21 अक्तूबर, 2016 की रात साढ़े 10 बजे के करीब अभिनव पांडेय ससुराल पहुंचा तो नशा अधिक होने की वजह से उस के कदम डगमगा रहे थे. पति की हालत देख कर नेहा का पारा चढ़ गया. ससुर घनश्याम शुक्ला को भी दामाद की यह हरकत अच्छी नहीं लगी, इसलिए वह उठ कर दूसरे कमरे में चले गए. अभिनव ने नेहा से साथ चलने को कहा तो उस ने उस के साथ जाने से मना कर दिया. अभिनव नशे में तो था ही, उसे भी तैश आ गया. गुस्से में वह नेहा से मारपीट करने लगा. पहले तो घनश्याम शुक्ला ने बेटी को बचाने का प्रयास किया, लेकिन जब वह उसे नहीं छुड़ा पाए तो उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के घटना की सूचना दे दी.

थोड़ी ही देर में मोटरसाइकिल से 2 पुलिस वाले उन के घर आ गए और पत्नी के साथ मारपीट करने के आरोप में अभिनव को हिरासत में ले लिया. अभिनव को पता था कि उस के ससुर घनश्याम शुक्ला ने फोन कर के पुलिस वालों को बुलाया है. वह वैसे भी दुखी और परेशान था, क्योंकि उन्हीं की वजह से नेहा ससुराल नहीं जा रही थी. पुलिस को देख कर उस का गुस्सा और बढ़ गया. उस ने आगेपीछे की चिंता किए बगैर अपना लाइसेंसी रिवौल्वर निकाला और पुलिस के सामने ही घनश्याम शुक्ला के सीने में 2 गोलियां उतार दीं. गोली लगते ही घनश्याम शुक्ला जमीन पर गिर पड़े. उन्हें अस्पताल ले जाया जाता, उस के पहले ही उन की मौत हो गई.

इस के बाद अभिनव नेहा की ओर बढ़ा, लेकिन तब तक पुलिस वालों ने उसे पकड़ कर उस का रिवौल्वर कब्जे में ले लिया था. कंट्रोल रूम की सूचना पर आए सिपाहियों ने घटना की सूचना थाना कैंट के थानाप्रभारी बृजेश कुमार वर्मा को दी तो थोड़ी ही देर में वह भी सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर आ पहुंचे. अभिनव को गिरफ्तार कर लिया गया था. थाने आ कर थाना कैंट पुलिस ने नेहा की तहरीर पर घनश्याम शुक्ला की हत्या का मुकदमा दर्ज कर के अभिनव को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अभिनव द्वारा दिए गए बयान एवं नेहा ने पुलिस को अपनी जो आपबीती सुनाई, उस के अनुसार नेहा की जो दर्दभरी कहानी सामने आई, वह सचमुच द्रवित करने वाली थी.

37 वर्षीया नेहा उत्तर प्रदेश के जिला गोरखपुर के थाना कैंट के रहने वाले घनश्याम शुक्ला की दूसरे नंबर की बेटी थी. जनरल कंसल्टेंट का काम करने वाले घनश्याम शुक्ला की पत्नी कुसुम शुक्ला भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की एजेंट थीं. शहर में घनश्याम शुक्ला की गिनती रईसों में होती थी. पतिपत्नी खुले विचारों के थे, शायद इसी का असर था कि उन की बड़ी बेटी नम्रता ने रुस्तमपुर निवासी विष्णु तिवारी से प्रेम विवाह कर लिया था. विष्णु तिवारी उन्हीं की जाति का था, इसलिए शुक्ला दंपति ने इस रिश्ते को स्वीकार कर बेटीदामाद को आशीर्वाद दे दिया था.

उस समय नेहा 8वीं में पढ़ रही थी. लेकिन जब उस ने जवानी की दहलीज पर कदम रखा तो उस के जीजा विष्णु तिवारी का दिल उस पर आ गया. जीजासाली का रिश्ता तो वैसे भी हंसीमजाक का होता है, इसलिए विष्णु तिवारी इस रिश्ते का फायदा उठाते हुए नेहा से हंसीमजाक के बहाने छेड़छाड़ करने लगा.

जीजा के मन में क्या है, उस की हरकतों से नेहा को जल्दी ही इस का अंदाजा हो गया. जीजा की नीयत का अंदाजा होते ही वह होशियार हो गई. विष्णु तिवारी ने पहले तो राजीखुशी से नेहा को अपनी बनाने की कोशिश की, लेकिन जब उस ने देखा कि नेहा राजीखुशी से उस के वश में आने वाली नहीं है तो नेहा को घर में अकेली पा कर उस ने जबरदस्ती करने की भी कोशिश की. लेकिन नेहा ने जीजा को अपने मकसद में कामयाब नहीं होने दिया. उस ने खुद को किसी तरह बचा लिया.

