पुलिस हिरासत में बैठे उन चारों नौजवानों के चेहरों पर बेबसी के भाव झलक रहे थे. बेबसी इसलिए भी क्योंकि खुद को पाकसाफ बताने के लिए उन के पास कोई सुबूत नहीं था. उन्हें चौंकाने वाले गुनाह में गिरफ्तार किया गया था. वे समलैंगिक लोगों को गुपचुप अपना शिकार बनाते थे. इस के लिए वे अपना जाल बिछाते थे कि अपने जैसे जिस्म की चाह रखने वाले खुद ही उस में फंस जाते थे. जो एक बार उन के जाल में फंसता था, फिर उन की इजाजत के बिना निकल नहीं पाता था. ब्लैकमेलिंग उन का प्रमुख हथियार होता था. शिकार होने वाले अपने समलैंगिक होने पर पछताते थे. उन्हें लगता था कि उन की प्रवृत्ति ऐसी नहीं होती, तो ऐसा अपराध उन के साथ घटित न हुआ होता.

यों बिछाते थे अपना जाल उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की पुलिस ने 22 नवंबर 2016 को जिन 4 युवकों को गिरफ्तार किया उन में सुमित, सोनू, नितिन व देवेंद्र शामिल थे. इन में सोनू व नितिन एक ही गांव के थे जबकि सुमित और देवेंद्र अलगअलग गांवों के रहने वाले थे. सुमित व सोनू बीए सैकंड ईयर के छात्र थे जबकि उस के साथी देवेंद्र 12वीं कक्षा का व नितिन 8वीं कक्षा का. चारों के बीच गहरी दोस्ती थी.

सुमित अकसर सोशल नैटवर्किंग साइट फेसबुक पर ऐक्टिव रहता था. शातिर दिमाग सुमित शौर्टकट से पैसे कमाने की चाहत रखता था. उस ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर गे युवकों को फंसाने की योजना बनाई. इस के बाद गिरोह का सरगना सुमित फेसबुक पर हीरो की भूमिका में होता था. उस ने गलत नाम से अकाउंट बनाया हुआ था. जिस पर उस ने खुद को गे बताया हुआ था. फेसबुक पर वह बौडीबिल्डर की आकर्षक तसवीरें डालता था. लोग उस की तारीफ करते थे. गे युवक उसे देखते ही आकर्षित हो जाते थे. उन के साथ आसानी से फ्रैंडशिप भी हो जाती थी. उस के सोशल साइट्स के गे क्लब में हर उम्रवर्ग के लोग शामिल थे. वह दावा करता था कि क्लब के लोगों की हकीकत कोई दूसरा नहीं जान पाएगा. उन की पहचान को गुप्त रखा जाएगा. समलैंगिक लोग अपने अनुभव भी उस से शेयर करते थे. कोई अपने दबे हुए अरमान बताता था, कोई जिस्मानी भूख की चाहत बयां करता था. ऐसे ही लोगों में से सुमित अपने शिकार का चुनाव करता था. पहले वह चैटिंग से, फिर मोबाइल से खुल कर बातचीत करता था. समलैंगिक से उस की दबी हुई जिस्मानी ख्वाहिशों को जान कर उन्हें पूरा करने का अपनेपन से भरोसा देता था.

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