लेखक- निखिल अग्रवाल 

इसी 22 अप्रैल की बात है. केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री डा. महेश शर्मा नोएडा के सेक्टर-27 स्थित कैलाश हौस्पिटल में बैठे थे. यह उन का खुद का अस्पताल

है. लोकसभा चुनावों की वजह से डा. शर्मा काफी व्यस्त थे. वह खुद भी उत्तर प्रदेश की गौतम बुद्ध नगर लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे थे.

हालांकि गौतम बुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र में 11 अप्रैल को ही मतदान हो चुका था, फिर भी डा. शर्मा की व्यस्तता इसलिए कम नहीं हुई थी कि केंद्र सरकार में मंत्री होने के नाते उन्हें पार्टी की ओर से किसी भी प्रत्याशी के चुनाव प्रचार के लिए भेजा जा सकता था. इस के अलावा वह अपने खुद के चुनाव की जीतहार का गणित भी लगा रहे थे.

दोपहर करीब 12 बजे एक युवती अस्पताल में उन के चैंबर में पहुंची. चैंबर में डा. शर्मा के पास एकदो लोग बैठे हुए थे. पतलीदुबली सी इस युवती ने पूरी आस्तीन की टीशर्ट और जींस पहन रखी थी. युवती ने डा. महेश शर्मा को नमस्ते कर के कहा, ‘‘मुझे आलोक सर ने भेजा है.’’

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मंत्री डा. शर्मा ने उस युवती की ओर देखते हुए सवाल किया, ‘‘कौन आलोकजी?’’

‘‘जी, प्रतिनिधि न्यूज चैनल वाले आलोक सर.’’ युवती ने प्रभावी तरीके से जवाब दिया.

‘‘हांहां, याद आ गया चैनल वाले आलोकजी.’’ डा. शर्मा ने युवती को सामने रखी कुरसी पर बैठने का इशारा करते हुए शालीनता से कहा, ‘‘बताइए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?’’

‘‘आलोक सर ने आप के लिए एक चिट्ठी भेजी है.’’ युवती ने यह कह कर अपने बैग से एक लिफाफा निकाल कर केंद्रीय मंत्री डा. शर्मा की ओर बढ़ा दिया.

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