कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- साजिश का शिकार प्रीति: भाग 1

30 जुलाई, 2019 को भी प्रीति शर्मा की फोन पर वैदिका से कई बार बात हुई थी. रात 8 बजे के बाद उस का फोन बंद हो गया था. इस का मतलब यह था कि हत्या के बाद उस के मोबाइल का स्विच औफ कर दिया गया था.

थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने अब तक की जांच से एसपी (साउथ) रवीना त्यागी को अवगत कराया. साथ ही प्रीति की सहेली वैदिका तथा उस के पति सत्येंद्र पर हत्या का शक भी जताया. मामला हत्या का था, इसलिए रवीना त्यागी ने दोनों को गिरफ्तार कर के पूछताछ करने का आदेश दिया.

आदेश मिलते ही अनुराग सिंह ने 5 अगस्त की सुबह स्वर्ण जयंती विहार स्थित वैदिका के किराए वाले मकान पर छापा मार कर वैदिका और उस के पति को गिरफ्तार कर लिया. दोनों को थाना विधनू लाया गया. थाने आते समय दोनों के मुंह लटक गए थे. उन के चेहरों पर घबराहट और डर की परछाई साफ नजर आ रही थी.

अनुराग सिंह ने वैदिका और सत्येंद्र को अपने कक्ष में आमनेसामने बैठाया और कुछ देर उन के चेहरों के हावभाव पढ़ने की कोशिश करते रहे. उस के बाद उन्होंने पूछा, ‘‘सचसच बताओ, तुम दोनों ने प्रीति की हत्या क्यों और कैसे की?’’

‘‘सर, हम ने प्रीति की हत्या नहीं की. हम दोनों को फंसाया जा रहा है.’’

‘‘फिर झूठ, नरम व्यवहार का मतलब यह नहीं है कि तुम झूठ पर झूठ बोलते जाओ. हमें सच उगलवाना भी आता है.’’

कहते हुए उन्होंने महिला सिपाही ऊषा यादव तथा कांस्टेबल बलराम को बुला कर कहा, ‘‘इन दोनों को डार्क रूम में ले चलो. हम भी देखते हैं कि ये कब तक सच नहीं बोलते.’’

खुल गया हत्या का राज

थानाप्रभारी अनुराग सिंह के तेवर देख कर वैदिका और सत्येंद्र डर गए. उन्हें लगा कि सच बोलने में ही भलाई है. अत: वे दोनों हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘सर, हमें माफ कर दो. हम से गलती हो गई. पैसों की तंगी के कारण प्रीति की हत्या हम दोनों ने ही की थी. हम अपना जुर्म कबूल करते हैं.’’

जुर्म कबूल करने के बाद वैदिका और सत्येंद्र ने प्रीति का मोबाइल, पर्स, ज्वैलरी आदि सामान बरामद करा दिया. पुलिस ने हत्या के बाद लाश फेंकने में इस्तेमाल की गई सत्येंद्र की मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली.

अनुराग सिंह ने प्रीति शर्मा की हत्या का राज खोलने और उस का सामान बरामद करने की जानकारी एसपी (साउथ) रवीना त्यागी तथा सीओ शैलेंद्र सिंह को दे दी. पुलिस अधिकारी थाना विधनू आ गए. उन्होंने वैदिका तथा उस के पति सत्येंद्र से प्रीति की हत्या के संबंध में विस्तृत जानकारी हासिल की. फिर प्रैसवार्ता कर हत्यारोपियों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया.

