जानिए कैसे बनें अंदर से मजबूत

भारत में कई सालों से शिलाजीत का औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है. यह दुर्लभ पदार्थ अंदरूनी ताकत बढ़ाने के साथसाथ स्मरण शक्ति बढ़ाने, गठिया के इलाज, रक्तचाप को नियंत्रित रखने इत्यादि में काफी लाभकारी माना जाता है. शिलाजीत से बनी औषधि का सेवन पुरुषों के साथसाथ महिलाओं के लिए भी फायदेमंद माना गया है. अब इस में स्वर्ण और मकरध्वज जैसे तत्वों का भी मिश्रण हो तो इस का लाभ कई गुना बढ़ जाता है. आइए, जानें इन सभी तत्वों के सेहत वाले फायदों के बारे में.
शिलाजीत: शिलाजीत को ऐस्फाल्ट या मिनरल पिच के नाम से भी जाना जाता है. यह खनिज पदार्थ की श्रेणी में आता है और चुनिंदा पर्वतों पर पाया जाता है. यों तो शिलाजीत का सेवन यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए किया जाता है, मगर इस के संपूर्ण सेहत से जुड़े कई दूसरे फायदे भी हैं. इस से बनी औषधि गठिया और ऐनीमिया की समस्याओं से राहत दिला सकती है. मूत्र विकार और उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं से पीडि़त लोगों के लिए भी इस के फायदे बताए गए हैं.

इस में दिमाग को तेज करने के गुण भी मौजूद हैं. इस के सेवन से दिमाग को पोषण मिलता है जिस से तनाव घटता है और धीरेधीरे एकाग्रता बढ़ने लगती है. कोलेस्ट्रौल के बढ़ते स्तर को नियंत्रित रखने में भी इस की बड़ी भूमिका है. इन सब के अलावा शिलाजीत शरीर की कमजोर हो चुकी कोशिकाओं को मजबूत बनाने का काम भी करती है और कोशिशकाओं की मजबूती शरीर को स्फूर्ति से भर देती है.
शिलाजीत से बने किसी भी उत्पाद का सेवन करने से पहले चिकित्सकीय सलाह जरूरी है ताकि इस के सेवन की सही मात्रा और साइड इफैट्स की जानकारी आप को पहले से हो.

स्वर्ण: शरीर की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने क लिए स्वर्ण भस्म को सब से बेहतरीन तत्व माना गया है. स्वर्ण भस्म का इस्तेमाल परंपरागत चिकित्सा पद्धति में कई तरह से किया जाता है. स्वर्ण यौन शक्ति को बढ़ाने के साथसाथ मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने और मधुमेह क नियंत्रण के लिए भी जाना जाता है. इस के प्रयोग से बनी औषधि के सेवन से पहले भी चिकित्सक सलाह दे तो अच्छे ब्रैंड की स्वर्ण भस्म युक्त औषधि का ही सेवन करें.

मकरध्वज: मकरध्वज का इस्तेमाल कफ, पित्त के इलाज के साथसाथ पौरुष शक्ति बढ़ाने के लिए भी किया जाता है. इस के अलावा शुक्राणु संबंधी विकारों के इलाज के लिए भी मकरध्वज को फायदेमंद माना गया है. मधुमेह की समस्या से ग्रसित लोगों के लिए इस का सेवन फायदेमंद बताया गया है. बाजार में इस से बनी कई औषधियां उपलब्ध हैं, मगर डाक्टर की सलाह से ही और अच्छे ब्रैंड के उत्पाद का सेवन करें.

ये है नपुंसकता का कारण, ऐसे बढ़ाएं सेक्स क्षमता

आजकल सारी दुनिया में नपुंसकता एक ऐसी समस्या बन गई है जिसके शिकार लोगों की संख्या तेज़ी से बढ़ती जा रही है. झिझक व हिचकिचाहट की वजह से महिलाएं ही नहीं पुरुष भी न तो अपनी यह समस्या किसी से कहते हैं, न ही सही चिकित्सक के पास जाकर इसका इलाज कराते हैं.

”नपुंसकता’ का मुख्य कारण है ‘एजुस्पर्मिया’. ये एक ऐसी स्थिति है जिसमें पुरुष के शरीर में उचित मात्रा में वीर्य नहीं बन पाता है. लेकिन विज्ञान ने इलाज खोज लिया है.

कैसे होता है एजुस्पर्मिया

शोध में ये साबित हुआ है कि पुरुषों में यह समस्या 12 से 20 प्रतिशत तक बढ़ी है. वीर्य कम होने की समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं-

– फोलीक्यूलर स्टूमुलेटिंग हार्मोन का कम होना

– अनुवांशिक कारण

– कई बार कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी भी एक कारण है

– गलत जीवनशैली, खानपान में गड़बड़ी, तनाव

इस समस्या की पहचान के लिए सीमन का टेस्ट, ब्लड टेस्ट, ट्रांसरीटल अल्ट्रासाउंड, टीएसएच व एलएच टेस्ट करवाये जाते हैं. इन टेस्टों के नतीजों के मुताबिक़ ही इलाज किया जाता है.

होम्योपैथिक चिकित्सक की मानें तो जिस तरह पोषक तत्वों की कमी को सप्लीमेंट से दूर ‌की जा सकती है वैसे ही होम्योपैथिक में भी इसका इलाज मौजूद है. हालांकि एलोपैथी में भी इसका प्रभावी उपचार मौजूद है लेकिन कई मामले ऐसे भी होते हैं जिसमें इलाज के दौरान साइड इफेक्ट भी बहुत होते हैं.

कैसे बढ़ाए सेक्स क्षमता

यह साबित किया जा चुका है कि प्यार करना उन कुछ चीज़ों में से एक है जिनके बारे में इन्सान सबसे ज्यादा सोचता है. लेकिन व्यस्त दिनचर्या और तगड़े रूटीन के चलते शायद ही आपको अपनी बीवी का हाथ तक पकड़ने का मौका मिलता हो. जिन्हें मिलता भी है, वह दिन भर की थकान और मानसिक तनाव के चलते इस बारे में दिलचस्पी नहीं दिखा पाते.

तो अगर आप भी उन नौजवानों में से हैं जो कुछ ऐसी चीज़ों की तलाश में हैं जो उनके इन मुश्किल से मिलने वाले खूबसूरत लम्हों में रंग भर दे तो परेशान न हों. क्योंकि यह चीजें आपकी किचन में ही हैं.

