जब पति का अंदाज हो रोमांटिक, तो जिंदगी होगी खूबसूरत

रंगीन, आशिकमिजाज पति पाना भला किस औरत की दिली तमन्ना न होगी? अपने ‘वे’ इश्क और मुहब्बत के रीतिरिवाजों से वाकिफ हों, दिल में चाहत की धड़कन हो, होंठों पर धड़कन का मचलता इजहार रहे, तो इस से ज्यादा एक औरत को और क्या चाहिए? शादी के बाद तो इन्हें अपनी बीवी लैला लगती है, उस का चेहरा चौदहवीं का चांद, जुल्फें सावन की घटाएं और आंखें मयखाने के प्याले लगते हैं. लेकिन कुछ साल बाद ही ऐसी बीवियां कुछ घबराईघबराई सी, अपने उन से कुछ रूठीरूठी सी रहने लगती हैं. वजह पति की रंगीनमिजाजी का रंग बाहर वाली पर बरसने लगता है.

यही करना था तो मुझ से शादी क्यों की

शादी से पहले विनय और रमा की जोड़ी को लोग मेड फौर ईचअदर कहते थे. शादी के बाद भी दोनों आदर्श पतिपत्नी लगते थे. लेकिन वक्त गुजरने के साथसाथ विनय की आंखों में पहले वाला मुग्ध भाव गायब होने लगा. राह चलते कोई सुंदरी दिख जाती, तो विनय की आंखें उधर घूम जातीं. रमा जलभुन कर खाक हो जाती. जब उस से सहा न जाता, तो फफक पड़ती कि यही सब करना था, तो मुझ से शादी ही क्यों की? क्यों मुझे ठगते रहते हो?

तब विनय जवाब देता कि अरे भई, मैं तुम से प्यार नहीं करता हूं. यह तुम ने कैसे मान लिया? तुम्हीं तो मेरे दिल की रानी हो.

सच यही था कि विनय को औफिस की एक लड़की आकर्षित कर रही थी. खुशमिजाज, खिलखिलाती, बेबाक मंजू का साथ उसे बहुत भाने लगा था. उस के साथ उसे अपने कालेज के दिन याद आ जाते. मंजू की शरारती आंखों के लुकतेछिपते निमंत्रण उस की मर्दानगी को चुनौती सी देते लगते और उस के सामने रमा की संजीदा, भावुक सूरत दिल पर बोझ लगती. रमा को वह प्यार करता था, अपनी जिंदगी का एक हिस्सा जरूर मानता था, लेकिन रोमांस के इस दूसरे चांस को दरकिनार कर देना उस के बस की बात न थी.

ये मेरे पति हैं

इसी तरह इंदिरा भी पति की आशिकाना हरकतों से परेशान रहती थी. उस का बस चलता तो देबू को 7 तालों में बंद कर के रखती. वह अपनी सहेलियों के बीच भी पति को ले जाते डरती थी. हर वक्त उस पर कड़ी निगाह रखती. किसी पार्टी में उस का मन न लगता. देबू का व्यक्तित्व और बातचीत का अंदाज कुछ ऐसा था कि जहां भी खड़ा होता कहकहों का घेरा बन जाता. महिलाओं में तो वह खास लोकप्रिय था. किसी के कान में एक शेर फुसफुसा देता, तो किसी के सामने एक गीत की पंक्ति ऐसे गुनगुनाता जैसे वहां उन दोनों के सिवा कोई है ही नहीं. उस की गुस्ताख अदाओं, गुस्ताख नजरों पर लड़कियों का भोला मन कुरबान हो जाने को तैयार हो जाता. उधर इंदिरा का मन करता कि देबू के गले में एक तख्ती लटका दे, जिस पर लिख दे कि ये मेरे पति हैं, ये शादीशुदा हैं, इन से दूर रहो.

बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है

घर में अच्छीखासी पत्नी होते हुए भी आखिर कुछ पति क्यों इस तरह भटकते हैं? यह सवाल मनोवैज्ञानिक एवं मैरिज काउंसलर से पूछा गया, तो उन्होंने एक ऐसी बात बताई, जिसे सुन कर आप को गुस्सा तो आएगा, लेकिन साथसाथ मर्दों के बारे में एक जरूरी व रोचक जानकारी भी प्राप्त होगी. उन का कहना था कि मर्दों के दिलोदिमाग व खून में ही कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो उन के व्यवहार के लिए बुनियादी तौर पर काफी हद तक जिम्मेदार होते हैं यानी कुदरत की तरफ से ही उन्हें यह बेवफाई करने की शह मिलती है.

इस का मतलब यह भी निकलता है कि बेवफा होने का मन तो हर मर्द का चाहता है, पर किसी की हिम्मत पड़ती है किसी की नहीं. किसी को मौका मिल जाता है, किसी को नहीं. किसी की पत्नी ही उसे इतना लुभा लेती है कि उसे उसी में नित नई प्रेमिका दिखती है, तो कुछ में आरामतलबी का मद्दा इतना ज्यादा होता है कि वे यही सोच कर तोबा कर लेते हैं कि कौन इश्कविश्क का लफड़ा मोल ले.

अब सवाल उठता है कि सामाजिक सभ्यता के इस दौर में आखिर कुछ पति ही इन चक्करों में क्यों पड़ते हैं? लीजिए, इस प्रश्न का उत्तर भी मनोवैज्ञानिकों के पास हाजिर है. जरा गौर करें:

पत्नी से आपेक्षित संतोष न मिलना

अकसर इन पतियों के अंदर एक अव्यक्त अतृप्ति छिपी रहती है. सामाजिक रीतिरिवाजों का अनुसरण कर के वे शादी तो कर लेते हैं, गृहस्थ जीवन के दौरान पत्नी से प्रेम करते हैं, फिर भी कहीं कोई हूक मन में रह जाती है. या तो पत्नी से वे तनमन की पूर्ण संतुष्टि नहीं पा पाते या फिर रोमांस की रंगीनी की हूक मन को कचोटती रहती है. जहां पत्नी से अपेक्षित संतोष नहीं मिलता, वहां बेवफाई का कुछ गहरा रंग इख्तियार करने का खतरा रहता है. कभीकभी इस में पत्नी का दोष होता है, तो कभी नहीं.

माफ भी नहीं किया जा सकता

रवींद्रनाथ टैगोर की एक कहानी का यहां उदाहरण दिया जा सकता है. हालांकि पत्नी नीरू के अंधे होने का कारण पति ही होता है, फिर भी पति एक अन्य स्त्री से चुपचाप विवाह करने की योजना बना डालता है. वह पत्नी नीरू से प्यार तो करता है, लेकिन फिर भी कहीं कुछ कमी है. जब पति की बेवफाई का पता नीरू को चलता है, तो वह तड़प कर पूछती है, ‘‘क्यों तुम ने ऐसा सोचा?’’

तब वह सरलता से मन की बात कह देता है, ‘‘नीरू, मैं तुम से डरता हूं. तुम एक आदर्श नारी हो. मुझे चाहिए एक साधारण औरत, जिस से मैं झगड़ सकूं, बिगड़ सकूं, जिस से एक साधारण पुरुष की तरह प्यार कर सकूं.’’

नीरू का इस में कोई दोष न था, लेकिन पति के व्यवहार को माफ भी नहीं किया जा सकता. हां, मजबूरी जरूर समझी जा सकती है. मगर सब पत्नियां नीरू जैसी तो नहीं होतीं.

औरतें इतनी खूबसूरत क्यों होती हैं

‘‘पत्नी तो हमारी ही हस्ती का हिस्सा हो जाती है भई,’’ कहते हैं एक युवा शायर, ‘‘अब अपने को कोई कितना चाहे? कुदरत ने दुनिया में इतनी खूबसूरत औरतें बनाई ही क्यों हैं? किसी की सुंदरता को सराहना, उस से मिलना चाहना, उस के करीब आने की हसरत में बुराई क्या है?’’

इन शायर साहब की बात आप मानें या न मानें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि रोमांस और रोमानी धड़कनें जिंदगी को रंगीन जरूर बनाती हैं. कुछ पति ऐसे ही होते हैं यानी उन्हें एकतरफा प्यार भी रास आता है.

सुबह का वक्त है. निखिलजी दफ्तर जाने की तैयारी में लगे हैं. सामने सड़क पर सुबह की ताजा किरण सी खूबसूरत एक लड़की गुजरती है. मुड़ कर इत्तफाकन वह निखिलजी के कमरे की ओर देखती है और निखिलजी चेहरे पर साबुन मलतेमलते खयालों में खो जाते हैं.

पत्नी चाय ले कर आती है, तो देखती है कि निखिलजी बाहर ग्रिल से चिपके गुनगुना रहे हैं, ‘जाइए आप कहां जाएंगे…’

‘‘अरे कौन चला गया?’’ पत्नी पूछती है.

तब बड़ी धृष्टता से बता भी देते हैं, ‘‘अरे कितनी सुंदर परी अभी इधर से गई.’’

‘‘अच्छाअच्छा अब जल्दी करो, कल पहले से तैयार हो कर बैठना,’’ और हंसती हुई अंदर चली जाती है.

यही बात निखिलजी को अपनी पत्नी की पसंद आती है. ‘‘लाखों में एक है,’’  कहते हैं वे उस के बारे में, ‘‘खूब जानती है कहां ढील देनी है और कहां डोर कस कर पकड़नी है.’’

