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सौजन्य- सत्यकथा

सुनने के बाद एसीपी सोनावने भी सोच में पड़ गए, ‘‘लांडगे साहब, हम ऐसे ही किसी पर हाथ नहीं डाल सकते, क्योंकि हमारे पास कोई सबूत नहीं हैं. आप ऐसा करो, एक टीम तैयार करो और जरा पता करो कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है.’’

शिवाजी की पत्नी के कहने पर पनवेल पुलिस ने जांच तो शुरू कर दी, लेकिन खुद लांडगे के पास अभी भी इस केस को सड़क दुर्घटना नहीं मानने के लिए कोई सबूत नहीं था.

हालांकि पुलिस को अभी तक यह भी नहीं पता था कि शिवाजी का ऐक्सीडेंट जिस कार से हुआ था, वह कौन सी कार थी.

लेकिन कहानी में पहला ट्विस्ट तब आया, जब इंसपेक्टर लांडगे को पता चला कि शिवाजी सानप के ऐक्सीडेंट वाले स्थान से 2 किलोमीटर की दूरी पर एक सुनसान जगह पर उसी रात एक नैनो कार जली हालत में मिली.

संबंधित चौकी के स्टाफ से जानकारी मिलने के बाद लांडगे सोच में पड़ गए. लांडगे एक ही रात में शिवाजी तथा ऐक्सीडेंट स्पौट से करीब 2 किलोमीटर दूर एक जली हुई कार के मिलने की कडि़यों को जोड़ने की कोशिश कर रहे थे.

इस के अगले ही दिन जब शिवाजी की पत्नी गायत्री ने यह शक जताया कि उस के पति की मौत सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि सोचीसमझी साजिश के तहत की गई है तो पुलिस मौत की जांच का काम करने में जुट गई.

जिस जगह यह हादसा हुआ था, पुलिस ने उस के आसपास लगे तमाम सीसीटीवी कैमरों की फुटेज निकालनी शुरू कर दी. पुलिस ने थाना नेहरू नगर के ड्यूटी औफिसर और शिवाजी के परिवार वालों से शिवाजी के आनेजाने के रुटीन का पता किया कि वह पुणे से नेहरू नगर पुलिस स्टेशन कैसे आताजाता था.

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