए रहेंगे, जो आप की पूरी ताकत को खोखला बनाते रहेंगे.

खुद को कमतर सम झना सैक्स को सब से ज्यादा प्रभावित करता है, क्योंकि इस का शिकार इनसान अपने दिलोदिमाग में एक तनाव लिए रहता है कि वह सही से संबंध नहीं बना पाएगा.

यह चिंता हर समय किसी न किसी रूप में दिमाग में हथौड़ा बजाती रहती है, इसलिए वह मन से पूरी तरह सैक्स नहीं कर पाता, फिर चाहे कितना ही काबिल क्यों न हो.

इस दिमागी कमी को जितनी जल्दी हो खत्म करना चाहिए. अकसर यह बोध भ्रामक सोच से पैदा होता है. ऐसी हालत में मर्द या औरत के मन में यह बात बैठ जाती है कि उस से कामयाब सैक्स नहीं हो पाएगा. इस भ्रामक सोच के चलते  वह हकीकत में सैक्स में कामयाब नहीं हो पाता.

प्रैक्टिकल नजरिए से ऐसी सोच इन बातों से आती है जैसे मर्दाना अंग को छोटा सम झ कर हीन भावना से पीडि़त होना, औरत के बेहतर होने का खयाल करना, उस के अच्छे पद को ले कर हर समय तनाव में रहना, परिवार का अमीर या फिर गरीब होना, अनमेल माली हालात वगैरह.

ये तमाम सोच सैक्स के लिए बेहद नैगेटिव हैं. एक बात सम झ लीजिए कि मर्दाना अंग की लंबाईमोटाई सैक्स पर बिलकुल भी असर नहीं डालती. छोटे अंग वाले मर्द को जान लेना चाहिए कि औरत के अंग की बनावट ऐसी होती है, जिस में हर तरह का मर्दाना अंग पूरा मजा देता है.

मर्द को इस गलत सोच से ध्यान हटा कर सही तकनीक के मुताबिक सैक्स करना चाहिए. अगर मर्द इस सोच को नहीं छोड़ेगा, तो उसे सैक्स में नाकामी ही मिलेगी. वह अपनी साथी को पूरी तरह से संतुष्टि नहीं दे पाएगा. जब औरत संतुष्ट होगी, तब कमतर होने का भाव अपनेआप खत्म हो जाएगा.

शादीशुदा जोड़े के लिए 9 बैडरूम सीक्रेट

शादीशुदा जिंदगी में प्यार के रंग भरने में बैडरूम की अहम भूमिका होती है. ज्यादातर आराम के लिए पतिपत्नी बैडरूम को ही चुनते हैं. इसलिए बीचबीच में बैडरूम में थोड़ा सा बदलाव कर रोमांटिक जीवन को लंबे समय तक बरकरार रख सकते हैं.

1. दीवारों पर कलर:

बैडरूम में दीवारों के रंग का भी अपना अलग महत्त्व होता है. मुहब्बत के रंग को गाढ़ा करने के लिए अपनी दीवारों पर हलके गुलाबी रंग, आसमानी हलके हरे रंगों का प्रयोग करें, क्योंकि रंग भी अपनी भाषा बोलते हैं. रोमांस में प्यार का भाव जगाते हैं रंग.

2. लुभावनी तसवीरें लगाएं:

बैडरूम में अच्छी और रोमांटिक तसवीर लगाएं. बीभत्स, ऊर्जाहीन, शेर, दौड़ते घोड़े आदि की तसवीरें न लगाएं. बर्ड, हंस, गुलाब के फूलों की तसवीरें लगाएं. इस तरह की तसवीरें आप के जीवन को रोमांस और मुहब्बत से भर देंगी.

3. लाइट:

रोमांस जगाने के लिए रोशनी की अहम भूमिका होती है. बैडरूम में गुलाबी हलके आसमानी रंग की लाइट का प्रयोग करें. लाइट बैडरूम में डायरैक्ट नहीं, बल्कि इनडायरैक्ट पड़नी चाहिए. लैंपशेड, कौर्नर लाइट का भी प्रयोग किया जा सकता है. इस से बैडरूम में मादकता और मुहब्बत का समावेश होता है. कमरे में जितनी कम लाइट होती है, एकदूसरे के प्रति आकर्षण उतना ही गहरा होता है.