लेकिन वे नहीं जानते कि इस हंसी को हासिल करने के लिए पत्नी को किस दौर से गुजरना पड़ा है. शादी के लगभग 2 साल बाद ही जब निखिलजी अन्य लड़कियों की प्रशंसा करने लगे थे, तो मन ही मन कुढ़ गई थी वह. जब वे पत्रिकाओं में लड़कियों की तसवीरें मजे लेले कर दिखाते तो घृणा हो जाती थी उसे. कैसा आदमी है यह? प्रेम को आखिर क्या समझता है यह? लेकिन फिर धीरेधीरे दोस्तों से, छोटे देवरों से निखिलजी की इस आदत का पता चला था उसे.

‘‘अरे, ये तो ऐसे ही हैं भाभी.’’

दोस्त कहते, ‘‘इसे हर लड़की खूबसूरत लगती है. हर लड़की को ले कर स्वप्न देखता है, पर करता कुछ नहीं.’’

और धीरेधीरे वह भी हंसना सीख गई थी, क्योंकि जान गई थी कि प्रेम निखिल उसी  से करते हैं बाकी सब कुछ बस रंगीनमिजाजी  की गुदगुदी है.

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A टू Z: जाने सेक्स के बारे में सबकुछ

सेक्स हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा होता है. सेक्स का नाम सुनते ही सभी लोगों का मन रोमांच से भर जाता है. आप पहली बार सेक्स कर रहें हों या इसको कई बार कर चुके हों, परंतु आपके मन में सेक्स को लेकर कई तरह के सवाल होते हैं. कई लोग सेक्स को सुरक्षित बनाने के तरीके खोजते हैं और दूसरी ओर कुछ लोग सेक्स को रोमांचक करने के उपाय जानना चाहते हैं. सेक्स को लेकर लोगों के मन में विभिन्न प्रकार के सवाल उठते हैं, लेकिन सेक्स करने के तरीके को लेकर सबसे अधिक सवाल होते हैं. आपके इसी सवाल के जवाब को नीचे विस्तार पूर्वक बताया जा रहा है.

योनि सेक्स (सेक्सुअल इंटरकोर्स) क्या है     

योनि के माध्यम से की गई संभोग क्रिया को ही योनि सेक्स कहा जाता है. इसमें महिलाओं की योनि को सेक्स के केंद्र में रखा जाता है और पुरुष सेक्स के दौरान अपनी सभी क्रिया को इसी अंग में करता है.

आम तौर से एक पुरुष और महिला के बीच सेक्स को ही “सेक्सुअल इंटरकोर्स” (Sexual Intercourse) कहा जाता है. इसमें पुरुष का उत्तेजित लिंग महिला की योनि में प्रवेश करता है. सेक्सुअल इंटरकोर्स यौन सुख या बच्चा पैदा करने के लिए किये जाता है.

भारत में 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के साथ सेक्स (संभोग) करना गैर कानूनी है. चाहे उनकी यौन सहमति हो भी, आप जिनके साथ यौन सम्बन्ध बनाना चाहते हैं, उनकी उम्र 18 से ज्यादा होना कानूनी तौर से अनिवार्य है.

सेक्स करने का तरीका

सेक्स वैसे तो कई तरीकों से किया जा सकता है. लेकिन हम यहां पर सामान्य तरह के सेक्स, यानी एक पुरुष और महिला के बीच लिंग और योनि के मिलन (सेक्सुअल इंटरकोर्स) की बात कर रहें. सेक्सुअल इंटरकोर्स का कोई एक निश्चित तरीका नहीं है, मगर फिर भी आप इसको करने से पहले कई तरह की तैयारियां कर सकते हैं.

इसको करने के लिए सबसे जरूरी बात यह है कि इसमें शामिल होने वाले दोनों ही साथी सेक्स को लेकर उत्साहित हों और साथ ही साथ इस क्रिया में किसी पर कोई दबाव न हो. अगर आप दोनों इस क्रिया का पूरा आनंद लेना चाहते हैं, तो आप दोनों को एक दूसरे की सहमति लेना बेहद जरूरी होता है. इसमें साथी की सहमति व उसके विचार जान लेना बेहद ही जरूरी होता है.

आइये आगे आपको बताएं सेक्स करने का तरीका –

  1. सेक्स करने का तरीका है पहले फोरप्ले करना

फोरप्ले एक ऐसी क्रिया है जिसको सेक्स से पहले किया जाता है. इसमें पुरुष और महिला एक दुसरे के शरीर को सेक्स करने के लिए तैयार करते हैं. इसमें किस करना, प्यार से छूना व महिला के संवेदनशील अंगों को जीभ से छूने की क्रिया को शामिल किया जाता है.

इससे महिलाओं की योनि में प्राकृतिक सेक्स लुब्रिकेंट बनना शुरू हो जाता है, जबकि पुरुष के लिंग में उत्तेजना आ जाती है. इन सभी संकेतों से पता चलता है कि महिला व पुरुष दोनों ही सेक्स के लिए तैयार हो गए हैं. फोरप्ले करने से दोनों जल्द ही यौन संबंध के चरम सुख के एक नए शिखर पर पहुंच जाते हैं. इस तरह सेक्स के दौरान फोरप्ले अहम भूमिका निभाता है.

  1. सेक्स कैसे भी करें लेकिन कंडोम जरूर लगाएं

सेक्स के लिए पुरुषों को कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. लिंग और योनि के संपर्क में आने से पहले पुरुष को लिंग पर कंडोम लगा लेना चाहिए. इससे दोनों के लिए यौन संचारित रोग होने की संभावना कम हो जाती है. साथ ही, कंडोम का इस्तेमाल एक अच्छा अनचाहा गर्भ रोकने का उपाय है.

पुरुषों को स्खलन से पूर्व व महिला के साथ सेक्स करने से पूर्व कंडोम का उपयोग करना चाहिए. अगर आपकी महिला साथी सेक्स से पूर्व कंडोम का इस्तेमाल चाहती हैं तो उनको करीब आठ घंटे पहले इसका उपयोग करना होगा.

  1. सेक्स करने की सही पोजीशन का चयन करें

सेक्स को करने के लिए कई तरह की सेक्स पोजीशन को अपनाया जा सकता है. लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि कोई निश्चित सेक्स पोजीशन या सेक्स आसन सभी को आनंद प्रदान करने वाला होता है. सामान्यतः सेक्स के दौरान यह देखा जाता है कि महिला नीचे लेट जाती है और पुरुष उनके ऊपर लेटते हुए सेक्स करते हैं. इस पोजीशन को मिशनरी पोजीशन भी कहते हैं. अधिकतर दम्पति इस तरह की पोजीशन को ही अपनाते हैं.

इसके अलावा सेक्स पोजीशन में महिलाओं को पुरुषों के ऊपर आने वाली भी कई तरह की पोजीशन है. इसके अतिरिक्त दोनों साथियों का साथ में एक दूसरे की साइड व आगे-पीछे लेटने वाली आदि कई तरह की पोजीशन होती है. सही पोजीशन या सेक्स आसन को अपनाने के लिए दोनों ही साथियों को अपनी सहजता पर गौर करना होगा, जिसमें आप दोनों ही सहज महसूस करते हों वही पोजीशन आपके लिए सही रहेगी.

सेक्स आसन में अपने साथी को प्यार से छूने व करीब आने के अहसास से आप दोनों को चरम अवस्था तक पहुंचने में आसानी होती है. अगर साथी इस क्रिया में सहज न हो पा रहीं हों तो आप परेशान न हो, क्योंकि कई बार साथी को स्थिति को समझने व अपनाने में थोड़ा समय जरूर लगता है. एक बार आपका साथी आपके साथ सेक्स में सहज हो जाए, तो आप किसी अन्य पोजीशन को अपनाने पर भी विचार कर सकते हैं. सेक्स के रोमांच को बढ़ाने के लिए आप सेक्स टौय, एनल सेक्स व ओरल सेक्स को अपना सकते हैं. ओरल सेक्स को करने के बाद सामान्य (योनि सेक्स) सेक्स को करने से पूर्व आपको सावधानी के रूप में कंडोम को बदलना चाहिए, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपको यौन संचारित रोगों का खतरा बना रहता है.

  1. लिंग को योनि में प्रवेश कराने का तरीका

फोरप्ले के बाद दोनों ही साथी जब सेक्स के लिए तैयार हों, तब पुरुष महिला की सहमति मिलने के बाद उनकी योनि में अपने लिंग को प्रवेश करा सकता है. लिंग को योनि के मुख पर ठीक से पहुँचाने के लिए अगर अपने हाथों की मदद लेनी पड़े, तो ज़रूर लें. यहाँ तक कि महिला को भी इसमें पुरुष की मदद करनी चाहिए. महिला लिंग को अपने हाथ में लेकर योनि के मुख पर रख सकती हैं. उसके बाद पुरुष का काम शुरू होता है.

अब पुरुष को धीरे-धीरे लिंग को योनि के अंदर ले जाएं. फिर इसको थोड़ा सा बाहर निकाले. फिर थोड़ा अंदर ले जाएँ. यह क्रिया कुछ बार दोहराएं. जब यह क्रिया स्वाभाविक हो जाए तो आप दोनों सेक्स का आनंद लेने लगेंगे. इस तरह सेक्स को करते समय आप दोनों ही साथी सहज महसूस करने लगेंगे.

हालांकि, कुछ ऐसी सेक्स पोजीशन भी हैं जिसमें महिला पुरुष के ऊपर होती है और वह खुद ही लिंग को योनि के अंदर प्रवेश करवा देती हैं.

इस दौरान आप या आपका साथी जब भी किसी क्रिया में रुकना चाहे तो आपको रुकना होगा. सेक्स के दौरान कई बार साथी किसी नए तरीके में सहज नहीं हो पाता है, ऐसे में आपको उनकी असहजता का ध्यान रखते हुए तुरंत उस क्रिया को रोक देना होगा.

