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अखिलेश पहले ही अपनी पत्नी की बेवफाई से टूटा हुआ था. उस के बाद आए दिन भाइयों से मनमुटाव रहने लगा. इतना होने के बावजूद भी उसे पता चला कि उस की पत्नी अभी भी उस के छोटे भाई से फोन पर बात करती है.
उस के बाद उस की दिमागी स्थिति खराब हो गई. उस ने कई बार पत्नी को भाई से बात करने से मना किया, लेकिन वह उस की एक सुनने को तैयार न थी.

घटना से 2 दिन पहले ही अखिलेश देर रात घर पहुंचा. उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था. उस ने कई बार आवाज लगाई, लेकिन दरवाजा नहीं खुला. तभी उस ने दरवाजे के झरोखे से झांक कर देखा तो अंजलि मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी.
अखिलेश दरवाजा पीटता रहा, लेकिन मोबाइल पर बात करने के कारण अंजलि ने उस की आवाज नहीं सुनी. कुछ देर बाद दरवाजा खुला तो अखिलेश आगबबूला हो गया, ‘‘कर ली अपने यार से बात. लगता है तू इतनी जल्दी सुधरने वाली नहीं.’’
उस दिन अंजलि घर में अकेली थी. उस की चीखपुकार सुनने वाला भी कोई नहीं था. अखिलेश ने अंजलि को बुरी तरह से मारापीटा. उस के बाद भी वह हैवान बन बैठा. वह घर में रखा बांका निकाल लाया. गुस्से में उस ने बांके से काट कर पत्नी की हत्या कर दी.
पत्नी की हत्या करने के बाद उस की लाश पौलीथिन में लपेट कर बोरों के बीच छिपा दी. पत्नी को मौत की नींद सुलाने के बाद भी वह 2 दिनों तक पागलों की तरह ही इधरउधर भटकता रहा.
पत्नी की हत्या के बाद उस ने सोचा कि अब इस दुनिया में कुछ नहीं बचा. एक पत्नी ही जीने का सहारा थी. जब वही दगा दे गई तो भाई उस का क्या साथ देंगे. उस के भाई उस की खरीदी जमीन में से भी हिस्सा मांग रहे थे. जबकि वह उस में से उन्हें कुछ भी हिस्सा देने को तैयार न था.
उस ने कई बार उस जमीन पर अपना घर बनाने की कोशिश की. लेकिन उस के भाई बारबार पुलिस को बुला कर उसे रुकवा देते थे. जिस के कारण वह अपने भाइयों से नफरत करने लगा था. उसी नफरत के चलते उस ने प्लान बनाया कि वह एकएक कर अपने भाइयों को भी मौत की नींद सुला देगा.

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