4. खुशबू:

मुहब्बत और रोमांस को बरकरार रखने के लिए कई तरह की खुशबुओं का प्रयोग किया जा सकता है. लैवेंडर, मोगरा, चंदन आदि की खुशबू से पतिपत्नी का मूड बन जाता है. कमरे में गुलदस्ते रखें. रोमांस बढ़ाने के लिए अरोमा कैंडल जलाएं. खुशबू इनसान के अंदर कई तरह के भाव पैदा करती है. कैंडल की लाइट न केवल बैडरूम को सौंदर्य प्रदान करती है, बल्कि एकदूसरे को रोमांस के लिए भी उकसाती है.

5. बिस्तर:

मन और मूड को बनाने में बिस्तर का बहुत बड़ा योगदान होता है. गद्दे चुभने वाले न हों, बैड की आवाज आप को डिस्टर्ब न करे. बैडशीट का रंग और कोमलता दोनों मुहब्बत को, रोमांस को भड़काने वाले होने चाहिए.

6. डिस्टर्बैंस न हो:

बैडरूम के बाहर कोई ऐसी बेल न लगाएं जो आप को बारबार डिस्टर्ब करे. अलार्म क्लौक, मोबाइल, सिंगिंग खिलौने आदि दूर रखें. बैडरूम को ऐसा बनाएं ताकि आप अपने पार्टनर को कंफर्टेबल फील करा सकें.

7 . फ्रूट्स:

अंगूर, केला, स्ट्राबैरी, सेब, चीकू आदि की खुशबू मादक होती है. ऐसे में अगर आप ऐसे फ्रूट्स रखते हैं, खाते हैं तो इस का असर आप के रोमांस पर भी पड़ता है.

8. बैडरूम को सजा कर रखें:

रोमांस, मुहब्बत के लिए पार्क, बगीचा, समुद्री किनारा, खुला आसमान आदि प्रेमियों को आकर्षित करते हैं. अत: बैडरूम को वैसा ही लुक देने की कोशिश करें. परदे ऐसे लगवाएं जिन से आसमान नजर आए. हलके रंग के परदे ही लगाएं. हलकी रोशनी ही कमरे में आए ताकि आप का मूड ज्यादा से ज्यादा रोमांटिक बने.

9. बैडरूम को रोमांटिक लुक दें:

अपने बैडरूम में आर्टिफिशियल फाउंटेन, बड़े पेड़ या चित्र लगाएं. बैड, सोफा, अलमारी आदि की जगह बदलती रहें ताकि आप के पार्टनर को रूम पुराना न लगे. मुहब्बत, रोमांस का बैडरूम से मजबूत रिश्ता होता है, जो जीवन में नयापन लाते रहते हैं.

गांव की लड़कियो, सैक्स ऐजुकेशन नहीं है शर्म की बात

गांव हो या शहर लड़के और लड़कियों को सैक्स की जानकारी बेहद कम होती है, जो जानकारी होती भी है वह बेहद सतही होती है. इस की वजह यह है कि पढ़नेलिखने की जगह सोशल मीडिया से यह जानकारी मिलती है, जो भ्रामक होती है. सोशल मीडिया के अलावा पोर्न फिल्मों से सैक्स की जानकारी मिलती है, ये दोनों ही पूरी तरह से गलत होती है. कई बार लड़कियों को पता ही नहीं होता है और गर्भवती हो जाती हैं. बात केवल लड़कियों में नासमझी की नहीं लड़कों को भी सैक्स की पूरी जानकारी नहीं होती है.

स्त्रीरोग की जानकार डाक्टर रमा श्रीवास्तव कहती हैं, ‘‘बहुत सारी घटनाएं हम लोगों के सामने आती हैं जिन में लड़की को पता ही नहीं चलता है कि उस के साथ क्या हो गया है. इसीलिए इस बात की जरूरत होती है कि किशोर उम्र में ही लड़की को सैक्स शिक्षा दी जाए. घर में मां और स्कूल में टीचर ही यह काम सरलता से कर सकती है. मां और टीचर को पता होना चाहिए कि बच्चों को सैक्स की क्या और कितनी शिक्षा देनी चाहिए. इस के लिए मां को खुद भी जानकारी रखनी चाहिए.’’

गर्भनिरोध की जानकारी हो

डाक्टर रमा श्रीवास्तव का कहना है कि आजकल जिस तरह की बातें सामने आ रही हैं उन से पता चलता है कि कम उम्र में लड़कियों के साथ होने वाला शारीरिक शोषण उन के रिश्तेदारों या फिर घनिष्ठ दोस्तों के द्वारा किया जाता है. इसलिए जरूरी है कि लड़की को 10 से 12 साल के बीच यह बता दिया जाए कि सैक्स क्या होता है और यह बहलाफुसला कर किस तरह किया जा सकता है. लड़कियों को बताया जाना चाहिए कि वे किसी के साथ एकांत में न जाएं. अगर इस तरह की कोई घटना हो जाती है तो लड़की को यह बता दें कि मां को पूरी बात बता दे ताकि मां उस की मदद कर सके.