वैनीला – वैनीला उन कुछ चीज़ों में से एक है जिसकी बस खुशबू ही आपकी प्रेमिका के मूड को खुशगवार बनाने के लिए काफी है. इसकी प्यारी खुशबू आपकी थकान को कम करके आपको रोमेंटिक मूड में लाने में मदद करती है.

सीपी – समुद्र में पाया जाने वाला यह जीव यूं तो एक खूबसूरत मोती को बनाने में मददगार होता है. लेकिन साथ ही काम संबन्धी समस्याओं के बारे में भी यह बहुत उपयोगी है. समुद्री भोजन सीप स्त्री और पुरुष दोनों के लिए ही गज़ब का काम करता है. यह शरीर में जिंक की मात्रा बढ़ाकर शरीर उत्तेजना पैदा करता है.

चॉकलेट – चॉकलेट किसे नहीं पसन्द. तो ऐसे में अगर हम यह कहें कि चॉकलेट आपके लिए वह काम कर सकती है जो आप अक्सर सोचते हैं तो बेशक यह एक अच्छी ख़बर होगी. डार्क चॉकलेट में कुछ ऐसे कैमिकल होते हैं जो न सिर्फ आपके तनाव को कम करते हैं बल्कि आपके एक्साइटमेंट को बढ़ाने का भी काम करते हैं.

अनार – एक अनार सौ बीमार यह कहावत तो आपने सुनी ही होगी. ऑक्सीकारकों से युक्त यह फल शरीर में रक्त संचार को बढ़ा कर आपके जननांगों में संवेदनाओं की तरंगों को बढ़ा देता है. इससे आपके शरीर में प्रेम की उमंग कई गुना बढ़ जाती है.

जानें क्या है सेक्स में और्गेज्म

सेक्स में और्गेज्म शब्द बार-बार सुनने को मिलता है. इसे अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. कोई इसे चरमोत्कर्ष के नाम से जानता है, तो कोई चरम सुख के नाम से जानता. लेकिन सही मायने में ज्यादातर लोगों को और्गेज्म का सही मतलब नहीं पता है. सेक्स के पहले और्गेज्म के सही अर्थ की जानकारी रखना बहुत जरुरी है. इससे सेक्स का आनंद कई गुना बढ़ जाता है.

सेक्स के दौरान और्गेज्म यानी चरम सुख का अनुभव कई बार नहीं हो पाता है. जिससे सेक्स का पूरा मजा किरकिरा हो जाता है. इस स्थिति से महिला पुरुष दोनों को गुजरना पड़ता है. इस लिए इसके बारे में सही जानकारी रखना जरुरी हो जाता है जिससे खुद व पार्टनर को चरम सुख का एहसास कराया जा सके.

फिमेल और्गेज्म –

महिलाओं में चरम सुख का अनुभव एक अद्भुत एहसास है. यह तब होता है जब महिला सेक्स के दौरान अपने चरम पर होती है. इस दौरान अंग के पास तरल श्राव होने के साथ-साथ मांसपेशियों और अंग के पास तेजी से संकुचन होता है. और्गेज्म का अनुभव होने के दौरान फीमेल अपने पार्टनर को तेजी से अपने आगोश में भींच लेती है, और उसके दिल की धड़कने बढ़ जाती हैं.

इस दौरान शरीर में तेजी से बदलाव होता है. अगर सेक्स के दौरान फोर प्ले या आफ्टर प्ले का इस्तेमाल किया जाए तो सेक्स के दौरान एक से अधिक बार और्गेज्म का अनुभव कर सकती हैं. क्यों की कभी कभी फिमेल में और्गेज्म होने के बाद भी स्खलन (Ejaculation) नहीं होता है. इस लिए महिलायें सेक्स के दौरान एक से अधिक बार और्गेज्म का अनुभव कर सकती हैं.

मेल और्गेज्म –

जिस तरह से महिलाओं को और्गेज्म का एहसास होता है उसी तरह पुरुषों में भी और्गेज्म का एहसास होना चाहिए. लेकिन पुरुष एक बार सेक्स में चरम सुख का एहसास पाने के बाद उसे दुबारा और्गेज्म पाने के लिए कुछ समय लगता है. क्यों की महिलाओं की अपेक्षा पुरुष के अंगों में तनाव लाने के लिए पहले और्गेज्म के बाद कुछ समय का अंतराल रखना पड़ता है.

पुरुष जब और्गेज्म की तरफ बढ़ रहा होता है तो इस दौरान अंग के साथ-साथ मूत्रमार्ग, गुदामार्ग, पैल्विक मांसपेशियों, व प्रोस्टेट ग्रंथि में संकुचन होता है. जिसके बाद ही पुरुष में वीर्यपात (Ejaculation) की स्थिति आता है .

महिला और पुरुष को सेक्स के दौरान चरम सुख तक पहुंचने के लिए कुछ चीजों का ख्याल रखना चाहिए. जैसे की सेक्स के दौरान मूड को फ्रेस रखना चाहिए. साथ ही सेक्स के दौरान कुछ समय तक शरीर के नाजुक अंगों के साथ छेड़-छाड़ करना भी जरुरी है. इसके करने से चरम सुख को बढ़ाने वाले कई तरह के हार्मोन्स शरीर में निकल कर सक्रिय हो जातें हैं. यह हार्मोन्स शरीर की मांसपेशियों को उत्तेजित करने का काम करते हैं.

और्गेज्म सुख को पाने के लिए पुरुष को चाहिए की वह अपने पार्टनर के कान की लड़ियों, गर्दन, नितम्बों, उभारों वेजाइना, सहित नाजुक अंगों को प्यार से सहलाए.  सेक्सुअल इंटरकोर्स के पहले महिला को भी अपने पुरुष साथी के नाजुक अंगों के साथ खिलवाड़ करने में पीछे नहीं रहना चाहिए. अगर आप अपने पार्टनर के साथ ऐसा करतें है तो आप को चरम सुख पाने से कोई भी नहीं रोक सकता है.

दोस्त से सेक्स या सेक्स से दोस्ती?

पश्चिमी देशों में ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ का चलन कोई नया नहीं है. लेकिन भारत में जरूर इस टर्म को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल और निभाया जाता है. जब साल 2011 में जस्टिन टिम्बरलेक और मिल्ला कुनिस की फिल्म ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ आई थी तो इस टर्म का मोटामोटी अर्थ यही निकला गया कि जब दो दोस्त अपने रिश्ते का इस्तेमाल सेक्सुअल रिलेशन के तौर पर करते हैं तो वो फ्रेंडशिप ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ के दायरे में आ जाती है. यानी जब दोस्ती से अन्य फायदे लिए जाने लगे तो यह फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स वाला रिश्ता बन जाता है.

