सौजन्य- सत्यकथा
आकाश खुशबू की बेवफाई को बरदाश्त नहीं कर पा रहा था. वह खुशबू की हरकतों से इतना जलभुन गया था कि उस ने यह ठान लिया था कि खुशबू यदि मेरी नहीं हुई तो किसी और की भी नहीं होने दूंगा.
आकाश बारबार खुशबू को फोन करने लगा. हर दिन आने वाली फोन काल से खुशबू परेशान रहने लगी. एक दिन फोन कर के आकाश ने भावुक होते हुए खुशबू से कहा, ‘‘खुशबू, मैं तुम से एक बार मिलना चाहता हूं, प्लीज मना मत करना.’’
आकाश की हालत पर खुशबू को तरस आ गया और 31 मई, 2021 को वह आकाश से मिलने को तैयार हो गई.
31 मई की दोपहर में ब्यूटीपार्लर जाने की कह कर जैसे ही खुशबू घर से बाहर निकली तो सुभाष चौराहे पर स्कूटी लिए आकाश उसी का बेसब्री से इंतजार करता मिला. खुशबू को स्कूटी पर बैठा कर आकाश व्हीकल एस्टेट के खंडहर हो चुके दोमंजिला क्वार्टर में ले गया.
क्वार्टर चारों तरफ से झाडि़यों से घिरा हुआ था और वहां किसी का आनाजाना नहीं होता. इसी का फायदा उठा कर आकाश खंडहर हो चुके क्वार्टर की दूसरी मंजिल पर खुशबू को ले गया.
आकाश ने वहां खुशबू को एक पैकेट दिखाते हुए कहा, ‘‘देखो तो मैं तुम्हारे लिए क्या गिफ्ट लाया हूं.’’
खुशबू ने पैकेट को हाथों में लेते हुए आकाश से पूछा, ‘‘क्या गिफ्ट लाए हो?’’ ्र
‘‘खुद खोल कर देखो,’’ कहते हुए आकाश ने उसे बाहों में भरने की कोशिश की.
खुशबू ने अपने आप को उस से दूर करते हुए कहा, ‘‘देखो आकाश, अब मेरा रिश्ता तय हो गया है. अब तुम मुझे भूलने की कोशिश करो. मैं अब नई जिंदगी शुरू करना चाहती हूं.’’