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इशहाक की बड़ी बेटी नसरीन खूबसूरत थी. उस ने जब सोलह साल की उम्र पार कर ली तो उस का रूप रंग ओस में नहाई बूंदों की तरह दमकने लगा. बेटी सयानी हो गई तो इश्हाक ने उस की शादी रियाज अली से कर दी, उस का परिवार बहराइच जिले के इटकौरी गांव का रहने वाला था, पिता सादिक अली खेतीबाड़ी करते थे. सादिक का छोटा बेटा मेराज मुंबई में रह कर नौकरी करता था, जबकि रियाज अली खेतीकिसानी में हाथ बंटाता था.

गांवकस्बों की विडंबना यह है कि वहां की महिलाएं किसी भी बात को मुद्दा बना कर उलटीसीधी बातें करने लगती हैं. नसरीन के बारे में भी ऐसी ही बातें शुरू हो गईं. नसरीन की सास सायरा को ऐसी बातें सुनने को मिलती तो वह नसरीन से चिढ़ जाती. शायरा ने इस मुद्दे पर नसरीन से बात की तो उस ने कह दिया, ‘‘अम्मी बच्चा बातों से तो होने से रहा, जब अल्ला की मर्जी होगी हो जाएगा.’’

एक वर्ष और बीत गया. लेकिन नसरीन मां नहीं बन सकी तो सायरा का नजरिया बदल गया. वह नसरीन को बांझ समझ कर उसे प्रताडि़त करने लगी. अब वह नसरीन के हर काम में नुक्ताचीनी करने लगी थी. बातबेबात नसरीन से उलझने लगी. नसरीन कुछ कह देती तो वह उस पर हाथ भी उठा देती थी. वह शौहर रियाज अली से शिकायत करती तो वह मां का ही पक्ष लेता.

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उन्हीं दिनों रियाज अली रिश्तेदारी की एक खूबसूरत लड़की पर रीझ गया. दोनों एकदूसरे से प्यार करने लगे. उस लड़की का घर आनाजाना शुरू हो गया. नसरीन की सास सायरा भी उसे तवज्जों देने लगी. नसरीन को इस बढ़ती प्रेम कहानी की जानकारी हुई तो वह विरोध करने लगी. इस पर रियाज उसे पीटता और कभीकभी रात में ही उसे मारपीट कर घर से भी निकाल देता. तब नसरीन घर के बाहर पेड़ के नीचे रात गुजारती.

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