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4 नवंबर, 2019 की सुबह से ही अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश (स्पैशल न्यायाधीश) बद्री विशाल पांडेय की अदालत के बाहर भारी गहमागहमी थी. अदालत परिसर पुलिस छावनी में बदल गया था. लग रहा था कि कोई बड़ा फैसला होने वाला है.

यही सच भी था. 23 साल पहले 13 अगस्त, 1996 को शाम 7 बजे सिविल लाइंस थानाक्षेत्र के पैलेस सिनेमा हाल और कौफी शौप के बीच समाजवादी पार्टी के झूंसी विधानसभा के बाहुबली विधायक जवाहर यादव उर्फ पंडित, उन के चालक गुलाब यादव और राहगीर कमल कुमार दीक्षित की एके-47 से गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.

इस घटना में पंकज कुमार श्रीवास्तव व कल्लन यादव भी घायल हुए थे. कल्लन यादव की मृत्यु गवाही शुरू होने से पहले ही हो गई थी.

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बाहुबली विधायक जवाहर यादव के बड़े भाई और चश्मदीद गवाह सुलाकी यादव ने थाना सिविल लाइंस में मंझनपुर (तब इलाहाबाद लेकिन अब कौशांबी) के रहने वाले करवरिया बंधुओं रामचंद्र मिश्र, श्याम नारायण करवरिया उर्फ मौला, कपिलमुनि करवरिया, उदयभान करवरिया और सूर्यभान करवरिया के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

इंसपेक्टर आत्माराम दुबे ने यह मुकदमा धारा 147, 148, 149, 302, 307, 34 भादंवि व क्रिमिनल ला (संशोधन) एक्ट के तहत दर्ज किया था. न्यायाधीश बद्री विशाल पांडेय इसी केस का फैसला सुनाने वाले थे.

हत्या के बाद आरोपी कपिलमुनि करवरिया बसपा से फूलपुर के सांसद, उदयभान करवरिया भाजपा से बारा विधानसभा से विधायक और सूर्यभान करवरिया एमएलसी चुने जा चुके थे, इसलिए यह मामला हाईप्रोफाइल बन गया था.

बहरहाल, अदालत सुबह से छावनी में तब्दील थी. सुरक्षा के लिहाज से अदालत परिसर को 2 सैक्टरों में बांट दिया गया था. सभी गेटों पर पीएसी का कड़ा पहरा था. यहां तक कि वादियों को भी गहन जांचपड़ताल के बाद ही परिसर में आने दिया गया.

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