शारीरिक संबंधों से यौनरोग हो सकते हैं, जिन का स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. इन बीमारियों में एड्स जैसी जानलेवा बीमारी भी शामिल हैं, जिस का इलाज तक नहीं है.

इसी तरह स्कूल में टीचर को चाहिए कि वह लड़कियों को बताए कि गर्भनिरोधक गोलियां क्या होती हैं? इन का उपयोग क्यों किया जाता है. बहुत सारी लड़कियों के साथ बलात्कार जैसी घटना हो जाती तो वह या तो मां बन जाती है या फिर आत्महत्या कर लेती है. ऐसी लड़कियों को इस बात की जानकारी दी जानी चाहिए कि अब इस तरह की गोली भी आती है जिस के खाने से अनचाहे गर्भ को रोका जा सकता है. मौर्निंग आफ्टर पिल्स नाम से यह दवा की दुकानों पर मिलती है.

अस्पतालों में मिले मुफ्त

डाक्टर रमा श्रीवास्तव की कहना है कि प्राइवेट अस्पतालों में महिला डाक्टरों को एक दिन कुछ घंटे ऐसे रखने चाहिए जिन के दौरान किशोरियों की परेशानियों को हल किया जाए. यहां पर परिवार नियोजन की बात होनी चाहिए. स्कूलों को भी समयसमय पर डाक्टरों को साथ ले कर ऐसी चर्चा करानी चाहिए. ताकि छात्र और टीचर दोनों को सही जानकारी मिल सके.

किशोर उम्र में सब से बड़ी परेशानी लड़कियों में माहवारी को ले कर होती है. आमतौर पर माहवारी आने की उम्र 12 साल से 15 साल के बीच होती है. अगर इस बीच में माहवारी न आए तो डाक्टर से मिल कर पता करना चाहिए कि ऐसा क्यों हो रहा है. माहवारी में देरी का कारण पारिवारिक इतिहास जैसे मां और बहन को अगर माहवारी देर से आई होगी तो उस के साथ भी देरी हो सकती है.

इस के अलावा कुछ बीमारियों के चलते भी ऐसा होता है. इन बीमारियों में गर्भाशय का न होना, उस का छोटा होना, अंडाशय में कमी होना, क्षय रोग और एनीमिया के कारण भी देरी हो सकती है. डाक्टर के पास जा कर ही पता चल सकता है कि सही कारण क्या है.

यह बात भी ध्यान देने योग्य है कि कभीकभी लड़की उस समय भी गर्भधारण कर लेती है जब उस के माहवारी नहीं होती है. ऐसा तब होता है जब लड़की का शरीर गर्भधारण के योग्य हो जाता है, लेकिन माहवारी किसी कारण से नहीं आती है. यह नहीं सोचना चाहिए कि जब तक माहवारी नहीं होगी गर्भ नहीं ठहर सकता है.

माहवारी में रखें खयाल

माहवारी में दूसरी तरह की परेशानी भी आती है. कभीकभी यह समय से शुरू तो हो जाती है, लेकिन बीच में 1-2 माह का गैप भी हो जाता है. शुरुआत में यह नार्मल होता है लेकिन अगर यह परेशानी बारबार हो तो डाक्टर से मिलना जरूरी हो जाता है. कभीकभी माहवारी का समय तो ठीक होता है, लेकिन यह ज्यादा मात्रा में होती है. अगर ध्यान न दिया जाए तो लड़की का हीमोग्लोबिन कम हो जाता है और उस का विकास कम हो जाता है.

परेशानी की बात यह है कि कुछ लोग अपनी लड़की को डाक्टर के पास ले जाने से घबराती हैं. उन का मानना होता है कि अविवाहित लड़की की जांच कराने से उस के अंग को नुकसान हो सकता है, जिस से पति उस पर शक कर सकता है. ऐसे लोगों को पता होना चाहिए कि अब ऐसा नहीं है. अल्ट्रासाउंड और दूसरे तरीकों से जांच बिना किसी नुकसान के हो सकती है.

