राजेंद्र गिरि अपनी लाडली बेटी का सपना पूरा करना चाहते थे, सो वह उसे भरपूर सहयोग कर रहे थे. शालू खूबसूरत थी. उस ने जब 17 बसंत पार किए तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया था.
इसी दौरान राहुल गिरि से उस की दोस्ती हो गई. राहुल शालू के पड़ोस में ही रहता था और किसान इलम चंद्र का बेटा था. शालू के पिता राजेंद्र गिरि तथा राहुल के पिता इलम चंद्र की आपस में खूब पटती थी. राजेंद्र जहां अपनी बेटियों का भविष्य बनाने में जुटे थे, वही इलम चंद्र अपने बेटे राहुल का भविष्य बनाने को प्रयासरत थे.
राहुल उन का होनहार बेटा था. उस ने चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से बीए की डिग्री हासिल करने के बाद बीएड की परीक्षा पास कर ली थी और शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास कर शिक्षक बनना चाहता था.
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शालू और राहुल एक ही गली में खेलकूद कर जवान हुए थे. दोनों में एकदूसरे के प्रति आकर्षण था. यह आकर्षण धीरेधीरे प्यार में बदल गया था. प्यार परवान चढ़ा तो एक रोज राहुल ने प्यार का इजहार कर दिया, ‘‘शालू, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. मैं ने तुम्हें अपना बनाने का सपना संजोया है. क्या मेरा यह सपना पूरा होगा?’’
‘‘तुम्हारा सपना जरूर पूरा होगा. पर अभी नहीं. अभी समय है अपना कैरियर बनाने का. तुम्हारा सपना है शिक्षक बनने का और मेरा सपना है पुलिस में नौकरी करने का. अपनाअपना सपना पूरा करो फिर हम जीवनसाथी बन जाएंगे. हम दोनों मजे से जीवन गुजारेंगे.’’
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