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सौजन्य- मनोहर कहानियां

35साल की उम्र, गोरा रंग, तीखे नाकनक्श और गठीले बदन की सुनीता ठाकुर भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप की निवासी थी. अपनी अदाओं से वह लड़कों को दीवाना बना देती थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस के हुस्न के चर्चे मंडीदीप की गलियों में होने लगे थे.

सुनीता के रंगढंग देख कर उस के पिता मानसिंह ठाकुर ने उस की शादी होशंगाबाद के पास के गांव में रहने वाले गणेश राजपूत से कर दी. सुनीता और गणेश के 3 बेटे और एक बेटी थी.

सन 2013 में सुनीता अपने पति गणेश और बच्चों के साथ गांव से आ कर होशंगाबाद के बालागंज में किराए के मकान में रहने लगी. उस की खूबसूरती देख कर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि सुनीता 4 बच्चों की मां भी है.

गणेश की माली हालत अच्छी नहीं थी, मगर सुनीता हालात से समझौता करने वाली लड़की नहीं थी. फैशनपरस्त और मौडर्न खयालों की बिंदास युवती को घरपरिवार की बंदिशें ज्यादा दिनों तक रोक नहीं पाईं और एक दिन पति का घर छोड़ वह वापस मंडीदीप में आ कर रहने लगी.

सुनीता अब तितली की भांति तरहतरह के फूलों की महक लेने लगी. उस ने अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए लोगों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर ब्लैकमेलिंग का धंधा शुरू कर दिया था. देखते ही देखते वह कार में चलने लगी और उस के हाथों में महंगे स्मार्टफोन रहने लगे.

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सुनीता पहले फेसबुक और सोशल मीडिया के जरिए होशंगाबाद जिले के नौजवानों से दोस्ती करती थी.

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