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उस दिन जून 2020 की 2 तारीख थी. सुबह के 8 बज रहे थे. औरैया जिले की विधूना कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक विनोद कुमार शुक्ला अपने कक्ष में आ कर बैठे ही थे कि उन के फोन पर काल आई. उन्होंने काल रिसीव की और बोले, ‘‘मैं विधूना कोतवाली से इंसपेक्टर वी.के. शुक्ला बोल रहा हूं. बताइए, आप ने फोन क्यों किया?’’

‘‘जय हिंद सर, मैं लखनऊ के कैसर बाग थाने से सिपाही सपना गिरि बोल रही हूं. मुझे आप की मदद चाहिए.’’

‘‘कैसी मदद? बताइए, मैं आप की हरसंभव मदद को तैयार हूं.’’ इंसपेक्टर विनोद कुमार शुक्ला ने आश्वासन दिया.

‘‘सर, आप के थाने में हमारी छोटी बहन शालू गिरि सिपाही पद पर तैनात है. बीती रात 11 बजे हमारी उस से बात हुई थी. तब वह परेशान लग रही थी और बहकीबहकी बातें कर रही थी. तब मैं ने उसे समझाया था और सो जाने को कहा था. आज मैं सुबह से उस का फोन ट्राई कर रही हूं. लेकिन वह फोेन उठा ही नहीं रही है. सर, किसी तरह आप उस से मेरी बात करा दीजिए.’’

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‘‘ठीक है सपना, मैं जल्द ही शालू से तुम्हारी बात कराता हूं.’’ श्री शुक्ला ने सपना को आश्वस्त किया.

शालू गिरि नई रंगरूट महिला सिपाही थी. उस की तैनाती 5 महीने पहले ही विधूना थाने में हुई थी. वह तेजतर्रार थी और मुस्तैदी से ड्यूटी करती थी. बीती रात 8 बजे वह ड्यूटी समाप्त कर अपने रूम पर गई थी.

इंसपेक्टर विनोद कुमार शुक्ल ने शालू से बात करने के लिए कई बार उसे फोन किया, लेकिन वह काल रिसीव ही नहीं कर रही थी. अत: उन की चिंता बढ़ गई.

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