गांवगांव, शहरशहर में कहा जाता है कि मंदिर जाओ, कीर्तन करो, पाठ पढ़ो, दान दो, यज्ञहवन कराओ, पैसा बरसेगा. आम भारतीय इस भुलावे में रह कर घर पर रह कर, गांवशहर के मंदिर में जा कर, कभीकभार दूर तीर्थस्थल तक जा कर, मन्नतें मान कर, दूधनारियल चढ़ा कर पैसा पाने के लिए कोशिश करता ही रहता है. जो करता है उसे धर्म के दुकानदार शरीफ बता देते हैं. जो नहीं करता उस का हुक्कापानी बंद करवाने की कोशिश करते हैं.

गरीब भी अपनी थोड़ी सी कमाई का एक बड़ा हिस्सा पूजापाठ पर खर्च कर डालता है कि इस से और मिलेगा, अपनेआप मिलेगा, छप्पर फाड़ कर मिलेगा. भई अगर ऐसा है तो राम मंदिर को अयोध्या में पैसा जमा करने की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए. पर हो उलटा रहा है. लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने हुक्म जारी किया?है कि उस के सांसद गलीगलीकूचेकूचे जा कर राम मंदिर के लिए अगले 1-2 महीनों में पैसा जमा करें. दिल्ली में राम मंदिर के लिए मनोज तिवारी फरवरी भर यही काम करेंगे.

उन्होंने कहा है कि वे घरघर, दुकानदुकान जाएंगे. अब अकेले तो जाएंगे नहीं. 10-20 भगवा दुपट्टे लपेटे तोंद वाले वर्कर भी साथ होंगे. खातेपीते दबंग घरों के लोग जिस घर में जाएंगे वहां से खाली हाथ लौटने का सवाल ही नहीं. सांसद दरवाजे तक आए और 10-20 हजार लिए बिना चला जाए, कैसे हो सकता है. मुसलमानों के घरों में भी जाएंगे और जो मांगेंगे मिलेगा वरना मालूम है न कि कपिल मिश्रा ने पुलिस की निगरानी में क्या कहा था और उत्तरपूर्व दिल्ली में क्या किया था फरवरी 2020 में.

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