सुहागरात : मिलन की पहली रात, जरूरी नहीं बनाएं बात

दूध का गिलास लिए दुलहन कमरे में प्रवेश करती है. कमरा सुंदर रंगबिरंगे फूलों और लाइट से सजा व मंदमंद खुशबू से महक रहा होता है और माहौल में नशा सा छाया होता है. दूल्हा बेसब्री से दुलहन के आने का इंतजार कर रहा होता है. उस के आते ही वह दूध का गिलास लेने के बहाने उस को बांहों में भरने के लिए लपकता है. वह भी लजातीसकुचाती हुई उस की बांहों में समा जाती है.

इस के बाद पतिपत्नी के प्यार से कमरा सराबोर हो उठता है. यह दृश्य है हिंदी फिल्मों के हीरोहीरोइन पर फिल्माई गई मिलन की पहली रात का. विवाह और यौन संबंध बेहद नाजुक विषय है. पतिपत्नी का शारीरिक मिलन तभी सफल माना जाएगा, जब दोनों इस के लिए तैयार हों. अगर ऐसा न हो तो उसे एकतरफा भोग कहा जाएगा.

विवाह के बाद पतिपत्नी अपने नए जीवन की शुरुआत करते हैं. ऐसे में दोनों का एकदूसरे पर भरोसा और आपसी संवाद उन के आपसी संबंध को अधिक मजबूत बनाता है.

मगर सवाल यह उठता है कि क्या शादी की पहली रात का संबंध सचमुच संतुष्टि देने वाला होता है? क्योंकि एक ओर जहां पहली रात के बारे में अपेक्षाओं का मन पर बोझ होता है, तो वहीं दूसरी ओर व्यस्त दिनचर्या की थकान के कारण शारीरिक संबंध के लिए आवश्यक उत्साह, मनोदशा तथा शक्ति का अभाव महसूस होता है.

रखें भावनाओं का खयाल
ऐसा ही अनुभव सिद्धी और उमाकांत दंपती का भी रहा है. सिद्धी की शादी को 5-6 साल हो गए हैं. विवाह की पहली रात उन की मानसिक स्थिति कैसी थी, पूछने पर सिद्धी ने बताया, ‘‘विवाह से पूर्व हम अच्छे दोस्त थे. विवाह का निर्णय हम ने खुद और दोनों परिवार वालों की आपसी सहमति से लिया. फिर भी ससुराल वालों के साथ मेरा तालमेल बैठेगा या नहीं, इस के बारे में मुझे शंका थी, क्योंकि मैं शहर में पलीबढ़ी थी. हमारे घर का माहौल बंधनरहित था, जबकि उमाकांत के घर वाले गांव के थे.

‘‘खैर, शादी की सारी रस्में पूरी हुईं और मैं ससुराल आ गई. हमारी पहली रात के लिए ससुराल वालों ने पड़ोस का एक कमरा अच्छी तरह सजा रखा था. पिछले 4 दिनों से विवाह समारोह की धमाचौकड़ी की वजह से मैं ठीक से सो नहीं पाई थी. अत: पहली रात को बच्चों के साथ बतियातेबतियाते कब मेरी आंख लग गई मुझे पता ही नहीं चला. लेकिन उमाकांत इस बात पर मुझ से नाराज नहीं हुए.

“सच बात कहूं तो शादी के करीब 1 हफ्ते के बाद ही हम यौन संबंध बना पाए. दरअसल, शादी के बाद अनेक रीतिरिवाज नवविवाहित दंपती को पूरे करने होते हैं. इसलिए उस दौरान एकदूसरे को जाननेसमझने, नजदीकी बनाने का हमें समय मिला. उमाकांत ने भी मेरी मनोदशा समझ मेरी भावनाओं का खयाल रखा.’’

इस पर उमाकांत कहते हैं, ‘‘शादी की पहली रात हम संबंध न बना पाए, इस पर मैं भला नाराज कैसे हो सकता था, क्योंकि विवाह समारोह में हम मानसिक, शारीरिक थकान से गुजरे थे. सिद्धी के ऊपर जो मानसिक तनाव था उस का भी मुझे पूरा एहसास था. उस दिन आराम करना ही हम दोनों के लिए जरूरी था.

‘‘साथ ही मेरे लिए सिद्धी का मेरे परिवार से घुलनामिलना भी मेरे लिए अधिक महत्त्वपूर्ण था. मेरा मानना है कि हर पति पत्नी से नजदीकी बनाते समय उस की इच्छाअनिच्छा, उस की फीलिंग्स का खयाल रखे, क्योंकि यह रिश्ता प्यार से बनता है और प्यार से ही दिल जीता जाता है.’’