अब आप सोचेंगी कि दोस्ती में क्या फायदा उठाना. लेकिन अगर आप मैरिड या एंगेज्ड होने के बावजूद अपनी बेस्टफ्रेंड के साथ सेक्स करना चाहती हैं तो यह दोस्ती से बेनिफिट लेने जैसा ही है. क्योंकि उक्त लड़की आपकी फ्रेंड हैं तो फिर बिस्तर पर जाने से पहले उसके साथ न तो किसी भी तरह की रोमांटिक इन्वोल्व्मेंट की जरूरत है और न भरोसा कायम रखने की. आप दोनों एकदूसरे को पहले से जानते हैं और आपसी सहमति है तो अपनी फ्रेंडशिप को बेनिफिट के साथ कायम रख सकती हैं.

ज्यादा बेनिफिट किसका

यों तो यह वेस्टर्न कौन्सेप्ट है. वहां कैजुअल सेक्स को लेकर एस्कौर्ट से लेकर फ्रेंड्स तक, वन नाइट स्टैंड से लेकर हुक अप्स तक सब खुलेख्याली के साथ कुछ डौलर्स में अवेलेबल है. लेकिन इस तरह के संबधों में पुरुष ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं. कारण वही सेक्स वाला है. लंदन की विस्कौन्सिन-यू क्लेयर यूनिवर्सिटी द्वारा 400 वयस्कों पर किए गए एक शोध से पता चला कि महिला और पुरुष के बीच दोस्ती में अगर किसी एक के द्वारा आकर्षण की भावना या सेक्स करने की चाहत की अभिव्यक्ति होती है, तो वह ज्यादातर पुरुष मित्र की ओर से ही होती है. यह स्वाभाविक भी है.

पुरुष ईजी सेक्स और एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की चाहत में औफिस, पड़ोस और औनलाइन हर जगह सेक्सुअल फेवर वाला रिश्ता ढूंढ़ते हैं. और जब कभी उन गलियों में वो चाहत पूरी नहीं होती तो अपने दोस्त से फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स के तहत सेक्स संबंधों की मांग कर लेते हैं. अब इसमें दांव लगने की बात है क्योंकि इस डील में कुछ फ्रेंड नाराज हो जाते हैं तो कुछ राजी.

फ्रेंडजोंड बिरादरी का भला

ऐसा नहीं है कि इस तरह के रिलेशनशिप का इस्तेमाल सिर्फ पुरुष ही करते हैं. महिलाएं भी फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स की आड़ में अपनी सेक्सुअल फ्रीडम खोज लेती हैं. इनमें अक्सर वो महिलाएं होती हैं जो या तो बिखरती शादी का शिकार होती हैं या तलाक के दौर से गुजर रही होती हैं. कुछ विडोज भी ही सकती हैं. सेक्स की चाहत में ये किसी अजनबी के साथ डेट पर जाने के बजाए अपने दोस्तों, या कहें जो दोस्त कभी उन पर क्रश रखते थे लेकिन मुकम्मल रिश्ते तक नहीं पहुंच पाए, को तरजीह देती हैं.

ये अक्सर वही फ्रेंड होते हैं जो कभी इन महिलाओं द्वारा फ्रेंडजोंड कर दिए गए होते हैं. ऐसे में जब कैजुअल सेक्स की बात आती हैं तो पुरानी फीलिंग्स काम आती हैं और इस तरह से फ्रेंडजोंड बिरादरी का भला हो जाता है. दरअसल इस फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स वाले रिश्ते में आप किसी रिश्ते में होते हुए या न होते हुए भी किसी इंसान के साथ समय बिताने या शारीरिक संबंध बनाने के लिए आजाद हैं. लेकिन इसमें किसी तरह का कोई वादा या प्रतिबद्धता नहीं होती है.

दोस्ती-प्यार के बीच वाला सेक्स

आमतौर पर ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ का चलन सबसे ज्यादा सिंगल कौलेज गोअर्स लड़के या लड़कियों में देखा जाता है. ये ‘नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड’ वाले फलसफे पर चलते हैं. जब तक पढ़ाई की, कैम्पस में रहे, दोस्त के साथ सेक्स किया, बाद में करियर के लिए मूव औन कर गए. इसमें दोनों की मूक सहमति होती है लिहाजा कोई किसी के साथ सीरियस रिलेशनशिप के फेर में नहीं पड़ता. कई बार यह दोस्ती से ज्यादा और प्यार से कम वाला रिश्ता बन जाता है. इस तरह की स्थिति में दोनों में किसी एक के मन में सामने वाले के लिए फीलिंग्स आने लगती हैं. और बात ‘इट्स कौम्प्लीकेटेड’ तक पहुंच जाती है.

पहले पहल सुनने में एक रोमांचक चीज शायद जरूर लगे, लेकिन इंसानी तौर खासतौर पर भारत में अक्सर ईर्ष्या कहीं न कहीं बीच में आ ही जाती है और अंत में कड़वाहट कि वजह बन जाती है. इसलिए जरा सोच समझकर उतरें फेवर वाले रिश्ते में.

जब हो इट्स कौम्प्लीकेटेड

अपने देश में आप लड़के और लड़की की दोस्ती पर कुछ पूछेंगे तो वे इसमें सेक्स संबंधों की घुसपैठ को अनैतिक बताएंगे. इनके हिसाब से दोस्ती और प्यार दो अलग अलग चीजें हैं. हालांकि अक्सर लड़का लड़की की दोस्ती को प्यार में बदलते देखा जाता है. एक फिल्मी कहावत भी है, कि एक लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. इस आशय पर कई फिल्में भी बनी हैं. लेकिन यहां मामला दोस्ती और प्यार का नहीं बल्कि सीधे तौर पर सेक्स का है. इसलिए इसे ‘इट्स कौम्प्लीकेटेड’ न बनाएं, तो खुश रहेंगे.

