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झारखंड की राजधानी रांची स्थित सीबीआई कोर्ट के जज ए.के. मिश्र की अदालत में 22 दिसंबर, 2019 को कुछ ज्यादा ही भीड़ थी. वकीलों के अलावा कुछ अन्य लोग भी अदालत की काररवाई शुरू होने से पहले कोर्टरूम में पहुंच चुके थे. अदालत परिसर में तमाम मीडियाकर्मी भी थे.

दरअसल, उस दिन रांची के बहुचर्चित बीटेक की छात्रा माही हत्याकांड का फैसला सुनाया जाना था. करीब 3 साल पहले हुई हत्या की यह वारदात काफी दिनों तक मीडिया की सुर्खियों में रही थी. जब थाना पुलिस इस केस को नहीं खोल सकी तो यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था.

सीबीआई इंसपेक्टर परवेज आलम की टीम ने लंबी जांच के बाद न सिर्फ इस केस का परदाफाश किया, बल्कि आरोपी राहुल कुमार उर्फ राहुल राज उर्फ आर्यन उर्फ रौकी राज उर्फ अमित उर्फ अंकित को भी गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.

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पता चला कि रेप की वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी फरार हो जाता था या नाम बदल कर कहीं दूसरी जगह रहने लगता था. इस तरह वह एकदो नहीं, बल्कि 10 लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बना चुका था. एक तरह से वह साइको किलर बन चुका था.

इस वहशी दरिंदे के खिलाफ सीबीआई की विशेष अदालत में केस चल रहा था. सीबीआई की ओर से इस मामले में 30 गवाह पेश किए गए थे. जज ए.के. मिश्र ने तमाम गवाह और सबूतों के आधार पर 30 अक्तूबर, 2019 को छात्रा माही हत्याकांड में आरोप तय करते हुए राहुल कुमार को दोषी ठहराया. उन्होंने सजा सुनाए जाने के लिए 22 दिसंबर, 2019 का दिन निश्चित किया.

सीबीआई की विशेष अदालत में 22 दिसंबर को जितने भी लोग बैठे थे, उन सभी के दिमाग में एक ही सवाल घूम रहा था कि जज साहब साइको किलर राहुल कुमार को क्या सजा सुनाएंगे. इस वहशी दरिंदे ने जिस तरह कई लड़कियों की जिंदगी तबाह की थी, उसे देखते हुए उन्हें उम्मीद थी कि उसे फांसी की सजा दी जानी चाहिए.

राहुल कुमार कौन है और वह कामुक दरिंदा कैसे बना, यह जानने के लिए उस के अतीत को जानना होगा.

25 वर्षीय राहुल कुमार बिहार के नालंदा जिले के एकंगर सराय थाना क्षेत्र के गांव धुर का रहने वाला था. उस के पिता उमेश प्रसाद पेशे से आटो चालक थे. 3 भाईबहनों में राहुल सब से बड़ा था.

कहते हैं कि पूत के पांव पालने में दिख जाते हैं. ऐसा ही कुछ राहुल के साथ भी हुआ. बचपन से ही राहुल जिद्दी और झगड़ालू किस्म का था. वह एक बार जो करने की ठान लेता था, उसे पूरा कर के ही मानता था. इस दौरान वह किसी की भी नहीं सुनता था. मांबाप की डांटफटकार का भी उस पर कोई असर नहीं होता था.

राहुल जैसेजैसे बड़ा होता गया, उस की संगत आवारा किस्म के लड़कों से होती गई. घर से उस का मतलब केवल 2 वक्त की रोटी से होता था. जब उस के पिता उमेश प्रसाद आटो ले कर शहर की ओर निकलते, वह भी घर से निकल जाता था. फिर दिन भर आवारा दोस्तों के साथ घूमता रहता था.

बचपन से ही जिद्दी आवारा था राहुल

मटरगश्ती करने के लिए वह मां से जबरन पैसे लिया करता था. अगर मां उसे पैसे नहीं देती तो वह लड़झगड़ कर पैसे छीन लेता था. दिन भर दोस्तों के बीच घूमनेफिरने के बाद वह शाम ढलने पर घर लौटता था.

