मैं एक हिंदू लड़की से प्यार करता हूं पर अब किसी और से उस की शादी हो गई है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 25 साल का मुसलिम हूं. मैं पिछले 4 सालों से एक हिंदू लड़की से प्यार करता हूं, अब किसी और से उस की शादी हो गई है, पर वह मेरे पास आने के लिए बेताब है. वह कहती है कि मेरे बगैर वह जान दे देगी. मैं भी उस के बिना जी नहीं पा रहा हूं. मैं क्या करूं?

जवाब-

आप दोनों में इतना प्यार था, तो उस की कहीं और शादी होने से पहले ही आप लोगों को अदालती शादी कर लेनी चाहिए थी. अब चूंकि उस की शादी हो चुकी है, इसलिए समझदारी यही होगी कि आप लोग इस प्यार को यहीं खत्म कर दें. तलाक ले कर दूसरी शादी करना आसान नहीं.

सैक्स स्टार्वेशन से खुद को बचाएं

कोरोना वायरस के चलते लोगों का जीवन उथलपुथल हो गया. इस ने न केवल लोगों के दिलोदिमाग बल्कि उन की सैक्सलाइफ में भी भारी दखल दिया है. ऐसे में कपल्स के जीवन में सैक्स स्टार्वेशन नाम की नई समस्या पैदा हो गई. आइए जानते हैं, यह है क्या?

कोरोना के कहर के बाद लगे लौकडाउन के दौरान लोगों की जिंदगी किस तरह प्रभावित हुई, इस के दीर्घकालिक नतीजे काफी दिनों बाद आएंगे क्योंकि विभिन्न एजेंसियां अभी सर्वे और स्टडी कर रहीं हैं. लेकिन, तात्कालिक नतीजों से एहसास होता है कि उन दिनों और एक हद तक इन दिनों में भी सबकुछ पहले जैसा और एकदम सामान्य नहीं है. लोग अभी भी खुद को असहज महसूस कर रहे हैं क्योंकि कोरोना की दहशत उन के दिलोदिमाग पर छाई हुई है. और जब तक जिंदगी उलटपुलट कर देने वाले इस वायरस की वैक्सीन नहीं आ जाएगी तब तक सबकुछ सामान्य हो जाने की उम्मीद करना मनबहलाऊ बात ही होगी.

खानपान, रहनसहन और परंपराओं सहित लोगों की सैक्सलाइफ पर भी इस दौरान असर हुआ लेकिन कैसे, यह जानना किसी दिलचस्प उपन्यास पढ़ने जैसा काम है.

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आइए कुछ सर्वे और स्टडी रिपोर्ट्स पर नजर डालें.

यूके की एक स्टडी के मुताबिक, लौकडाउन के शुरुआती दौर में कपल्स ने साथ रहते हुए भी सैक्स संबंधों से परहेज रखा. जबकि, उम्मीद यह की जा रही थी कि अकेले रह रहे कपल्स सैक्स को एंजौय करेंगे. जून के दूसरे सप्ताह में यूके की एंग्लिया यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर्स मार्क टुली और ली स्मिथ ने बताया था कि इस वक्त लोग महामारी की चिंता के चलते अच्छे मूड में नहीं थे, इसलिए उन्होंने सैक्स से दूरी बनाए रखी. जो लोग शादीशुदा नहीं हैं वे भी अपने सैक्सुअल पार्टनर से नहीं मिल पाए.

इस स्टडी के एकदम उलट एक दिलचस्प वाकेआ दक्षिण अफ्रीका से सामने आया था जहां की एक महिला ने सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल करते हुए सरकार से शिकायत की थी कि लौकडाउन में उस का पति दिनरात सैक्स करता रहता है. इस से उस का जीना दूभर हो गया है. लिहाजा, सरकार लौकडाउन हटा ले. फिर देखते ही देखते सैकड़ों महिलाओं ने सरकार से मांग कर डाली कि लौकडाउन खत्म करो और पतियों को काम पर भेजो. एक पीडि़त पत्नी ने तो यह तक कह डाला था कि जैसे ही उस की नींद खुलती है, पति सैक्स के लिए तैयार खड़ा मिलता है. पहले पति को संतुष्ट करो, फिर खाना बनाओ, लेकिन खाने के बाद वह फिर सैक्स के लिए तैयार हो जाता है. क्या सरकार ने लौकडाउन सैक्स के लिए किया है.

हैरानी की बात यह है कि हमारे देश में सैक्स पर चर्चा करना भी वर्जित है, हालांकि, लौकडाउन के दौरान यहां सैक्सटौयज की बिक्री में 65 फीसदी का इजाफा हुआ. एक वैबसाइट, डेट्स पर्सनल डौट कौम, की एनालिटिकल रिपोर्ट ‘इंडिया अनकवर्ड – इनसाइटफुल एनालिसिस औफ सैक्स प्रोडक्ट्स ट्रैंड्स इन इंडिया’ में खुलासा किया गया कि भारतीय बाजार में सैक्स प्रोडक्ट्स की बिक्री के रु झानों और ग्राहकों के व्यवहार का अंदाजा लगता है. सैक्सटौयज की बिक्री में महाराष्ट्र पहले, कर्नाटक दूसरे और तमिलनाडु तीसरे नंबर पर रहे जबकि शहरों के लिहाज से देखें तो मुंबई पहले, बेंगलुरु दूसरे और नई दिल्ली तीसरे नंबर पर रहे. इस लंबेचौड़े ब्योरे में यह भी बताया गया कि सैक्सटौयज खरीदने वाले अधिकांश उम्मीदवारों की उम्र 25 से 34 साल के बीच है.

यह सैक्स स्टार्वेशन है

अलगअलग देशों के लोगों ने लौकडाउन के दौरान अलगअलग यौन व्यवहार प्रदर्शित किया, लेकिन, हमारे देश में सैक्सटौयज की बढ़ती बिक्री यह बताती है कि लोगों, खासतौर से युवाओं, ने सैक्स की अपनी भूख मिटाने के लिए कृत्रिम तरीके का सहारा ज्यादा लिया, क्योंकि उन का सैक्सपार्टनर से मिल पाना दूभर हो गया था और जो लोग सैक्स के लिए रैडलाइट इलाकों में जाया करते हैं उन्हें भी या तो इन्हीं खिलौनों का सहारा लेना पड़ा या फिर वे भी मन मसोस कर गुजर करते रहे. सैक्स स्टार्वेशन की इस से ज्यादा सटीक व्याख्या कोई हो भी नहीं सकती कि संतुष्टि उपलब्ध तो थी लेकिन पहुंच से दूर थी. खौफ कोरोना और पुलिस दोनों का था.