कातिलों ने हत्या का जुर्म कबूल कर के सामान भी बरामद करा दिया था. थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने मृतका के पिता विद्याशंकर शर्मा को वादी बना कर भादंवि की धारा 302, 201 के तहत वैदिका तथा उस के पति सत्येंद्र के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस जांच में सहेली द्वारा सहेली के साथ विश्वासघात करने की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

ये भी पढ़ें- 10 दिन का खूनी खेल: भाग 1

कानपुर महानगर के थाना चकेरी क्षेत्र में एक मोहल्ला है श्यामनगर. इसी मोहल्ले के ई ब्लौक में विद्याशंकर शर्मा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी मधु शर्मा के अलावा एक बेटा मनीष तथा बेटी प्रीति थी. विद्याशंकर शर्मा सेना के मेजर पद से रिटायर हुए थे. विद्याशंकर का परिवार संपन्न था और वह इज्जतदार व्यक्ति थे.

विद्याशंकर शर्मा खुद पढ़ेलिखे व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने अपने बेटे मनीष और बेटी प्रीति को भी खूब पढ़ायालिखाया था. मनीष पढ़लिख कर जब काम पर लग गया तो उन्होंने उस का विवाह कंचन नाम की खूबसूरत युवती के साथ कर दिया.

कंचन पढ़ीलिखी तथा मृदुभाषी थी. ससुराल में आते ही उस ने सभी का दिल जीत लिया था. शादी के एक साल बाद कंचन ने बेटी परी को जन्म दिया.

प्रीति मनीष से छोटी थी. वह दिखने में जितनी सुंदर थी, पढ़ाई में भी उतनी ही तेज थी. खालसा गर्ल्स कालेज से उस ने इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद बीए की डिग्री बृहस्पति महाविद्यालय, किदवईनगर से हासिल की थी. यही नहीं, स्वरोजगार के लिए उस ने ब्यूटीशियन का पूरा कोर्स भी कर रखा था. प्रीति को बनसंवर कर रहना तथा स्वच्छंद घूमना पसंद था.

प्रीति जवान हुई तो विद्याशंकर शर्मा को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. वह प्रीति का विवाह धूमधाम से किसी ऐसे युवक से करना चाहते थे, जो पढ़ालिखा हो और सरकारी नौकरी में हो.

हालांकि प्रीति का हाथ मांगने के लिए कई रिश्तेदारों ने कोशिश की, लेकिन विद्याशंकर ने उन्हें मना कर दिया था. कारण यह कि उन के लड़के या तो व्यापारी थे या फिर प्राइवेट कंपनी में काम करते थे. काफी दौड़धूप के बाद विद्याशंकर शर्मा को एक लड़का पसंद आ गया. लड़के का नाम था पीयूष.

पीयूष के पिता भुजराम शर्मा चकेरी थाना क्षेत्र में आने वाले मोहल्ला कोयलानगर में रहते थे. वह रोडवेज से रिटायर हुए थे. कोयलानगर में उन का अपना आलीशान मकान था, जिस में वह परिवार के साथ रहते थे. परिवार में पत्नी सुधा शर्मा के अलावा एक ही बेटा था पीयूष. पीयूष पढ़ालिखा युवक था. उस का चयन वायुसेना में हो गया था. ट्रेनिंग के बाद वह अंबाला में कार्यरत था.

विद्याशंकर शर्मा ने पीयूष को देखा तो वह उन्हें अपनी बेटी प्रीति के योग्य लगा. लेनदेन की बात तय होने के बाद दोनों परिवारों में सहमति बनी कि शादी तब तय मानी जाएगी, जब प्रीति और पीयूष एकदूसरे को पसंद कर शादी को राजी हो जाएंगे. नियत तिथि पर पीयूष और प्रीति ने एकदूसरे को देखा, आपस में बातचीत की. अंतत: दोनों शादी को राजी हो गए. उस के बाद 20 फरवरी, 2015 को प्रीति का विवाह पीयूष शर्मा के साथ धूमधाम से हो गया.

विद्याशंकर शर्मा ने शादी में काफी खर्च किया था. उन्होंने बेटी को आभूषणों के अलावा उस के ससुराल पक्ष को वह हर सामान दिया था, जिस की उन्होंने डिमांड की थी. शर्माजी ने हंसीखुशी से लाल जोड़े में लिपटी अपनी लाडली बेटी को विदा किया.

