कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

इस मामले की हकीकत जानने के लिए पुलिस ने अखिलेश के छोटे भाई अनिल से पूछताछ की. तब अनिल ने बताया कि उस के भाई की दिमागी हालत सही नहीं थी. वह बहुत पहले से ही भाभी पर शक करता था.

कुछ समय पहले वह अखिलेश के साथ ही रहता था. देवरभाभी पर शक के कारण ही उस ने उसे अलग कर दिया था. जिस के बाद उस का उन से कोई लेनादेना नहीं था. उस के बाद पतिपत्नी के बीच ऐसी कौन सी बात हुई, जिस के कारण अखिलेश ने उसे मौत के घाट उतार दिया.अनिल से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने अंजलि की हत्या की सच्चाई जानने के लिए उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई तो उस की सब से ज्यादा बात अनिल से ही होना पाई गई.

जिस से साफ जाहिर था कि अंजलि का अपने देवर के अलावा किसी अन्य पुरुष के साथ संबंध नहीं था. लेकिन अनिल के खिलाफ कोई ऐसा केस नहीं बनता था, जिस के आधार पर उस पर काररवाई की जा सके.इस मामले को ले कर अनिल ने भाई को भाभी की हत्या का आरोपी मानते हुए उस के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. हालांकि अखिलेश का इलाज चल रहा था. फिर भी पुलिस ने उस के छोटे भाई की लिखित तहरीर पर अखिलेश के खिलाफ केस दर्ज कर लिया था.

पुलिस पूछताछ और परिवार वालों से मिली जानकारी से इस मामले की जो सच्चाई उभर कर सामने आई, वह जर, जोरू और जमीन वाली कहावत से काफी मिलती हुई थी.अखिलेश ने जिस तरह से अपने बड़े भाई अजय और पत्नी अंजलि की हत्या करने के बाद खुद को गोली मारी थी, उस से क्षेत्र में यह काफी सनसनीखेज मामला बन गया था.एक पुरानी कहावत है, ‘जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो किसी और की.’ अर्थात धन, स्त्री और जमीन एक बलवान व्यक्ति ही रख सकता है. धन के मामले में यह कहावत सच हो न हो, लेकिन स्त्री और जमीन के मामले में तो यह अखिलेश पर सटीक बैठती है.

उत्तर प्रदेश के जिला बाराबंकी के थाना सुबेहा अंतर्गत एक गांव है शुकुलपुर. राजनारायण शुक्ला इसी गांव के मूल निवासी हैं. राजनारायण शुक्ला की गांव में 5 बीघा जमीन थी, जिस पर वह खुद ही खेतीबाड़ी करते आ रहे थे. इस के अलावा राजनारायण शुक्ला लखनऊ शहर में लोगों के घरों में पूजापाठ करने का काम भी करते थे.राजनारायण की पत्नी का काफी समय पहले किसी बीमारी के चलते निधन हो गया था. उन के 4 बेटे थे. इन में सब से बड़ा बेटा राघव शरण गांव में अलग मकान बना कर रहने लगा था. जबकि दूसरा अजय शुक्ला व सब से छोटा अनिल लखनऊ में ही प्राइवेट नौकरी करते थे.
तीसरे नंबर का बेटा अखिलेश काफी समय से दिल्ली में प्राइवेट नौकरी करता था. अखिलेश की शादी अब से लगभग 3 साल पहले अमेठी जिले के शुकुल बाजार थाना क्षेत्र के ग्राम बूबूपुर मजरा पाली निवासी अंजलि से हुई थी.

उस समय तक अनिल अखिलेश के साथ ही रहता था. शादी के बाद अंजलि ससुराल में ही रही. उस की सास पहले ही खत्म हो चुकी थी. घर पर 3 प्राणी थे. अखिलेश, उस के पापा राजनारायण शुक्ला और छोटा भाई अनिल.

घर में खाना बनाने की दिक्कत थी. इसी कारण शादी के बाद से ही अंजलि अपनी ससुराल की हो कर रह गई थी. अखिलेश शादी से पहले से ही दिल्ली में रह कर काम करता था. उस के पिता राजनारायण शुक्ला पुजारी का काम करते थे, जिस के चलते आए दिन उन्हें बाहर ही रहना पड़ता था.
हालांकि अनिल भी लखनऊ में नौकरी करता था. लेकिन घर पर भाभी के अकेला रहने के कारण वह अकसर गांव आताजाता रहता था. अंजलि देखनेभालने में जितनी सुंदर थी, उस से कहीं ज्यादा स्मार्ट अनिल भी था. फिर दोनों के बीच देवरभाभी का प्यार भरा रिश्ता.