  1. सेक्स को इस तरह बनाएं खास

यौन संबंध दो लोगों के बीच में होने वाले निजी संबंध होते हैं. इसमें दोनों साथी अपनी-अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए एक दूसरे के करीब आते हैं. सेक्स करने वालों के मन में इसकी सही प्रक्रिया को जानने की उत्सुकता होती है, जबकि यह उत्सुकता पहली बार सेक्स करने वालों में अधिक देखने को मिलती है. तो जानते हैं सेक्स क्रिया को करने के सही तरीके व इसको खास बनाने वाले उपायों के बारे में.

साथी के मन को समझें

 सेक्स क्रिया का पूर्ण आनंद लेने के लिए आपको अपने साथी के मन को समझना होगा. यौन संबंध बनाने से पूर्व आपको यह जानने का प्रयास करना होगा कि आपका साथी इसमें शामिल होने का इच्छुक है या नहीं. अगर आप साथी की इच्छा के बिना सेक्स करते हैं तो आपको इसमें आनंद प्राप्त नहीं होगा. जब साथी आपके पास आते हुए आपको बार-बार छूने का प्रयास करें तो यह संकेत उनके मन में उठने वाली उत्तेजनाओं की ओर इशारा करता हैं. लेकिन इसको सिर्फ संकेत कहा जा सकता है, सेक्स के लिए उनकी इच्छा जानने के लिए आपको उनसे सहमति अवश्य लेनी चाहिए.

सही तैयारी करें

 सेक्स कई तरह से आपके स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है. इससे अतिरिक्त सेक्स से कैलोरी व तनाव दूर होता है. वहीं इस क्रिया को सही तैयारी के साथ न किया जाए तो यह आपके लिए कई तरह की समस्या भी खड़ी कर सकती है. इसलिए आप सेक्स को करने से पहले पूरी तैयारी कर लें. गर्भनिरोधक गोलियां व कंडोम को अपने पास जरूर रखें. आप दोनों के रिश्तों को सेक्स नजदीकियों में बदलता है, इसीलिए इसको सुरक्षित तरीके से ही करें. इसके अलावा एक कंडोम को आप बार-बार इस्तेमाल करने से बचें. साथ ही साथ इस बारे में साथी से जरूर बात करें और उनको भी सहज महसूस कराएं.

सही जगह सेक्स के उत्साह को बढ़ा देती है

सेक्स सभी के लिए महत्वपूर्ण होता है. चाहे आप इसको पहली बार कर रहें हों या पहले भी कर चुके हों. महत्वपूर्ण होने के चलते इसके लिए सही जगह चुनना बेहद जरूरी होता है. सेक्स करने के लिए आप ऐसी जगह चुनें जो आप दोनों साथियों को पसंद आए. इसके अलावा आप कमरे में हल्की रोशनी रखें और रोमांटिक गानों को भी लगाएं. इससे सेक्स के समय आप दोनों ही बेहतर महसूस करते हैं.

जोश की जगह होश से काम लें

अधिकतर लोग सेक्स करते समय जोश में आ जाते हैं. जोश में सेक्स करना आपके साथी के मूड को खराब कर सकता है. सेक्स के लिए आपका उत्सुक होना अच्छी बात है, लेकिन आप अपनी इस भावना को सही तरह से उजागर करें. सेक्स के दौरान आपको ऐसा कुछ भी करने से बचना होगा, जिससे आपका साथी परेशान हो या वह असहज महसूस करे.

किस करने का अपना महत्व

साथी के करीब आते ही आप सबसे पहले उसको किस करते हैं और किस के माध्यम से आप अपने मन की भावना साथी के साथ साझां करते हैं. अंतरगता के साथ की गई किस महिलाओं के मूड को सेक्स के लिए बनाने का काम करती है. प्यार से साथी को किस करना, छूना व करीब आते हुए सहलाना साथी में उत्तेजना जाग्रत करता है. ऐसा करने से साथी आपके साथ भावनात्मक रूप से जुड़ाव महसूस करता है. इससे आप दोनों ही बेहतर तरह से सेक्स कर पाते हैं.

फोरप्ले करना जरूरी

सेक्स के लिए आपका साथी खुद अपने उतारे या आप उसके कपड़े उतारे एक ही बात है, लेकिन जब आप प्यार के साथ साथी के कपड़े एक-एक करके उतारते हैं, तो इसमें दोनों ही साथियों को एक अलग ही एहसास होता है. महिला को पुरुष की अपेक्षा चरम अवस्था तक पहुंचने पर अधिक समय लगता है. ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि महिला को उत्तेजित होने में समय लगता है. महिला को सेक्स के लिए तैयार करने की प्रक्रिया को ही फोरप्ले कहा जाता है.

सही समय का चुनाव करें

कई बार साथी किसी विशेष समय पर सेक्स के लिए तैयार नहीं होता है. इसलिए आप ऐसे समय का चुनाव करें जब आपके साथी अपने सभी काम को पूरा कर चुका हो, घर की सभी जिम्मेदारियों को पूरी करने में आप भी उनकी सहायता कर सकते हैं.

साथी से मदद लेना

सेक्स करते समय आपको अपने साथी से मदद लेते हुए शर्माना नहीं चाहिए. कई बार पुरुष महिला साथी से पूछे बिना इस तरह से सेक्स करते हैं कि महिला को दर्द होने लगता है. इस कारण से पुरुष को सेक्स के दौरान सही पोजीशन व आरामदायक स्थिति के बारे में महिला से बात करनी चाहिए. वहीं महिलाओं को भी पुरुषों की सहायता करते हुए बताना चाहिए कि उनको क्या करने में अच्छा लग रहा है.

आखिरी पलों को बनाएं खास

अक्सर पुरुष सेक्स के बाद महिलाओं से दूर जाकर बैठ जाते हैं या चरम अवस्था पर पहुंचते ही सोने चले जाते हैं. जबकि महिलाएं चाहती हैं कि सेक्स के बाद पुरुष उनके साथ बैठें, उनसे बातें करें. सेक्स के आखिर के पलों में पुरुषों को महिलाओं को कपड़े पहनाने में मदद करनी चाहिए. उनके साथ हंसी मजाक करके माहौल को सामान्य बनाना चाहिए. महिलाओं को भी सेक्स का अनुभव पुरुषों के साथ साझां करना चाहिए. जबकि अंत में पुरुषों को इस्तेमाल किए गए कंडोम को सही जगह पर ही फेंकना चाहिए. इसके बाद आप दोनों को संक्रमण से बचने के लिए अपने निजी अंगों की भी सफाई करनी चाहिए.

क्या सेक्स में महिलाओं की योनि से खून आता है

सेक्स को करते समय अधिकतर महिलाओं को उत्तेजित होने में थोड़ा समय जरूर लगता है. वहीं कई महिलाएं पहली बार सेक्स करते समय असहज व दर्द महसूस करती हैं. सामान्यतः यह दर्द ज्यादा तेज नहीं होता, परंतु महिला को यदि तेज दर्द का अनुभव हो तो पुरुष साथी को सेक्स करते समय रूकना होगा. सेक्स के दौरान जल्दबाजी न दिखाएं. महिलाओं को चरम सुख तक पहुंचाने की जिम्मेदारी भी पुरुषों की होती है, इसलिए आप किसी अच्छें ल्युब्रिकेंट का प्रयोग कर सकते हैं, ताकि इस दौरान आप दोनों की त्वचा घर्षण से जख्मी न हो. ध्यान रहें कि तेल युक्त ल्युब्रिकेंट व वैसलीन के इस्तेमाल से कंडोम के खराब हो जाने का खतरा बना रहता है.

अगर महिला पहली बार सेक्स कर रही है तो उनको हल्का रक्त स्त्राव हो सकता है. इससे महिलाओं को घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि अधिकतर महिलाओं में पहली बार सेक्स करते समय रक्त स्त्राव होना आम बात है. अगर किसी महिला को पहली बार सेक्स के दौरान रक्त स्त्राव न हो, तो भी यह एक सामान्य अवस्था ही होती है. ऐसा जरूरी नहीं है कि पहली बार सेक्स करते समय सभी महिलाओं को रक्त स्त्राव हो.

जिन महिलाओं को सेक्स करते समय हर बार रक्त स्त्राव हो रहा हो, उनको किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से मिलकर इस समस्या के सही कारणों का पता लगाकर उसका निदान करना चाहिए.

सेक्स से प्रेग्नेंसी, एचआईवी व यौन संचारित रोग होने का खतरा होता है क्या

कंडोम के बिना सामान्य सेक्स (योनि सेक्स) करने से प्रेग्नेंसी व यौन संचारित रोगों (एसटीडी) के साथ ही एचआईवी होने का भी खतरा बना रहता है. चाहे आप पहली बार ही सेक्स क्यों न कर रहें हो प्रेग्नेंसी व एसटीडी से बचने के लिए आपको कंडोम का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए.

अगर आप असुरक्षित यौन संबंध बना चुके हैं, तो आपको जल्द ही किसी डॉक्टर से इस बारे में सलाह लेनी चाहिए. ऐसे में प्रेग्नेंसी को रोकने के लिए गर्भनिरोधक गोलियां ले सकते हैं. प्रेग्नेंसी से बचने के लिए आपके पास कई विकल्प मौजूद होते हैं, लेकिन यौन संचारित संक्रमण व एचआईवी से बचने के लिए आपको केवल कंडोम का इस्तेमाल करना होता है. साथी के साथ सेक्स से पूर्व सावधानी बरतना आप दोनों को ही सेक्स में सहजता प्रदान करता है. सेक्स करना आप दोनों का ही अपना निजी फैसला होता है, लेकिन इस दौरान सावधानी बरतना बेहद ही जरूरी होता है.

