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सामने मोरकली खड़ी दुपट्टा संभाल रही थी, जबकि उस के पीछे रामसुमेर खड़ा था. सामने पारुल को खड़ा देख दोनों के चेहरे का रंग उड़ गया था. मोरकली तेजी से बाथरूम की और भाग गई थी, जबकि रामसुमेर बाहर जाने वाले दरवाजे की ओर जाने लगा था, लेकिन दरवाजे पर ही रूमा से टकरातेटकराते बचा. उस के हाथ से मवेशी को चारा देने वाली टोकरी गिर गई थी. वह नाराजगी के साथ बोली, ‘‘अरे रामसुमेर, तुम यहां! इस वक्त!’’

‘‘जी...जी भाभी, मैं तो पारुल के साथ ही आया था. मैं ने उसे कालेज से अकेली आते देखा था, इसलिए उस के पीछेपीछे हो लिया था. गांव में कुछ लड़के आवारा हो गए हैं अकेली लड़की को छेड़ते रहते हैं.’’
‘‘नहीं मम्मी, सुमेर चाचा झूठ बोल रहे हैं, मैं तो अकेली आई हूं.’’
पारुल के आगे कुछ और बोलने से पहले ही रूमा बोल पड़ी, ‘‘मुझे पता है बेटी, आज नया थोड़े कालेज से तुम्हारा घर आनाजाना हो रहा है. ...और ये तुम्हारा चाचा कितना झूठा है, मुझे नहीं मालूम है क्या? खुद जैसा है, वैसा ही दूसरे लड़कों के बारे में सोचता है. जाओ, तुम अपने कमरे में जाओ, आज मैं इस की खबर लेती हूं.’’ रूमा बोली.

रूमा ने सुनाया फैसला

पारुल पहले रसोई में गई, पानी पीया फिर छत पर अपने कमरे में चली गई. रूमा अपने देवर के यहां आने का करण अच्छी तरह से समझती थी. उसी वक्त मोरकली के बाथरूम से निकलने पर उस का विश्वास और मजबूत हो गया. उसे वहीं रुकने को बोली. रामसुमेर का हाथ खींचती हुई बोली, ‘‘अब तू कहां भागता है? चल इधर आ.’’
‘‘भाभी, बाद में आऊंगा,’’ कहता हुआ रामसुमेर जाने को हुआ.
‘‘नहीं, अभी यहीं मेरा फैसला सुनना होगा.’’ रूमा बोली.
‘‘फैसला! कैसा फैसला? मैं ने क्या किया है?’’ मोरकली बोली.
‘‘तुम और रामसुमेर जो कर रहे हो, वह मेरी नजरों से छिपा नहीं है. तुम क्या समझती हो तुम्हें रामसुमेर दिल से प्यार करता है? अरे नहीं, उसे तुम्हारी देह से लगाव है. तुम्हारी जिंदगी को बरबाद कर देगा. ...और तुम रामसुमेर, इस की जिंदगी के साथ तो खिलवाड़ कर ही रहे हो, अपनी बीवीबच्चों को भी धोखा दे रहे हो.’’ रूमा दोनों को समझाते हुई बोली.

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