प्रोफैसर ली स्मिथ की बात पर गौर करें तो लोग सैक्स से डरते रहे, जबकि संतुष्टि का माध्यम यानी पार्टनर उन के पास था. निश्चितरूप से यह भी सैक्स स्टार्वेशन से बहुत ज्यादा भिन्न बात नहीं है कि थाली सामने रखी थी लेकिन लोग भूखे ही रहे. दूसरी तरफ अफ्रीका के लोग भूख न होते हुए भी भुक्खड़ों की तरह थाली पर टूटे रहे. भारत में ज्यादातर लोगों ने अलग तरीका अपनाया जिस से लगता है कि अधिकतर युवाओं की पार्टनर की कमी खिलौनों से दूर हुई. जो लोग, जिन में होस्टलर्स और पीजी में रहने वाले ज्यादा थे, जिन बदनाम इलाकों में सैक्स की भूख मिटाने जाया करते थे, वहां की सैक्सवर्कर्स भूखों मरने की कगार पर हैं. दिल्ली का जीबी रोड हो, कोलकाता का सोनागाछी हो, या फिर मुंबई का कमाठीपुरा इलाका हो, वहां की सैक्सवर्कर्स कैसेकैसे फाके कर रही हैं, यह अभी तक खबरों की सुर्खियों में रहता है.

यौन अतृप्ति से बचें

लौकडाउन के दौरान और अभी भी लोगों का सैक्स व्यवहार सामान्य नहीं है. भोपाल के वरिष्ठ मनोविज्ञानी डाक्टर विनय मिश्रा बताते हैं, ‘‘सैक्स स्टार्वेशन का एक मतलब यौन अतृप्ति भी है.’’ क्या यह लौकडाउन के दौरान ज्यादा पनपी, इस सवाल पर वे कहते हैं, ‘‘निश्चितरूप से कई मामलों में ऐसा हुआ, खासतौर से उन युवाओं के साथ जिन का पार्टनर उन के पास या साथ नहीं था या नहीं है.’’
बकौल डाक्टर विनय मिश्रा, ‘‘एक युवा कपल साल में औसतन 54 बार सैक्स करता है. लेकिन लौकडाउन में जिन का यह क्रम या सिलसिला, वजह कुछ भी हो, टूटा, उन्हें दिक्कत पेश आई. सैक्स जिंदगी के हर पहलू को प्रभावित करता है और इस का सेहत से भी गहरा संबंध है.’’ वहीं, हालिया एक सर्वे में 27 फीसदी कपल्स ने माना था कि लौकडाउन के दौरान उन के सैक्स संबंध सुधरे, लेकिन 42 फीसदी ने इसी दौरान सैक्स संबंध बिगड़ने की भी बात कही थी.

इस सर्वे में शामिल ज्यादातर लोग शादीशुदा थे. लेकिन जो युवा यहांवहां से कभीकभार अपने पार्टनर से सैक्स की जरूरत और इच्छा पूरी कर रहे थे, सही मानो में उन्हें ही सैक्स स्टार्वेशन का असल मतलब सम झ आया होगा. पर, वे कर भी कुछ नहीं सकते थे और तय है कि कोरोना वैक्सीन के आने तक उन्हें जैसेतैसे काम चलाना पड़ेगा. लेकिन डाक्टर विनय मिश्रा की मानें तो इस दौरान उन्हें सुरक्षित कृत्रिम तरीकों या हस्तमैथुन का सहारा लेने से हिचकिचाना नहीं चाहिए.

मेरा होने वाला पति मुझसे 11 साल बड़ा है. उम्र का ये फर्क शादी के बाद परेशान करेगा?

सवाल

मेरी उम्र 19 साल है और मेरे होने वाले पति की उम्र 30 साल है. क्या शादी  के बाद उम्र का यह फर्क हमारे रिश्ते में आड़े तो नहीं आएगा?

जवाब

उम्र में 11 साल का फर्क आगे चल कर आड़े आ सकता है लेकिन जब शादी तय हो ही गई  है तो आगे की सोचें कि आप के पति आप से जल्दी बूढ़े हो जाएंगे. आप की और उन की पसंद और नापसंद, शौक और दूसरे मामलों में भी फर्क हो  सकता?है. लिहाजा, अभी से खुद को पति के हिसाब से ढालना शुरू कर दें, तो यह कोई बड़ी समस्या नहीं रह जाएगी. बड़ी उम्र का पति ज्यादा अच्छी  देखभाल करता है.

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सेक्स और प्यार!

सच्चे प्रेम से खिलवाड़ करना किसी बड़े अपराध से कम नहीं है. प्रेम मनुष्य को अपने अस्तित्व का वास्तविक बोध करवाता है. प्रेम की शक्ति इंसान में उत्साह पैदा करती है. प्रेमरस में डूबी प्रार्थना ही मनुष्य को मानवता के निकट लाती है.

मुहब्बत के अस्तित्व पर सेक्स का कब्जा

आज प्रेम के मानदंड तेजी से बदल रहे हैं. त्याग, बलिदान, निश्छलता और आदर्श में खुलेआम सेक्स शामिल हो गया है. प्रेम की आड़ में धोखा दिए जाने वाले उदाहरणों की शृंखला छोटी नहीं है और शायद इसी की जिम्मेदारी बदलते सामाजिक मूल्यों और देरी से विवाह, सच को स्वीकारने पर डाली जा सकती है. प्रेम को यथार्थ पर आंका जा रहा है. शायद इसी कारण प्रेम का कोरा भावपक्ष अस्त हो रहा है यानी प्रेम की नदी सूख रही है और सेक्स की चाहत से जलराशि बढ़ रही है.

विकृत मानसिकता व संस्कृति

आज के मल्टी चैनल युग में टीवी और फिल्मों ने जानकारी नहीं मनोरंजन ही परोसा है. समाज द्वारा किसी भी रूप में भावनाओं का आदर नहीं किया जाता. प्रेम का मधुर एहसास तो कुछ सप्ताह तक चलता है. अब तन के उपभोग की अपेक्षा है.

क्षणिक होता मुहब्बत का जज्बा

प्रेम अब सड़क, टाकीज, रेस्तरां और बागबगीचों का चटपटा मसाला बन गया है. वर्तमान प्रेम क्षणिक हो चला है, वह क्षणभर दिल में तूफान ला देता है और अगले ही पल बिलकुल खामोश हो जाता है. युवा आज इसी क्षणभर के प्रेम की प्रथा में जी रहे हैं. एक शोध के अनुसार, 86% युवाओं की महिला मित्र हैं, 92% युवक ब्लू फिल्म देखते हैं, तो 62% युवक और 38% युवतियों ने विवाहपूर्व शारीरिक संबंध स्थापित किए हैं.