सेक्स करने के तरीके

एक दूसरे की अपेक्षाओं को जानें –

आपको अपने साथी के साथ सेक्स करने से कुछ समय पहले अपनी अपेक्षाओं को समझना होगा. इसके लिए आप एक सप्ताह का समय भी निर्धारित कर सकते हैं. साथी के करीब आने पर पहले कुछ दिनों में केवल आप उनके साथ किस करें व उनके हाथों को प्यार से पकड़ने तक ही सीमित रहें. इसके बाद आगे बढ़े. लेकिन ध्यान रहें कि तुरंत ही सेक्स न करें. आप व साथी दोनों ही सेक्स से क्या अपेक्षाएं रखते हैं, इस बारे में आपस में बात करें.

जब सप्ताह खत्म होने वाला हो तो आपको सेक्स करना चाहिए. सेक्स को करते समय आपको अपनी और साथी की इच्छाओं का मान रखना चाहिए. इस तरह की प्रक्रिया से आप अपने व साथी के अंदर भावनाओं को जगा सकते हैं. साथ ही अपने साथी के साथ के बारे में आप क्या सोचते हैं या प्यार में आप क्या महसूस करते हैं, इन बातों को एक-दूसरे को जरूर बताएं.

अपने साथी को मसाज दें  –

बेहतर सेक्स के तरीकों में मसाज एक बेहद ही कारगर व सरल उपायों में गिनी जाती है. इससे साथी के अंदर काम भावनाएं जागती है. यह सेक्स से पहले किए जाने वाले फोरप्ले का ही एक तरीका है. मसाज आपके साथी को सेक्स के लिए धीरे-धीरे तैयार करने का काम करती है और चरम अवस्था (ऑर्गेज्म) पर पहुंचने के लिए साथी के अंदर उत्तेजना को बढ़ाती है.

साधारण तरह से की गई मसाज न सिर्फ सेक्स को बढ़ाती है बल्कि आपकी सेक्सुअल लाइफ को भी बेहतर करती है. सेक्स के उद्देश्य से न की जाने वाली मसाज से आपको अपने साथी के शरीर के बारे में जानने का मौका मिलता है. इसके अलावा इससे साथी का तनाव कम करते सकते हैं और आप दोनों एक दूसरे के करीब आ सकते हैं.

अगर आप कामोत्तेजना को बढ़ाने के लिए मसाज का सहारा नहीं लेते हो, तो आप अपने साथी के साथ बैठकर दोनों के बीच की गलतफहमियों को दूर करें.

भावनाओं को समझने का प्रयास करें

बिना छुए हुए भी आप अपने साथी को बेहतर महसूस करवा सकते हैं. सुंगधित तेल से मसाज करना, कमरे में हल्की रोशनी के लिए मोमबत्तियों को जलाना व हल्की आवाज में रोमांटिक गानें भी, साथी में सेक्स की भावनाओं को जगाने का काम करते हैं. इसके अलावा साथी के पास होने पर एक दूसरे की सांसों की आवाज को सुनना भी आप दोनों में ही प्यार की भावनाओं को बढ़ाता है.

साथी को किस करते समय मन की भावनाओं पर भी ध्यान दें. अगर आप सेक्स करने जा रहें हैं और इसको मजेदार बनाना चाहते हैं, तो आपको सेक्स करते समय स्ट्रॉबेरी या किसी अन्य रसदार फल को सेक्स क्रिया में शामिल करना चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि आप जब भी कंडोम का इस्तेमाल करें, तो उसमें कोई तेल न लगाएं इससे वह खराब हो जाता है.

सेक्स कैसे करते हैं

साथी के कानों में प्यार भरी बातें करें –

जब आप अपने साथी के साथ होते हैं और उनके कानों में कुछ प्यार भरी बातें करते हैं तो इस अहसास से बेहतर और कुछ नहीं होता है. इस तरह का उपाय आप दोनों के बीच की दूरी को कम करता है. आप अपने साथी को प्यार का इजहार करने के लिए फोन कॉल्स या मैसेज भी कर सकते हैं. इससे आप दोनों के ही अंदर एक उत्सुकता आती है.

प्यार का संदेश देने के लिए आप ईमेल या फिर किसी पत्र का भी सहारा ले सकते हैं. लेकिन आप इस बात का ध्यान रखें कि इस संदेश को किसी खास आदमी के द्वारा ही साथी के पास भेंजे.

खुद व साथी द्वारा हस्तमैथुन करें –

खुद व साथी के द्वारा हस्तमैथुन करना आपकी सेक्सुअल जिंदगी को बेहद ही अहम बना देता है. आप अपने शरीर की यौन प्रतिक्रियाओं को जानने के लिए भी इसे अपना सकते हैं. साथ ही आपको इसे करने से कैसा महसूस हुआ, इस बात को साथी के साथ साझा भी कर सकते है.

अपने साथी का हस्तमैथुन करने से आपको इस बारे में पता चलता है कि वह कैसा महसूस करते हैं. आपके सेक्स करने के अनुभव को महसूस करने के लिए भी यह एक विकल्प हो सकता है. इसके बारे में साथी से बात जरूर करें.

सेक्स के किए विशेष खिलौने इस्तेमाल करें –

आज सेक्स के लिए कई तरह के विशेष सेक्स खिलौने (Sex toys) बाजार में उपलब्ध है. अगर आप और आपका साथी इनको इस्तेमाल करने में सहूलियत महसूस करता है, तो आपको अपने चरम आनंद के लिए इस तरह के खिलौनों का प्रयोग करना चाहिए. कई लोग अपनी सेक्सुअल लाइफ में इन सेक्सुअल खिलौनों जैसे वाइब्रेटर (vibrators) आदि का प्रयोग करते हैं. लेकिन अगर आपने इसके इस्तेमाल के बारे में पहले कभी सोचा ही नहीं, तो आप इसके प्रयोग से होने वाली भावनाओं को नहीं समझ पाएंगे.

इन खिलौनों को आप ऑनलाइन भी खरीद सकते है. इसके लिए जरूरी नहीं है कि आप ज्यादा पैसे खर्च करें. आप इसमें छोटे बालों वाला ब्रश भी खरीद सकती है. इस ब्रश के नरम बाल आपके शरीर पर जादू सा उत्पन्न करते है और आप इसका इस्तेमाल कर कोई नया खेल भी आजमा सकते हैं.

सेक्स कैसे करें

सेक्स पर किताबें पढ़ें

आपको बता दें कि ऐसी कई तरह की किताबें मौजूद हैं जो किसी भी उम्र, लिंग और इच्छाओं को जानें बिना आपको सेक्स संतुष्टि के आसनों व विचारों को बताती है. अगर आप ने इस तरह की किताब को खरीदने के बारे में विचार नहीं किया है तो अब अपनी जरूरत के अनुसार इसको लेने पर विचार करें, क्योंकि इन किताबों से भी आपको काफी कुछ सिखने को मिल जाएगा.

अपनी इच्छाओं व कल्पनाओं को एक दुसरे से साझा करें

इस विषय हर आदमी की अपनी अलग इच्छा व कल्पनाएं होती है. आप सेक्स को लेकर जैसा सोचते हैं, उन सभी विचारों को साथी के साथ साझा करें. सिर से पैर तक, बालों से कूल्हों तक व कहीं बाहर घुमने के बारे में, आप क्या सोचत हैं सभी बातों को अपने साथी को बताएं.

अगर आप दोनों ही एक दूसरे की कल्पनाओं को पूरा करते हैं, तो आप साथी को सेक्स में भरपूर आनंद प्रदान कर सकते हैं. इसके अलावा कुछ नए खेल के साथ सेक्स करना भी आपके लिए मजेदार हो सकता है.

खुद को साफ सुथरा रखें –

हम केवल आपकी सामान्य तरह की साफ सफाई के बारे में बात कर रहें हैं. इसका मतलब यह नहीं है कि आप अपने शरीर को ज्यादा ही साफ सुथरा रखने पर जोर देने लगें, थोड़ा बहुत पसीना हर किसी को आता ही है. लेकिन यह ज्यादा ना हो इस बात पर ध्यान दें. अपने साथी को सम्मान दें और शरीर से आने वाले दुर्गंध को खुद से दूर ही रखें.

किसी प्रकार की चिंता न करें –

प्यार करने वाले साथी के साथ सेक्स करना जिंदगी का बेहद ही भावनात्मक और खूबसूरत अनुभव होता है. कभी-कभी सेक्स करते समय ज्यादा उत्सुक होना या ऑर्गेज्म के बारे में चिंता करना आपके लिए खराब हो सकता है. इसलिए आप अपने दिमाग को शांत रखें और प्यार के साथ सेक्स के खुशनूमा पल को महसूस करें.

मेरी पत्नी सेक्स संबंधों में सहयोग नहीं करती, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 45 वर्षीय विवाहित पुरुष हूं और पत्नी की उम्र 40 वर्ष है. समस्या यह है कि मेरी पत्नी सेक्स संबंधों में सहयोग नहीं करती. वह कहती है, अब उस की सेक्स संबंध बनाने में रुचि नहीं है. साथ ही, कहती है कि उम्र ज्यादा हो गई है. जबकि उस का मासिकधर्म भी नियमित है. आप बताइए, मैं क्या करूं?

जवाब

आप अपनी पत्नी को समझाइए कि सेक्स का उम्र से कोई लेनादेना नहीं होता. वैसे भी, उन की उम्र ज्यादा नहीं है. आजकल इस उम्र में तो लोग वैवाहिक बंधन में बंध रहे हैं. हो सकता है आप की पत्नी के साथ हार्मोनल बदलाव के कारण ऐसा हो रहा हो. आप अपनी पत्नी को किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ को दिखाएं और उस के दिशानिर्देशों का पालन करें. आप की समस्या का समाधान हो जाएगा.

