मेरी पत्नी सेक्स संबंधों में सहयोग नहीं करती, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 45 वर्षीय विवाहित पुरुष हूं और पत्नी की उम्र 40 वर्ष है. समस्या यह है कि मेरी पत्नी सेक्स संबंधों में सहयोग नहीं करती. वह कहती है, अब उस की सेक्स संबंध बनाने में रुचि नहीं है. साथ ही, कहती है कि उम्र ज्यादा हो गई है. जबकि उस का मासिकधर्म भी नियमित है. आप बताइए, मैं क्या करूं?

जवाब

आप अपनी पत्नी को समझाइए कि सेक्स का उम्र से कोई लेनादेना नहीं होता. वैसे भी, उन की उम्र ज्यादा नहीं है. आजकल इस उम्र में तो लोग वैवाहिक बंधन में बंध रहे हैं. हो सकता है आप की पत्नी के साथ हार्मोनल बदलाव के कारण ऐसा हो रहा हो. आप अपनी पत्नी को किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ को दिखाएं और उस के दिशानिर्देशों का पालन करें. आप की समस्या का समाधान हो जाएगा.

आखिर क्यों हो जाता है सेक्सुअल बिहेवियर अजीब, जानें उपाय

अमेरिका ने भी सेक्स की लत को 2012 में मानसिक विकृति करार दिया और इस काम को लास एंजिल्स की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अंजाम दिया है. भारत में यह समस्या अभी शुरुआती दौर में है. लेकिन एक ओर मीडिया और इंटरनैट पर मौजूद तमाम उत्तेजना फैलाने वाली सामग्री की मौजूदगी तो दूसरी ओर यौन जागरूकता और उपचार की कमी के चलते वह दिन दूर नहीं जब सेक्स की लत महामारी बन कर खड़ी होगी. क्याआप को फिल्म ‘सात खून माफ’ के इरफान खान का किरदार याद है या फिर फिल्म ‘मर्डर-2’ देखी है? फिल्म ‘सात खून माफ’ में इरफान ने ऐसे शायर का किरदार निभाया है, जो सेक्स के समय बहुत हिंसक हो जाता है. इसी तरह ‘मर्डर-2’ में फिल्म का खलनायक भी मानसिक रोग से पीडि़त होता है. फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में भी नाना पाटेकर प्रौब्लमैटिक बिहेवियर से पीडि़त होता है. इसे न सिर्फ सेक्सुअल बीमारी के रूप में देखना चाहिए, बल्कि यह गंभीर मानसिक रोग भी हो सकता है.

ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर

फैटिशिज्म: इस में व्यक्ति उन वस्तुओं के प्रति क्रेजी हो जाता है, जो उस की सेक्स इच्छा को पूरा करती हैं. इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति अपने पासपड़ोस की महिलाओं के अंडरगारमैंट्स चुरा कर रात को पहनता है. कभीकभी ऐसे लोग महिलाओं पर बेवजह हमला भी कर देते हैं या फिर उन्हें छिप कर देखते हैं.

सेक्स फैरामोन: सेक्स फैरामोन यानी गंध कामुकता से पीडि़त व्यक्ति काफी खतरनाक होता है. ऐसा व्यक्ति स्त्री की डेट की गंध से उत्तेजित हो जाता है. ऐसे में कोई भी स्त्री, जिस की देह की गंध से वह उत्तेजित हुआ हो, उस का शिकार बन सकती है. वह उस स्त्री को हासिल करने के लिए कुछ भी कर सकता है.

सैक्सुअली प्रौब्लमैटिक बिहेवियर: सेक्स से पहले पार्टनर को टौर्चर करने के मनोविकार को प्रौब्लमैटिक बिहेवियर भी कहते हैं, जिसे नाना पाटेकर की फिल्म ‘अग्नि साक्षी’ में दिखाया गया है. महिला की आंखों पर पट्टी बांधना, उस के हाथपैर बांधना, उसे काटना, बैल्ट या चाबुक से मारना, दांत से काटना, सूई चुभोना, सिगरेट से जलाना, न्यूड घुमाना, चुंबन इतनी जोर से लेना कि दम घुटने लगे, हाथों को बांध कर पूरे शरीर को नियंत्रण में लेना और फिर जो जी चाहे करना. इस तरह के कई और हिंसात्मक तरीके होते हैं, जिन्हें ऐसे पुरुष यौन क्रिया से पहले पार्टनर के साथ करते हैं.

निम्फोमैनिया: निम्फोमैनिया काफी कौमन डिजीज है. इस की पेशैंट केवल फीमेल्स ही होती हैं. उन में डिसबैलेंस्ड हारमोंस की वजह से हाइपर सैक्सुअलिटी हो जाती है. फीमेल्स के सैक्सुअली ज्यादा ऐक्टिव हो जाने की वजह से उन्हें मेल्स का साथ ज्यादा अच्छा लगने लगता है. ऐसी लड़कियों में मेल्स को अपनी तरफ अट्रैक्ट करने की चाह काफी बढ़ जाती है. वे ऐसी हरकतें करने लगती हैं, जिन से लड़के उन की तरफ अट्रैक्ट हों. ऐसा न होने पर उन्हें डिप्रैशन की प्रौब्लम भी हो जाती है.

पीड़ा रति नामक काम विकृति: इस बीमारी में व्यक्ति संबंध बनाने से पहले महिला को बुरी तरह पीटता है. यौनांग को बुरी तरह नोचता है. पूरे शरीर में नाखूनों से घाव बना देता है. पीड़ा रति से ग्रस्त पुरुष अपने साथी को पीड़ा पहुंचा कर यौन संतुष्टि अनुभव करता है. ऐसी अनेक महिलाएं हैं, जिन्हें शादी के बाद पता चलता है कि उन के पति इस तरह के किसी ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें जल्द से जल्द किसी मनोचिकित्सक या सैक्सोलौजिस्ट के पास ले जाना जरूरी हो जाता है. अगर इलाज के बाद भी पुरुष सही न हो, तो किसी वकील से मिल कर आप परामर्श ले सकती हैं कि ऐसे व्यक्ति के साथ पूरी जिंदगी बिताना सही है या फिर इस रिश्ते को खत्म कर लेना.