इस संदर्भ में यौन विशेषज्ञ डा. प्रभू व्यास कहते हैं, ‘‘आज के युवकयुवतियों को शारीरिक संबंधों की जानकारी के बहुत स्रोत उपलब्ध हैं. लेकिन शारीरिक संबंधों की सही जानकारी होने के बावजूद संबंध बनाते समय कई समस्याएं आती हैं. बहुत जोड़े ऐसे होते हैं, जो पहले प्रयास में यौन संबंध बनाने में असफल होते हैं. इसीलिए आपसी मजबूत रिश्ता, खुलापन, म्यूचुअल अंडरस्टैंडिंग बेहद जरूरी है.

“जैसे पहले प्रयास में कोई तैर नहीं पाता, साइकिल नहीं चला पाता ठीक उसी तरह यौन संबंध बनाने में सफल नहीं हो पाता. मैं विवाह के बंधन में बंधने वालों से यही कहना चाहूंगा कि संबंध बनाने की जल्दबाजी हानिकारक हो सकती है. पहले दोनों एकदूसरे को जानेंपहचानें. एकदूसरे के प्रति विश्वास पैदा करें.’’

समस्या का हल ढूंढ़ें
यौन संबंधों का वैवाहिक जीवन में बड़ा महत्त्व है. इन में समस्याएं, गलतफहमियां, कमियां हों तो उन का असर पतिपत्नी के वैवाहिक जीवन पर पड़ता है.

इस संबंध में रीना और विजय से यह सीख ले सकते हैं कि समस्याओं से डरने से वे और बढ़ेंगी. अत: उन से डरने के बजाय उन का हल ढूंढ़ें. विजय ने यही किया. रीना के मन में यौन संबंधों के प्रति बेहद डर था. वह अपने पति विजय के साथ प्रणय संबंधों में रुचि लेती मगर यौन संबंध बनाने में असमर्थता जाहिर करती.

विजय ने उस से खुल कर बातचीत की तो विजय को उस ने समस्या बताई. उस के मन में संभोग प्रक्रिया में भयंकर पीड़ा होने का डर था. दोनों ने यौन विशेषज्ञ की मदद ली. तब रीना का डर दूर हुआ. रीना ने बताया कि सहेलियों से हुई बातचीत से उसे यह गलतफहमी हुई थी.

काउंसलिंग में उसे समझाया गया कि यौन संबंध के दौरान स्त्री के योनिद्वार में स्थित कौमार्य झिल्ली सहवास के समय लिंग अंदर जाने से फट जाती है, जिस से थोड़ा सा खून निकलता है और हलका सा दर्द भी होता है. लेकिन यह दर्द स्त्री सहन न कर पाए इतना नहीं होता.

विजय की समझदारी की वजह से ही आज वे सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रहे हैं, ऐसा रीना का कहना है.

यौन विशेषज्ञ डा. हितेश बताते हैं कि मेरे पास ऐसे अनेक दंपती आते हैं, जो शादी के 6 महीने, 1 साल, 2 साल गुजर जाने के बाद भी इंटरकोर्स नहीं कर पाए हैं.

पुरुषों के मन में शीघ्रपतन, लिंग का सख्त न होना, लिंग का छोटा होना आदि डर रहता है, तो स्त्रियां कौमार्य झिल्ली के फटने से होने वाली पीड़ा और रक्तस्राव के डर की वजह से यौन संबंध का सुख नहीं ले पातीं. अत: बेहतर है कि अपने मन में जो डर है उस पर खुल कर बात की जाए. आपसी प्रेम, केयरिंग रिश्ता, खुलापन, मन की बातें शेयर करने का विश्वास यौन संबंध में सहजता लाता है. यौन संबंध स्थापित करना यकीनन एक कला है, जिसे शारीरिक सुख पाने के लिए सीखना पतिपत्नी दोनों के लिए जरूरी है

सावधान मर्दो : सैक्स में भारी पड़ सकती है ज्यादा तेजी

अजय और रीना की शादी अभी कुछ समय पहले ही हुई थी. रीना सैक्स के लिए तैयार है या नहीं, यह जाने बगैर ही अजय खुद अपनी इच्छा पूरी कर के सो जाता. 2 मिनट के सैक्स में ही वह डिस्चार्ज हो जाता. रीना की इच्छा होने के पहले ही अजय की इच्छा पूरी हो जाती.

नतीजतन, रीना को पूरा मजा मिलना तो दूर की बात रही, उस की इच्छा भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती थी. जब उसे पति से पूरी तरह शारीरिक सुख नहीं मिला तो इस का असर उस के दिमाग पर होने लगा. अब उसे अजय से नफरत सी होने लगी. वह सोचने लगी कि जो पति ठीक से जिस्मानी सुख नहीं दे सकता, उस के साथ जिंदगी कैसे काटी जा सकती है.