मकान मालिक को लगता है कि मेरा और उसकी बीवी का चक्कर चल रहा है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल का हूं और दिल्ली में अकेला किराए के घर में रहता हूं. मकान मालिक की बीवी मेरा खास खयाल रखती हैं और मुझे अपने छोटे भाई जैसा मानती हैं, पर मकान मालिक को लगता है कि हमारे बीच कुछ इश्क का चक्कर चल रहा है, क्योंकि वे अभी तक बेऔलाद हैं. इस बात से उन के घर में आएदिन क्लेश होता है. पर जब हमारे बीच में अच्छा रिश्ता है, तो मकान मालिक को क्यों नहीं समझ आता है. मुझे अब क्या करना चाहिए?

जवाब

यह समाज का दस्तूर है कि वह हर रिश्ते में खोट और कुछ न कुछ नाजायज ढूंढ़ता रहता है. यही आप दोनों के साथ हो रहा है. ऐसे में आप किसकिस को सफाई देंगे. चूंकि आप की मकान मालकिन बेऔलाद है, इसलिए उस के पति को शक हो रहा है कि वह आप से औलाद चाहने के लिए नजदीकियां बढ़ा रही है. अब यह खुद आप को तय करना है कि आप अपनी मुंहबोली बहन को क्लेश में पड़े देखना चाहते हैं या नहीं. मकान मालिक को सम   झा पाना अब आसान काम नहीं है, क्योंकि शक का इलाज तो लुकमान हकीम के पास भी नहीं था.

आखिर क्यों हो जाता है सेक्सुअल बिहेवियर अजीब, जानें उपाय

अमेरिका ने भी सेक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सेक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सेक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सेक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सेक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

सेक्स फैरामोन: सेक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीडि़त व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सेक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सेक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सेक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सेक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सेक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सेक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सेक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सेक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सेक्स फोबिया: यह सेक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सेक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सेक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सेक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सेक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सेक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सेक्स मेनिया और सेक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सेक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सेक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सेक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सेक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सेक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सेक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सेक्स ऐडिक्शन: सेक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीडि़त व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सेक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सेक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सेक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सेक्स ऐडिक्ट की सेक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सेक्स कर सकते हैं.

ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सेक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सेक्सुअल बिहेवियर से पीडि़त हो जाता है.

अगर हम बात करें सेक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80% सेक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सेक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सेक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सेक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीडि़त है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीडि़त पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

पुरुष का हृष्ट-पुष्ट और सुदर्शन दिखना बिस्तर में खिलाड़ी होने की गारंटी नहीं

अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि पुरुष के सुदर्शन होने का या उसकी शोहरत का उसकी यौन क्षमता से कोई संबंध नहीं होता. बहुत संभव है कि फुटबॉल के मैदान का चोटी का खिलाड़ी बिस्तर पर शीघ्रपतन की समस्या का शिकार हो. इसी तरह यह भी हो सकता है कि हर समय और जगह सुंदरियों से घिरा सुपरस्टार लैंगिक तनाव की समस्या झेल रहा हो. कई साल पहले एक हॉलीवुड स्टार की पत्नी ने शादी के एक साल बाद ही अदालत में तलाक की यह कहते हुए अर्जी लगायी थी कि यह शख्स जानता ही नहीं कि औरत-मर्द के बीच सेक्स जैसी कोई बात भी हुआ करती है.

सेक्स के मामले की सच्चाई यही है कि जो चमकता है, जरूरी नहीं कि वह हीरा ही हो. इसके विपरीत बेरंग-सा नजर आने वाला पत्थर परखे जाने पर हीरा निकल सकता है. सदियों पहले वात्स्यायन ने भी कहा था कि विशालकाय पुरुषों की अपेक्षा दुबले-पतले और छोटे कद वाले पुरुष बिस्तर में ज्यादा समर्थ सिद्ध होते हैं. कुछ दशक पहले एक मराठी फिल्म अभिनेत्री ने इस धारणा को अपनी कहानी के जरिये सही साबित किया था.

वास्तव में इस अभिनेत्री ने तीन शादियां की थीं. पहली शादी उसने एक हीरो से की, जो कि दिखने में बेहद सुदर्शन था. सुंदर और ऊंची कद-काठी वाले इस पुरुष से अभिनेत्री एक साल से ज्यादा निबाह नहीं सकीं.

अभिनेत्री ने हीरो से तलाक लेने के बाद एक सनसनीखेज बात कही थी कि दरअसल हीरो को पहले ही दूसरी औरतें बुरी तरह निचोड़कर खाली कर चुकी थीं. मेरे लिए तो वह एक चूसे हुए आम की माफिक था. अभिनेत्री ने दूसरी शादी अधेड़ फिल्म निर्माता से रचायी थी, जो जवानी के दिनों में एक मशहूर पहलवान हुआ करता था.

तीन साल के बाद अभिनेत्री ने इन साहब से भी तलाक ले ली और उसका कारण यह बताया कि वह शख्स आज भी एक सच्चा पहलवान ही है . बिस्तर पर भी वह अपने लंगोट को कसकर रखता है. मेरी समझ में नहीं आता कि जो चीज उसके पास है ही नहीं, उसे वह छुपाने की कोशिश क्यों करता है?

अभिनेत्री ने तीसरा और अंतिम ब्याह एक साधारण सफलता पाने वाले कॉमेडियन से रचाया, जो न केवल लाठी की तरह पतला-दुबला था बल्कि कद में अभिनेत्री से भी कई इंच छोटा था.

दोनों की आखीर तक निभी. अभिनेत्री ने उसके बारे में अपनी एक सहेली को बताया, ‘वह जितना नाकाम एक्टर है, उतना ही कामयाब प्रेमी है.’ वात्स्यायन ने जो बात हजारों साल पहले कही थी, उसकी व्याख्या एक अमरीकी यौन विशेषज्ञ डॉ. आलमंड बेकर इस तरह करते हैं, ”हद से अधिक सुदर्शन और सजीली काया वाला पुरुष अक्सर इतना स्वार्थी होता है कि वह अपने ही इश्क में गिरफ्तार होकर रह जाता है. इस कारण उसके भीतर जो अति आत्मविश्वास की स्थिति बन जाती है, वह उसके यौन स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होती है. वह बिस्तर पर स्त्री के साथ होता है, किंतु अपनी कल्पना में केवल अपने साथ होता है.

इसके विपरीत साधारण रंग-रूप तथा तथा औसत कद-काठी वाले पुरुष बिस्तर पर अपनी संगिनी को संतोष व सुख देने के मामले में अधिक सचेत होते हैं. वे अपनी यौन सक्रियता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाने की स्थिति में होते हैं.“

इस अंतर का एक कारण यह भी है कि लंबे-चौड़े और ताकतवर नजर आने वाले पुरुष कभी-कभी अपने शरीर में चर्बी का संचय इतना कर लेते हैं जो उनकी संभोग क्षमता को क्षीण बना देती है. वे शादी के कुछ ही अरसा बाद लैंगिक तनाव की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं. दूसरी तरफ क्षीणकाय दिखने वाले पुरुषों में चर्बी की कमी उनके और उनकी संगिनी के काम संबंधों के लिए सकारात्मक सिद्ध होती है.

कुछ इसी प्रकार की धारणा स्त्रियों के बारे में पुरुषों की होती हैं. सुंदर और जोशीली स्त्री को देखकर पुरुष कल्पना करने लगता है कि जितनी अच्छी वह देखने में लग रही है, उतनी ही अच्छी बिस्तर पर भी होगी. ऐसा होना कतई जरूरी नहीं है. साधारण और सुंदर स्त्री का अंतर कमरे की बत्ती बुझते ही खत्म हो जाता है. उसके बाद महत्व केवल इस बात का रह जाता है कि दोनों एक-दूसरे के प्रति कितना समर्पित और कामोत्साही हैं.

ऐसी अवस्था में अपनी साथी को प्यार करने वाली एक साधारण स्त्री या यूं कह लीजिए कि कुरूप समझी जाने वाली स्त्री एक रूपगर्विता की अपेक्षा कहीं अधिक उत्तेजक और आनंददायिनी सिद्ध हो सकती है. ऐसी स्त्री अपने आसपास के लोगों द्वारा बार-बार अपने रूप का बखान इतनी बार सुन चुकी होती है कि वह अपने आपको इतनी सारी शर्तों और नखरों में  बांध लेती है, जिनका सिलसिला उसके काम संबंधों तक पहुंच जाता है. ऐसी स्त्री के साथ दो-चार शुरूआती संसर्ग उत्सुकता जनित सुख देने वाले तो हो सकते हैं, किंतु पुरुष बहुत जल्द उससे उकता जाता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि स्त्री जितनी अधिक रूप लावण्य वाली होती है, उसके तलाक की संभावना भी उतनी अधिक हुआ करती है.

(यह लेख लोकमित्र गौतम द्वारा विख्यात सेक्सोलाजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी से की गई बातचीत पर आधारित है)

सैक्स सिखाता है आपको साफ रहना

रानी और रजनी पक्की सहेलियां हैं. दोनों मध्यवर्गीय, पढ़ीलिखी, उदार, सहिष्णु, मितव्ययी, परिवार का खयाल रखने वाली, नईनई चीजों को सीखने की इच्छुक हैं. बस दोनों में एक ही अंतर है. यह अंतर देह प्रेम को ले कर है. एक छत के नीचे रहते हुए भी रानी और उस के पति के बीच देह प्रेम उमड़ने में काफी वक्त लगता है. महीनों यों ही निकल जाते हैं. उधर रजनी और उस का पति हफ्ते में 1-2 बार शारीरिक निकटता जरूर पा लेते हैं. रानी इस प्रेम को गंदा भी समझती है, जबकि रजनी ऐसा नहीं सोचती है. दोनों एकदूसरे के इस अंतर को जानती हैं.

