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मीडिया के तीखे सवालों के आगे पुलिस अधिकारी बेबस नजर आए. चूंकि अपहर्ताओं ने अपहरण और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थाना बर्रा पुलिस ने पहले से दर्ज अपहरण के मामले में राहुल यादव का नाम हटा दिया और उसी क्राइम नंबर पर भादंवि की धारा 364/302/201/120बी के तहत कुलदीप गोस्वामी, नीलू सिंह, ज्ञानेंद्र सिंह, रामजी शुक्ला तथा प्रीति शर्मा के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. उन्हेें विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया गया.

पुलिस जांच तथा अभियुक्तों के बयानों से पैसे के लिए दोस्ती का कत्ल करने की घटना प्रकाश में आई.

कानपुर शहर के बर्रा भाग 5 में रहने वाला संजीत यादव नौबस्ता स्थित धनवंतरि अस्पताल के पैथालौजी विभाग में काम करता था. उसी के साथ कुलदीप गोस्वामी तथा ज्ञानेंद्र सिंह काम करते थे. कुलदीप का दोस्त नीलू सिंह था, जबकि ज्ञानेंद्र का दोस्त रामजी शुक्ला था. सभी में खूब पटती थी और सप्ताह में एक बार बीयर पार्टी होती थी.

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दोस्तों के बीच संजीत धनवान होने का बखान करता था. उस ने दोस्तों को बताया था कि उस के 2 ट्रक चलते हैं, 2 कार हैं, गांव में जमीनमकान है. नौकरी तो वह समय काटने के लिए करता है. जल्द ही अपनी पैथालौजी खोल लेगा.

संजीत का दोस्त ज्ञानेंद्र सिंह दबौली में रहता था. उस के पिता श्रीकृष्ण यादव धनाढ्य थे. उस ने पिता से अस्पताल खोलने के लिए पूंजी लगाने का अनुरोध किया था. लेकिन उन्होंने साफ मना कर दिया था. बीएससी नर्सिंग पास ज्ञानेंद्र सिंह महत्त्वाकांक्षी था. वह अमीर बनना चाहता था. पर 10-12 हजार की नौकरी से अमीर नहीं बना जा सकता था. यद्यपि वह ठाटबाट से रहता था. कार से आताजाता था.

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