एक दिन रीना ने यह बात अपनी एक खास सहेली को बताई. उस ने रीना से कहा कि वह अजय से बात करे. अगर सैक्स लंबे समय तक न चल सके तो किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट से मिल कर इस समस्या को दूर किया जा सकता है.

रीना की समझ में नहीं आ रहा था कि वह किस तरह इस संबंध में अजय से बात करे. फिर भी उस रात अजय उस की ओर बढ़ा तो उस ने बड़े ही प्यार से अपनी तकलीफ कही. रीना की बात अजय की समझ में आ गई.

रीना ने अजय को समझाते हुए कहा, “अभी तो हमारी जिंदगी की शुरुआत है. अगर हम दोनों के शारीरिक संबंध मजबूत रहेंगे तो हमारा भावानात्मक लगाव भी मजबूत होगा.

“अगर मेरी इच्छा नहीं पूरी होगी तो मेरा किसी दूसरे मर्द की ओर खिंचाव हो सकता है. इस से अच्छा है कि हम किसी अच्छे सैक्सोलौजिस्ट की सलाह ले कर एकदूसरे की शारीरिक जरूरत को समझ लें.”

अजय ने रीना की बात मानी और जैसा रीना ने कहा, वैसा ही किया. फिर तो दोनों की जिंदगी नौर्मल हो गई और वे एकदूसरे से खुश रहने लगे.

पतिपत्नी के रिश्ते में सब से खास बात एकदूसरे को शारीरिक सुख देना होता है. पर इसे भी बहुत से जोड़े किसी रूटीन काम की तरह निबटा देते हैं. पति को इस संबंध से कितना सुख मिला है, वह कभी उस से नहीं कहता है. इसी तरह पत्नी भी पति से कभी यह नहीं कहती कि उस की इच्छा पूरी हुई भी है या नहीं.

शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार होने में लड़कियों या औरतों को हमेशा थोड़ा समय लगता है, जबकि मर्दों को ज्यादा समय नहीं लगता. ज्यादातर पति इच्छा होते ही पत्नी तैयार है या नहीं, इस बात पर ध्यान न दे कर सैक्स के लिए तैयार हो जाते हैं, जबकि तैयार न होने के बावजूद पत्नी को पति का साथ देना पड़ता है.

ऐसे में पति तो अपनी इच्छा पूरी कर लेता है, पर पत्नी की इच्छा अधूरी ही रह जाती है. ज्यादातर पत्नियों के साथ ऐसा ही होता है. पति तेजी से सैक्स के लिए तैयार होता है और 2-3 मिनट में अपना काम पूरा कर के करवट बदल कर सो जाता है, जबकि कोई भी पत्नी इतने कम समय में सैक्स के लिए तैयार नहीं होती और यह भी सच है कि इतने कम समय में उस की कभी इच्छा पूरी नहीं होती.

ऐसे तमाम मर्द हैं, जिन्हें सैक्स के दौरान तैयार होने में देर नहीं लगती. इस तरह के लोग डिस्चार्ज भी जल्दी हो जाते हैं. वे तो अपनी इच्छा पूरी कर लेते हैं, पर पत्नी की इच्छा पूरी नहीं हो पाती है.

ज्यादातर मर्द अपनी इस कमी की चर्चा करने या डाक्टर से मिल कर इस का हल निकालने में बेइज्जती महसूस करते हैं. नतीजतन, पति से खुश न होने वाली पत्नियां ही दूसरे मर्दों से शारीरिक सुख पाने के लिए भटकती हैं.

जो औरतें अपने पति से कुछ कह नहीं पाती हैं, वे धीरेधीरे अपने मन को मारने लगती हैं, जिस का बुरा असर उन की जिंदगी पर पड़ता है, इसलिए मर्दों को पत्नी के खुश न होने की इस समस्या को दूर करना जरूरी है. इस से जिंदगी में आने वाली तमाम तरह की समस्याओं को रोका जा सकता है.

पीरियड्स में भी सैक्स कर सकती हैं आप, बस रखें इन बातों का ध्यान

अमूमन कहा जाता है कि महिलाओं के मासिक धर्म के दौरान सैक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि इस से बहुत नुकसान हो सकता है, लेकिन यह एक मिथक है. दरअसल, महिलाओं में मासिक धर्म का होना एक प्राकृतिक शारीरिक प्रकिया है और ज्यादातर महिलाओं को यह पता नहीं होता है कि मासिक धर्म में क्या करें और क्या न करें. खासकर बात जब मासिक धर्म के दौरान सैक्स की हो. आमतौर पर हमारी यह धारणा होती है कि मासिक धर्म के दौरान सैक्स करना सही नहीं है, लेकिन क्या वास्तव में ऐसा है, आइए जानते हैं…

मासिक धर्म में हैं सैक्स के ये फायदे
अगर आप मासिक धर्म के दौरान सहवास करना चाहती हैं तो कर सकती हैं. अगर दोनों पार्टनर की रजामंदी हो सैक्स तो वैज्ञानिक रूप से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं है.