आप कहेंगे कि भला यह क्या अंतर हुआ? जी हां, यही तो बड़ा अंतर है. पिछले दिनों इस एक अंतर ने दोनों सहेलियों में कई और अंतर पैदा कर दिए थे.

इस एक अंतर से ही रानी तन को स्वच्छ रखने में संकोची हो गई थी. केवल वह ही नहीं, बल्कि उस के पति का भी यही हाल था. उसे अपने कारोबार से ही फुरसत नहीं थी. वह हर समय गुटका भी चबाता रहता था.

सैक्स सिखाए स्वच्छ रहना

उधर, रजनी नख से शिख तक हर अंग को ले कर सतर्क थी. बेहतर तालमेल, प्रेम, अंतरंगता और नियमित सहवास की वजह से रजनी को यह एहसास रहता था कि एकांत, समय और निकटता मिलने पर पति कभी भी उसे आलिंगन में भर सकता है. वह कभी भी उस के किसी भी अंग को चूम सकता है. कभी भी दोनों के यौन अंगों का मिलन हो सकता है. ऐसे में वह अंदरूनी साफसफाई को ले कर लापरवाह नहीं हो सकती थी. रजनी की तरफ से इसी प्रकार की कोई भी प्रतिक्रिया उस के पति को भी अंदरूनी रूप से स्वच्छ रखने में मदद करती थी.

इस एक अंतर से ही रानी अपनी देह और खानपान के प्रति भी लापरवाह हो गई थी. जब देह को निहारने वाला, देह की प्रशंसा करने वाला कोई न हो तो अकसर शादी के बाद इस तरह की लापरवाही व्यवहार में आ जाती है. रानी इस का सटीक उदाहरण थी. इस वजह से समय बीतने के साथ उस ने चरबी की कई परतों को आमंत्रण दे दिया था. उधर रजनी का खुद पर पूरा नियंत्रण था, लिहाजा वह छरहरे बदन की स्वामिनी थी.

इस एक अंतर के कारण ही रानी एक दिन डाक्टर के सामने बैठी थी. रजनी भी साथ थी. रानी को जननांग क्षेत्र में दर्द की समस्या थी, जो काफी अरसे से चली आ रही थी. डाक्टर ने बताया कि इन्फैक्शन है. इन्फैक्शन का कारण शरीर की साफसफाई पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाना है. साफसफाई में लापरवाही से समस्या गंभीर हो गई थी.

रानी का मामला रजनी के पति को भी पता चल गया था. वास्तव में हर वह बात जो रजनी और उस के पति में से किसी एक को पता चलती थी, वह दूसरे की जानकारी में आए बिना नहीं रहती थी. वे दोनों हर मामले पर बात करते थे. रात में जब रजनी ने पति राजेश को सारी बात बताई तो राजेश ने कहा, ‘‘तुम्हें अपनी सहेली को समझाना चाहिए कि देह प्रेम गंदी क्रिया नहीं है. मैं यह तो नहीं कहता कि ऐसे सभी विवाहित लोग जो सहवास नहीं करते, वे शरीर की साफसफाई को ले कर लापरवाह रहते होंगे, लेकिन मैं यह गारंटी से कह सकता हूं कि यदि पतिपत्नी नियमित अंतराल पर देह प्रेम करते हैं, तो दोनों ही अपने तन की स्वच्छता के प्रति लापरवाह नहीं रह सकते यानी यदि वे सहवास का आनंद लेते हैं तो वे ज्यादा स्वस्थ और स्वच्छ रहते हैं.’’

दवा है सैक्स

राजेश ने बिलकुल ठीक कहा. दरअसल, जब पतिपत्नी को यह एहसास रहता है कि वे एकदूसरे को प्यार करते हैं और उन्हें शारीरिक रूप से जल्दीजल्दी निकट आना है, तो दोनों ही स्वाभाविक रूप से अपने हर अंग की साफसफाई के प्रति सचेत रहते हैं. इस से न सिर्फ उन का व्यक्तित्व निखरता है और दोनों में प्रेम बढ़ता है, बल्कि कई रोग भी शरीर से दूर रहते हैं. इस के उलट जो दंपती शारीरिक संबंधों के प्रति उदासीन रहते हैं, वे अपनी साफसफाई के प्रति भी लापरवाह हो सकते हैं.

हम सभी जानते हैं कि वैवाहिक जीवन में पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध के 2 प्रमुख उद्देश्य होते हैं. पहला संतान की उत्पत्ति और दूसरा आनंद की प्राप्ति. लेकिन बारीकी से नजर डालें तो सहवास से एक परिणाम और निकलता है, जिसे तीसरा उद्देश्य भी बनाया जा सकता है. दरअसल, सहवास से पतिपत्नी अच्छा स्वास्थ्य भी पा सकते हैं. इसे हम यों भी कह सकते हैं कि यदि पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बन रहे हैं, तो इस बात की संभावना ज्यादा है कि वे स्वस्थ भी रहेंगे.

जी हां, पतिपत्नी के बीच सैक्स को कई तरह की दिक्कतें दूर करने की दवा बताया गया है. सैक्स को ले कर दुनिया भर में अनेक शोध किए गए हैं और किए जा रहे हैं. विभिन्न शोधों के बाद दुनिया भर के विशेषज्ञों ने सैक्स के फायदे कुछ इस तरह गिनाए हैं:

– पतिपत्नी के बीच नियमित अंतराल पर शारीरिक संबंध बनने से तनाव और ब्लड प्रैशर नियंत्रण में रखने में सहायता मिलती है. तनाव में कमी आती है, तो अनेक अन्य रोग भी पास नहीं फटकते हैं.

– सप्ताह में 1-2 बार किया गया सैक्स रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है.

– सैक्स अपनेआप में एक शारीरिक व्यायाम है और विशेषज्ञों के अनुसार आधे घंटे का सैक्स करीब 90 कैलोरी कम करता है यानी सैक्स के जरीए वजन घटाने में भी मदद मिलती है.

– एक अध्ययन कहता है कि जो व्यक्ति हफ्ते में 1-2 बार सैक्स करते हैं उन में हार्ट अटैक की आशंका आधी रह जाती है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि शारीरिक प्यार एक तरह से भावनात्मक प्यार का ही बाहरी रूप है, इसलिए जब हम शारीरिक प्यार करते हैं, तो भावनाओं का घर यानी हमारा दिल स्वस्थ रहता है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार सैक्स, फील गुड के एहसास के साथसाथ स्वसम्मान की भावना को भी बढ़ाने में सहायक होता है.

– शारीरिक संबंध प्रेम के हारमोन औक्सीटौसिन को बढ़ाने का काम करता है, जिस से स्त्रीपुरुष का रिश्ता मजबूत होता है.

– सैक्स शरीर के अंदर के स्वाभाविक पेनकिलर ऐंडोर्फिंस को बढ़ावा देता है, जिस से सैक्स के बाद सिरदर्द, माइग्रेन और यहां तक कि जोड़ों के दर्द में भी राहत मिलती है.

– वैज्ञानिकों के अनुसार जिन पुरुषों में नियमित अंतराल पर स्खलन (वीर्य का निकलना) होता रहता है, उन में ज्यादा उम्र होने पर प्रौस्टेट संबंधी समस्या या प्रौस्टेट कैंसर की आशंका काफी कम हो जाती है. यहां नियमित अंतराल से मतलब 1 हफ्ते में 1-2 बार सहवास से है.

– सैक्स नींद न आने की दिक्कत को भी दूर करता है, क्योंकि सैक्स के बाद अच्छी नींद आती है.

सहवास एक दवा है. दवा भी ऐसी जिस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं है, इसलिए पतिपत्नी को स्वस्थ रहने के लिए इस दवा का नियमित अंतराल पर सेवन अवश्य करना चाहिए.

एसटीडी और महिलाएं: सेक्स की राह में खतरे भी हैं कई!

‘कई बरस पुरानी बात है, मेरा सम्बंध एक रईस और मशहूर व्यक्ति से था. वह बेहद हाॅट और डैशिंग था. उसे देख हमेशा मन विचलित हो उठता था. वह वाकई किसी भी लड़की का ड्रीम ब्वाॅय हो सकता है. वह हमेशा डिजायनर सूट्स में रहता था. गाॅगल्स के बिना तो वह कभी घर से निकलता ही नहीं था. एक रोज उसने मुझे ऑफर कर दिया. मैं उसे मना ही नहीं कर पायी. आखिर कैसे करती? वह मेरे सपनों का राजकुमार था. वह राजकुमार जो सफेद घोड़े पर आकर मुझे ब्याहकर ले जाता है. हालांकि वह घोड़े पर नहीं आया था. मगर उसकी कार सफेद रंग की ही थी.