कभीकभी अनिल अपनी भाभी के चेहरे पर उदासी देखता तो परेशान हो कर कहता, ‘‘लगता है भाभी को भैया की याद सता रही है.’’‘‘याद क्यों नहीं सताएगी देवरजी, अब तुम्हारे भैया तो मुझे घर में कैद कर के दिल्ली में मौजमस्ती कर रहे हैं. घर पर मन लगाने के लिए एक देवर ही तो है, जो कभी भाभी के दुखदर्द को महसूस ही नहीं करता.’’ अंजलि उलाहना देते हुए बोली.‘‘भाभी, ऐसी दिल तोड़ने वाली बात क्यों करती हो. मैं लखनऊ से तुम्हारी सेवा के लिए ही तो आता हूं. अगर तुम्हें किसी चीज की जरूरत हो तो बिना किसी झिझक के बता देना.’’ अनिल ने उसे आश्वस्त किया.

अंजलि ने कई बार अनिल से बात करने की कोशिश की थी. लेकिन शर्म के मारे वह पहल नहीं कर पा रही थी. अनिल की तरफ से इशारा मिलते ही उस के दिल की ट्रेन रेंगनी शुरू हो गई थी. फिर वह ऐसे अवसर की तलाश में जुट गई, जब वह अनिल से खुल कर बात कर सके.एक दिन ऐसा ही मौका आया. राजनारायण शुक्ला को किसी काम से लखनऊ में रुकना पड़ा. उस दिन अनिल घर पर ही आया हुआ था. अंजलि ने खाना बनाया और देवरभाभी ने एक साथ बैठ कर खाना खाया. उस दिन जैसे की अंजलि अपना कामकाज निपटा कर कमरे में पहुंची, उस के पैरों में दर्द होने लगा.

भाभी के पैर में दर्द होने पर अनिल परेशान हो उठा. अनिल ने डाक्टर से दवाई लाने की बात कही तो भाभी ने डाक्टर के पास जाने से साफ मना कर दिया. अंजलि बोली, ‘‘आप परेशान मत हो. मैं पैरों की तेल से मालिश कर लूंगी.’’फिर वह तेल की शीशी उठा कर लाई और अनिल के सामने ही पैरों की मालिश करने लगी. भाभी को मालिश करते देख अनिल से रहा नहीं गया.अनिल बोला, ‘‘भाभी, आप लेट जाओ. आप के नाजुक हाथों से मालिश करने से कुछ नहीं होने वाला. मैं आप के पैरों की मालिश कर देता हूं.’’

अंजलि भी यही चाहती थी. अनिल के कहते ही उस ने झट से शीशी उस के हाथ में थमाते हुए बोली, ‘‘देवरजी, अपने हाथ से मालिश करने में वह मजा कहां जो दूसरों के हाथों में आता है.’’पलभर में ही उस के तेल लगे हाथ अंजलि की पिंडलियों पर फिसलने लगे थे. जैसेजैसे अनिल के हाथ भाभी के पैरों की ऊंचाइयों पर बढ़ते गए, अंजलि का पेटीकोट भी ऊपर को सरकते गया. अनिल की जिंदगी में एक औरत के शरीरे को छूने का पहला अहसास था. एक औरत के गर्म शरीर की गरमी पा कर अनिल मदहोश हो गया.

भाभी की गोरीगोरी पिंडलियां देख कर वह अपना आपा खो बैठा. देखते ही देखते उस के हाथ पैरों के ऊपरी हिस्से पर भी पहुंच गए. अंजलि कब से इन्हीं पलों के इंतजार में थी.पलभर में ही एक तूफान आया और गुजर गया. जब अनिल अपने होशोहवास में आया तो वह निर्वस्त्र था. उस का सारा शरीर पसीनापसीना था. अंजलि सामने पड़ी ठंडी आहें भर रही थी.अनिल के संपर्क में आने के बाद अंजलि को पहली बार किसी की मर्दानगी का अहसास हुआ था. उस दिन देवरभाभी के रिश्तों की मर्यादाओं की सीमा टूटी तो यह सिलसिला बन गया.