कुछ लोग तो मासिक धर्म के दौरान ही सहवास करना ज्यादा पसंद करते हैं, क्योंकि उस दौरान महिला जननांग में गीलापन पहले से ही बना रहता है जिस से सैक्स करने में आसानी होती है.

मासिक धर्म में सैक्स करने से गर्भ ठहरने की आशंका न के बराबर रह जाती है. एक खास बात यह भी है कि मासिक धर्म में सैक्स के दौरान अगर किसी महिला को चरमसुख मिलता है तो उसे मासिक धर्म के दौरान होने वाले कमर और पेड़ू के दर्द से काफी आराम मिलता है.

मासिक धर्म में सैक्स से स्त्री और पुरुष दोनों को कोई नुकसान नहीं होता. लेकिन जो महिलाएं मलशुद्धि के लिए पानी की बजाय टिशू पेपर का इस्तेमाल करती हैं, उन के साथ मासिक धर्म में सैक्स करने से इंफैक्शन हो सकता है, क्योंकि मासिक के दौरान होने वाला रक्तस्राव गुदा द्वार के करीब होने की वजह से वहां बैक्टीरिया के बढ़ने की आशंका पैदा हो सकती है. इस से बचने के लिए ऐसी महिलाओं के साथ सैक्स करते समय कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए.

अगर आप के पार्टनर को मासिक धर्म के दौरान पेट या योनि में दर्द नहीं हो रहा हो और यदि आप के पार्टनर को कोई आपत्ति न हो तो मासिक धर्म के दौरान कंडोम के बिना भी सैक्स किया जा सकता है. इस से किसी तरह की बीमारी नहीं होती. लेकिन मासिक धर्म के दौरान यदि महिला को किसी तरह के इंफैक्शन की आशंका है, तो ऐसे में सेक्स कदापि नहीं करना चाहिए.

मासिक धर्म के समय सैक्स करने के लिए यौनांगों की साफसफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. सैक्स के बाद शिश्न तथा योनि को ठीक तरह से पानी से धोना चाहिए. माइल्ड डिसइंफैक्टेड मैडिसिन मिला कर भी सप्ताह में 2 बार यौनांगों की सफाई करनी चाहिए.

मेरा बौयफ्रेंड मेरे साथ सेक्स करना चाहता है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं एक साल से एक लड़के से प्यार करती हूं. वह भी मुझे बेहद चाहता है. हमेशा मेरी इच्छाओं का सम्मान करता है. ऐसा कोई काम नहीं करता जो मुझे नागवार गुजरता हो. मगर अब कुछ दिनों से वह शारीरिक संबंध बनाने को कह रहा है पर साथ ही यह भी कहता है कि यदि तुम्हारी मरजी हो तो. मैं ने उस से कहा कि ऐसा करने से यदि मुझे गर्भ ठहर गया तो क्या होगा? इस पर उस का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होगा. कृपया राय दें कि मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

दोस्ती में एकदूसरे की इच्छाओं को तवज्जो देना जरूरी होता है. तभी दोस्ती कायम रहती है. इस के अलावा आप का बौयफ्रैंड अभी आप का विश्वास जीतने के लिए भी ऐसा कर रहा है. जहां तक शारीरिक संबंधों को ले कर आप की आशंका है तो वह पूरी तरह सही है. यदि आप संबंध बनाती हैं तो गर्भ ठहर सकता है, इसलिए शादी से पहले शारीरिक संबंध बनाने से हर हाल में बचना चाहिए.

मेरी पत्नी के सेक्स संबंध उसी के औफिस में एक सहकर्मी के साथ हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 34 वर्षीय और 5 साल की एक बेटी का पिता हूं. शादी के कुछ सालों तक हमारी वैवाहिक जिंदगी आराम से चली. इधर 1-2 साल से पत्नी कुछ बदलीबदली सी लगती है. सेक्स संबंध बनाए महीनों हो जाते हैं. मेरी इच्छा होती भी है तो पत्नी बहाना बना जाती है. उस के बदले व्यवहार को देखते हुए मैं ने पड़ताल की, तो पता चला कि पत्नी के संबंध उसी के औफिस में एक सहकर्मी से हैं. मैं ने पत्नी को रास्ते पर लाने की पूरी कोशिश की पर असफल रहा. अब मैं चाहता हूं कि इस रिश्ते को खत्म कर दूं और पत्नी से तलाक ले लूं. कृपया सलाह दें?