कुल मिलाकर ‘फ्रेंड्स विथ बेनिफिट्स’ वाला जुमला कई अलग लग अर्थों में फैल चुका है. अगर कोई लड़की या लड़का किसी से सिर्फ इसलिए दोस्ती करता है कि वो हर वक्त खर्च करने को तैयार रहता है तब यह भी ‘फ्रेंड्स विद बेनिफिट्स’ के दायरे में आएगा. ऐसी ही दोस्ती जब भी किसी फेवर की आड़ में की जाए तो यह असली दोस्ती नहीं होगी. बाकि आजकल बेनेफिट्स तो बेटे बेटी भी पैरेंट्स से उठा रहे हैं तो यह ‘संस/ डौटर विद बेनिफिट्स’ कहा जाए?

मैं रेलवे में नौकरी करना चाहता हूं, उचित सलाह दें?

सवाल-

मैं बीए सैकंड ईयर का छात्र हूं. 10वीं जमात में मेरे 70 फीसदी, 12वीं जमात में 80 फीसदी और बीए फर्स्ट ईयर में 51 फीसदी नंबर आए हैं. मैं रेलवे में नौकरी करना चाहता हूं. उचित सलाह दें?

जवाब-

आप की पढ़ाई का रिकौर्ड अच्छा है और यह रेलवे में नौकरी करने का सुनहरा मौका भी है. रेलवे की नौकरी वाले इश्तिहारों पर नजर रखें और अपनी पढ़ाई करते रहें.

बीए के साथसाथ आईटीआई भी कर लें, तो और अच्छा रहेगा. नौकरी मिलने की उम्मीद बढ़ जाएगी.

 

सेक्स में आनंद और यौन सतुंष्टि का मतलब भी जानें

विभा ने 25-26 वर्ष की उम्र में जिस से विवाह करने का निर्णय लिया वह वाकई दूरदर्शी और समझदार निकला. विभा ने खूब सोचसमझ कर, देखपरख कर यानी भरपूर मुलाकातों के बाद निर्णय लिया कि इस गंभीर विचार वाले व्यक्ति से विवाह कर वह सुखी रहेगी.

विवाह होने में कुछ ही दिन बचे थे कि इसी बीच भावी पति ने एसएमएस भेजा जिसे पढ़ विभा सकुचा गई. लिखा था, ‘‘तुम अभी से गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन शुरू कर दो वरना बाद में कहोगी कि खानेखेलने भी नहीं दिया बच्चे की परवरिश में फंसा दिया. सैक्स पर कुछ पढ़ लो. कहोगी तो लिंक भेज दूंगा. नैट पर देख लेना.’’ यह पढ़ विभा अचरज में पड़ गई.

उसे समझ नहीं आ रहा था कि अपने होने वाले पति की, अटपटी सलाह पर कैसे अमल करे? कैसे व किस से गोलियां मंगवाए व खाए? साथ ही इस तरह की बातें नैट पर पढ़ना तो सब से कठिन काम है, क्योंकि वहां तो पोर्न ही पोर्न भरा है, जो जानकारी देने की जगह उत्तेजित कर देता है.

मगर विभा की यह दिक्कत शाम होतेहोते हल हो गई. दोपहर की कुरियर से अपने नाम का पैकेट व कुछ किताबें पाईं. गोली प्रयोग की विधि भी साथ में भेजे पत्र में थी और साथ एक निर्देश भी था कि किताबें यदि मौका न मिले तो गुसलखाने में ले जा कर पढ़ना, संकोच मत करना. विवाह वाले दिन दूल्हा बने अपने प्यार की आंखों की शरारती भाषा पढ़ विभा जैसे जमीन में गढ़ गई. सुहागरात को पति ने प्यार से समझाया कि सकुचाने की जरूरत नहीं है. इस आनंद को तनमन से भोग कर ही जीवन की पूर्णता हासिल होती है.

आधी अधूरी जानकारी

ज्यादातर युवतियों को तो कुछ पता ही नहीं होता. न उन्हें कोई बताता है और न ही वे सकुचाहट व शर्म के कारण खुद ही कुछ जानना चाहती हैं. पासपड़ोस, सखीसहेलियों से जो आधीअधूरी जानकारी मिलती है वह इतनी गलतफहमी भरी होती है कि यौन सुख का अर्थ भय में बदल उन्मुक्त आनंद व तृप्ति नहीं लेने देता. नैट पर केवल प्रोफैशनल दिखते हैं, आम लोग नहीं जो पोर्न बेचने के नाम पर उकसाते भर हैं. वास्तव में पिया के घर जाने की जितनी चाहत, ललक हर लड़की में होती है, उसी प्रियतम से मिलन किस तरह सुख भरा, संतोषप्रद व यादगार हो, यह ज्यादातर नहीं जानतीं.

कभीकभार सहेलियों की शादी के अनुभव सुन वे समझती हैं कि शादी के बाद पति का संग तो दुखदायी व तंग करने वाला होता है. जैसे कोई हमउम्र सहेली कहे कि बड़े तंग करते हैं तेरे बहनोई पूरीपूरी रात सोने नहीं देते. सारे बदन का कचूमर बना देते हैं. बिन ब्याही युवतियों के मन में यह सब सुन कर दहशत जगना स्वाभाविक है. ये बातें सुनते समय कहने वाली की मुखमुद्रा, उस के नेत्रों की चंचलता, गोपनीय हंसी, इतराहट तो वे पकड़ ही नहीं पातीं.

बस, शब्दों के जाल में उलझ पति का साथ परेशानी देगा सोच घबरा जाती हैं. ब्याह के संदर्भ में कपड़े, जेवर, घूमनाफिरना आदि तो उन्हें लुभाता है, पर पति से एकांत में पड़ने वाला वास्ता आशंकित करता रहता है. परिणामस्वरूप सैक्स की आधीअधूरी जानकारी भय के कारण उन्हें या तो इस खेल का भरपूर सुख नहीं लेने देती या फिर ब्याह के बाद तुरंत गर्भधारण कर लेने से तबीयत में गिरावट के कारण सैक्स को हौआ मानने लगती हैं.

सैक्स दांपत्य का आधार

सैक्स दांपत्य का आधार है. पर यह यदि मजबूरीवश निभाया जा रहा हो तो सिवा बलात्कार के और कुछ नहीं है और जबरन की यह क्रिया न तो पति को तृप्त कर पाती है और न ही पत्नी को. पत्नी पति को किसी हिंसक पशु सा मान निरीह बनी मन ही मन छटपटाती है. उधर पति भी पत्नी का मात्र तन भोग पाता है. मन नहीं जीत पाता. वास्तव में यह सुख तन के माध्यम से मन की तृप्ति का है. यदि तन की भूख के साथ मन की प्यासी चाहत का गठबंधन न हो तब सिर्फ शरीर भोगा जाता है जो मन पर तनाव, खीज और अपराधभाव लाद दांपत्य में असंतोष के बीज बोता है.

