लखनऊ के पारा इलाके की रामविहार कालोनी में रिटायर्ड सूबेदार लालबहादुर सिंह अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी रेनू के अलावा 2 बेटियां आरती, अंतिमा और बेटा आशुतोष था. वैसे वह मूलरूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के रहने वाले थे. 24 साल का आशुतोष रामस्वरूप कालेज से बीबीए करने के बाद बाराबंकी जिले में एल एंड टी कंपनी में नौकरी करता था. 26 साल की आरती बीटेक की पढ़ाई पूरी कर के बीटीसी के दूसरे साल में पढ़ रही थी. जबकि 17 साल की अंतिमा सेंट मैरी स्कूल में इंटरमीडिएट की छात्रा थी.
लालबहादुर सिंह आर्मी में सूबेदार के पद से एक महीने पहले ही रिटायर हुए थे. वह राजस्थान के जोधपुर छावनी में तैनात थे. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सब से पहले बड़ी बेटी की शादी करने की योजना बनाई.
9 मई, 2017 को सुबह 8 बजे के करीब लालबहादुर सिंह की पत्नी रेनू की तबीयत अचानक खराब हो गई. वह उन्हें ले कर कैंट एरिया स्थित कमांड अस्पताल गए. दोनों बेटियों को वह घर पर ही छोड़ गए थे. डाक्टर ने रेनू का सीटी स्कैन कराने की सलाह दी, पर उस दिन अस्पताल में सीटी स्कैन की मशीन खराब थी. वह एकडेढ़ घंटे में ही घर आ गए.
करीब साढ़े 9 बजे जब वह पत्नी के साथ घर पहुंचे तो घर का मेनगेट खुला था. अंदर दाखिल होते हुए वह बड़बड़ाए, ‘बच्चियां कितनी लापरवाह हैं, गेट भी बंद नहीं किया.’ जब वे अंदर पहुंचे तो घर में खून ही खून फैला दिखाई दिया. खून देख कर पतिपत्नी घबरा गए.