जवाब-

वैवाहिक जीवन में पति अथवा पत्नी द्वारा सेक्स के प्रति उदासीनता, सेक्स संबंध बनाने से इनकार करना तलाक का आधार बनता है. आप ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की पर पत्नी नहीं मानी, इसलिए आप चाहें तो तलाक ले सकते हैं पर यह आप की निजी राय हो सकती है.

जो भी निर्णय करें सोचसमझ कर करें, क्योंकि आप की 5 साल की बेटी भी आप दोनों की जिम्मेदारी है. उस पर तलाक का बुरा असर पड़ सकता है. तलाक आसान नहीं और आप को अधर में टांग सकता है. जिस हक की चाह आप को है, संभव है मिले ही नहीं.

जब पति ना लगाना चाहे कंडोम तो क्या करें

रीना और दिनेश की शादी को 3 महीने ही हुए हैं. उन की सेक्स लाइफ मस्त है बस एक ही दिक्कत है कि सेक्स के दौरान दिनेश को कंडोम का इस्तेमाल सिरदर्द लगता है, जबकि रीना ऐसा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती, जिस से वह समय से पहले गर्भवती हो जाए. वह कम से कम 2 साल तक मां नहीं बनना चाहती है.

इस बारे में रीना और दिनेश की खूब बातें हो चुकी है, बहस भी हो चुकी है पर दिनेश को रीना की समस्या समझ नहीं आ रही है या वह जानबूझ कर उस के अरमानों की अनदेखी कर रहा है.

ऐसा अकसर होता है कि सेक्स संबंधों में भी औरत को ही समझौता करना पड़ता है कि वही गर्भनिरोधक का कोई साधन इस्तेमाल करे, मर्द को तो खुला खेल चाहिए, किसी तरह की रुकावट न आए रात को बिस्तर पर.

लेकिन कंडोम केवल बच्चा रोकने के लिए ही नहीं बनाया गया है, बल्कि यह सेक्स संबंधों के दौरान होने वाली बीमारियों की भी रोकथाम करता है. एड्स जैसी जानलेवा बीमारी को यह कम कीमत की रबड़ की पतली दीवार पनपने से पहले ही रोक देती है. यह ठीक है कि बिना इस के इस्तेमाल से सेक्स का मजा शानदार रहता है पर यह है बड़े काम की चीज.

अब तो कई वैरायटी के कंडोम

कंडोम का बाजार बहुत बड़ा है और कौम्पिटिशन भी ज्यादा है इसलिए अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए कंडोम बनाने वाली कंपनियां पतले से पतले कंडोम बाजार में उतार रही हैं, ताकि उस के पहने जाने का अहसास ही न हो. इतना ही नहीं बाजार में तरह तरह के ऐसे कंडोम बिक रहे हैं जिन में डौट लगे होते हैं ताकि रगड़ का अनूठा अहसास हो.

इस के अलावा अब बाजार में अलग अलग फ्लेवर के कंडोम बिक रहे हैं जैसे स्ट्रौबेरी, बनाना, चौकलेट, वनीला, बबल गम कौफी और न जाने क्या क्या. पैकेट से इन के खुलते है माहौल में मस्त खुशबू घुल जाती है जिस से सेक्स करना और भी मादकता भरा हो जाता है.

अगर खुशबू वाले कंडोम न भाएं तो अन्फ्लेवर्ड, रिब्ड, लौन्ग लास्टिंग, बिग हेड, एक्स्ट्रा लुब्रिकेटेड, वार्म, अल्ट्रा थिन और एलोवेरा कंडोम भी बाजार में आप की राह देख रहे हैं.

सौ बात की बात, मर्दों को सेक्स संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल हौव्वा नहीं समझना चाहिए, बल्कि एक बार इस की आदत पड़ जाए तो यह सेक्स का समय भी बढ़ा देता और पत्नी खुश रहती है सो अलग.

अगर सुरक्षित होने के नजरिए से भी देखा जाए तो कंडोम का कोई बुरा असर नहीं पड़ता है. अगर कभी किसी कंडोम के इस्तेमाल से कोई एलर्जी हो तो माहिर डौक्टर की सलाह लें.

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