सिर्फ काम नहीं, बल्कि कामतृप्ति ही सुखी, सुदीर्घ दांपत्य का सेतु है. यह समझना बेहद जरूरी है कि पति के संग शारीरिक मिलन न तो शर्मनाक है न ही कोई गंदा काम. विवाह का अर्थ ही वह सामाजिक स्वीकृति है जिस में स्त्रीपुरुष एकसूत्र में बंध यह वादा करते हैं कि वे एकदूसरे के पूरक बन अपने तनमन को संतुष्ट रख कर वंशवृद्धि भी करेंगे व सफल दांपत्य भी निबाहेंगे. यह बात विशेषतौर पर जान लेने की है कि कामतृप्ति तभी मिलती है जब पतिपत्नी प्रेम की ऊर्जा से भरे हों.

यह वह अनुकूल स्थिति है जब मन पर कोई मजबूरी लदी नहीं होती और तन उन्मुक्त होता है. विवाह का मर्म है अपने साथी के प्रति लगाव, चाहत और विश्वास का प्रदर्शन करना. सैक्स यदि मन से स्वीकारा जाए, बोझ समझ निर्वाह न किया जाए तभी आनंद देता है. सैक्स पुरुष के लिए विशेष महत्त्व रखता है.

पौरुष का अपमान

पत्नियों को इस बात को गंभीरता से समझ लेना चाहिए कि पति यौन तिरस्कार नहीं सह पाते हैं, क्योंकि पत्नी का ऐसा व्यवहार उन्हें अपने पौरुष का अपमान प्रतीत होता है. पति खुद को शारीरिक व भावनात्मक माध्यम के रूप में प्रस्तुत करे तो वह स्पष्ट प्यार से एक ही बात कहना चाहता है कि उसे स्वीकार लो. यह पति की संवेदनशीलता है जिसे पहचान पाने वाली पत्नियां ही पतिप्रिया बन सुख व आनंद के सागर में गोते लगा तमाम भौतिक सुखसाधन तो भोगती ही हैं, पति के दिल पर भी राज करती हैं.

कितनी आश्चर्यजनक बात है कि सैक्स तो सभी दंपती करते हैं, लेकिन वे थोड़े से ही होते हैं जिन्हें हर बार चरमसुख की अनुभूति होती. आज की मशीनी जिंदगी में और यौन संबंधी भ्रामक धारणाओं ने समागम को एकतरफा कृत्य बना दिया है. पुरुष के लिए आमतौर पर यह तनाव से मुक्ति का साधन है, कुछ उत्तेजित क्षणों को जी लेने का तरीका है. उसे अपने स्खलन के सुख तक ही इस कार्य की सीमा नजर आती है पर सच तो यह है कि वह यौन समागम के उस वास्तविक सुख से स्वयं भी वंचित रह जाता है जिसे चरमआनंद कहा जा सकता है. अनिवार्य दैनिक कार्यों की तरह किया गया अथवा मशीनी तरीके से किया गया सैक्स चरमसुख तक नहीं ले जाता.

इस के लिए चाहिए आह्लादपूर्ण वातावरण, सुरक्षित व सुरुचिपूर्ण स्थान और दोनों पक्षों की एक हो जाने की इच्छा. यह अनूठा सुख संतोषप्रद समागम के बाद ही अनुभव किया जा सकता है. तब ऐसा लगता है कि कभी ये क्षण समाप्त न हों. तब कोई भी तेजी बर्बरता नहीं लगती, बल्कि मन करता है कि इन क्षणों को और जिएं, बारबार जीएं. जीवन का यह चरमआनंद कोई भी दंपती प्राप्त कर सकता है, लेकिन तभी जब दोनों की सुख के आदानप्रदान की तीव्र इच्छा हो.

सहमति से बने संबंधों में आखिर बंदिशें क्यों

व्यक्तिगत स्वतंत्रताओं में पत्नियों की किसी से प्रेम करने व यौन संबंध बनाने की स्वतंत्रता है या नहीं, यह अच्छी रोचक बहस का मामला है. भारतीय दंड विधान स्पष्ट कहता है कि किसी की पत्नी के साथ संबंध बनाने पर पुरुष को दंड दिया जा सकता है पर पत्नी किसी पर पुरुष से संबंध बनाए तो उसे दंड नहीं दिया जा सकता. ऐसे मामले में पति पत्नी को तलाक अवश्य दे सकता है. नौसेना ने ब्रिगेडियर रैंक के एक अफसर को इसलिए निकाला है क्योंकि उस ने अपने एक सहयोगी की पत्नी के साथ अपनी पत्नी की इच्छा के बिना संबंध बना लिए थे. पतिपत्नी के बीच क्या हुआ यह तो नहीं मालूम पर इस संबंध को अपराध या दुर्व्यवहार की संज्ञा देना गलत होगा. कहा यही जाता है कि विवाह के बाद पतिपत्नी को एकदूसरे के प्रति निष्ठा रखनी चाहिए और किसी तीसरे की ओर नजर नहीं डालनी चाहिए. पर यह सलाह है, कानूनी निर्देश नहीं. अगर दोनों में से कोई इस वादे को तोड़ता है तो उसे विवाह तोड़ने का हक कानून में है और उस का इस्तेमाल किया जा सकता है पर इस के लिए तीनों में से किसी को भी दंडित करना गलत होगा.

विवाह से पतिपत्नी को एकदूसरे पर बहुत से अधिकार मिलते हैं पर ये अधिकार आपसी समझौते और समझदारी के हैं. समाज का काम इन पर पहरेदारी करना नहीं है.

समाज ने इस बारे में सदा एकतरफा व्यवहार किया है. सदियों से औरतों को कुलटा कहकह कर इसलिए बदनाम और घर से बेदखल किया जाता है, क्योंकि उन को पति की संपत्ति का सा हक दे दिया गया है.

भारतीय दंड कानून के अंतर्गत कभी भी पति उस बिग्रेडियर के खिलाफ फौजदारी का मुकदमा कर सकता है और उसे जेल भेजवा सकता है जबकि उस ब्रिगेडियर ने सहमति व प्यार में दूसरे की पत्नी से संबंध बनाए थे.

