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सौजन्य-  मनोहर कहानियां

बहकी हुई महिला के कदम अकसर किसी अपराध को जन्म देते हैं. एक पुलिसकर्मी की बेटी दीपिका शुक्ला ने पति बल्ली शुक्ला और 2 बेटियों को छोड़ कर अवनीश शर्मा से शादी कर ली. इस के बाद हिस्ट्रीशीटर और कथित पत्रकार आशू यादव से उस के अनैतिक संबंध हो गए. फिर वह अमित के संपर्क में आई. इस का नतीजा यह हुआ कि…

2जनवरी, 2021 की सुबह धर्मेंद्र नगर, कच्ची बस्ती के कुछ लोग मार्निंग वाक पर निकले तो उन्होंने सीटीआई नहर किनारे सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल की बाउंड्री वाल के पास एक

लावारिस कार खड़ी देखी. कार के संबंध में स्थानीय लोगों में चर्चा शुरू हुई, तो लोगों की भीड़ जुट गई. इसी बीच किसी ने थाना बर्रा पुलिस को फोन कर के सूचना दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी हरमीत सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने कार का बारीकी से निरीक्षण किया. कार के शीशों पर काली फिल्म चढ़ी थी, जिस से अंदर का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था. कार के पिछले शीशे पर एक स्टिकर चिपका था, जिस पर लिखा था ‘अमर स्तंभ हिंदी दैनिक समाचार पत्र’ आशू यादव संवाददाता.

स्टिकर पर ‘पुलिस’ और मोबाइल नंबर भी लिखा था. हरमीत सिंह ने अनुमान लगाया कि कार किसी पत्रकार की हो सकती है. उन्होंने स्टिकर पर लिखा मोबाइल नंबर मिलाया, लेकिन वह बंद था.

कार के अंदर की स्थिति को जानने के लिए हरमीत सिंह ने कार का पिछला दरवाजा खोला, तो वह सहम गए. पिछली सीट पर एक युवक की लाश पड़ी थी. श्री सिंह ने लावारिस कार से शव बरामद होने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो मौके पर एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल, एसपी (साउथ) दीपक भूकर तथा सीओ (गोविंद नगर) विकास कुमार पांडेय आ गए. पुलिस अधिकारियोें ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने बारीकी से कार तथा शव का निरीक्षण किया. मृतक की उम्र 30 वर्ष के आसपास थी. उस के शरीर पर चोटों के निशान थे और गले पर रगड़ का निशान था. इस से अनुमान लगाया कि युवक की हत्या रस्सी से गला घोंट कर की गई होगी तथा हत्या से पहले उस के साथ मारपीट की गई होगी. फोरैंसिक टीम ने भी कार से फिंगरप्रिंट लिए तथा अन्य साक्ष्य जुटाए.

कार की तलाशी में शराब की एक खाली बोतल, 4 शिकायती पत्र, 2 माइक, आगे की सीट के नीचे प्लास्टिक बैग में 2 टेडीबियर, कोटी, फोटो लगे कई स्टिकर तथा मृतक की जेब से 300 रुपए नकद बरामद हुए. इस सामान को पुलिस ने सुरक्षित कर लिया.

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अब तक सैकड़ों लोग शव को देख चुके थे, लेकिन कोई उस की पहचान नहीं कर पाया था. जिस से पुलिस अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि मृतक आसपास का नहीं है. अत: उन्होंने शव की पहचान कराने के लिए कानपुर शहर के सभी थानों को कंट्रोलरूम से अज्ञात की लाश मिलने के संबंध में सूचना प्रसारित करा दी गई.

कुछ देर बाद ही थाना रेलबाजार के थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सूचना दी कि उन के थाने में आशू यादव नाम के युवक की गुमशुदगी दर्ज है, जो कथित पत्रकार तथा हिस्ट्रीशीटर है. चूंकि कार में लगे पोस्टर में भी आशू यादव का नाम छपा था, अत: एसपी अग्रवाल ने दधिबल तिवारी को आदेश दिया कि वह आशू के घरवालों को साथ ले कर जल्द ही धर्मेंद्र नगर कच्ची बस्ती स्थित नहर पटरी पर पहुंचें.

लाश की हुई शिनाख्त

आदेश पाते ही दधिबल तिवारी ने आशू यादव के घरवालों को सूचना दी, फिर उन्हें साथ ले कर वहां पहुंच गए. घरवालों ने कार में पड़े शव को देखा तो वे फफक कर रो पड़े. कंचन, शानू, धर्मेंद्र तथा जितेंद्र ने बताया कि शव उन के भाई आशू यादव का है. कार भी उसी की है.

मृतक की बहन शानू व कंचन ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे किसी का फोन आने पर आशू अपनी कार से घर से निकला था, फिर रात को वापस नहीं आया. आशू अपने पास 3 मोबाइल फोन रखता था. सुबह हम लोगों ने उस के तीनों मोबाइल नंबरों पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन तीनों नंबर बंद थे.