यही है मुहब्बत की हकीकत

एक नई तहजीब भी इन युवाओं में गहराई से पैठ कर रही है, वह है डेटिंग यानी युवकयुवतियों का एकांत मिलन. शोध के अनुसार, 93% युवकयुवतियों ने डेटिंग करना स्वीकार किया. इन में से एक बड़ा वर्ग डेटिंग के समय स्पर्श, चुंबन या सहवास करता है. इस शोध का गौरतलब तथ्य यह है कि अधिकांश युवक विवाहपूर्व यौन संबंधों के लिए अपनी मंगेतर को नहीं बल्कि किसी अन्य युवती को चुनते हैं. पहले इस आयु के युवाओं को विवाह बंधन में बांध दिया जाता था और समय आने तक जोड़ा दोचार बच्चों का पिता बन चुका होता था.

अमीरी की चकाचौंध में मदहोश प्रेमी

मृदुला और मनमोहन का प्रेम कालेज में चर्चा का विषय था. दोनों हर जगह हमेशा साथसाथ ही दिखाई देते थे. मनमोहन की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. वह मध्यवर्गीय परिवार से था, लेकिन मृदुला के सामने खुद को थोड़ा बढ़ाचढ़ा कर दिखाने की कोशिश में रहता था. वह मृदुला को अपने दोस्त की अमीरी और वैभव द्वारा प्रभावित करना चाहता था. दूसरी ओर आदेश पर भी अपना रोब गांठना चाहता था कि धनदौलत न होने पर भी वह अपने व्यक्तित्व की बदौलत किसी खूबसूरत युवती से दोस्ती कर सकता है. लेकिन घटनाचक्र ने ऐसा पलटा खाया कि जिस की मनमोहन ने सपने में भी कल्पना नहीं की थी. उस की तुलना में अत्यंत साधारण चेहरेमुहरे वाला आदेश अपनी अमीरी की चकाचौंध से मृदुला के प्यार को लूट कर चला गया.

मनमोहन ने जब कुछ दिन बाद अपनी आंखों से मृदुला को आदेश के साथ उस की गाड़ी से जाते देखा तो वह सोच में पड़ गया कि क्या यह वही मृदुला है, जो कभी उस की परछाईं बन उस के साथ चलती थी. उसे अपनी बचकानी हरकत पर भी गुस्सा आ रहा था कि उस ने मृदुला और आदेश को क्यों मिलवाया. कालेज में मनमोहन की मित्रमंडली के फिकरों ने उस की कुंठा और भी बढ़ा दी.

प्रेम संबंधों में पैसे का महत्त्व

प्रेम संबंधों के बीच पैसे की महत्ता होती है. दोस्ती का हाथ बढ़ाने से पहले युवक की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रख कर निर्णय लेना चाहिए. प्रेमी का यह भय सही है कि यदि वह अपनी प्रेमिका को महंगे उपहार नहीं देगा तो वह उसे छोड़ कर चली जाएगी. कोई भी युवती अपने प्रेमी को ठुकरा कर एक ऐसा नया रिश्ता स्थापित कर सकती है, जिस का आधार स्वाभाविक प्यार न हो कर केवल घूमनेफिरने और मौजमस्ती करने की चाह हो. युवकों को पैसे के अनुभव के बावजूद अपनी प्रेमिकाओं और महिला मित्रों को प्रभावित करने के लिए हैसियत से ज्यादा खर्च करना होगा.

प्रेम में पैसे का प्रदर्शन, बचकानी हरकत

छात्रा अरुणा का विचार है कि अधिकतर युवक इस गलतफहमी का शिकार होते हैं कि पैसे से युवती को आकर्षित किया जा सकता है. यही कारण है कि ये लोग कमीज के बटन खोल कर अपनी सोने की चेन का प्रदर्शन करते हैं. सड़कों, पान की दुकानों या गलियों में खड़े हो कर मोबाइल पर ऊंची आवाज में बात करते हैं या गाड़ी में स्टीरियो इतना तेज बजाते हैं कि राह चलते लोग उन्हें देखें.

हैसियत की झूठी तसवीर पेश करना घातक

अरुणा कहती है कि कुछ लोग प्रेमिका से आर्थिक स्थिति छिपाते हैं तथा अपनी आमदनी, वास्तविक आय से अधिक दिखाने के लिए अनेक हथकंडे अपनाते हैं. इसी संबंध में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार का जिक्र किया जो एक निजी कंपनी में नौकरी करते थे. विवाह के तुरंत बाद उन्होंने पत्नी को टैक्सी में घुमाने, उस के लिए ज्वैलरी खरीदने तथा उसे खुश रखने के लिए इस कदर पैसा उड़ाया कि वे कर्ज में डूब गए. कर्ज चुकाने के लिए जब उन्होंने कंपनी से पैसे का गबन किया तो फिर पकड़े गए. परिणामस्वरूप अच्छीखासी नौकरी चली गई. इतना ही नहीं, पत्नी भी उन की ऐसी स्थिति देख कर अपने मायके लौट गई. अगर शुरू से ही वह चादर देख कर पैर फैलाते, तो यह नौबत न आती.

समय के साथ बदलती मान्यताएं

मीनाक्षी भल्ला जो एक निजी कंपनी में कार्यरत हैं, का कहना है कि प्यार में प्रेमीप्रेमिका दोनों ही जहां एकदूसरे के लिए कुछ भी कर गुजरने की भावना रखते हैं, वहीं अपने साथी से कुछ अपेक्षाएं भी रखते हैं.

व्यापार बनता आज का प्रेम

इस प्रकार के रवैए ने प्यार को एक प्रकार का व्यापार बना दिया है. जितना पैसा लगाओ, उतना लाभ कमाओ. कुछ मित्रों का अनुभव तो यह है कि जो काम प्यार का अभिनय कर के तथा झूठी भावुकता दिखा कर साल भर में भी नहीं होता, वही काम पैसे के दम पर हफ्ते भर में हो सकता है. अगर पैसे वाला न हो तो युवती अपना तन देने को तैयार ही नहीं होती.

नोटों की ऐसी कोई बौछार कब उन के लिए मछली का कांटा बन जाए, पता नहीं चलेगा. ऐसी आजाद खयाल या बिंदास युवतियों का यह दृष्टिकोण कि सच्चे आशिक आज कहां मिलते हैं, इसलिए जो भी युवक मौजमस्ती और घूमनेफिरने का खर्च उठा सके, आराम से बांहों में समय बिताने के लिए जगह का इंतजाम कर सके, उसे अपना प्रेमी बना लो.

शरीर के ये हिस्से बनाते हैं सेक्स को मजेदार

यदि आप उनके शरीर के कुछ विशेष हिस्सों पर ध्यान देंगी तो सेक्शुअल रिश्तों पर इसका जादुई असर होगा और आपकी सेक्शुअल लाइफ पहले से ज़्यादा संतुष्टिदायक हो जाएगी.

कमाल आंखों का!