कुछ लोगों को यह बात भले ही अनैतिकता फैलाने वाली लगे पर सच यह है कि इस कोरी नैतिकता के दंभ के कारण पौराणिक गाथाओं की सीता और अहिल्या ने दुख भोगे और द्रौपदी ने बारबार अपमान सहा. राजा दशरथ की 3 पत्नियों को तो सहज लिया जाता है पर औरतों पर बंदिशें लगाई जाती हैं.

विवाहिता अपने शरीर व दिल के सारे अधिकार पुरुष को सौंप दे और बदले में सिर्फ घर की छत, रोटी, कपड़ा और शायद डांट, मार, तनाव पाए यह गलत है. अगर पति की बेरुखी के कारण पत्नी को कोई और आकर्षित करे तो समाज, कानून और ऐंपलायर को हक नहीं कि वे नैतिकता के ठेकेदार बन जाएं.

पतिपत्नी का प्यार दोनों की आपसी लेनदेन पर निर्भर है. जैसे प्रेम करते हुए युवक को एक लड़की के अलावा कोई और नहीं दिखता, उसी तरह लड़की को भी प्रेमी के अलावा सब तुच्छ लगते हैं. इसी तरह का व्यवहार पतिपत्नी में अपनेआप होना चाहिए. वह थोपा हुआ न हो.

पत्नियां ही अपना मन मारें, किसी के प्रति चाहत पर अपराधभाव महसूस करें, यदि किसी से हंसबोल लें तो मार खाएं जबकि पति पूरी तरह छुट्टा घूमे यह न्याय कैसे है, नैतिक कैसे है?

गलती असल में धर्मों की है जिन्होंने औरतों पर तरहतरह की बंदिशें लगाईं. विडंबना यह है कि औरतें ही सब से ज्यादा अपना मन, धन और यहां तक कि तन भी धर्म के नाम पर निछावर करती हैं. उस धर्म पर जो औरतों के लिए अन्यायी है, अत्याचारी है, अनाचारी है, असहनशील है.

पहली रात का डर, ऐसे कीजिए दूर

बीना के मन में शादी की पहली रात का डर बैठ गया था कि वह रात के दौरान कैसे सहज रहेगी. बड़ी मुश्किल से वह डाक्टर की सलाह और पति के सहयोग से सहज हो पाई. दिल्ली के अमर जैन अस्पताल के डाक्टर अरुण जैन के मुताबिक, ‘‘बहुत सी लड़कियों के मन में डर बैठ जाता है कि पहली बार बहुत पीड़ा होगी. मगर यदि कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो सब कुछ सुगम हो जाता है.’’ नीना के पति ने शादी के 2-3 दिनों तक पत्नी के साथ एक दोस्त का व्यवहार करते हुए नीना को संबंध के लिए तैयार किया.

शादी की पहली रात किसी भी लड़की के लिए नया अनुभव लिए होती है. अत: ऐसे में खुद को तैयार करने के लिए आपस में सैक्स संबंधित बातें करें. एकदूसरे की सैक्स से संबंधित इच्छा जानने का प्रयास करें.

पहली रात को भावनात्मक लगाव की कमी भी मानसिक रूप से तैयार होने से रोकती है. अत: चुंबन, स्पर्श, आलिंगन से पत्नी को तैयार करें यानी पत्नी को तैयार करने के लिए फोरप्ले में समय लगाएं.

सहज व तनावमुक्त

यदि पहली बार संबंध बनाते समय झिल्ली ज्यादा सख्त लगे तो बजाय जोरजबरदस्ती करने के स्त्री सैक्सोलौजिस्ट की सलाह से झिल्ली को हटवाएं. तब न केवल जबरदस्ती संबंध बनाने से होने वाली ब्लीडिंग से बचाव होगा वरन पीड़ा भी नहीं होगी.

ओवरवेट पत्नी को ऐसी समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में पहले जैल क्रीम लगाएं. पत्नी को कहें कि वह अपने शरीर को ढीला छोड़ कर संबंध का आनंद ले.

वैजिनिसमस मानसिक कारणों से होता है. स्त्री के अंग के चारों ओर की मांसपेशियां, अनैच्छिक रूप से संकुचित हो जाती हैं. स्त्री अपनी इच्छा से मांसपेशियों को संकुचित नहीं करती, बल्कि ऐसा स्वयं हो जाता है.

वैजिनिसमस के लिए जिम्मेदार हैं सैक्स के बारे में भ्रांतियां, यौन उत्पीड़न, असामान्य सैक्स व्यवहार. अत: इस समस्या को भी मनोवैज्ञानिक ढंग से हल करें.

उत्तेजना का प्रथम बिंदु स्त्री अंग में गीलापन बढ़ना माना जाता है. उत्तेजना के चलते जैसेजैसे चिकनाई बढ़ती है, वैसेवैसे स्तनों का आकार भी बढ़ जाता है. उन के निप्पलों में भी तनाव आ जाता है. हृदय व सांस की गति बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में डरे बिना संबंध को पूर्ण करें. संबंध के लिए स्थान परिवर्तन भी कर सकते हैं. बैडरूम के बजाय ड्राइंगरूम या फिर यदि छत पर कमरा बना हो तो वहां भी यह कार्य किया जा सकता है.

चर्मोत्कर्ष तक पहुंचने के लिए पत्नी की सैक्स इच्छा का सम्मान करें. पहली रात के डर, तनाव, गुस्से आदि को दूर रखें. आपसी सहमति से किया गया प्रथम सहवास प्रथम रात के डर को ही मन से नहीं निकालता, बल्कि पतिपत्नी दोनों को पूर्ण संतुष्टि देने के साथसाथ स्वास्थ्य लाभ भी देता है.

कई बार पहली रात में चरमोत्कर्ष भी संभव नहीं होता, और्गेज्म तो दूर की बात है. दरअसल, उस पहली रात में कई तरह के डर हावी रहते हैं. मिलन के लिए दोनों की मानसिकता एक जैसी हो तभी संबंध संभव है. चरम आनंद से पहले भी आनंद आता है. चरम आनंद के लिए फोरप्ले व आफ्टरप्ले दोनों का महत्त्व होता है. ये भावनात्मक निकटता पैदा करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. अच्छे फोरप्ले से जहां समय पर चरम आनंद पाया जा सकता है, वहीं अच्छा आफ्टरप्ले चरम आनंद को देर तक बनाए रखता है. इस से सैक्स सिर्फ तन की क्रिया ही नहीं बल्कि भावनात्मक, आंतरिक व सम्मानजनक क्रिया बन जाती है.

