सौजन्य: मनोहर कहानियां
गौरव हलधर डाक्टरी की पढ़ाई करतेकरते प्रीति मेहरा के जाल में ऐसा फंसा कि जान के लाले पड़ गए. डा. प्रीति को गौरव को रंगीन सपने दिखाने की जिम्मेदारी उस के ही साथी डा. अभिषेक ने सौंपी थी. भला हो नोएडा एसटीएफ का जिस ने समय रहते...
एसटीएफ औफिस नोएडा में एसपी कुलदीप नारायण सिंह डीएसपी विनोद सिंह सिरोही के साथ बैठे किसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे
थे. तभी अचानक दरवाजा खुला और सामने वर्दी पर 3 स्टार लगाए एक इंसपेक्टर प्रकट हुए. उन्होंने अंदर आने की इजाजत लेते हुए पूछा, ‘‘मे आई कम इन सर.’’
‘‘इंसपेक्टर सुधीर...’’ कुलदीप सिंह ने सवालिया नजरों से आगंतुक की तरफ देखते हुए पूछा.
‘‘यस सर.’’
‘‘आओ सुधीर, हम लोग आप का ही इंतजार कर रहे थे.’’ एसपी कुलदीप सिंह ने सामने बैठे विनोद सिरोही का परिचय कराते हुए कहा, ‘‘ये हैं हमारे डीएसपी विनोद सिरोही. आप के केस को यही लीड करेंगे. जो भी इनपुट है आप इन से शेयर करो फिर देखते हैं क्या करना है.’’
कुछ देर तक उन सब के बीच बातें होती रहीं. उस के बाद कुलदीप सिंह अपनी कुरसी से खड़े होते हुए बोले, ‘‘विनोद, मैं एक जरूरी मीटिंग के लिए मेरठ जा रहा हूं. आप दोनों केस के बारे में डिस्कस करो. हम लोग लेट नाइट मिलते हैं.’’
इस बीच उन्होंने एसटीएफ के एएसपी राजकुमार मिश्रा को भी बुलवा लिया था. कुलदीप सिंह ने उन्हें निर्देश दिया कि गौरव अपहरण कांड में अपहर्त्ताओं को पकड़ने में वह इस टीम का मार्गदर्शन करें.
एसपी के जाते ही वे एक बार फिर बातों में मशगूल हो गए. सुधीर कुमार सिंह डीएसपी विनोद सिरोही और एएसपी मिश्रा को उस केस के बारे में हर छोटीबड़ी बात बताने लगे, जिस के कारण उन्हें पिछले 24 घंटे में यूपी के गोंडा से ले कर दिल्ली के बाद नोएडा में स्पैशल टास्क फोर्स के औफिस का रुख करना पड़ा था.
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