अखिलेश दिल्ली से कभीकभार आता और एकदो दिन रुकने के बाद फिर से वापस चला जाता. लेकिन उस दौरान भी अंजलि अखिलेश की चोरीछिपे फोन पर अनिल से बात करती रहती थी.धीरेधीरे अंजलि की शादी को 2 साल बीत गए, लेकिन वह मां नहीं बन सकी. उस के बाद उस का झुकाव अनिल की तरफ हो गया था. वह हर समय अनिल से ही फोन पर बात करती रहती थी.अखिलेश अंजलि के फोन बिजी रहने से परेशान हो चुका था. जब कभी भी वह उसे फोन मिलाता तो उस का नंबर बिजी ही आता था. अखिलेश समझ नहीं पा रहा था कि वह हर वक्त किस से बात करती है.

इसी सच्चाई को जानने के लिए उस ने एक दिन उस का मोबाइल चैक किया तो पता चला कि वह घंटोंघंटों उस के छोटे भाई अनिल से ही बात करती थी. अखिलेश समझ गया कि उस की बीवी और भाई के बीच जरूर कुछ चक्कर चला रहा है.देवरभाभी पर शक होने के बाद वह सच्चाई जानने के लिए एक ऐसे अवसर की तलाश में जुट गया, जब वह दोनों को रंगेहाथों पकड़ सके. जब कभी भी अनिल लखनऊ से घर आता तो वह दोनों पर गहरी नजर रखता था.

एक दिन अनिल लखनऊ से घर आया तो अखिलेश कहीं काम का बहाना बना कर घर से निकल गया. घर से निकलते ही उस ने दारू पी और फिर अपने दोस्तों में बैठ गया. उस ने अपना मोबाइल भी बंद कर लिया था. उस दौरान कई बार अंजलि ने उस के मोबाइल पर काल की, लेकिन हर बार उस का मोबाइल बंद ही आया.

देर रात वह घर पहुंचा तो घर के मेनगेट का दरवाजा खुला था. अखिलेश सीधा अपने कमरे में पहुंचा. अंजलि अपने कमरे से गायब थी. उस के बाद वह अपने भाई के कमरे के पास पहुंचा. उस ने कान लगा कर सुना तो अंदर से दोनों के बातचीत की आवाज आ रही थी.अखिलेश भले ही नशे में था, लेकिन वह इतना तो समझ ही गया था कि उस की बीवी उस के भाई के साथ मौजमस्ती कर रही है. यह सब देख कर उस का गुस्सा बढ़ गया. उस ने दरवाजा खटखटाया तो उस के भाई ने दरवाजा खोला.

दरवाजा खुलते ही उस ने अंजलि के बारे में पूछा तो अनिल ने कहा कि भाभी अपने कमरे में होंगी. भाभी के बारे में उसे कुछ पता नहीं. भाई का लिहाज करते हुए उस समय अखिलेश अपने कमरे में चला गया. लेकिन उस की निगाहें भाई के कमरे पर ही टिकी हुई थीं.अनिल और अंजलि को विश्वास था कि अखिलेश अब तक नशे की हालत में सो चुका होगा. तभी मौका पाते ही अंजलि अनिल के कमरे से निकल कर छत पर चली गई. छत पर कुछ देर टहलने के बाद वह अपने कमरे में आ गई.
अंजलि के आते ही अखिलेश ने उस से पूछा, ‘‘इतनी रात गए कहां गई थी?’’

तब अंजलि ने बताया, ‘‘मैं ने कई बार तुम्हारा मोबाइल मिलाया. लेकिन वह स्विच्ड औफ आ रहा था. मुझे नींद नहीं आ रही थी, इसी कारण मैं छत पर घूमने चली गई थी.’’अखिलेश अंजलि से बहुत प्यार करता था. लेकिन उस दिन उस का प्यार नफरत में बदल चुका था. अखिलेश नशे में था. उस ने तभी अंजलि को मारनापीटना शुरू कर दिया.

अनिल बचाव में आया तो उसे भी भलाबुरा कहा. अखिलेश ने उसी समय अनिल को चेतावनी दी, ‘‘आज से तेरेमेरे बीच भाई का रिश्ता खत्म. आज के बाद तू मेरे घर में मत आना.’’अगले दिन सुबह होते ही अखिलेश ने अनिल को अपने घर से अलग कर दिया था. उस के बाद अनिल भी अलग रहने लगा था. कुछ समय पहले ही अखिलेश ने अपने घर के सामने 3 बिस्वा जमीन खरीदी थी. भाइयों के बीच मनमुटाव होने के कारण उस के तीनों भाई भी उस जमीन पर अपना हक जमाते हुए उस में से अपने हिस्से की मांग करने लगे थे. जिसे ले कर कई बार चारों भाइयों में विवाद भी हुआ था.

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...