वैवाहिक बलात्कार: सुनने में अटपटा सा लगता है कि क्या विवाह के बाद पति बलात्कार कर सकता है. लेकिन यह सच है कि कुछ महिलाओं को अपने जीवन में इस त्रासदी से गुजरना पड़ता है. इस प्रकार के पति हीनभावना के शिकार होते हैं. उन्हें सिर्फ अपनी सेक्स संतुष्टि से मतलब होता है. अपने साथी की भावनाएं उन के लिए कोई माने नहीं रखतीं. हमारे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत इस तरह पत्नी की इच्छा व सहमति की परवाह किए बिना पति द्वारा जबरन यौन संबंध बनाना यौन शोषण व बलात्कार की श्रेणी में आता है.

आमतौर पर शराब के नशे में पति इस तरह के अपराध करते हैं. शराब के नशे में वे न केवल पत्नी का यौनशोषण करते हैं वरन उन से मारपीट भी करते हैं. यह कानूनन अपराध है. वैसे पति द्वारा पत्नी पर किए गए बलात्कार के लिए हमारे हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 375 और 379 के तहत पत्नियों को कई अधिकार प्राप्त हैं. वे कानूनी तौर पर पति से तलाक भी ले सकती हैं.

पीडोफीलिया: पीडोफीलिया यानी बाल रति पीडोफीलिया से पीडि़त पुरुष छोटे बच्चे के साथ यौन संबंध बना कर काम संतुष्टि पाते हैं. वे बच्चों के साथ जबरदस्ती करने के बाद पहचान छिपाने के लिए बच्चे की हत्या तक कर डालते हैं. पीडोफीलिया से पीडि़त व्यक्ति में यह भ्रांति होती है कि बच्चे के साथ यौन संबंध बनाने पर उस की यौन शक्ति हमेशा बनी रहेगी. ऐसे व्यक्ति अधिकतर 14 साल से कम उम्र के बच्चों को अपना शिकार बनाते हैं.

सेक्स मेनिया: इस से ग्रस्त व्यक्ति के मन में हर समय सेक्स करने की इच्छा रहती है. वह दिनरात उसी के बारे में सोचता है. फिर चाहे वह औफिस में काम कर रहा हो या फिर दोस्तों के साथ पार्टी में हो, उसे हर वक्त सेक्स का ही खयाल रहता है. वह अपने सामने से गुजरने वाली हर महिला को उसी नजर से देखता है. यह एक प्रकार का मानसिक रोग होता है, जिस में व्यक्ति के मन में सेक्स की इच्छा इस कदर प्रबल हो जाती है कि वह पहले अपनी पत्नी को बारबार सेक्स करने के लिए कहता है और फिर बाहर अन्य महिलाओं से भी संबंध बनाने की कोशिश करता है. एक पार्टनर से उस का काम नहीं चलता है. उसे अलगअलग पार्टनर के साथ सेक्स करने में आनंद आता है.

इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति का कौन्फिडैंस इस हद तक बढ़ जाता है कि उसे लगता है कि उस के लिए कुछ भी असंभव नहीं है. जो भी वह चाहता है उसे पा सकता है. अपने इसी जनून के चलते कई बार वह अपना अच्छाबुरा सोचनेसमझने की शक्ति भी खो देता है और फिर कोई अपराध कर बैठता है. उसे उस का पछतावा भी नहीं होता, क्योंकि ऐसा कर के उस के दिल और दिमाग को अजीब सी संतुष्टि मिलती है, जो उसे सुकून देती है.

सेक्स फोबिया: यह सेक्स से जुड़ी एक समस्या है. जिस तरह सेक्स मेनिया में व्यक्ति के मन में सेक्स को ले कर कुछ ज्यादा ही इच्छा होती है उसी तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जिन्हें सेक्स में कोई रुचि नहीं होती. जब ऐसी अलगअलग प्रवृत्ति के 2 लोग आपस में वैवाहिक संबंध में बंधते हैं, तो सेक्स के बारे में अलगअलग नजरिया रखने के कारण सेक्स की प्रक्रिया और मर्यादा को ले कर उन में विवाद शुरू होता है और दोनों में से कोई भी इस बात को नहीं समझ पाता कि सेक्स मेनिया और सेक्स फोबिया, मानव मस्तिष्क में उठने वाली सेक्स को ले कर 2 अलगअलग प्रवृत्तियां हैं. दोनों के ही होने के कुछ कारण होते हैं और थोड़े से प्रयास और मनोचिकित्सक की सलाह के साथ इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

पीपिंग: पीपिंग का मतलब है चोरीछिपे संभोगरत जोड़ों को देखना और फिर उसी से यौन संतुष्टि प्राप्त करना. संभोगरत अवस्था में किसी को देखने से रोमांच की स्वाभाविक अनुभूति होती है. हेवलाक एलिस ने अपनी पुस्तक ‘साइकोलौजी औफ सेक्स’ में लिखा है कि संभ्रांत लोग अपनी जवानी के दिनों में दूसरी औरतों को सेक्स करते हुए देखने के लिए उन के कमरों में ताकाझांकी करते थे. यही नहीं सम्मानित मानी जाने वाली औरतें भी परपुरुष के शयनकक्षों में झांकने की कोशिश किया करती थीं. अगर आदत हद से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक रोग के रूप में सामने आती है.

ऐग्जिबिशनिज्म: इस डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति अपने गुप्तांग को किसी महिला या बच्चे को जबरदस्ती दिखाता है. इस से उसे खुशी और संतुष्टि मिलती है. ऐसे लोग दूसरों को अप्रत्यक्ष रूप से हानि पहुंचाना चाहते हैं. हमारे देश में किसी को इस तरह तंग करना कानूनन अपराध है. ऐसा करने वालों को निश्चित अवधि की कैद और जुर्माना देना पड़ सकता है.

फ्रोट्यूरिज्म: इस सेक्सुअल डिसऔर्डर से पीडि़त व्यक्ति किसी से भी संबंध बनाने से पहले अपने गुप्तांग को रगड़ता या दबाता है. यह डिसऔर्डर ज्यादातर नपुंसकों में पाया जाता है.

बेस्टियलिटि: इस में व्यक्ति के ऊपर सेक्स इतना हावी हो जाता है कि वह किसी के साथ भी सेक्स करने में नहीं झिझकता. ऐसे में वह ज्यादातर असहाय लोगों या जानवरों का उत्पीड़न करता है.