कमरे के अलग-अलग हिस्सों पर खड़े होकर उन पर लगातार एक-दो सेकेंड तक नज़र डालें. नजरों से समझाएं कि आप उनका साथ चाहती हैं. ये प्रक्रिया जितनी शरारतभरी और फ्लर्ट अंदाज में होगी, उनका दिल उतने ही जोर से धड़केगा. और हां, हाई हील्स पहनिए. लंबे पैर हमेशा पुरुषों का ध्यान आकर्षित करते हैं. तब भी, जब आप चलते हुए उनसे दूर जा रही हों.

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सुगंध, जो मदहोश कर दे

शनेल नंबर 5, की खुशबू पुरुषों को आकर्षित नहीं करती. उन्हें मदहोश करनेवाली खुशबू है-पम्प्किन पाई की मीठी-तीखी सुगंध. ‘‘परफ्यूम्स को फेंक दीजिए और पम्प्किन पाई खरीद लाइए,’’ कहना है शिकागो के स्मेल ऐंड टेस्ट ट्रीटमेंट सेंटर के डॉ ऐलेन हिअर्श का.

शोध बताते हैं कि इसकी खुशबू पुरुषों को महिला की चाहत से भर देती है. यदि इसे लैवेंडर की खुशबू के साथ मिला देंगी तो आपको उनके उफान को शांत करने के लिए एक बाल्टी ठंडे पानी की ज़रूरत पड़ेगी. पम्प्किन की खुशबू से प्रतिभागियों के पीनियल (शिश्न) रक्त-प्रवाह में औसतन 40% की बढ़ोतरी पाई गई. वनीला की ख़ुशबू का भी जबरदस्त असर होता है. संतुष्टिदायक सेक्स जीवनवाले पुरुषों ने माना कि स्ट्रॉबेरी की महक भी उन्हें पसंद है.

हाथों का जादू

उनका हाथ थामे रहें. यूनिवर्सिटी कौलेज, लंदन द्वारा वर्ष 2013 में कराए गए एक अध्ययन के अनुसार, जब कभी आप तनावपूर्ण स्थिति से गुजर रहे हों अपने जीवनसाथी का हाथ थाम लें, ऐसा करने से मस्तिष्क का वह क्षेत्र शांत हो जाता है, जहां खतरे की आशंका की शुरुआत होती है. साथ ही, शरीर का तनाव कम हो जाता है.

कान महत्वपूर्ण हैं

कानों को हम भूल जाते हैं. लेकिन यह वो हिस्सा है जो सुखदायी होने के साथ-साथ उन्हें उत्तेजित कर सकता है. अपना अंगूठा और अनामिका उंगली उस जगह पर रखें, जहां उनका ईयर लोब और चेहरा आपस में मिलते हैं. हल्का-सा नीचे की ओर खींचते हुए अपनी उंगलियों को वहां फिसलने दें, ताकि आप दोबारा शुरू कर सकें. और देखें कि उनकी प्रतिक्रिया कैसी होती है.

होंठों का आकर्षण

पुरुष के होंठ स्वाभाविक जगह हैं, जहां स्पर्श उन्हें पसंद होता है. पर उनके निचले होंठ और ठोढ़ी के बीच की ढलान पर आपका स्पर्श उन्हें आनंद से भर देगा. ‘‘हमने पाया है कि ये छोटा, नाज़ुक और वक्रीय हिस्सा बहुत संवेदनशील नर्व रिसेप्टर है,’’ लो पेजेट ने अपनी किताब द बिग ओ में यह बात कही है.

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घुटनों का आनंद

घुटनों के पीछे की त्वचा नर्म-मुलायम होती है और पुरुषों को इसकी मालिश अच्छी लगती है. ‘‘शरीर के ऐसे हिस्से जहां कम बाल होते हैं, पुरुषों के लिए ज़्यादा संवेदनशील और उत्तेजक होते हैं,’’ कहना है न्यू यॉर्क की सेक्स कोच ऐमि लेविन का. ‘‘उनकी इच्छा को उभारने के लिए उनके घुटनों के पीछे के हिस्से की मालिश अपनी उंगलियों के पोरों से गोलाकार गति में करके देखिए.’’

पैरों से खेलें

एड़ी और टखने (ऐंग्कल) की हड्डी के बीच पीछे की ओर एक फ़िंगर-टिप साइज़ का प्रेशर पॉइंट है, जिसमें उत्तेजना की अपार संभावनाएं छिपी हैं, यह बात लॉरा नॉर्मैन ने अपनी किताब फीट फर्स्ट में बताई है. ‘‘यह जगह सेक्स अंगों से जुड़ी होती है,’’ लॉरा कहती हैं, जो आनंद का एहसास जगाती है. जरनल औफ सेक्शुअल मेडिसिन के सर्वे में भाग लेनेवाले आधे से ज्यादा पुरुषों का कहना था कि निपल (वक्षाग्र) पर किए गए स्पर्श ने न सिर्फ उनकी उत्तेजना को बढ़ाया, बल्कि उनके जोश को चरम पर पहुंचा दिया.

तृप्ति और खुशियों का खजाना भी हैं कामुक किताबें

ज्ञान हासिल करना है तो किताबें पढ़ें, किसी की सक्सेज स्टोरी जाननी हो तो किताबें पढ़ें, तनाव खत्म करना हो तो किताबें पढ़ें, यहां तक कि दिल में बेचैनी हो, किसी चीज में मन न लग रहा हो, सब कुछ बोझिल सा महसूस हो रहा हो तो मनोविद कहते हैं कि कामुक किताबें पढ़ें. जी हां, आप बिल्कुल सही पढ़ रहे हैं. किताबें सेक्स में काफी सहायक सिद्ध होती हैं. हालांकि पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर किताबों को वीडियो ने रिप्लेस करने की कोशिश की है, लेकिन एक तो अभी ज्यादातर वीडियोज में उस तरह की मैच्योरिटी नहीं है, जो किताबों में है.

दूसरी बात वीडियो चूंकि हर कोई बना रहा है, चाहे उसे उस विषय के बारे में कोई ज्ञान हो या न हो, इसलिए अभी वीडियोज में वह स्टैंड नहीं है, जैसा किताबों में है. निःसंदेह बहुत सारे वीडियोज ऐसे हैं, लेकिन आमतौर पर वीडियोज किताबों से अभी बेहतर नहीं है.