बहरहाल उसने मुझे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया. मैं बहुत खुश थी. उन्हीं दिनों जब उसने मुझसे अंतरंग सम्बंध स्थापित करने चाहे तो मैं इंकार नहीं कर सकी. वह रात का समय था. मैं यहां पेइंग गेस्ट के तौरपर रहती थी. मकान के मालिक घर पर नहीं थे. वह मेरे घर आया था. वो सब बहुत अचानक हुआ, जिसकी मुझे कल्पना नहीं थी. हालंाकि मैं बहुत खुश थी. इस सबके बीच मैं एक चीज भूल ही गई कि उन लम्हों के पहले कुछ सुरक्षा का भी ख्याल रखना चाहिए. लेकिन उस पर आंख मूंदकर भरोसा करती थी. इसलिए जो हुआ वह जानबूझकर था. लेकिन इस घटना  के एक साल बाद मैं चेकअप के लिए अपनी गायनी (स्त्रीरोग विशेषज्ञ) के पास गयी. मुझे बताया गया कि मैं क्लामीडिया (बीसंउलकपं) की शिकार हो गयी हूं. इस खबर से भी ज्यादा खतरनाक यह था कि बैक्टीरिया ने मेरी एक फेलोपियन ट्यूब को भी इंफेक्ट (संक्रमित) कर दिया था, जिससे मैं कभी भी मां नहीं बन सकती थी.’

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यह एक 28 वर्षीय महिला का दर्दभरा खत है. लेकिन इस रोग से ग्रस्त वह अकेली महिला नहीं है. दरअसल, एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीजेज़ यानी यौन संक्रमण रोग जिसमें क्लामीडिया भी आता है) रोगियों की तादाद खासकर महिलाओं में बढ़ती जा रही है. पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में किए गये सर्वेक्षण के अनुसार, एसटीडी से जितने लोग ग्रस्त हैं, उनमें से 50 प्रतिशत से भी अधिक 25 वर्ष की आयु से कम के हैं. डाॅ. मिटशेल क्राइनिन, जिनके नेतृत्व में यह सर्वे किया गया, का कहना है कि एसटीडी का ज्यादा खतरा महिलाओं को है क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के गुप्तांगों के इर्दगिर्द म्युकस मेंबरेंस ज्यादा होते हैं जिनके गर्म व नमी वाले वातावरण में बैक्टीरिया व वायरस को फलने-फूलने का अच्छा अवसर मिल जाता है. साथ ही 20-25 वर्ष आयुवर्ग वाली युवतियों की जो वैजाइनल (योनि) लाइनिंग होती है, उसमें प्रवेश करना बैक्टीरिया व वायरस के लिए आसान होता है. इससे भी खतरनाक बात यह है कि महिलाओं में एसटीडी ज्यादातर लक्षणरहित होती है.

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते अगर इसका उपचार करा लिया जाए, तो फिर कुछ खास समस्या नहीं रहती. महिलाओं को होने वाला ऐसा ही एक रोग है एचपीवी. एचपीवी किस तरह महिलाओं को अपने घेरे में लेता है, पढ़िए यह पत्र- ‘रूटीन चेकअप कराने के बाद जब मेरी गायनी ने यह बताया कि मुझे एचपीवी है तो मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गयी. इससे भी ज्यादा खराब मुझे यह लगा जब गायनी ने कहा कि मुझ जैसी लड़कियों को एचपीवी होना ही चाहिए. डर के साथ मुझे शर्म भी थी इसलिए मैंने यह बात किसी को नहीं बतायी. लेकिन एक बोझ के साथ भी ज्यादा दिन जिया नहीं जा सकता. लिहाजा यह बात मैंने अपनी सबसे प्यारी सहेली को बतायी. उसने मुझे अपनी बहन से मिलवाया जो खुद एचपीवी की शिकार थी. दोनों बहनों ने मुझे समझाया कि एचपीवी सेक्स करने की सजा नहीं है. यह तो एक वायरस है जो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है.’

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एचपीवी का अर्थ है ह्यूमन पेपिल्लोमा वायरस (ीनउंद चंचपससवउं अपतने). इसके तहत विभिन्न किस्म के लगभग 100 वायरस आते हैं जिनसे वाटर््स (मस्से) हो जाते हैं. इनमें से 40 वायरस महिलाओं को उस वक्त संक्रमित करते हैं, जब उनके गुप्तांग किसी संक्रमित पुरुष के संपर्क में आ जाएं. अमूमन जब यह होता है तो न कोई मस्से विकसित होते हैं और न ही किसी बीमारी का अहसास होता है. और कुछ माह या कुछ साल बाद महिला के जिस्म का इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) अपने आप ही इन वायरसों को नष्ट कर देता है.

लेकिन इन सौ में से दो वायरस ऐसे हैं जिनकी वजह से वार्ट्स या मस्से विकसित हो सकते हैं. संक्रमण के दो सप्ताह के भीतर वल्वा (भग), वैजाइना (योनि), सर्विक्स और एनल (गुदा) क्षेत्र- या जहां भी संक्रमित साथी के साथ संपर्क बनाया गया हो- सफेद या त्वचा की रंग के चकत्ते उभर आते हैं. एक या दो ही चकत्ते होते हैं लेकिन अक्सर एक ही मस्सा गोभी के फूल की तरह बहुत सारे मस्सों में फूट जाता है. इन सौ में से 15 वायरस से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है. हालांकि पुरुषों को इस रोग से कोई खास नुकसान नहीं होता लेकिन एचपीवी संक्रमण उन्हें कैरियर (वाहक) अवश्य बना देता है, यानी वे इस रोग को एक महिला से दूसरी महिला तक पहुंचा सकते हैं. शोध से यह भी मालूम हुआ है कि एचपीवी के कुछ वायरस पुरुषों में एनल (गुदा) और पेनाइल (लिंग) कैंसर का कारण भी बन जाते हैं.

वार्ट्स या मस्से मुलायम और सूखे होते हैं लेकिन उनमें कोई तकलीफ या खुजली नहीं होती. सवाल यह है कि क्या यह हमेशा संक्रमित होते हैं? इस सिलसिले में विख्यात गुप्तरोग विशेषज्ञ स्वर्गीय डाॅ. बी.बी. गिरि का कहना है, ‘वार्ट्स हमेशा बहुत अधिक इंफेक्शस (संक्रमणकारी) होते हैं. अगर वार्ट्स मौजूद न भी हों तो भी उनसे एचपीवी दूसरों को लग सकती है या खुद को हो सकती है.’ डाॅ. गिरि का यह भी कहना है कि कंडोम हमेशा एचपीवी से बचाव नहीं कर सकता. ऐसा इसलिए है क्योंकि कंडोम पुरुष के सिर्फ निजी अंग को ढकता है और दूसरी जगहों पर जो इसके वायरस होंगे, वह महिला को लग सकते हैं. अब सवाल यह है कि अगर किसी को एचपीवी के वार्ट्स हो जाएं, तो क्या किया जाए? इस सिलसिले में गायनी अकसर एक क्रीम सुझाती हैं जिससे आठ सप्ताह के भीतर आराम पहुंच जाता है. लेकिन अगर यह काम न करे, तो गायनी उन मस्सों को अपने क्लिनिक में बर्न या फ्रीज़ करेगी. यह भी हो सकता है कि एक मस्सा ठीक कराते वक्त दूसरा मस्सा पनप जाए.

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जैसा कि ऊपर कहा गया है कि चालीस एचपीवी वायरस कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचाते. लेकिन जिन दो वायरसों से संक्रमण होता है, उनसे सर्वाइकल डिस्प्लेसिया -सर्विक्स की कोशिकाओं में परिवर्तन- हो सकता है जिसकी सर्वाइकल कैंसर में तब्दील होने की आशंका रहती है. लेकिन घबराने की बात नहीं है. जितनी जल्दी आप पैप (चंच) टेस्ट करा लेंगी उतनी जल्दी यह मालूम हो जायेगा कि डिस्प्लेसिया है या नहीं. जाहिर है, मालूम होने पर उसे कैंसर के स्तर तक पहुंचने से रोका जा सकता है.

इस तरह करें सुहागरात की तैयारी, बनी रहेगी प्यार की खुमारी

जीवन के कुछ बेहद रंगीन पलों, जिन की कल्पना मात्र से धड़कनें तेज हो जाती हैं और माहौल में रोमानियत छा जाती है, में से एक है शादी की पहली रात यानी मिलन की वह रात जब दो धड़कते जवां दिल तनमन से मिलन को तैयार होते हैं.

चाहे किसी भी उम्र का कोई भी व्यक्ति क्यों न हो? वह अपनी पहली रात की यादों की खुशबू को हमेशा अपने जेहन में बसाए रखना चाहता है. मिलन की यह रात एक प्रेम, रोमांस और रोमांच तो पैदा करती ही है साथ ही अगर सावधानीपूर्वक इस के आगमन की तैयारी न की जाए तो यह पूरे जीवन के लिए टीस बन कर रह जाती है. जीवन की इस खास रात को यादगार बनाने के लिए अगर थोड़ा ध्यान दिया जाए तो बेशक यह रात हमेशाहमेशा के लिए खास बन जाएगी.

घूंघट में लिपटी, फूलों की सेज पर बैठी दुलहन के पारंपरिक कौंसैप्ट से अलग बदलाव आने लगे हैं. अब तो युवा शादी तय होते ही बाकायदा इसे सैलिब्रेट करने की योजना में विवाह से पहले ही जुट जाते हैं.

रोमानियत और रोमांच की इस रात को अगर थोड़ी तैयारी और सावधानी के साथ मनाया जाए तो जिंदगी फूलों की तरह महक उठती है वरना कागज के फूल सी बिना खुशबू हो जाती है. दो लफ्जों की यह कहानी ताउम्र प्यार की सुरीली धुन बन जाए इस के लिए कुछ बातों का जरूर खयाल रखें.