सैडीज्म ऐंड मैसेकिज्म: इस से पीडि़त व्यक्ति ज्यादातर समय फैंटेसी करता रहता है. ऐसे लोग सेक्स के समय अपने पार्टनर को नुकसान भी पहुंचाते हैं.

ऐक्सैसिव डिजायर: अगर किसी शादीशुदा पुरुष का मन अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ भी शारीरिक संबंध बनाने को करे तो वह एक डिसऔर्डर से पीडि़त होता है.

सेक्स ऐडिक्शन: सेक्स ऐडिक्शन एक प्रकार की लत है, जिस में पीडि़त व्यक्ति को हर जगह दिन और रात सेक्स ही सूझता है. ऐसे लोग अपना ज्यादातर समय सेक्स संबंधी प्रवृत्तियों में बिताने की कोशिश करते हैं. जैसे कि पोर्न वैबसाइट देखना, सेक्स चैट करना, पोर्न सीडी, अश्लील एमएमएस देखना. एक सेक्स ऐडिक्ट की सेक्स इच्छा बेकाबू होती है. उस की प्यास कभी पूरी तरह नहीं बुझती. ऐसे लोग समाज के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं. वे बच्चों, बुजुर्गों या जानवरों के साथ सेक्स कर सकते हैं.

ऐबनौर्मल सेक्सुअल डिसऔर्डर के कारण

वैज्ञानिक, मनोचिकित्सक ऐबनौर्मल सेक्सुअल बिहेवियर के उत्पन्न होने के बारे में अभी तक सहीसही कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि मस्तिष्क में स्थित न्यूरोट्रांसमीटर में किसी प्रकार की खराबी, मस्तिष्क की रासायनिक कोशिकाओं में गड़बड़ी, जींस की विकृति आदि कारणों की वजह से व्यक्ति ऐबनौर्मल सेक्सुअल बिहेवियर से पीडि़त हो जाता है.

अगर हम बात करें सेक्स ऐडिक्शन की तो कुछ वैज्ञानिक ऐसा भी मानते हैं कि 80% सेक्स ऐडिक्ट लोगों के मातापिता भी जीवन में अकसर सेक्स ऐडिक्ट रहे होंगे. ऐसा भी माना जाता है कि अकसर ऐसे लोगों में सेक्सुअल ऐब्यूज की हिस्ट्री होती है यानी ज्यादातर ऐसे लोगों का कभी न कभी यौन शोषण हो चुका होता है. इस के अलावा जिन परिवारों में मानसिक और भावनात्मक रूप से लोग बिखरे हुए हों, ऐसे परिवारों के लोगों के भी सेक्स ऐडिक्ट होने की आशंका रहती है.

इस तरह के डिसऔर्डर की कई वजहें हो सकती हैं. जिन लोगों की उम्र 60 साल से ज्यादा होती है वे भी इस का शिकार हो सकते हैं. दूषित वातावरण, गलत सोहबत, अश्लील पुस्तकों का अध्ययन, ब्लू फिल्में अधिक देखने आदि की वजह से व्यक्ति ऐसी काम विकृति से पीडि़त हो जाते हैं. विवाह के बाद जब पत्नी को अपने पति के काम विकृत स्वभाव के बारे में पता चलता है तब उस की स्थिति काफी परेशानी वाली हो जाती है.

डिसऔर्डर को दूर करने के उपाय

अगर शादी के बाद पत्नी को पता चले कि उस का पति किसी ऐसे ही रोग से पीडि़त है, तो उसे संयम से काम लेना चाहिए. ऐसे पति पर गुस्सा करने, उस के बारे में ऊलजलूल बकने, यौन इच्छा शांत न करने देने, ताना देने आदि से गंभीर स्थिति पैदा हो जाती है. ऐसे पति तुरंत किसी तरह का गलत निर्णय भी ले सकते हैं. यहां तक कि हत्या या आत्महत्या का निर्णय भी ले लेते हैं.

काम विकृति से पीडि़त पति को प्यार से समझाएं. सामान्य संबंध बनाने को कहें. जब पति न माने तब अपनी भाभी या सास को इस की जानकारी दें.

ऐसे लोगों का मनोचिकित्सक से इलाज कराया जा सकता है. इन में सब से पहले मरीज की काउंसलिंग की जाती है, जिस से पता लगाया जाता है कि मरीज बीमारी से कितना ग्रस्त है. उस के बाद उसे दवा दी जाती है.

वक्त रहते डाक्टर से परामर्श किया जाए तो इस तरह के डिसऔर्डर ठीक हो जाते हैं. लेकिन यह परेशानी ठीक नहीं हो रही और पति मानसिक व शारीरिक पीड़ा पहुंचाता है तो ऐसे व्यक्ति से तलाक ले कर अपनी जिंदगी को एक नई दिशा देने के बारे में सोच सकती हैं.

मुझे डर लग रहा है कहीं एड्स तो नहीं हो जाएगा

सवाल 

मैं 20 वर्षीय युवक हूं. मैं शुरू से ही काफी अंतर्मुखी स्वभाव का रहा हूं. बहुत ही कम लोगों से मेरी दोस्ती है. चूंकि परिवार में भी मातापिता के अलावा कोई नहीं है और वे दोनों भी नौकरीपेशा हैं, इसलिए घर पर भी ज्यादातर समय मैं अकेला ही रहता हूं. संभवतया इसी वजह से मैं लोगों से जल्दी नहीं घुलमिल पाता. मेरी छवि स्कूल और कालेज में एक पढ़ाकू या यों कहूं कि किताबीकीड़े की रही है. साथ के लड़के कालेज में मौजमस्ती करते थे, नइनई गर्लफ्रैंड्स रखते थे, जबकि मेरा इस ओर कोई रूझान ही नहीं रहा. घर वाले भी चाहते थे कि मैं अच्छे ग्रेड्स लाऊं. मैं उन की इच्छाओं को पूरा करने में लगा रहा हूं.

पिछले महीने पता नहीं एक लड़की का फ्रैंडशिप प्रोपोजल मैं ने कैसे स्वीकार लिया वह भी फेसबुक पर. कुछ दिनों की दोस्ती में ही हम काफी करीब आ गए. हम रोज मिलने लगे थे. एक दिन उस ने डिनर की फरमाइश की और उस दिन हम ने होटल में सहवास भी किया. मेरे लिए यह पहला अनुभव था. इसीलिए मैं इतना कामोत्तेजित हो गया था कि सावधानी के लिए कंडोम भी इस्तेमाल नहीं किया.