सास की वजह से मतभेद बढ़े पतिपत्नी में

प्रीति शर्मा खूबसूरत थी. ससुराल में उसे जिस ने भी देखा, उसी ने उस के रूपसौंदर्य की तारीफ की. पीयूष भी पढ़ीलिखी और खूबसूरत पत्नी पा कर खुश था. मुंहदिखाई रस्म के दौरान जब परिवार की महिलाएं प्रीति का घूंघट उठा कर देखतीं और उस के रूपसौंदर्य की तारीफ करतीं तो सास सुधा शर्मा का सीना गर्व से तन जाता. प्रीति भी ससुराल वालों के व्यवहार से खुश थी. उसे खुशी इस बात की भी थी कि उस का पति स्मार्ट और सभ्य है.

जब गौने के बाद प्रीति ससुराल आई तो उसे सास का व्यवहार थोड़ा तल्ख लगा. सुधा शर्मा ने घर का सारा काम प्रीति को सौंप दिया. काम करने के बावजूद उसे सास की डांट सहनी पड़ती थी. कभी वह दाल में कम नमक को ले कर डांटती तो कभी साफसफाई को ले कर. कभीकभी दहेज कम देने को ले कर भी ताना मारतीं.

ये भी पढ़ें- बंगलों के चोर

सास के तानों से प्रीति का दिल छलनी होने लगा. वह मानसिक प्रताड़ना से परेशान रहने लगी. पति उस से कोसों दूर था, वह अपनी पीड़ा कहती भी तो किस से. एक रोज उस की मां का फोन आया तो प्रीति के सब्र का बांध टूट गया. उस ने फोन पर ही सारी पीड़ा मां को बताई और फूटफूट कर रोने लगी. मां ने उसे धैर्य बंधाया और उस की सास को समझाने का भरोसा दिया.

मधु शर्मा ने प्रीति की प्रताड़ना को ले कर उस की सास से शिकायत की तो वह गुस्से में बोली, ‘‘तुम्हारी बेटी इतनी नाजुक और कोमल है तो घर के काम के लिए नौकरचाकर लगवा दो या फिर इसे अपने घर बुला लो. मुझे कामचोर बहू की जरूरत नहीं है.’’

शिकायत के बाद सास का जुल्म और बढ़ गया. अब वह प्रीति के खानेपीने, उठनेबैठने और सजनेसंवरने पर भी सवाल खड़े करने लगी.

लगभग 3 महीने बाद पीयूष जब छुट्टी पर घर आया तो मां ने प्रीति के खिलाफ उस के कान भरे. इस पर पीयूष का व्यवहार भी प्रीति के प्रति कठोर हो गया. उस ने प्रीति से साफ कह दिया कि उसे घर का काम करना पड़ेगा. मां जो कहेगी, उसे बरदाश्त करना होगा. साथ ही मर्यादा में रहना पड़ेगा. मां से बगावत वह बरदाश्त नहीं करेगा.

पति की बात सुन कर प्रीति अवाक रह गई. वह जान गई कि पीयूष मातृभक्त है. उसे पत्नी की कोई चिंता नहीं है. घर में तनाव को ले कर पीयूष और प्रीति के बीच दरार पड़ गई. पीयूष को जहां अपनी सरकारी नौकरी का घमंड था, वहीं प्रीति को भी अपनी खूबसूरती का अहंकार था. इस अहंकार और घमंड ने प्रीति और पीयूष के जीवन को गर्त में धकेल दिया.

इधर पीयूष का साथ मिला तो सास सुधा प्रीति पर और जुल्म करने लगी. अब वह सीधे तौर पर दहेज के रूप में रुपयों की मांग करती. प्रीति रुपया लाने को राजी नहीं होती तो वह उसे प्रताडि़त करती.

ये भी पढ़ें- 2 करोड़ की प्रीत: भाग 1

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...