खैर हमें तुलना में नहीं उलझना सिर्फ यह जानना है कि विशेषज्ञ आखिर कामुक किताबों के पढ़ने के फायदे क्या बताते हैं? कुछ सालों पहले एक अध्ययन में पाया गया कि कामुक कहानियां या फिर फोटोग्राफ्रस देखने से दिल तरोताजा हो जाता है. यही नहीं, ये कहानियां और तस्वीरें स्वास्थ्य के नजरिये से भी बहुत लाभदायक पायी गईं. यह सामग्री खास तौरपर उन कपल्स के लिए तो बहुत ही उपयोगी हैं, जिन्हें उत्तेजित होने में वक्त लगता है. शायद यूं ही नहीं कहा गया है कि किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं. यह न सिर्फ तकनीकी रूप से मित्र होती हैं बल्कि ये हमारे एहसास का हिस्सा भी होती हैं.

दरअसल प्रेम कहानियां व साहित्य, कामुक कहानियां यह सब सीधे हमारे दिल के तार से जुड़ जाती हैं जिससे ये हमें सेक्सुअल एहसास में कई गुना ज्यादा आनंदित करती हैं. मनोविदो के मुताबिक कामुक किताबें हमारे जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं. मनोविद उन दंपतियों को जो काफी मुश्किल से या देर से उत्तेजित होते हैं, उन्हें सेक्स से पहले कुछ इरोटिक किताबें पढ़ने का सुझाव देते हैं.

अगर किताबें उपलब्ध न हों तो इंटरनेट में जाकर पोर्न साइट्स को भी देखा जा सकता है. आजकल भारत में भी ऐसा खुलापन देखा जा रहा है. लड़कियां ऐसी साइट्स देखने में हिचकिचाती नहीं हैं बल्कि अपने पार्टनर को पूरा सपोर्ट करती हैं. उन्हें इस बात से कोई गुरेज नहीं है कि उनका पार्टनर इन साइट्स को देखने व दिखाने में इंटरेस्ट दिखा रहा है बल्कि अपने साथी को पूरा सहयोग करती हैं. वो भी दिल खोलकर. आमतौर पर सेक्सोलॉजिस्ट स्वीकारते हैं कि पोर्नोग्राफी और इरोटिक विषय, दिमाग से तनाव को दूर करते हैं. सो इसे रोगोपचार भी कहा जा सकता है.

यह एक ऐसा नुस्खा है जिसमें कोई चिकित्सा नहीं मगर बेहतर स्वास्थ्य पर बेहतर असर है. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि अगर दंपति या पार्टनर्स साथ-साथ ऐसी किताबें पढ़ें तो उनके लिए ज्यादा लाभदायक होती हैं.

मुम्बई स्थित केईएम अस्पताल के डॉ-प्रकाश कोठारी बताते हैं कि उनके पास जितने भी दंपति चिकित्सा के लिए आते हैं उनमें से ज्यादातर इरोटिक किताबें, पोर्न साइट्स देखना पसंद करते हैं. वह कहते हैं, फ्इरोटिक किताबें पढ़ना आज के दौर में जीवन का एक हिस्सा जैसा बनता जा रहा है. यह एक किस्म से फोरप्ले का काम करता है. इससे उत्तेजित होने में आसानी होती है. इससे दोनों पार्टनर्स बहुत ही जल्द एक दूसरे में खो जाते हैं.य् चाहे नवदंपति हाें या फिर किसी की शादी के 20 साल गुजर चुके हों.

अगर सेक्स में नयापन चाहिए या फिर सेक्स में एकरसता आ गई हो और उसे दूर करना चाहते हों तो सबसे आसान उपाय यही है कि कुछ ऐसी तस्वीरें देखी जाएं जो उत्तेजित कर सकें या फिर ऐसी साइट सर्च की जाए जिसमें तस्वीरों के साथ-साथ रोमांच कर देने वाली कहानियां हाें.

इससे जीवन में खुशियां नए सिरे से शामिल हो जाएंगी. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि दंपति कितने नए हैं या कितने पुराने हैं. यह न सिर्फ बिस्तर में काम करता है बल्कि सोच को भी सकारात्मक कर देता है.

ये कहानियां या किताबें कल्पनाओं तक सीमित होती हैं और कल्पनाओं की कोई सीमा नहीं होती. इसलिए हम जो कुछ अपनी कल्पनाओं में कर सकते हैं या करते हैं वह हम हकीकत में करने की सोच भी नहीं सकते. इस किस्म की किताबों को पढ़ने से हमारी सोच में तब्दीलियां आएंगी. एक किस्म से यह व्यक्ति के अंदर मौजूद ऊर्जा को बढ़ाती हैं. यह सिर्फ शारीरिक तौरपर ही लाभदायक नहीं हैं. इससे रिश्ते भी मजबूत होते हैं और भविष्य बेहतर होने की संभावना बरकरार रहती है. कई चिकित्सकों का मानना है कि अगर हम ‘फोरप्ले’ शब्द को परिभाषित करते हैं तो यह एक बहुत बड़ा विषय है जिसका विवरण हम चंद शब्दों में नहीं दे सकते.

इसलिए अगर कहें कि किताबें पढ़ना एक तरह से फोरप्ले ही है तो गलत न होगा. वास्तव में यह आसानी से पुरुषों को उत्तेजित कर सकता है और सेक्स के दौरान उन तमाम घटनाओं को अपनी कल्पना में शामिल कर सकता है जो कि उसने पढ़ी थी.

सेक्सोलॉजिस्ट, मनोविद और विशेषज्ञ ही इन तमाम बातों से सहमत नहीं हैं. इन तमाम बाताें को अपने जीवन में इख्तियार करने वाले दंपति भी इससे सहमत हैं. कामुक कहानियां पढ़ने वाले या इस तरह के साहित्य को किसी भी फॉर्मेट में देखने, सुनने या पढ़ने वाले दंपति जब एक दूसरे को छूते हैं तो उनका स्पर्श इतना प्यार भरा होता है कि शब्दों में बयान करना नामुमकिन होता है. इससे उनका सारे दिन का तनाव भी खत्म हो जाता है और हर आने वाला दिन नई ऊर्जा से भरा होता है.

लेकिन कई ऐसे दंपति भी हैं जो इस बात से सहमत नहीं हैं. ऐसा नहीं है कि वह किताबें पढ़ने या तस्वीर देखने को उत्तेजक न मानते हों. वह इसके खिलाफ भी नहीं हैं. दरअसल कई महिलाओं को लगता है कि हमारे पास जितनी भी किताबें या साइट्स में कहानियां या फोटोग्राफ उपलब्ध हैं, वह कहीं न कहीं हर रूप में मेल ओरिएंटेड यानी पुरुषों को जहन में रखकर बनाई गई हैं.

इसलिए उसमें महिलाओं को उत्तेजित करने वाले तथ्य मौजूद नहीं होते. पुरुष ही इन किताबों को पढ़कर उत्तेजित होते हैं. उत्सुक होते हैं और इस वजह से बिस्तर में भी बेहतर प्रदर्शन करते हैं_ लेकिन इसमें महिलाओं को कोई खास मदद नहीं मिलती.

इसलिए कई दंपति ऐसे हैं जहां पुरुष इन किताबों को अकेला पढ़ता है. उनकी पत्नियां उनका इन किताबों को पढ़ने में साथ देने को, अपने वक्त को जाया करना मानती हैं. लेकिन किसी हद तक यह भी सच है कि महिलाएं भी इन किताबों का पूरा आनंद लेना चाहती हैं. एक दौर था जब महिलाएं कामुक किताबों को पढ़ना तो दूर उन्हें अपने घर पर रखने की इजाजत भी नहीं देती थीं. मगर आज यह गुजरे जमाने की बीती बातें हो चुकी हैं.

आज हम इन पौराणिक विचारधाराओं को अपने जीवन से कोसो दूर छोड़ चुके हैं. आज न सिर्फ पुरुष बल्कि महिलाएं भी इन तमाम विषयों में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी दर्शाती हैं. कई अविवाहित नवयुवक अपनी शारीरिक मांग को इन किताबों के जरिए शांत करते हैं.

उनका मानना है कि यह शरीर को ठंडक पहुंचाती है. यह इतना प्रभावशाली होता है कि इन कामुक किताबों को पढ़ने के बाद कोई भी कठिन से कठिन उलझन भी आसानी से सुलझ जाती है. सेक्सोलॉजिस्टों के मुताबिक पोर्नोग्राफी वाकई शरीर को तृप्त करने का एक बेहतरीन साधन है. अगर हम देखें कि जितने भी साधन किताबों, नेट या फिर कहीं भी उपलब्ध होते हैं, उनमें जो तस्वीरें मौजूद होती हैं वह पुरुषों को ज्यादा आकर्षित करती हैं, जबकि लिखित मैटर महिलाओं की उत्तेजना को बढ़ाता है.

खैर! जो भी है, हकीकत यही है कि इसमें सेक्स की कोई समस्या नहीं होती. किसी किस्म का कोई दबाव नहीं होता, किसी खास की तलाश करने की भी कोई जरूरत नहीं होती. यह तो कल्पनाओं की उड़ान को ऊंचा और ऊंचा और भी ऊंचा ले जाती है. जहां कोई तनाव, समस्या, परेशानियां नहीं होतीं.

आपकी सेक्स लाइफ खराब कर रहा है टीवी, जानें कैसे

दिनभर के काम के बाद सबसे आरामदेह होता है मैड मेन के क्रेडिट्स पर आंखे गड़ाना और फिर अपने बिस्तर के आगोश में समा जाना. यदि आप अकेली हैं तो ऐसा करना बिल्कुल सही है, लेकिन यदि आप अपने पार्टनर के साथ हैं और फिर भी उनसे बात करने के बजाय डेरेक ऐंड मेरेडिथ देखना पसंद करती हैं तो ये चिंता की बात है.

केवल एक आप ही नहीं हैं, जिसके अच्छे-भले सेक्शुअल जीवन में, दोस्त समझे जानेवाले बुद्धू बक्से ने सेंध लगा दी है. इटली में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, ऐसे जोड़े जिनके बेडरूम में टीवी है, उनके बीच सेक्शुअल संबंधों की संख्या, ऐसे जोड़े की तुलना में जिनके बेडरूम में टीवी नहीं है, आधी होती है.

मुंबई के सेक्शुअल मेडिसिन कंसल्टेंट राज ब्रह्मभट्ट इस अध्ययन का समर्थन करते हैं. ‘‘बेडरूम में टीवी आपके सेक्शुअल जीवन को बर्बाद कर देता है,’’ वे आगे बताते हैं,‘‘इन दिनों घर के हर कमरे में टीवी होना फैशन बन गया है. लेकिन इसका विपरीत परिणाम ये है कि कई कपल्स सेक्स के लिए समय निकालने के बजाय सीरियल देखना पसंद करते हैं.’’

सेक्स विनाशक

‘‘मैं अपना पसंदीदा टीवी सीरियल, लिविंग रूम के बजाय आराम से अपने बेडरूम में देखना पसंद करूंगी,’’ कहना है पीआर एग्जेक्यूटिव रितिका साहनी, का. ‘‘पर समस्या ये है कि मेरे और मेरे पति के पसंदीदा प्रोग्राम अलग-अलग हैं. जब तक मैं अपना सीरियल देखकर सोने के लिए तैयार होती हूं, वे अपने प्रोग्राम्स, खबरें या ऐक्शन मूवीज देखना शुरू कर देते हैं. सेक्स का तो नंबर ही नहीं आ पाता.’’

एक तर्क ये हो सकता है कि रिमोट उठाकर टीवी को बंद करने की ही देर है कि अंतरंग पल जिए जा सकते हैं, लेकिन ये इतना आसान नहीं है. ‘‘कई बार कोई सेक्सी फिल्म देखने के बाद हम निजी पल जीने के मूड में आ जाते हैं,’’ ये बताते हुए मीडिया प्रोफेशनल तनिका बसक कहती हैं, ‘‘पर अधिकतर समय हम न्यूज देखते हैं और इसे देखकर निजता की कोई भावना नहीं उभरती.’’

रचनात्मक तरीके

राज बताते हैं, ‘‘मेरे बहुत-से पेशेंट्स बेडरूम से टीवी हटाने के मेरे सुझाव का विरोध करते हैं. पर ये महसूस करना ज़रूरी है कि एल्कोहल की ही तरह टीवी देखने से इच्छाएं तो बढ़ती हैं, लेकिन सक्रियता कम हो जाती है. अत: इसे लिविंग रूम में रखें, ताकि आप इसे अन्य परिजनों के साथ ही देखें. आप इसे देखने के समय में कटौती करने से भी शुरू कर सकते हैं. यदि आप रोज छह घंटे टीवी देखती हैं तो इसे तीन घंटों तक सीमित कर दें. और ये समय ऐसा रखें कि आप दोनों को दाम्पत्य जीवन के सहज पलों को साथ बिताने का पूरा समय मिले.’’

ये कठिन ज़रूर है, पर पूरी तरह संभव है. अपने सेक्शुअल संबंधों की गर्माहट को पुनर्जीवित करें. फिर आपको ख़ुद ही महसूस होने लगेगा कि वास्तविक जीवन का यह एपिसोड टीवी सीरियल्स के एपिसोड से कहीं ज्यादा अच्छा अनुभव है.

मैं अपने दोस्त की बहन से प्यार करता हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 21 साल का लड़का हूं. मेरी स्टडीज पूरी हो गई है, मैं अपने परिवार को भी बहुत चाहता हूं अब जाकर मुझे एक लड़की पसंद आई है जिससे मैं प्यार करता हूं. लेकिन प्रौब्लम ये है कि वो मेरी दोस्त की बहन है. मैं अपने दोस्त की बहन को पसंद करता हूं और शादी भी करना चाहता हूं. बताएं मैं क्या करूं?

जवाब

अगर आपको अपनी बहन की दोस्त अच्छी लगती है और आप उससे प्यार करते है तो ये अच्छी बात है. इसमे कोई बुराई नहीं है. आप अपने दोस्त से रिश्ता ओर मजूबत बना सकते है. साथ ही, उसके घरवालों का दिल जीत लें. इससे आपकी दोस्ती रिश्तेदारी में बदलेंगी. लेकिन, इसके लिए आपको कुछ बातें फोलो करने की जरूरत है.

पहले तो आप अपने दोस्त से इस बारे में बताएं और उनके विचारों को जानें की वो कैसा सोचते है इस बारे में. अगर वे इस बारें में पौजीटिव सोच रखते है तो आप इस बात को आगे बढ़ा सकते है. आप अपने दोस्त के साथ ईमानदारी से बनं रहे. सिर्फ ईमानदारी से बात करें. ताकि भविष्य में कोई गलतफहमी न हो.

इसके अलावा आप उसके इमोशन का भी ध्यान रखे. उसके इमोशनस का मजाक न बनाएं. यह जांचे कि वह स्वभाव में अच्छी है और लंबे वक्त तक आपका साथ देंगी. इस बात का भी पता लगाएं कि उसका कोई दोस्त, भाई, पिता आप पर भारी न पड़ जाएं. अगर प्यार को रिश्तेदारी में बदलना चाहते है तो इस बात पर भी गौर करें कि फाइनेंशियली स्ट्रौंग बनों.

अक्सर दोस्त की बहन आपको भी अपने भाई की तरह मानने लगती हो या अगर आपको सहेली के भाई से प्यार है, तो हो सकता है कि वह आपको बहन की तरह ट्रीट करती हो. इसलिए आपको अपने दिल की बात बतानी होंगी. ताकि दोस्त को बाद में पता चले तो वह ये न समझें कि आपने उन्हे धोखा दिया है. इसलिए समय रहते आपको अपनी फिलीग्स शेयर करनी है.

इस तरह के रिलेशनशिप में सबसे जरूरी है कि दोस्ती के बीच प्यार न आए. इसके साथ ही प्यार और दोस्ती के बीच तालमेल बैठा कर चलें.

6 टिप्स: जानें सेक्स के दौरान महिलाओं को कौन सी चीज बना देती है दीवाना

महिलाओं का सेक्स आनंद एक ऐसा विषय है जिस पर अक्सर काफी अध्ययन और सर्वे किया जाता रहा है. लेकिन अब तक की गई रिसर्च सामान्य ही रही है. जैसे कि यह एक जाना माना तथ्य है कि फोरप्ले और विविधता लड़कियों के चरम के लिए अच्छे हैं.

  1. रसभरी जानकारियां

किन्तु विशिष्ट जानकारी का क्या? जब बात महिलाओं को एक विशेष तरीके से स्पर्श करने की आती है, तो शायद अब तक की गई शोध कोई खास मददगार साबित नही हो पाती. उंगली को असल में कहां घुमाना है, किस तरह से घुमाना है और कितना स्पर्श जरूरी है.

महिलाओं के ओर्गास्म और सेक्स आनंद की रसभरी और विशिष्ट जानकारी पाने के लिए प्रतिबद्ध शोधकर्ता समूह ने अलग अलग उम्र की 1000 महिलाओं पर एक सर्वे किया. यह सर्वे ओ एम जी व्हाई रिसर्च कंपनी की प्लेजर रिपोर्ट सर्वे का हिस्सा था. यह संस्थान महिला सेक्स आनंद से जुड़े तथ्यों पर वेबसाइट चलाता है.

गोपनीय रखे गए सर्वे में महिलाओं से शोधकर्ताओं ने इस तरह के प्रश्न पूछे, जैसे कि: कितना दबाव पर्याप्त लगता है? आपके साथी के कौनसे स्पर्श ने आपको सबसे ज़्यादा आनंद दिया? कुछ ओर्गास्म दूसरे ओर्गास्म से बेहतर क्यों लगते हैं? आपको एक से अधिक ओर्गास्म एक साथ होते हैं?

2. एहसास को लाजवाब क्या बनाता है?

रिसर्चकर्ताओं ने जाना कि सहवास के दौरान होने वाले ओर्गास्म में भगशिश्न (क्लाइटोरिस) की अहम भूमिका है. करीब 36 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि इसके बिना उन्हें ओर्गास्म नही होता और 36 प्रतिशत ने कहा कि क्लाइटोरिस उत्तेजन उनके ओर्गास्म को बेहतर बना देता है.

बेहतर ओर्गास्म की बात की जाए तो महिलाओं ने माना कि ओर्गास्म के आनंद का स्तर अलग अलग होता है. तो एक ओर्गास्म को दूसरे से बेहतर कैसे किया जा सकता है? 75 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उत्तेजना यदि धीरे धीरे बने, तो उसका अंत फल ज्यादा मीठा महसूस होता है. करीब आधी महिलाओं का ये भी कहना था कि अगर उनके साथी के प्रति उनका भावनात्मक जुड़ाव हो तो भी ओर्गास्म बेहतर महसूस होता है. एक दिलचस्प तथ्य ये था कि अधिकतर महिलाओं ने कहा कि सेक्स के देर तक चलने का ओर्गास्म के बेहतर होने से कोई संबंध नहीं है.

3. सही स्पर्श

जननांग के स्पर्श  के मामले में सही जगह और तरीका काफी हद तक महिला विशेष की पसंद पर ही निर्भर था. जैसे कि करीब हर 3 में से 2 महिलाओं ने कहा कि क्लाइटोरिस पर सीधा स्पर्श उन्हें पसंद था जबकि 45 प्रतिशत को सीधा स्पर्श नापसन्द था.

अधिकतर महिलाओं को हल्का, कम दबाव का स्पर्श पसंद था. रिसर्चकर्ताओं ने यह भी पाया कि केवल 10 प्रतिशत महिलाओं को अधिक दबाव से अच्छा महसूस होता है.

4. गति की महत्ता

गति का महत्व भी इस रिसर्च में समझाया गया. 60 प्रतिशत महिलाओं को ऊपर नीचे की लय पसंद थी, जबकि आधी से ज़्यादा को गोल गति. 20-30 प्रतिशत महिलाओं को एक तरफ़ से दूसरी तरफ़ की गति और दबाव अधिक सुहाता था.

कुछ तकनीक महिलाओं को बेसुध कर देने में सक्षम है, शोधकर्ताओं ने जाना. एक विशेष लय में स्पर्श, गोलाई में छुअन और फिर गतियों और लय का मिश्रण- ये सभी अच्छे तरीके हैं. तीव्रता में भी विविधता लाना आवश्यक है.

5. आनंद वृद्धि

ओर्गास्म को विलम्बित करना सेक्स के आनंद को दोगुना करने में सक्षम हो सकता है. आखिर ये कैसे किया जाता है? अध्ययन में भाग लेने वाली महिलाओं ने बताया कि उत्तेजक अंगों पर स्पर्श रोक कर कुछ पल बाद फिर से कम तीव्र लय से शुरुआत करने से ऐसा किया जा सकता है.

करीब आधी महिलाओं को बहु ओर्गास्म हो चुके थे. 53 प्रतिशत के अनुसार ओर्गास्म के बाद फिर से शुरुआत से शुरू करना बेहतर है, 33 प्रतिशत ने माना कि ओर्गास्म के बाद उत्तेजन वहीं से जारी बेहतर है और इसी संख्या में महिलाओं ने कहा कि ओर्गास्म के बाद कुछ अलग तरह के उत्तेजन की आवश्यकता होती है.

6. संवाद कुंजी है

ये तो स्पष्ट है कि महिलाओं के सेक्स आनंद में काफी विभिन्नताएं हैं. शोधकर्ता मानते हैं कि धीरे, तेज, ऊपर नीचे, हल्का दबाव, ज़्यादा दबाव, हर महिला की व्यक्तिगत पसंद नापसंद हो सकती है.

इसलिए समझने वाली बात ये है कि अंदाजा लगाने की बजाय महिला की पसंद जानने के लिए दोनों साथियों के बीच बेहतर संवाद हो. बेहतर आनंद के लिए चार बातें पता लगाना जरूरी है – स्थान, दबाव, लय और गति.

5 टिप्स: सिंगल सेक्स को लेकर युवतियों के बदलते विचार

परिवर्तन के इस दौर में न सिर्फ युवतियों के विचार बदले हैं बल्कि उस से कई कदम आगे वे दैहिक स्वतंत्रता की बोल्ड परिभाषा को नए कलेवर में गढ़ती और बुनती नजर आ रही हैं.

1. सेक्सुअलल बोल्डनैस का बोलबाला

आज युवतियों ने सेक्स को अपने बोल्ड व बिंदास अंदाज से बदल दिया है. युवतियां न केवल सोशल फोरम में व सार्वजनिक जगहों पर सेक्स जैसे बोल्ड इश्यू को सरेआम उठा रही हैं बल्कि उस के पक्ष में अपना मजबूत तर्क भी पेश कर रही हैं. वे कैरियर ओरिऐंटिड होने के साथसाथ सेक्स ओरिऐंटिड भी हैं. सेक्स के टैबू होने के मिथक को वे काफी पीछे छोड़ चुकी हैं. वे सेक्स को बुराई नहीं समझतीं बल्कि उस का भरपूर लुत्फ उठाना चाहती हैं.

2. सिंगल सेक्स की पैरोकार आज की युवतियां

कुछ समय पहले तक युवतियों के अकेले रहने या सफर करने पर सवाल उठाए जाते थे, पर जवान होती युवापीढ़ी ने वर्षों से चली आ रही नैतिक व सेक्स से जुड़े सामाजिक मूल्यों की अपनी तरह से व्याख्या की है. सहशिक्षा व बौद्धिक विकास ने इसे बदलने में काफी सहायता की है. शिक्षित स्वतंत्र कम्युनिटी के इस बोल्ड अंदाज ने आम मध्यवर्गीय सोच में भी अपनी पैठ बना ली है. निम्न वर्गों में तो पहले से ही स्वतंत्रता थी. बगावती सुरों ने आजादी पाने की राह आसान कर दी है. युवतियों की आर्थिक स्वतंत्रता ने भी इस में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है.  सिंगल रहने वाली अधिकतर युवतियां इस सेक्सुअलल फ्रीडम का बेबाकी से फायदा उठाती नजर आती हैं. वे सेक्स को ऐंजौय करने में हिचकिचाती नहीं हैं. यह भी शरीर की एक आवश्यकता है.

3. सेफ सेक्स, सेफ लाइफ का फंडा

आधी आबादी का एक बड़ा वर्ग सेफ सेक्स को तरजीह देता है. सेक्स अब इंटरकोर्स का माध्यम मात्र नहीं बल्कि सुरक्षित व आनंददाई बन गया है. युवतियां अलर्ट हैं, जागरूक हैं और अपनी सेहत को ले कर सजग भी हैं. सेक्सुअलल इंटरकोर्स के दौरान वे दुनियाभर के उपाय जैसे पिल्स, कंडोम आदि का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रही हैं. सिंगल रहने वाली युवतियां अब सेक्स का भी मजा ले रही हैं और फिटनैस भी बरकरार रख रही हैं.

4. सिंगल सेक्स के फायदे

वर्जनाएं अब टूट रही हैं. पढ़ाई, नौकरी या कामकाज के सिलसिले में युवतियां अपनी जद की सीमाएं लांघ रही हैं. ऐसे में बेरोकटोक वाली एकाकी जिंदगी उन्हें ज्यादा रास आ रही है. माना कि आम भारतीय परिवारों में विवाहपूर्व सेक्स को अभी भी वर्जित समझा जाता है और इसे चोरीछिपे ही अंजाम दिया जाता है, लेकिन यही रोकटोक युवाओं को सेक्स के और अधिक करीब खींच कर ला रही है. वैसे तो सिंगल सेक्स अपनेआप में एक फ्रीडम का एहसास कराता है, पर इस के कुछ फायदे भी हैं जैसे :

  •    इस से बोल्डनैस का एहसास होता है.
  •    यह कथित वर्जनाओं को तोड़ने का चरम एहसास कराता है.

माना कि सिंगल सेक्स आप को रियल सेक्सुअलल फन दे सकता है, पर अपनी सेक्सुअलल प्राइवेसी को ले कर सतर्क भी रहें. सेक्सुअलल फ्रीडम की भी लिमिट तय करें तभी आप इस के आनंद के चरम पर पहुंच सकती हैं और इस के बिंदास अंदाज में रंग सकती हैं. सेक्सुअलल इंडिपैंडैंसी जहां आप को बेबाक व बोल्ड बनाती है वहीं मोरल पुलिसिंग का शिकार भी इसलिए फन के साथ केयर का भी खयाल रखें.

5. सिंगल सेक्स के नुकसान

भले ही सिंगल रहने वाली युवतियां सेक्स को ले कर मुखरित हों पर इस के अपने कुछ नुकसान भी हैं:

  •   मल्टी पार्टनर्स से संक्रमण के खतरे बढ़ जाते हैं.
  •  चीटिंग का खतरा हमेशा बना रहता है.
  •  लंबे समय तक ऐसी फ्रीडम आप को फिजिकल प्रौब्लम्स भी दे सकती है.
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