हफ्ताभर पहले अपने एक दोस्त से पता चला कि मेरी यह दोस्त कई लोगों के साथ संबंध बना चुकी है. यह सच जानने के बाद से मैं ने उस से मिलना बंद कर दिया है. सारे संबंध समाप्त कर लिए हैं. मसलन चैटिंग फोन वगैरह. मगर इस बात को ले कर दहशत में हूं कि ऐसी लड़की से संबंध बनाने के कारण कहीं मुझे एड्स तो नहीं हो जाएगा?

जवाब 

उस युवती से दोस्ती समाप्त कर के आप ने समझदारी का काम किया है. इस तरह की लड़कियां सीधेसादे युवाओं को फंसा कर ऐश करती हैं और कई बार बदले में यौन रोगों की सौगात भी दे जाती हैं.

यौन असंतुष्टि के पीछे कहीं स्मार्टफोन तो नहीं

क्या आप अपने यौन जीवन सें असंतुष्ट हैं? इसके पीछे कहीं न कहीं आपका स्मार्टफोन जिम्मेदार हो सकता है. एक ताजा अध्ययन में इसका खुलासा हुआ है. दुरहाम विश्वविद्यालय की ओर से किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि लोग अपने सेक्स साथी की बजाय फोन गैजेट के प्रति कहीं अधिक लगाव रखने लगे हैं.

यह अध्ययन कंडोम बनाने वाली अग्रणी कंपनी ‘ड्यूरेक्स’ की ओर से करवाया गया, जिसमें ब्रिटेन के 15 दंपति का विस्तृत साक्षात्कार लिया गया. समाचार पत्र ‘डेली मेल’ की रपट के अनुसार, 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि स्मार्टफोन या टैबलेट का इस्तेमाल करने के लिए वे यौन संबंध बनाने को टालते रहते हैं.

कुछ अन्य प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौन संबंध स्थापित करते वक्त जल्दबाजी दिखाते हैं ताकि जल्द से जल्द वे अपने स्मार्टफोन पर सोशल मीडिया के जरिए आए संदेशों को देख सकें या उनका जवाब दे सकें.

एक तिहाई प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि वे यौनक्रिया के बीच में ही आ रही कॉल उठा लेते हैं, जिससे यौनक्रिया बाधित होती है. एक चौथाई से अधिक प्रतिभागियों ने कहा कि अपने स्मार्टफोन एप का इस्तेमाल उन्होंने अपनी यौनक्रिया के फिल्मांकन के लिए किया, जबकि 40 फीसदी प्रतिभागियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपनी यौनक्रिया के दौरान स्मार्टफोन के जरिए तस्वीरें खीचीं.

प्रतिभागियों का साक्षात्कार लेने वाले मार्क मैककॉरमैक ने कहा कि बेडरूम में स्मार्टफोन का इस्तेमाल आपके संबंध को खतरे में डाल सकता है. जब प्रतिभागियों ने जानना चाहा कि स्मार्टफोन उनकी यौन संतुष्टि को कैसे बढ़ा सकता है तो जवाब सुनकर गए और जवाब था स्मार्टफोन को ऑफ रखकर.

पुरुष का हृष्ट-पुष्ट और सुदर्शन दिखना बिस्तर में खिलाड़ी होने की गारंटी नहीं

अनेक अध्ययनों में पाया गया है कि पुरुष के सुदर्शन होने का या उसकी शोहरत का उसकी यौन क्षमता से कोई संबंध नहीं होता. बहुत संभव है कि फुटबॉल के मैदान का चोटी का खिलाड़ी बिस्तर पर शीघ्रपतन की समस्या का शिकार हो. इसी तरह यह भी हो सकता है कि हर समय और जगह सुंदरियों से घिरा सुपरस्टार लैंगिक तनाव की समस्या झेल रहा हो. कई साल पहले एक हॉलीवुड स्टार की पत्नी ने शादी के एक साल बाद ही अदालत में तलाक की यह कहते हुए अर्जी लगायी थी कि यह शख्स जानता ही नहीं कि औरत-मर्द के बीच सेक्स जैसी कोई बात भी हुआ करती है.

सेक्स के मामले की सच्चाई यही है कि जो चमकता है, जरूरी नहीं कि वह हीरा ही हो. इसके विपरीत बेरंग-सा नजर आने वाला पत्थर परखे जाने पर हीरा निकल सकता है. सदियों पहले वात्स्यायन ने भी कहा था कि विशालकाय पुरुषों की अपेक्षा दुबले-पतले और छोटे कद वाले पुरुष बिस्तर में ज्यादा समर्थ सिद्ध होते हैं. कुछ दशक पहले एक मराठी फिल्म अभिनेत्री ने इस धारणा को अपनी कहानी के जरिये सही साबित किया था.

वास्तव में इस अभिनेत्री ने तीन शादियां की थीं. पहली शादी उसने एक हीरो से की, जो कि दिखने में बेहद सुदर्शन था. सुंदर और ऊंची कद-काठी वाले इस पुरुष से अभिनेत्री एक साल से ज्यादा निबाह नहीं सकीं.

अभिनेत्री ने हीरो से तलाक लेने के बाद एक सनसनीखेज बात कही थी कि दरअसल हीरो को पहले ही दूसरी औरतें बुरी तरह निचोड़कर खाली कर चुकी थीं. मेरे लिए तो वह एक चूसे हुए आम की माफिक था. अभिनेत्री ने दूसरी शादी अधेड़ फिल्म निर्माता से रचायी थी, जो जवानी के दिनों में एक मशहूर पहलवान हुआ करता था.

तीन साल के बाद अभिनेत्री ने इन साहब से भी तलाक ले ली और उसका कारण यह बताया कि वह शख्स आज भी एक सच्चा पहलवान ही है . बिस्तर पर भी वह अपने लंगोट को कसकर रखता है. मेरी समझ में नहीं आता कि जो चीज उसके पास है ही नहीं, उसे वह छुपाने की कोशिश क्यों करता है?

अभिनेत्री ने तीसरा और अंतिम ब्याह एक साधारण सफलता पाने वाले कॉमेडियन से रचाया, जो न केवल लाठी की तरह पतला-दुबला था बल्कि कद में अभिनेत्री से भी कई इंच छोटा था.

