आज के इस मौर्डन टाइम में एक और जहां हमारे पास समय नही होता, वही ये कहना भी गलत नहीं होगा की फोन का ज्यादा यूज भी इसी बिजी समय में ही सबसे ज्यादा किया जा रहा है. रात में जागना और लेट सोना, फिर सुबह लेट से उठना अब आम बात होने लगी हैं. एक रिसर्च से पता चला है की जो लोग लेट सोते है वो या तो फोन पर किसी वेब सीरिज के मजे ले रहे होते है या फिर फोन पर चेट. ये दोनों चीजे ना सिर्फ आपकी आंखों के लिए बल्कि आपके स्वास्थ के लिए भी काफी हानीकारक है.

तो क्या आप देर रात तक टीवी, मोबाइल या फिर कोई फिल्म या वेब सीरीज देखने के शौकीन हैं?

यह सवाल आपको थोड़ा अजीब जरूर लग रहा होगा लेकिन यह एक सामान्य सवाल है. क्योंकि बहुत से लोगों में आधी रात तक टीवी सीरियल, मूवी, फोन या फिर अन्य चीजों के कारण देर रात सोने की की आदत है. लेकिन क्या आपने कभी अपने स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के बारे में सोचा है?

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तो हम आपको बताते हैं कि सुबह 2 या 3 बजे सोना भी कभी—कभी आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. देर सोने का प्रभाव आपकी आंखों के नीचे काले घरे और डाइजेशन प्रोब्लम की समस्या हो सकती हैं.

स्पर्म की गुणवत्ता पर डाल सकता है असर

'जल्दी सोने और जल्दी उठने' का सुनहरा नियम हो सकता है, क्योंकि देर रात जगना पुरूषों में नपुंसकता के खतरे को बढ़ाता है. जो पुरुष जल्दी सोते हैं, यानी 10.30 बजे से पहले सोते हैं, उनमें अच्छी गुणवत्ता वाले शुक्राणु होने की संभावना अधिक होती है. यदि इसे अन्य पुरुषों की तुलना करें, जो कि 11.30 बजे के बाद सोते हैं, तो उनमें शुक्राणु यानि स्पर्म की गुणवत्ता बिगड़ जाती है. लेखक “हंस जैकब इंगर्सलेव” के अनुसार, अनिद्रा शुक्राणु के पतन का मूल कारण है. इसके अलावा इसके कई कारण हो सकते हैं जिनमें साइकोलौजिकल कारण भी शामिल हैं. अनिद्रा पुरुषों को अधिक तनाव महसूस करते हैं, जिससे उनकी पौरुष क्षमता पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है.

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