विष्णु तिवारी की हरकतों से परेशान हो कर नेहा ने आत्महत्या करने की कोशिश की. क्योंकि वह जानती थी कि उस की बातों पर घर में कोई विश्वास नहीं करेगा. नेहा फांसी का फंदा गले में डाल पाती, संयोग से कुसुम आ गईं और उन्होंने उसे बचा कर आश्वासन दिया कि वह विष्णु तिवारी को रोकेगी. पर शायद उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, क्योंकि इस के बाद भी वह नेहा से पहले की ही तरह छेड़छाड़ करता रहा.

तंग आ कर नेहा ने जीजा की शिकायत बहन से कर दी. लेकिन बहन ने भी पति को कुछ कहने के बजाय उसे ही डांटा और भविष्य में पति के चरित्र पर कीचड़ न उछालने की हिदायत भी दी. इस के बाद नेहा विष्णु तिवारी से बच कर रहने लगी.

जिन दिनों नेहा बीए कर रही थी, उन्हीं दिनों उस की मुलाकात विष्णु तिवारी के भांजे अभिनव पांडेय उर्फ बोंटी से हुई. दोनों एकदूसरे को दिल दे बैठे. अभिनव नेहा के घर भी आनेजाने लगा. उसे नेहा के घर आनेजाने में कोई दिक्कत न हो, इस के लिए उस ने नेहा के भाई कपिल उर्फ मोहित से दोस्ती कर ली.

अभिनव पांडेय उर्फ बोंटी कैंट थाना के बेतियाहाता मोहल्ले में अपनी मां और छोटे भाई उत्कर्ष के साथ रहता था. विष्णु तिवारी के रिश्ते से अभिनव नेहा का भांजा लगता था, लेकिन प्यार रिश्तेनाते कहां देखता है. बोंटी भी रिश्तेनाते भूल कर नेहा के प्रेम में डूब गया था.

अभिनव नेहा से शादी करना चाहता था, लेकिन इस के लिए नेहा के मातापिता से बात करना जरूरी था. उसे लगा कि अगर वह मामा से कहे तो शायद बात बन जाए. उस ने नेहा से अपने प्रेम की बात बता कर विष्णु तिवारी से मदद मांगी तो मदद करने के बजाय वह भड़क उठा. उस ने अभिनव को हद में रहने की हिदायत दी.

पर अभिनव ने तो नेहा से प्रेम किया था, इसलिए मामा की धमकी की चिंता किए बगैर अपने प्रेम के बारे में मां को बता कर उन्हें नेहा का हाथ मांगने के लिए उस के घर जाने को कहा. अभिनव की मां नेहा का रिश्ता मांगने घनश्याम शुक्ला के घर जातीं, उस के पहले ही विष्णु तिवारी ने सासससुर से अभिनव और नेहा के प्रेम के बारे में नमकमिर्च लगा कर बता कर उन्हें भड़का दिया.

इस का नतीजा यह निकला कि अभिनव की मां नेहा का रिश्ता मांगने आईं तो कुसुम ने उन्हें जलील कर के खाली हाथ लौटा दिया. इस की एक वजह यह भी थी कि कुसुम ने नेहा के लिए एलआईसी के मुंबई के एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर राधेमोहन पांडेय के बेटे मनीष कुमार पांडेय को पसंद कर रखा था.

मनीष लखनऊ सचिवालय में दलाली कर के अच्छी कमाई कर रहा था. कुसुम ने जल्दी से मनीष से नेहा का विवाह कर दिया. नेहा मनीष की दुलहन बन कर ससुराल चली गई. ससुराल में कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा, लेकिन कुछ दिनों बाद ससुराल वालों की असलियत सामने आ गई. वे मायके से दहेज लाने के लिए नेहा को परेशान करने लगे.

नेहा को परेशान करने की एक वजह यह भी थी कि विष्णु तिवारी ने नेहा से बदला लेने के लिए अभिनव से उस के संबंधों की बात मनीष को बता दी थी. इस के अलावा अभिनव नेहा की ससुराल फोन कर के उस से बातचीत किया करता था. नेहा को परेशान करने वाली बात घनश्याम और कुसुम को पता चली तो लखनऊ जा कर वे उसे गोरखपुर ले आए.

मायके में ही नेहा ने बेटी को जन्म दिया, जिस का नाम मौलि रखा गया. मौलि के पैदा होने की सूचना घनश्याम शुक्ला ने नेहा की ससुराल वालों को भी दी थी, लेकिन वहां से कोई नहीं आया था. धीरेधीरे एक साल बीत गया. जब ससुराल से नेहा को लेने कोई नहीं आया तो अगस्त, 2004 में उस ने गोरखपुर के महिला थाना में भादंवि की धाराओं 498ए, 323, 342, 313 व 3/4 के तहत ससुराल वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया.

संकट की इस घड़ी में अभिनव ने नेहा का हर तरह से साथ दिया. परिणामस्वरूप उन का प्यार एक बार फिर से जाग उठा. इस की जानकारी विष्णु तिवारी को हुई तो वह ईर्ष्या की आग में जल उठा. उस ने साली का साथ देने के बजाय मनीष का साथ दिया और नेहा पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव डालने लगा. इस की एक वजह यह भी थी कि वह मनीष के साथ मिल कर ठेकेदारी करने लगा था.