समझदारी, समरसता से किया गया सैक्स सुख ही सच्चा सुख माना जाता है. यह और्गेज्म यानी चरम आनंद पा कर ही अनुभव किया जा सकता है. स्त्रियों का चरम आनंद पुरुषों के चरम आनंद जैसा मुखर नहीं होता कि बिना बताए कोई जान ले, इसलिए कई बार उस में बाधा होती है. कुछ स्त्रियों को चरम आनंद से पूर्व जल्दी और ज्यादा घर्षण चाहिए तो कुछ को पुरुष अंग गहराई तक चाहिए तो किसी को सिर्फ स्पर्श चाहिए.

मेरा दोस्त एक आंटी के चक्कर में पड़ गया है, उसे निकालने के लिए मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरा एक दोस्त है जो एक आंटी के चक्कर में पड़ गया है. वह 23 साल का और आंटी 42 साल की हैं. मुझे नहीं पता कि लड़कियों से हट कर उस का इंटरैस्ट आंटी में कैसे आ गया. मुझे उस की बहुत चिंता हो रही है, कहीं वह किसी प्रौब्लम में न पड़ जाए. जब से वह उन आंटी के साथ रिलेशन में है, तब से न तो उस का पढ़ाई में ध्यान है और न वह किसी और दोस्त से मिलना ही चाहता है. वे आंटी शादीशुदा हैं पर उन्हें कोई बच्चा नहीं है. वे काफी मौडर्न किस्म की औरत हैं. मेरे दोस्त की मम्मी और वे आंटी अच्छी दोस्त हैं, और इसी के चलते मेरा दोस्त उन के चक्कर में पड़ा है. सैक्स तो इन दोनों के लिए नौर्मल हो चुका है. मुझे डर है कि इन संबंधों की वजह से उस की जिंदगी पर कोई गहरा असर न पड़ जाए.

जवाब-

यह तो लोगों की अपनी-अपनी प्रेफ्रैंस है कि उन्हें लड़की पसंद आती है या आंटी. आप का दोस्त उस कैटेगरी में है जिन्हें आंटी पसंद आती हैं. आप की फिक्र सही है क्योंकि ऐसे केसेस में जब औरत के पति को उस के अफेयर के बारे में पता चलता है तो उस के आशिक को भी आड़ेहाथों लिया जाता है. अपने दोस्त को समझाने की कोशिश करें कि इन चक्करों में शुरुआत में बड़ा मजा आता है लेकिन यदि वे आंटी उस के पीछे पड़ गईं तो उसे लेने के देने पड़ जाएंगे. एक तो वे उस की खुद की मम्मी की दोस्त हैं, ऊपर से शादीशुदा हैं और उम्र में दोगुनी भी हैं. इस रिश्ते में सैक्स के अलावा कुछ है ही नहीं. अपने दोस्त को कैसे भी कर के समझाएं. अगर वह न समझे तो उसे उस के घरवालों को सब बताने की धमकी दें. तब तो शायद वह समझ ही जाएगा. उसे यह बात भी समझा दें कि चुपचाप इस रिश्ते को खत्म करना कितना बेहतर है बजाय सब की नजरों में गिर कर अलग होने के.

डेटिंग टिप्स: सेक्स को लें गंभीरता से

कालेज में पढ़ने वाले युवाओं को सेक्स संबंध बनाना हो या फिर लिव इन रिलेशनशिप में रहना हो, उन्हें इस बारे में अधिक सोचविचार की आवश्यकता नहीं होती. एक समय था जब विवाहपूर्व सेक्स के बारे में सोचना गलत माना जाता था, लेकिन आज तमाम सर्वे पर नजर डालें तो न सिर्फ युवा बल्कि किशोरकिशोरियों को भी सेक्स से कोई परहेज नहीं है. यह बात सही हो सकती है, लेकिन बिना सोचेसमझे सेक्स और इसे गंभीरता से लिए बिना कोई कदम उठाना सही नहीं है. इस से खुद को ही नुकसान हो सकता है. इसलिए सेक्स को मजाक न समझें, बल्कि गंभीरता से लें.

यह मजाक नहीं है

कई बार युवा अपने दोस्तों की देखा देखी या फिर दोस्तों में लगी शर्त को पूरा करने के चक्कर में सेक्स संबंध स्थापित करते हैं, ताकि वे अपने दोस्तों के बीच दबदबा बना सकें. लेकिन उन्हें इस बात का पता ही नहीं रहता कि कुछ पलों के हंसीमजाक के चलते उन्होंने अपनी जिंदगी का कितना अहम कदम बिना सोचेसमझे उठा लिया है. इसलिए सेक्स को गंभीरता से लें.

शादी के बाद होगी मुश्किल

शादी के बाद पति को भी इस का पता चल सकता है. यदि अपनी किशोरावस्था में आप ने सेक्स को गंभीरता से नहीं लिया और अपने फ्रैंड से कई बार सेक्स संबंध बनाए तो हो सकता है शादी के बाद पति को इस बात की किसी तरह भनक लग जाए और अगर ऐसा हुआ तो आप की खुशहाल जिंदगी क्या करवट लेगी, कुछ कहा नहीं जा सकता.

यौन संबंधी बीमारियों का डर

आमतौर पर विवाहपूर्व सेक्स संबंध शारीरिक और भावनात्मक स्तर पर सुरक्षित नहीं माने जाते. असुरक्षित सेक्स से कई यौन रोग भी गले पड़ सकते हैं, जो जानलेवा होते हैं. यदि कम उम्र में ऐसे संबंध स्थापित किए जाते हैं तो इस का असर शारीरिक विकास पर पड़ता है. इस के साथ ही सामाजिक संबंधों पर भी इस का गहरा असर पड़ता है.

साथी के साथ ही करें सेक्स

सेक्स हमेशा उसी के साथ करें जिसे आप ने जीवनसाथी बनाना है. कोशिश करें कि शादी से पहले अपने बौयफ्रैंड से सेक्स संबंध न बनाएं, क्योंकि उस के मन में यह विचार आ सकता है कि जो लड़की मेरे साथ सेक्स कर सकती है उस ने औरों के साथ भी संबंध बनाए होंगे. किसी अजनबी के साथ सेक्स संबंध बनाना न तो ठीक है और न ही सुरक्षित. सेक्स संबंधों में जल्दबाजी न करें बल्कि जिस के साथ सेक्स करना है उस के बारे में अच्छी तरह जान कर व सोचसमझ कर ही आगे बढ़ें. यह भी ध्यान रहे कि वह संबंध बनाने की बात दूसरों को न बता दे.