दोनों की आखीर तक निभी. अभिनेत्री ने उसके बारे में अपनी एक सहेली को बताया, ‘वह जितना नाकाम एक्टर है, उतना ही कामयाब प्रेमी है.’ वात्स्यायन ने जो बात हजारों साल पहले कही थी, उसकी व्याख्या एक अमरीकी यौन विशेषज्ञ डॉ. आलमंड बेकर इस तरह करते हैं, ”हद से अधिक सुदर्शन और सजीली काया वाला पुरुष अक्सर इतना स्वार्थी होता है कि वह अपने ही इश्क में गिरफ्तार होकर रह जाता है. इस कारण उसके भीतर जो अति आत्मविश्वास की स्थिति बन जाती है, वह उसके यौन स्वास्थ्य के लिए घातक सिद्ध होती है. वह बिस्तर पर स्त्री के साथ होता है, किंतु अपनी कल्पना में केवल अपने साथ होता है.

इसके विपरीत साधारण रंग-रूप तथा तथा औसत कद-काठी वाले पुरुष बिस्तर पर अपनी संगिनी को संतोष व सुख देने के मामले में अधिक सचेत होते हैं. वे अपनी यौन सक्रियता पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाने की स्थिति में होते हैं.“

इस अंतर का एक कारण यह भी है कि लंबे-चौड़े और ताकतवर नजर आने वाले पुरुष कभी-कभी अपने शरीर में चर्बी का संचय इतना कर लेते हैं जो उनकी संभोग क्षमता को क्षीण बना देती है. वे शादी के कुछ ही अरसा बाद लैंगिक तनाव की समस्या से ग्रस्त हो सकते हैं. दूसरी तरफ क्षीणकाय दिखने वाले पुरुषों में चर्बी की कमी उनके और उनकी संगिनी के काम संबंधों के लिए सकारात्मक सिद्ध होती है.

कुछ इसी प्रकार की धारणा स्त्रियों के बारे में पुरुषों की होती हैं. सुंदर और जोशीली स्त्री को देखकर पुरुष कल्पना करने लगता है कि जितनी अच्छी वह देखने में लग रही है, उतनी ही अच्छी बिस्तर पर भी होगी. ऐसा होना कतई जरूरी नहीं है. साधारण और सुंदर स्त्री का अंतर कमरे की बत्ती बुझते ही खत्म हो जाता है. उसके बाद महत्व केवल इस बात का रह जाता है कि दोनों एक-दूसरे के प्रति कितना समर्पित और कामोत्साही हैं.

ऐसी अवस्था में अपनी साथी को प्यार करने वाली एक साधारण स्त्री या यूं कह लीजिए कि कुरूप समझी जाने वाली स्त्री एक रूपगर्विता की अपेक्षा कहीं अधिक उत्तेजक और आनंददायिनी सिद्ध हो सकती है. ऐसी स्त्री अपने आसपास के लोगों द्वारा बार-बार अपने रूप का बखान इतनी बार सुन चुकी होती है कि वह अपने आपको इतनी सारी शर्तों और नखरों में  बांध लेती है, जिनका सिलसिला उसके काम संबंधों तक पहुंच जाता है. ऐसी स्त्री के साथ दो-चार शुरूआती संसर्ग उत्सुकता जनित सुख देने वाले तो हो सकते हैं, किंतु पुरुष बहुत जल्द उससे उकता जाता है. एक अध्ययन में पाया गया है कि स्त्री जितनी अधिक रूप लावण्य वाली होती है, उसके तलाक की संभावना भी उतनी अधिक हुआ करती है.

(यह लेख लोकमित्र गौतम द्वारा विख्यात सेक्सोलाजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी से की गई बातचीत पर आधारित है)

एसटीडी और महिलाएं: सेक्स की राह में खतरे भी हैं कई!

‘कई बरस पुरानी बात है, मेरा सम्बंध एक रईस और मशहूर व्यक्ति से था. वह बेहद हाॅट और डैशिंग था. उसे देख हमेशा मन विचलित हो उठता था. वह वाकई किसी भी लड़की का ड्रीम ब्वाॅय हो सकता है. वह हमेशा डिजायनर सूट्स में रहता था. गाॅगल्स के बिना तो वह कभी घर से निकलता ही नहीं था. एक रोज उसने मुझे ऑफर कर दिया. मैं उसे मना ही नहीं कर पायी. आखिर कैसे करती? वह मेरे सपनों का राजकुमार था. वह राजकुमार जो सफेद घोड़े पर आकर मुझे ब्याहकर ले जाता है. हालांकि वह घोड़े पर नहीं आया था. मगर उसकी कार सफेद रंग की ही थी.

बहरहाल उसने मुझे अपने जीवन का अभिन्न हिस्सा बना लिया. मैं बहुत खुश थी. उन्हीं दिनों जब उसने मुझसे अंतरंग सम्बंध स्थापित करने चाहे तो मैं इंकार नहीं कर सकी. वह रात का समय था. मैं यहां पेइंग गेस्ट के तौरपर रहती थी. मकान के मालिक घर पर नहीं थे. वह मेरे घर आया था. वो सब बहुत अचानक हुआ, जिसकी मुझे कल्पना नहीं थी. हालंाकि मैं बहुत खुश थी. इस सबके बीच मैं एक चीज भूल ही गई कि उन लम्हों के पहले कुछ सुरक्षा का भी ख्याल रखना चाहिए. लेकिन उस पर आंख मूंदकर भरोसा करती थी. इसलिए जो हुआ वह जानबूझकर था. लेकिन इस घटना  के एक साल बाद मैं चेकअप के लिए अपनी गायनी (स्त्रीरोग विशेषज्ञ) के पास गयी. मुझे बताया गया कि मैं क्लामीडिया (बीसंउलकपं) की शिकार हो गयी हूं. इस खबर से भी ज्यादा खतरनाक यह था कि बैक्टीरिया ने मेरी एक फेलोपियन ट्यूब को भी इंफेक्ट (संक्रमित) कर दिया था, जिससे मैं कभी भी मां नहीं बन सकती थी.’

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यह एक 28 वर्षीय महिला का दर्दभरा खत है. लेकिन इस रोग से ग्रस्त वह अकेली महिला नहीं है. दरअसल, एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीजेज़ यानी यौन संक्रमण रोग जिसमें क्लामीडिया भी आता है) रोगियों की तादाद खासकर महिलाओं में बढ़ती जा रही है. पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी द्वारा हाल ही में किए गये सर्वेक्षण के अनुसार, एसटीडी से जितने लोग ग्रस्त हैं, उनमें से 50 प्रतिशत से भी अधिक 25 वर्ष की आयु से कम के हैं. डाॅ. मिटशेल क्राइनिन, जिनके नेतृत्व में यह सर्वे किया गया, का कहना है कि एसटीडी का ज्यादा खतरा महिलाओं को है क्योंकि पुरुषों की तुलना में महिलाओं के गुप्तांगों के इर्दगिर्द म्युकस मेंबरेंस ज्यादा होते हैं जिनके गर्म व नमी वाले वातावरण में बैक्टीरिया व वायरस को फलने-फूलने का अच्छा अवसर मिल जाता है. साथ ही 20-25 वर्ष आयुवर्ग वाली युवतियों की जो वैजाइनल (योनि) लाइनिंग होती है, उसमें प्रवेश करना बैक्टीरिया व वायरस के लिए आसान होता है. इससे भी खतरनाक बात यह है कि महिलाओं में एसटीडी ज्यादातर लक्षणरहित होती है.

लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि समय रहते अगर इसका उपचार करा लिया जाए, तो फिर कुछ खास समस्या नहीं रहती. महिलाओं को होने वाला ऐसा ही एक रोग है एचपीवी. एचपीवी किस तरह महिलाओं को अपने घेरे में लेता है, पढ़िए यह पत्र- ‘रूटीन चेकअप कराने के बाद जब मेरी गायनी ने यह बताया कि मुझे एचपीवी है तो मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गयी. इससे भी ज्यादा खराब मुझे यह लगा जब गायनी ने कहा कि मुझ जैसी लड़कियों को एचपीवी होना ही चाहिए. डर के साथ मुझे शर्म भी थी इसलिए मैंने यह बात किसी को नहीं बतायी. लेकिन एक बोझ के साथ भी ज्यादा दिन जिया नहीं जा सकता. लिहाजा यह बात मैंने अपनी सबसे प्यारी सहेली को बतायी. उसने मुझे अपनी बहन से मिलवाया जो खुद एचपीवी की शिकार थी. दोनों बहनों ने मुझे समझाया कि एचपीवी सेक्स करने की सजा नहीं है. यह तो एक वायरस है जो किसी को भी अपना शिकार बना सकता है.’

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एचपीवी का अर्थ है ह्यूमन पेपिल्लोमा वायरस (ीनउंद चंचपससवउं अपतने). इसके तहत विभिन्न किस्म के लगभग 100 वायरस आते हैं जिनसे वाटर््स (मस्से) हो जाते हैं. इनमें से 40 वायरस महिलाओं को उस वक्त संक्रमित करते हैं, जब उनके गुप्तांग किसी संक्रमित पुरुष के संपर्क में आ जाएं. अमूमन जब यह होता है तो न कोई मस्से विकसित होते हैं और न ही किसी बीमारी का अहसास होता है. और कुछ माह या कुछ साल बाद महिला के जिस्म का इम्यून सिस्टम (प्रतिरोधक क्षमता) अपने आप ही इन वायरसों को नष्ट कर देता है.

लेकिन इन सौ में से दो वायरस ऐसे हैं जिनकी वजह से वार्ट्स या मस्से विकसित हो सकते हैं. संक्रमण के दो सप्ताह के भीतर वल्वा (भग), वैजाइना (योनि), सर्विक्स और एनल (गुदा) क्षेत्र- या जहां भी संक्रमित साथी के साथ संपर्क बनाया गया हो- सफेद या त्वचा की रंग के चकत्ते उभर आते हैं. एक या दो ही चकत्ते होते हैं लेकिन अक्सर एक ही मस्सा गोभी के फूल की तरह बहुत सारे मस्सों में फूट जाता है. इन सौ में से 15 वायरस से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है. हालांकि पुरुषों को इस रोग से कोई खास नुकसान नहीं होता लेकिन एचपीवी संक्रमण उन्हें कैरियर (वाहक) अवश्य बना देता है, यानी वे इस रोग को एक महिला से दूसरी महिला तक पहुंचा सकते हैं. शोध से यह भी मालूम हुआ है कि एचपीवी के कुछ वायरस पुरुषों में एनल (गुदा) और पेनाइल (लिंग) कैंसर का कारण भी बन जाते हैं.

वार्ट्स या मस्से मुलायम और सूखे होते हैं लेकिन उनमें कोई तकलीफ या खुजली नहीं होती. सवाल यह है कि क्या यह हमेशा संक्रमित होते हैं? इस सिलसिले में विख्यात गुप्तरोग विशेषज्ञ स्वर्गीय डाॅ. बी.बी. गिरि का कहना है, ‘वार्ट्स हमेशा बहुत अधिक इंफेक्शस (संक्रमणकारी) होते हैं. अगर वार्ट्स मौजूद न भी हों तो भी उनसे एचपीवी दूसरों को लग सकती है या खुद को हो सकती है.’ डाॅ. गिरि का यह भी कहना है कि कंडोम हमेशा एचपीवी से बचाव नहीं कर सकता. ऐसा इसलिए है क्योंकि कंडोम पुरुष के सिर्फ निजी अंग को ढकता है और दूसरी जगहों पर जो इसके वायरस होंगे, वह महिला को लग सकते हैं. अब सवाल यह है कि अगर किसी को एचपीवी के वार्ट्स हो जाएं, तो क्या किया जाए? इस सिलसिले में गायनी अकसर एक क्रीम सुझाती हैं जिससे आठ सप्ताह के भीतर आराम पहुंच जाता है. लेकिन अगर यह काम न करे, तो गायनी उन मस्सों को अपने क्लिनिक में बर्न या फ्रीज़ करेगी. यह भी हो सकता है कि एक मस्सा ठीक कराते वक्त दूसरा मस्सा पनप जाए.

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जैसा कि ऊपर कहा गया है कि चालीस एचपीवी वायरस कुछ खास नुकसान नहीं पहुंचाते. लेकिन जिन दो वायरसों से संक्रमण होता है, उनसे सर्वाइकल डिस्प्लेसिया -सर्विक्स की कोशिकाओं में परिवर्तन- हो सकता है जिसकी सर्वाइकल कैंसर में तब्दील होने की आशंका रहती है. लेकिन घबराने की बात नहीं है. जितनी जल्दी आप पैप (चंच) टेस्ट करा लेंगी उतनी जल्दी यह मालूम हो जायेगा कि डिस्प्लेसिया है या नहीं. जाहिर है, मालूम होने पर उसे कैंसर के स्तर तक पहुंचने से रोका जा सकता है.

वायग्रा सिर्फ सेक्स के लिए नहीं, जानें यहां

डायमंड के आकार वाली छोटी सी नीली गोली वियाग्रा सैक्स पावर को बढ़ाने के अलावा दूसरी बीमारियों में भी कमाल का असर दिखाती है. वियाग्रा में मौजूद दवा सिल्डेनाफिल को मर्दों की सैक्स संबंधी कमजोरियों को दूर करने में असरकारक माना जाता है लेकिन एक नई रिसर्च के अनुसार, वियाग्रा अन्य कई गंभीर रोगों में भी फायदेमंद है.

कई देशों में वियाग्रा के साइड इफैक्ट्स के बारे में शोध करने पर इस के कई फायदे सामने आए जो चौंकाने वाले हैं. अमेरिका में किए गए एक शोध के अनुसार, ठंड के मौसम में अकसर लोगों की उंगलियों में ऐंठन, दर्द होना, मुड़ न पाना, पीली पड़ जाना जैसी समस्याएं हो जाती हैं. ठंड से बच कर इन समस्याओं से बचा जा सकता है.

इस समस्या से जूझ रहे मरीजों को सिल्डेनाफिल देने पर उन्हें काफी फायदा हुआ. ऐसे?स्थान जहां अधिक बर्फ पड़ती है, वहां के लोगों को माउंटेन सिकनैस की समस्या हो जाती है. ऊंचे स्थानों पर औक्सीजन की कमी होने से ब्लड में इस का लेवल कम हो जाता है जिस से पल्मोनरी धमनियां संकरी हो जाती हैं. ऐसे में हृदय को पंपिंग करने में अधिक मेहनत करनी पड़ती है और व्यक्ति की कार्यक्षमता पर असर पड़ता है.

पल्मोनरी हाइपरटैंशन जैसी समस्या में भी सिल्डेनाफिल काफी प्रभावशाली होती है. फेफड़ों की बीमारी व हृदय संबंधी गड़बडि़यां होने पर पल्मोनरी हाइपरटैंशन की समस्या हो सकती है. पल्मोनरी हाइपरटैंशन के इलाज के लिए पुरुष व स्त्री दोनों के लिए सिल्डेनाफिल की 20 एमजी की 1-1 खुराक दिन में 3 बार निर्धारित की गई है. क्लीनिकल ट्रायल्स में इस दवा के काफी बेहतर परिणाम मिले हैं.

हृदय रोगियों के लिए हालांकि वियाग्रा सुरक्षित नहीं है लेकिन एक ही जगह पर रक्त की अधिकता, जिस की वजह से हार्ट फेल्योर की समस्या उत्पन्न होती है, के मरीजों के लिए सिल्डेनाफिल काफी प्रभावकारी होती है.  स्ट्रोक जैसी समस्या में सिल्डेनाफिल कमाल का असर दिखाती है. इस विषय पर शोध करने वाले जरमनी के डा. मैक रैपर का कहना है कि सिल्डेनाफिल मस्तिष्क के स्ट्रोक को दूर  करने में काफी अच्छा काम करती है.

सिल्डेनाफिल को ले कर नए शोध जारी हैं.  शोधों में इस से होने वाले लाभ और नुकसान के नतीजे सामने आ रहे हैं. बहरहाल, अब तक किए गए नतीजों से वियाग्रा एक लाभदायक दवा के रूप में भी सामने आई है. मगर ध्यान रहे, ऐसी कोई भी दवा बिना विशेषज्ञों की सलाह के बगैर न लें.

कंडोम: बीमारी दूर, मजा भरपूर

भारत जैसे विकासशील देश में बढ़ती हुई आबादी पर काबू पाना बहुत जरूरी हो गया है. आसान शब्दों में कहें कि अब ‘छोटा परिवार सुखी परिवार’ महज नारा ही नहीं, बल्कि आज की जरूरत है. इस के अलावा सेफ सैक्स से पतिपत्नी को किसी तरह की सैक्स संबंधी बीमारियों से भी बचाया जा सकता है.

सेफ सैक्स कैसे किया जाता है? इस के लिए क्याक्या सावधानियां बरतनी चाहिए? सेफ सैक्स करने के क्याक्या फायदे होते हैं और इस में किनकिन बातों का ध्यान रखना चाहिए? पतिपत्नी को इन सवालों के जवाबों की सही जानकारी होनी चाहिए.

भले ही सैक्स इनसान की जरूरत है, लेकिन इस का सेफ भी होना जरूरी है. एक बार की लापरवाही से बनाए गए सैक्स संबंध से आप की जिंदगी पूरी तरह से बदल सकती है. पत्नी को पेट से करा सकती है या फिर जिंदगीभर के लिए न ठीक हो सकने वाली कोई बीमारी दे सकती है.

वैसे भी आज के समाज में बहुत ज्यादा खुलापन आ गया है. पतिपत्नी के अलावा कई लोगों से जिस्मानी संबंध रखना आम बात हो गई है.

कुछ लोग तो इसे फैशन और नई सोच समझते?हैं, पर यह साथी के प्रति वफादारी और सेहत दोनों ही नजरिए से गलत है. इसी का नतीजा है कि समाज में सैक्स से जुड़ी कई तरह की बीमारियां बढ़ गई हैं.

पहले तो यह जान और मान लें कि शादी से पहले इस तरह के जिस्मानी संबंध बनाना किसी के भी भविष्य को बरबाद कर सकता है, इसलिए शादी से पहले इस तरह के संबंधों को न बनाएं.

सैक्स रोगों से बचने का सब से अच्छा तरीका है कि सैक्स ही न किया जाए या किया भी जाए तो केवल एक ही साथी से, जो आप का पति या पत्नी हो.

सेफ सैक्स का आसान और सस्ता तरीका है कंडोम का इस्तेमाल. हमेशा कंडोम का इस्तेमाल करें. यह अनचाहे पेट और सैक्स रोगों से बचाता है.