मुंह की दुर्गंध करें काबू : यह समस्या किसी को भी हो सकती है. मुंह से दुर्गंध आना एक आम समस्या है पर यही समस्या मिलन की रात आप के पार्टनर पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है. चूंकि नवविवाहितों को इस खास रात बेहद करीब आने का अवसर मिलता है. ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही आप के पार्टनर के मन में आप के लिए खिन्नता व दूरी पैदा कर सकती है. इसलिए बेहतर है कि अगर आप के मुंह से दुर्गंध आती है तो पहले ही इस का बेहतर इलाज करा लें या फिर इसे दूर करने के लिए मैंथौल, पीपरमैंट या फिर सुगंधित पानसुपारी आदि लें. आप बेहतर क्वालिटी के माउथ फ्रैशनर का भी प्रयोग कर सकते हैं.

सैंट का प्रयोग करें : कहते हैं शरीर की सुगंध सामने वाले को सब से ज्यादा प्रभावित करती है. पसीने के रूप में शरीर से निकलने वाली दुर्गंध आप की छवि खराब कर सकती है. मिलन की रात ज्यादातर लोग इसे ले कर गंभीर नहीं होते जबकि यह सब से अहम है.

आप के तन की खुशबू सीधे आप के पार्टनर के मन पर प्रभाव डालती है जिस से मिलन का मजा दोगुना हो जाता है. शारीरिक दुर्गंध कोई बड़ी समस्या नहीं है. आजकल बाजार में आप की पसंद और चौइस के अनुसार ढेरों फ्लेवर व विभिन्न ब्रैंड्स के डिओ उपलब्ध हैं.

‘आप चाहें तो अपने पार्टनर की पसंद पूछ कर उसी ब्रैंड का डिओ, सैंट, स्पे्र आदि इस्तेमाल कर सकते हैं. इस के दो फायदे हैं एक तो आप की सकारात्मक इमेज बनेगी दूसरे पसीने की दुर्गंध से बचेंगे, जिस से आप की पार्टनर आप से खुश भी हो जाएगी.

अनचाहे बालों से मुक्ति : कई बार अनाड़ीपन में पहली रात का मजा किरकिरा हो जाता है. लापरवाही और बेफिक्री आप को इम्बैरेंस फील करा सकती है. बोयोलौजिकली हमारे शरीर के हर हिस्से में बाल होते हैं जिन में गुप्तांगों के बाल भी शामिल हैं. मिलन की रात से पहले ही अपने शरीर के इन अंगों के बालों को अवश्य हटा लें. यह न केवल हाइजिनिक दृष्टि से जरूरी है बल्कि यह कम्फर्टेबिलिटी का पैमाना भी है. बाजार में कई तरह के हेयर रिमूवर व क्लीनर मिलते हैं, जिन से आसानी से इन बालों को रिमूव किया जा सकता है. अगर इम्बैरेंस होने से बचना है तो इस बात का खयाल अवश्य रखें.

मासिक धर्म न आए आड़े : कई बार ऐसा होता है कि मिलन की रात वाले दिन ही मासिक धर्म एक बड़ी समस्या के रूप में सामने आ कर आप के हसीन सपनों पर पानी फेर देता है. इस रात मासिक धर्म आप के मिलन पर भारी न पड़े, इस के लिए जरूरी है कि अगर आप के मासिक धर्म की तिथि इस दौरान है तो पहले ही डाक्टर से मिल कर इस का समाधान कर लें. माहवारी ऐक्सटैंड या डिले करने वाली दवाएं बाजार में उपलब्ध हैं. डाक्टर की सलाह से उन का उपयोग करें.

कुछ यों करें साथी को तैयार

–       कई बार मिलन की हड़बड़ी में पार्टनर की भावनाओं की परवा किए बगैर युवा गलती कर बैठते हैं. इसलिए जब तक साथी मिलन के लिए पूरी तरह तैयार न हो उस पर बिलकुल दबाव न डालें.

–       बेसब्र होने के बजाय धीरज से पार्टनर के पास जाएं. बातचीत करें. उस के शौक, चाहत, लक्ष्य आदि के बारे में बात करें.

–       अगर पार्टनर अपने अतीत के बारे में स्वयं कुछ बताना चाहे तो ठीक अन्यथा कुरेदकुरेद कर उस के अतीत को जानने का प्रयत्न न करें.

–       पार्टनर के हावभाव, तेवर व आंखों की भाषा पढ़ने की कोशिश करें, उसे जो पसंद हो, वही करें. अपनी चौइस उस पर न थोपें.

–       आप की पार्टनर अपने घर को अलविदा कह कर आप के घर में  सदा के लिए आ गई है, ऐसे में जल्दबाजी में संबंध बनाने के बजाय उस का विश्वास जीतने की कोशिश करें व सामीप्य बढ़ाएं.

– संभव हो तो अपने परिवार के सदस्यों के बारे में उस की पसंदनापसंद, स्वभाव, प्रवृत्ति तथा घर के तौरतरीकों के बारे में हलकीफुलकी बातें कर सकते हैं.

–       पार्टनर की कमियां निकालने के बजाय उस की खूबियों की चर्चा करें, फिर देखिए मिलन की रात कैसे सुपर रात बनती है. –

इन बातों का भी रखें ध्यान 

–  अपने बैडरूम का दरवाजाखिड़की अच्छी तरह बंद करें. उन्हें खुला बिलकुल न छोड़ें.

– ड्रिंक न करें, जरूरी हो तो ओवरडोज से बचें. नशा सारी खुमारी पर पानी फेर सकता है.

– कमरे में तेज रोशनी न करें. हलके गुलाबी या रैड लाइट वाले जीरो वाट के बल्ब का इस्तेमाल करें.

– पार्टनर के साथ जोरजबरदस्ती बिलकुल न करें. उसे प्यार से तैयार करें. पहले बातचीत से नजदीक आएं फिर मिलन के लिए आलिंगनबद्ध करें व बांहों के आगोश में समा जाएं.

– भारीभरकम वैडिंग गाउन, लहंगे, साड़ी पहनने से बचें. हलकेफुलके नाइट गाउन को तरजीह दें. सैक्सी अंत:वस्त्र ऐसे में माहौल को रोमानियत प्रदान करते हैं.

–  रूम फ्रैशनर का प्रयोग करें पर जरूरत से ज्यादा नहीं. हो सकता है आप के पार्टनर को इस से ऐलर्जी की समस्या हो.

–  बैड की पोजिशन जरूर चैक करें. ज्यादा आवाज करने वाले बैड आप को इम्बैरेंस कर सकते हैं.

वायग्रा सिर्फ सेक्स के लिए नहीं, जानें यहां

डायमंड के आकार वाली छोटी सी नीली गोली वियाग्रा सैक्स पावर को बढ़ाने के अलावा दूसरी बीमारियों में भी कमाल का असर दिखाती है. वियाग्रा में मौजूद दवा सिल्डेनाफिल को मर्दों की सैक्स संबंधी कमजोरियों को दूर करने में असरकारक माना जाता है लेकिन एक नई रिसर्च के अनुसार, वियाग्रा अन्य कई गंभीर रोगों में भी फायदेमंद है.

कई देशों में वियाग्रा के साइड इफैक्ट्स के बारे में शोध करने पर इस के कई फायदे सामने आए जो चौंकाने वाले हैं. अमेरिका में किए गए एक शोध के अनुसार, ठंड के मौसम में अकसर लोगों की उंगलियों में ऐंठन, दर्द होना, मुड़ न पाना, पीली पड़ जाना जैसी समस्याएं हो जाती हैं. ठंड से बच कर इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

इस समस्या से जूझ रहे मरीजों को सिल्डेनाफिल देने पर उन्हें काफी फायदा हुआ. ऐसे?स्थान जहां अधिक बर्फ पड़ती है, वहां के लोगों को माउंटेन सिकनैस की समस्या हो जाती है. ऊंचे स्थानों पर औक्सीजन की कमी होने से ब्लड में इस का लेवल कम हो जाता है जिस से पल्मोनरी धमनियां संकरी हो जाती हैं. ऐसे में हृदय को पंपिंग करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है और व्यक्ति की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.

पल्मोनरी हाइपरटैंशन जैसी समस्या में भी सिल्डेनाफिल काफी प्रभावशाली होती है. फेफड़ों की बीमारी व हृदय संबंधी गड़बडि़यां होने पर पल्मोनरी हाइपरटैंशन की समस्या हो सकती है. पल्मोनरी हाइपरटैंशन के इलाज के लिए पुरुष व स्त्री दोनों के लिए सिल्डेनाफिल की 20 एमजी की 1-1 खुराक दिन में 3 बार निर्धारित की गई है. क्लीनिकल ट्रायल्स में इस दवा के काफी बेहतर परिणाम मिले हैं.

हृदय रोगियों के लिए हालांकि वियाग्रा सुरक्षित नहीं है लेकिन एक ही जगह पर रक्त की अधिकता, जिस की वजह से हार्ट फेल्योर की समस्या उत्पन्न होती है, के मरीजों के लिए सिल्डेनाफिल काफी प्रभावकारी होती है.  स्ट्रोक जैसी समस्या में सिल्डेनाफिल कमाल का असर दिखाती है. इस विषय पर शोध करने वाले जरमनी के डा. मैक रैपर का कहना है कि सिल्डेनाफिल मस्तिष्क के स्ट्रोक को दूर  करने में काफी अच्छा काम करती है.

सिल्डेनाफिल को ले कर नए शोध जारी हैं.  शोधों में इस से होने वाले लाभ और नुकसान के नतीजे सामने आ रहे हैं. बहरहाल, अब तक किए गए नतीजों से वियाग्रा एक लाभदायक दवा के रूप में भी सामने आई है. मगर ध्यान रहे, ऐसी कोई भी दवा बिना विशेषज्ञों की सलाह के बगैर न लें.

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