घर का वह एक काम तक नहीं करता था, रात को जब आटो चला कर उमेश प्रसाद घर लौटता तो उस की पत्नी राहुल की दिन भर की शिकायतों की पोटली खोल कर बैठ जाती. उमेश राहुल को डांटता और समझाता, पर पिता की बातों को वह अनसुना कर देता. ऐसे में उमेश माथे पर हाथ रख कर चिंता में डूब जाता.

उमेश प्रसाद ने राहुल को समझाने और सही राह पर लाने के बहुत उपाय किए, लेकिन राहुल सुधरने के बजाए दिनबदिन जरायम की दलदल में उतारता गया. शुरुआत उस ने अपने घर के पैसे चुराने से की थी. इस के बाद उस ने औरों के घरों में भी चोरी करनी शुरू की. भेद न खुलने पर उस की हिम्मत बढ़ती गई. चोरी के साथसाथ राहुल लड़कियों को अपनी हवस का शिकार भी बनाने लगा.

बात सन 2012 की है. राहुल ने पटना के जीरो रोड पर स्थित एक घर में चोरी की. इतना ही नहीं, उस ने वहां एक युवती को अपनी हवस का शिकार भी बनाया. युवती से दुष्कर्म के मामले में 29 जून, 2012 को उसे बेउर जेल भेजा गया. जब वह जेल में था, तभी उस के चाचा की मौत हो गई. श्राद्धकर्म में शामिल होने के लिए वह 4 सितंबर, 2016 को पैरोल पर अपने गांव गया, उस समय वह पुलिस की सुरक्षा में था.

श्राद्धकर्म के बाद शातिर राहुल ने सिपाहियों को शराब पिलाई और अनुष्ठान का बहाना बना कर फरार हो गया. इस के बाद पुलिस उसे छू तक नहीं सकी. पुलिस अभिरक्षा से फरार होने के बाद उस ने जो कांड किया, उस ने समूचे झारखंड को हिला कर रख दिया.

राहुल नालंदा से भाग कर रांची आ गया था और वहां वह नाम बदल कर राज के नाम से रहने लगा. राहुल हर बार जुर्म करने के बाद अपना नाम बदल लेता था, ताकि पुलिस उस तक आसानी से न पहुंच सके. खैर, वह राहुल से राज बन कर रांची की बूटी बस्ती में पीतांबरा पैलेस के सामने वाली गली में स्थित दुर्गा मंदिर के कमरे में रहने लगा. यहां उस ने मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों से आग्रह किया था. कमेटी के बंटी नामक युवक ने उस पर तरस खा कर वहां रखवाया था.

यहां रह कर राहुल उर्फ राज कमरा खोजने लगा. कमरे की तलाश में वह बीटेक की छात्रा माही के घर पहुंच गया. लेकिन वहां कमरा किराए पर नहीं मिला. राहुल का मुख्य पेशा चोरी था. उसे घूमतेघूमते पता चल गया कि माही के घर में सिर्फ लड़कियां रहती हैं. उस दिन के बाद से वह आतेजाते माही का पीछा करने लगा. माही इतनी खूबसूरत थी कि एक ही नजर में उस पर मर मिटा था.

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23 वर्षीया माही मूलरूप से झारखंड के बरकाकाना जिले के थाना सिल्ली क्षेत्र की रहने वाली थी. उस के पिता संजीव कुमार बरकाकाना में सेंट्रल माइन प्लानिंग ऐंड डिजाइन इंस्टीट्यूट लिमिटेड (सीएमपीडीआई) में नौकरी करते थे.

संजीव कुमार की 2 बेटियां रवीना और माही थीं. दोनों पढ़ने में अव्वल थीं. इसीलिए पिता संजीव भी उन्हें उन के मनमुताबिक पढ़ाना चाहते थे. वह अपनी बेटियों पर पानी की तरह पैसे बहा रहे थे.

बच्चों के भविष्य के लिए संजीव कुमार ने सन 2005 में रांची की बूटी बस्ती में एक प्लौट खरीदा था. उस पर उन्होंने घर भी बनवा दिया था. घटना से करीब 2 साल पहले यानी 2017 में उन की दोनों बेटियां रवीना और माही वहीं रह कर पढ़ाई करती थीं. संजीव और परिवार के अन्य सदस्य बरकाकाना में रहते थे.