जगह का चुनाव करें

सेक्स कहां कर रहे हैं, यह भी काफी माने रखता है. वह जगह सेफ न हुई या किसी ने होटल के कमरे में वीडियो क्लिपिंग बना ली तो क्या होगा, इसलिए जहां मन हुआ सेक्स कर लिया ऐसा नहीं होना चाहिए. सेक्स करने से पहले गंभीरता से सोचें कि इसे कहां किया जाए.

ब्लैकमेलिंग से बचें

बौयफ्रैंड के पास आप के कुछ पर्सनल फोटो हो सकते हैं, जिन से आगे चल कर वह आप को ब्लैकमेल भी कर सकता है, इस बात का भी ध्यान रखें, फिर चाहे वह बौयफ्रैंड हो या कोई और. सेक्स  से पहले यह बात जरूर सोच लें कि इस वजह से कहीं आप ब्लैकमेलिंग का शिकार न हो जाएं, इसलिए इन बातों का विशेष खयाल रखें.

प्रैग्नैंसी का खतरा

इस बात पर भी विचार करना जरूरी है कि अगर आप ने बिना सोचेविचारे जल्दबाजी में सेक्स संबंध बनाने का फैसला किया और उस दौरान कोई सावधानी नहीं बरती तो गर्भ ठहरने का खतरा भी बना रहता है. यदि ऐसा होता है तो आप मानसिक तनाव से घिर जाएंगी, क्योंकि इस का दुष्प्रभाव आप की पूरी जिंदगी पर पड़ेगा.

डिप्रैशन न हो जाए

जब कई बार इन संबंधों में दरार पड़ती है तो दोनों पक्षों को ही गहरा मानसिक आघात पहुंचता है. ऐसे में सामाजिक और नैतिक बंधनों के चलते विवाहपूर्व सेक्स संबंध बनाने की शर्म, ग्लानि, अविश्वास, तनाव तथा एकदूसरे के प्रति सम्मान की कमी जैसे कारक मुख्य भूमिका निभाते हैं.

डेटिंग को डेटिंग ही रहने दें

कई बार डेटिंग के दौरान भी सेक्स संबंध बन जाते हैं. जहां डेटिंग का मकसद एकदूसरे को भलीभांति जानना होता है वहीं वे उस मकसद को भूल सेक्स संबंध स्थापित कर लेते हैं. सेक्स के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है, लेकिन अभी समय एकदूसरे को जाननेसमझने का है. यह वक्त दोबारा नहीं आएगा, इसलिए पहले दोनों एकदूसरे को भलीभांति समझ लें और अपने रिश्ते को कुछ समय दें. उस के बाद इस पायदान पर आएं.

अच्छा नहीं उतावलापन

सेक्स के लिए उतावलापन अच्छा नहीं है इसलिए आप को प्रोफैशनल या बाजारू महिला या पुरुष के साथ सेक्स संबंध बनाने से बचना चाहिए. यह पूरी तरह गलत है. इस से आप गलत लोगों के चंगुल में भी फंस सकते हैं.

जबरदस्ती सेक्स न करें

सेक्स जबरन नहीं करना चाहिए. आप को किसी के दबाव या किसी अन्य कारण से सेक्स करने से बचना चाहिए. साथ ही किसी डर की वजह से भी सेक्स नहीं करना चाहिए. मन के सारे भ्रम और आशंकाएं निकालने के बाद ही सेक्स संबंध बनाएं.

सही कदम

  • हर चीज समय पर ही अच्छी लगती है और सही भी रहती है. माना कि दिल किशोरावस्था में प्रेम की पींगें बढ़ाने को बेताब रहता है. प्रेम करना गलत नहीं है अवश्य करें, लेकिन सेक्स के लिए सही वक्त का इंतजार भी जरूरी है. तभी उस का असली मजा और आनंद ले पाएंगे वरना वह कुछ पलों का आनंद तो देगा लेकिन बाद में मन का सुकून भी छीन लेगा.
  • अगर फिर भी आप ने सेक्स का मन बना ही लिया है तो समय और स्थान का ऐसा चुनाव करें जो आप के लिए पूरी तरह सुरक्षित हो और बाद में किसी मुसीबत में फंसाने वाला न हो, इसलिए किसी भी कमजोर पल में सेक्स करने का फैसला न लें बल्कि यदि सेक्स करना भी है तो सोचीसमझी योजना के तहत करें.
  • सेक्स के बाद यदि प्रैग्नैंसी आदि का वहम हो रहा है तो बिना डाक्टर को दिखाए खुद ही किसी नतीजे पर न पहुंचें, बल्कि सब से पहले इस बारे में अपने घर पर बड़ी बहन, मां आदि को बताएं. यह सच है कि आप को बताने में हिचकिचाहट होगी, डर भी लगेगा और शायद शर्मिंदगी भी होगी, लेकिन यह शर्मिंदगी उस मुसीबत से कम होगी जो न बताने पर आप को झेलनी पड़ सकती है. वह आप के घर वाले हैं, इस बात को सुन कर चाहे लाख नाराज हों, आप को डांटें, लेकिन इस मुसीबत से निकालने की जिम्मेदारी लेने में उन्हें देर नहीं लगेगी. उस समय वह वही करेंगे जो आप के लिए उचित होगा. इसलिए उन पर विश्वास कर हिम्मत कर के एक बार उन से सच कह डालिए, फिर देखिए कैसे आप की परेशानी हल होती है.
  • अगर आप का कोई बौयफ्रैंड है जिस पर आप बहुत विश्वास करती हैं तो भी उसे अपना कोई वीडियो आदि न बनाने दें चाहे कुछ भी हो जाए. वह रिश्ता तोड़ने की धमकी देता है तो न डरें, क्योंकि जो युवक आप से ऐसी बात कह रहा है वह किसी भी तरह का रिश्ता रखने के लायक नहीं है.
  • अगर सेक्स करना भी है तो इस बात का खयाल रखें कि उस की वजह से आप की पढ़ाई में कोई बाधा न आए. यह समय आप के भविष्य बनाने का है. इस में किसी भी तरह का कोई व्यवधान नहीं आना चाहिए. सेक्स कर के कहीं हर वक्त उसी में खोए रह कर पढ़ाई करना न भूलें. पढ़ाई आप की पहली जरूरत है, बाकी सब बाद में.
अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें