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गोलू का इतनी आसानी और बगैर स्थानीय पुलिस की मदद से पकड़ा जाना एक अप्रत्याशित बात थी. अब उन्हें उम्मीद हो गई कि अब तो बाकी इस के तीनों साथी भी जल्द पकडे़ जाएंगे. गोलू को दबोच कर ये तीनों हबीबगंज थाने पहुंचे. हबीबगंज थाने के टीआई रवींद्र यादव को एक बार फिर अनामिका को पूरा हादसा बताना पड़ा.

रवींद्र यादव ने गोलू से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने अपने साथियों के नामपते भी बता दिए. उन्होंने मामले की गंभीरता को समझते हुए आला अफसरों को भी वारदात के बारे में बता दिया. टीआई उन तीनों को ले कर फिर घटनास्थल पहुंचे. हबीबगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई पर अच्छी बात यह थी कि मुजरिमों के बारे में काफी कुछ पता चल गया था. आला अफसरों के सामने भी अनामिका को दुखद आपबीती बारबार दोहरानी पड़ी.

रवींद्र यादव ने हबीबगंज जीआरपी को भी फोन किया था, लेकिन वहां से कोई पुलिस वाला नहीं आया. सूरज सिर पर था लेकिन अनामिका और उस के मातापिता की उम्मीदों का सूरज पुलिस की काररवाई देख ढलने लगा था. बारबार फोन करने पर जीआरपी का एक एएसआई घटनास्थल पर पहुंचा लेकिन उस का आना भी एक रस्मअदाई साबित हुआ. जैसे वह आया था, सब कुछ सुन कर वैसे ही वापस भी लौट गया.

इस के कुछ देर बाद हबीबगंज जीआरपी के टीआई मोहित सक्सेना घटनास्थल पर पहुंचे. उन के और रवींद्र यादव के बीच घंटे भर बहस इसी बात पर होती रही कि घटनास्थल किस थाना क्षेत्र में आता है. इस दौरान अनामिका और उस के मांबाप भूखेप्यासे उन की बहस को सुनते रहे कि थाना क्षेत्र तय हो तो एफआईआर दर्ज हो और काररवाई आगे बढ़े. आखिरी फैसला यह हुआ कि अनामिका गैंगरेप का मामला हबीबगंज जीआरपी थाने में दर्ज होगा.

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