सैक्स और कंडोम

कंडोम का इस्तेमाल सेफ सैक्स के लिए किया जाता है. सेफ सैक्स को ले कर लोगों में आज भी तमाम भ्रांतियां फैली हुई हैं. इस के लिए न सिर्फ सेफ सैक्स के बारे में जानना जरूरी है, बल्कि यह भी जानना जरूरी है कि आखिर कंडोम के इस्तेमाल के फायदे क्या हैं. कंडोम और सेफ सैक्स में क्या संबंध है.

* आज भी ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हें कंडोम की सिक्योरिटी पर शक होता है. ऐसे लोगों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि अगर कंडोम का सही और सावधानी से इस्तेमाल किया जाए तो इस के कोई बुरे नतीजे सामने नहीं आते?हैं.

* कंडोम को सेफ सैक्स का अच्छा विकल्प तो माना ही जाता है, साथ ही यह सैक्स में तमाम तरह की सेफ्टी भी रखता?है.

* सैक्स संबंधी तमाम बीमारियों से बचाने के लिए कंडोम बहुत ही फायदेमंद?है.

* कंडोम न सिर्फ अनचाहे पेट से बचाने में काफी मददगार है, बल्कि यह सैक्स संबंधी बीमारियों को भी काबू में रखता है.

  • आज कंडोम कई तरह की वैराइटी में, रंगों में मौजूद?है, लेकिन हर किसी को अपनी जरूरत के हिसाब से कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए.

* कंडोम से न सिर्फ इंफैक्शन, बल्कि किसी भी तरह की एलर्जी से बचा जा सकता?है.

* कंडोम के इस्तेमाल करने से एचआईवी एड्स जैसी खतरनाक बीमारियों को काबू में भी किया जा सकता?है.

* कंडोम न सिर्फ महफूज है, बल्कि बहुत उपयोगी, सस्ता और इस्तेमाल करने में भी आसान है.

* जिस्मानी संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करने से कंट्रासैप्टिव पिल्स यानी गर्भनिरोधक गोलियों को खाने से बचा जा सकता है.

* सेफ सैक्स के विकल्प के साथ ही यह अनचाहे पेट से भी बचाता है.

आमतौर पर किसी सैक्स रोग से पीडि़त औरत से बिना सावधानी बरते जिस्मानी संबंध बनाने से यह रोग मर्द को भी लग सकता है या फिर मर्द से औरत को भी यह रोग लग सकता है, इसीलिए संक्रमित रोगों के बचाव के लिए और सेफ सैक्स के लिए कंडोम का इस्तेमाल जरूरी है.

* कंडोम एक शारीरिक बाधा पैदा करता?है जो शुक्राणु को अंडे तक पहुंचने से रोकता?है. इस वजह से औरत पेट से नहीं होती?है.

* कंडोम मुख्य रूप से बहुत पतले लेटैक्स रबड़ या पौलीयूरेथेन से बनता है.

कम कीमत और सुविधाजनक कंडोम को दुकानों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और औनलाइन हासिल करना बहुत ही आसान है. आप को कंडोम खरीदने के लिए कोई डाक्टरी परची या आईडी की जरूरत नहीं है. कहींकहीं पर तो यह मुफ्त में भी मिलता है.

अगर इस समय करेंगे सेक्स तो होगा फायदेमंद

बेहतर सेक्स लाइफ न सिर्फ पति-पत्नी के संबंधों को रुमानी बनाने के लिए जरूरी है बल्कि सेहत के लिए भी इसके फायदे किसी से छिपे नहीं हैं. ऐसे में अगर सेक्स उस समय हो जब इसका फायदा न सिर्फ आपका मूड बनाएगा बल्कि आपके लिए सेहत से जुड़े कई फायदों की वजह हो सकता है. क्वीन्स यूनिवर्सिटी के शोध के आधार पर जानिए सुबह के समय सेक्स करने के बड़े फायदों के बारे में.

दिन भर रहेंगे टेंशन फ्री

सेक्स की प्रक्रिया के दौरान शरीर से ऑक्सीटोसिन नामक हार्मोन रिलीज होते हैं जो मूड अच्छा रखने और आपको तनावमुक्त रखने में सहायक होता है.

इंफेक्शन से दूर

यूनिवर्सिटी ऑफ वाइक बैरे के अनुसार, सुबह के समय सेक्स के दौरान शरीर में इम्यूनोग्लोबिन ए नामक एंडीबॉडी तत्व बनता है जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है और दूसरों की अपेक्षा संक्रमण का खतरा 30 प्रतिशत तक कम करता है.

वजन घटाने में मददगार

शोधों में माना जा चुका है कि एक घंटे तक संभोग की प्रक्रिया के दौरान करीब 300 कैलोरी बर्न होती है जो वजन घटाने के लिए किसी दिलचस्प कसरत से कम नहीं.

वीर्य की गुणवत्ता

सिडनी आईवीएफ क्लीनिक के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से वीर्य की गुणवत्ता 12 प्रतिशत बढ़ जाती है. इससे सेक्स संबंधी कई समस्याओं में आराम हो सकता है.

ग्लोइंग स्किन

यूवायर यूनिवर्सिटी के शोध की मानें तो सुबह के समय सेक्स से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर अधिक तेजी से बढ़ता है जिससे ऑक्सीजन का संचार त्वचा और बालों में अच्छी तरह होता है.

एक फ्रैंडशिप क्लब में मेरे पैसे फंसे हुए हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी उम्र 23 साल है. कुछ समय पहले मैं ने एक फ्रैंडशिप क्लब में काम करने के लिए फार्म भरा था. उन्होंने दाखिले की फीस के नाम पर मुझ से काफी पैसे ले लिए. मुझे अभी तक कोई काम नहीं मिला है.

वे लोग अब कहते हैं कि और ज्यादा पैसे दो, तभी बात बनेगी. मेरे पैसे फंसे हुए हैं. क्या वे मुझे वापस मिल सकते हैं?

जवाब-

आप धोखेबाजों के चंगुल में फंस गए हैं. पहले रोजगार के लालच में पैसा दे चुके हैं, अब दोबारा ऐसी बेवकूफी न करें. पुराने पैसों के बाबत उन पर दबाव बनाएं और पैसा देने का कोई सुबूत हो तो पुलिस में रिपोर्ट लिखाएं. मीडिया के जरीए भी उन का फरेब उजागर करें, जिस से और नौजवान ठगने से बचें. उम्मीद कम ही है कि अब आप का पैसा वापस मिल पाएगा.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem
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