इस के बाद हम लोग उस की खोज में जुट गए. चिंता इसलिए भी बढ़ गई कि पहली जनवरी को उस का जन्मदिन था. अपना जन्मदिन वह धूमधाम से मनाता था और दोस्तों को बुलाता था. लेकिन उस का कुछ पता नहीं चल रहा था.

दिन भर खोजने के बाद जब उस का कुछ भी पता नहीं चला तो शाम को थाना रेलबाजार जा कर उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी थी.

बहन कंचन ने यह भी बताया कि आशू गले में सोने की जंजीर तथा दोनों हाथों में सोने की 6 अंगूठियां पहने हुआ था. हत्यारों ने उस के तीनों मोबाइल, जंजीर तथा अंगूठियां भी लूट ली हैं.

चूंकि शव की शिनाख्त हो गई थी. अत: पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई निपटाने के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिया. आशू यादव की गुमशुदगी थाना रेलबाजार में दर्ज थी, अत: थानाप्रभारी दधिबल तिवारी ने मृतक की बहन कंचन की ओर से भादंवि की धारा 364/302/201/120बी के तहत अज्ञात हत्यारों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने मृतक आशू यादव के भाई धर्मेंद्र यादव से घटना के संबंध में पूछताछ की. पूछताछ में धर्मेंद्र ने बताया कि उस का भाई आशू यादव हिंदी दैनिक समाचार पत्र ‘अमर स्तंभ’ में काम करता था. कुछ समय पहले उस ने क्षेत्रीय पार्षद मधु के पति राजू सोनकर व उन के बेटों के कारनामोें के खिलाफ समाचार छापा था, जिस पर राजू ने झगड़ा किया था और उस के बेटे अति व सोनू सोनकर ने आशू को जान से मारने की घमकी दी थी. आशू की हत्या में इन्हीं लोगों का हाथ है.

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3 टीमें जुटीं जांच में

संदेह के आधार पर पुलिस ने राजू व उस के बेटों से पूछताछ की. लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. अत: पूछताछ के बाद उन्हें थाने से घर भेज दिया. चूंकि मामला एक कथित पत्रकार व हिस्ट्रीशीटर की हत्या का था. अत: एसएसपी प्रीतिंदर सिंह ने इस ब्लाइंड मर्डर की गुत्थी सुलझाने के लिए तीन टीमों का गठन किया, जिस की बागडोर एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल व एसपी (साउथ) दीपक भूकर को सौंपी गई.

टीम में इंसपेक्टर (नौबस्ता) सतीश कुमार सिंह, इंसपेक्टर (बर्रा) हरमीत सिंह, इंसपेक्टर (रेलबाजार) दधिबल तिवारी, सीओ (गोविंदनगर) विकास कुमार पांडेय तथा सर्विलांस टीम को शामिल किया गया.

पुलिस की तीनों टीमों ने अलगअलग जांच शुरू की. आशू यादव 31 दिसंबर की रात डेढ़ बजे अपने घर खपरा मोहाल से निकला था और उस के मोबाइल फोन की आखिरी लोकेशन 31 दिसंबर की रात 2:37 बजे मसवानपुर की मिली थी.

पुलिस की एक टीम ने खपरा मोहाल से घंटाघर, जरीब चौकी, विजय नगर व मसवानपुर तक रोड पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तथा दूसरी टीम ने दूसरे रोड की फुटेज को खंगाला, जिस में आशू की कार मसवानपुर जाते समय फजलगंज व विजयनगर चौराहे पर जाते समय तो दिखी पर लौटते समय नहीं दिखी.

स्पष्ट था कि हत्या के बाद हत्यारे आशू की कार को किसी दूसरे रूट से लाए थे और धर्मेंद्र नगर स्थित नहर पटरी पर कार को खड़ा कर दिया था.

इधर सर्विलांस टीम ने मृतक आशू के तीनों मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि 31 दिसंबर की देर रात आशू के मोबाइल फोन पर आखिरी काल एक महिला की आई थी. वह महिला सीतापुर में रहने वाली शालिनी थी. पुलिस जब उक्त पते पर पहुंची तो पता चला कि उस फोन का इस्तेमाल मसवानपुर निवासी दीपिका शुक्ला कर रही थी.

टीम ने दीपिका के संबंध में जानकारी जुटाई तो पता चला कि वह शातिर अपराधी है. शिवली, सचेंडी व कोहना थाने में उस के खिलाफ कई मुकदमे दर्ज हैं. नकली शराब बनाने व बेचने के जुर्म में वह पति के साथ जेल गई थी और अब जमानत पर है. सर्विलांस टीम ने उस के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई तो हिस्ट्रीशीटर अमित गुप्ता के बारे में जानकारी मिली.

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