चूंकि अभिनव हर तरह से नेहा का साथ दे रहा था, इसलिए 25 नवंबर, 2005 को उसे सबक सिखाने के लिए विष्णु तिवारी कुछ लोगों के साथ उस के घर जा पहुंचा. संयोग से उस समय अभिनव घर पर नहीं था. बाद में उस ने विष्णु तिवारी के खिलाफ थाना कैंट में भादंवि की धारा 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज कराया.

अभिनव द्वारा मुकदमा दर्ज कराने के बाद कुसुम नेहा से नाराज हो गईं. बेटी से नाराज होने के बाद उस की मदद करने वाले अभिनव के खिलाफ उन्होंने 16 फरवरी, 2006 को थाना कैंट में ही भादंवि की धाराओं 498ए, 506, 328, 352, 307 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया.

उन का कहना था कि 15 फरवरी को अभिनव ने जान से मारने के लिए उन पर हमला किया था. उस समय नेहा ने विष्णु तिवारी और मनीष की वजह से जहर खा लिया था, जिस की वजह से वह अस्पताल में भरती थी. दरअसल विष्णु तिवारी ने रिवौल्वर की नोक पर मनीष के सामने ही उस के साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की थी. तब अपनी इज्जत बचाने के लिए उस ने घर में रखा जहर खा लिया था.

17 फरवरी, 2006 को अस्पताल में पत्रकारों के सामने अभिनव पांडेय ने ऐलान किया कि वह नेहा और उस की बेटी को अपनाने को तैयार है. इस के अगले दिन 18 फरवरी को अस्पताल में ही नेहा पर जानलेवा हमला हुआ. अगले दिन 19 फरवरी को अभिनव नेहा को एंबुलैंस से एसएसपी दीपेश जुनेजा के आवास पर ले गया, जहां उस ने उन्हें पूरी बात बताई.

इस के बाद एसएसपी के आदेश पर थाना कैंट में विष्णु तिवारी के खिलाफ भादंवि की धाराओं 147, 323, 354, 504, 506 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ, जिस की जांच बेतियाहाता चौकीप्रभारी मनोज पटेल को सौंपी गई. मनोज पटेल ने जांच में सारे आरोप सत्य पाए. लेकिन वह उसे गिरफ्तार कर पाते, उस के पहले ही उस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे ले लिया.

अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद नेहा अभिनव के साथ लिवइन रिलेशन में रहने लगी. चूंकि नेहा का अभी मनीष से तलाक हुआ नहीं था, इसलिए वह अभिनव से शादी नहीं कर सकती थी. आखिर घनश्याम शुक्ला ने कोशिश कर के किसी तरह नेहा को मनीष से आजादी दिला दी.

मनीष से छुटकारा मिलने के बाद नेहा ने अभिनव पांडेय से मंदिर में शादी कर ली. नेहा को अभिनव से भी 2 बेटियां पैदा हुईं. रियल एस्टेट कंपनी में मैनेजर की नौकरी करने वाले अभिनव ने शादी के बाद नौकरी छोड़ दी और प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगा. इस धंधे से उस ने खूब कमाई की, लेकिन उसी बीच वह शराब पीने लगा. नेहा को अभिनव का शराब पीना अच्छा नहीं लगता था. वह उसे रोकती तो अभिनव उस से मारपीट करता. जब अभिनव नेहा को ज्यादा परेशान करने लगा तो उस ने मांबाप से की शिकायत की. घनश्याम शुक्ला ने अभिनव को समझाया कि वह पत्नी को सलीके से रखे. ससुर की यह बात उसे काफी बुरी लगी. इस के बाद नेहा के प्रति उस का व्यवहार और खराब हो गया. दुर्भाग्य से उसी बीच नेहा की मां कुसुम की अचानक मौत हो गई. कुसुम की मौत की बाद घनश्याम शुक्ला अकेले पड़ गए. नेहा पिता को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी, इसलिए अभिनव से बात कर के वह बच्चों को ले कर मायके चली आई. अभिनव जबतब शराब पी कर ससुराल आता और लड़ाईझगड़ा कर के नेहा से मारपीट करता. घनश्याम शुक्ला उसे समझाते, पर उस की तो आदत पड़ चुकी थी. वह भला कैसे सुधरता.

उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ था. लेकिन उस दिन नशे में अभिनव ने जो किया, उस की तो किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. आखिर नशे में उस ने अपना घर ही नहीं, जिंदगी भी बरबाद कर ली.

पूछताछ के बाद पुलिस ने अभिनव को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. अभिनव के जेल जाने के बाद उस के घर वाले नेहा पर मुकदमा वापस लेने का दबाव डाल रहे हैं, जिस की वजह से नेहा बच्चों को ले कर छिप कर रह रही है. कथा लिखे जाने तक अभिनव पांडेय उर्फ बोंटी की जमानत नहीं हुई थी. थाना कैंट के थानाप्रभारी इंसपेक्टर ओमहरि वाजपेयी अभिनव पांडेय के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में दाखिल करने की तैयारी कर रहे हैं.

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