बड़ी बेटी रवीना रांची शहर के एक प्रतिष्ठित कालेज से स्नातक कर रही थी, जबकि छोटी बेटी माही ओरमांझी के एक इंजीनियरिंग कालेज से बीटेक के चतुर्थ सेमेस्टर की छात्रा थी. माही का 15 दिसंबर, 2016 को रिजल्ट आने वाला था. उस के पिता रिजल्ट देखने बरकाकाना से रांची आए थे. रिजल्ट देखने के लिए वह माही के कालेज गए और वहीं से बरकाकाना वापस लौट गए.

दरिंदे ने भांप लिया था कि अकेली है माही

बहरहाल, रिजल्ट देखने के बाद माही जब कालेज से बूटी बस्ती स्थित अपने आवास जाने लगी तो पहले से घात लगाए बैठा राज पीछेपीछे उस के घर तक पहुंच गया. माही घर में बैग रख कर वापस बाहर आई. उस ने अपने घर के पास एक दुकान से मैगी खरीदी और वापस चली गई.

इस से राज आश्वस्त हो गया था कि घर में माही अकेली है. घर में अगर कोई और होता तो माही के बजाए वही सामान खरीदने आता. इत्तफाक की बात यह थी कि कुछ दिनों पहले बड़ी बहन रवीना किसी जरूरी काम से अपने गांव बरकाकाना चली गई थी. माही के घर पर अकेला होने की जानकारी शातिर राज को पहले ही मिल चुकी थी, इसलिए वह निश्चिंत हो गया और उस ने फैसला कर लिया कि आज रात माही को अपनी हवस का शिकार बना कर रहेगा.

उसी रात करीब साढ़े 10 से 11 बजे के बीच राहुल कुमार उर्फ राज माही के घर पहुंचा. उस के मुख्य दरवाजे पर लोहे का मजबूत ग्रिल लगा था. ग्रिल पर भीतर की ओर से बड़ा ताला लगा था. उस के पास मास्टर चाबी रहती थी, जिस से वह कोई भी ताला आसानी से खोल सकता था. मास्टर चाबी से उस ने माही की ग्रिल का ताला खोल लिया.

माही जिस कमरे में सो रही थी, उस में सिटकनी नहीं लगी थी. दबेपांव वह उस के कमरे में आसानी से पहुंच गया और गहरी नींद में सोई माही का गला दबाने लगा. तभी माही की आंखें खुल गईं. उसे देख कर वह डर गई.

इस से पहले कि वह शोर मचाती, राज ने उसे धमका दिया. डर की वजह से माही चुप हो गई. राहुल ने उस के साथ रेप किया. उस दौरान उस ने दरिंदगी की सारी हदें पार कर दीं. इस दरम्यान माही के नाजुक अंग से रक्तस्राव हुआ, जिस से वह बेहोश हो गई.

उस के बाद दरिंदे राहुल उर्फ राज ने मोबाइल के चार्जर वाले तार से उस का गला घोंट दिया ताकि वह किसी को कुछ बता न सके. हैवानियत पर उतरे राज ने सबूत मिटाने के लिए माही को निर्वस्त्र कर दिया, फिर उस के कपड़ों को एक जगह रख कर उस पर मोबिल औयल डाल कर आग लगा दी. आग लगाने के बाद वह वहां से फरार हो गया. दरअसल, साक्ष्य मिटाने का यह तरीका उस ने अपने ही एक जुर्म से सीखा था.

अपराध की दुनिया में कदम रखते समय राहुल पहली बार पटना में एक घर में चोरी करने की नीयत से घुसा था. यह भी इत्तफाक था कि घर के एक कमरे में 11 वर्षीय नेहा अकेली सो रही थी. बाकी के लोग दूसरे कमरे में सो रहे थे. उस समय रात के करीब 3 बज रहे थे. अकेली नेहा को देख कर उस के जिस्म में वासना की आग धधक उठी. हैवान राहुल जिस्म की आग ठंडी करने के लिए मासूम नेहा की जिंदगी तारतार कर के भाग गया.

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लेकिन कानून के लंबे हाथों से कुकर्मी राहुल ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. तब राहुल को पता चला कि नेहा के अंडरगारमेंट में उस का सीमेन (वीर्य) मिला था, जिस से वह दोषी पाया गया था. इस घटना से ही सीख लेते हुए उस ने बीटेक की छात्रा माही से दुष्कर्म के बाद उस के अंडरगारमेंट के साथ अन्य कपड़े भी जला दिए थे ताकि वह पकड़ा न जा सके.

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