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कार रोक कर वीरेंद्र खुद भी पिछली सीट पर कनिका के दाईं ओर जा बैठा. फिर क्या था? दोनों मिल कर कनिका का दुपट्टा खींचने लगे और उस का गला कस कर हत्या कर दी.
हत्या करने के बाद लाश मेरठ की गंगनहर में फेंक कर वापस लौट आए और आराम से सो गए. अगले दिन वीरेंद्र अपने घर लौट गया था.उधर वेदप्रकाश सोच रहा था कि कनिका को मायके गए 24 घंटे बीत चुके थे लेकिन उस ने एक बार भी फोन नहीं किया था. जब वेदप्रकाश से रहा नहीं गया तो उस ने कनिका को फोन किया. काल खुद विजयपाल ने रिसीव की. उस ने विजयपाल को नमस्कार किया और कनिका से बात कराने का आग्रह किया तो विजयपाल ने कहा कि अभी वह सो रही है. इतना कह कर उस ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

अगले दिन फिर वेदप्रकाश ने फोन किया और पत्नी से बात कराने के लिए कहा तो विजयपाल ने कह दिया कि वह बुआ के घर गई है, आते ही बात करा
दी जाएगी.इस के बाद उस ने 2 दिन बाद फिर से फोन कर के कनिका से बात कराने के लिए कहा लेकिन उसे हर बार टाल दिया जाता था.

इस पर वेदप्रकाश को कुछ शक हो गया तो इसी शक के आधार पर उस ने राई थाने जा कर पत्नी के साथ अनहोनी की रिपोर्ट दर्ज करा दी.रिपोर्ट दर्ज करने के बाद राई थाने की पुलिस मुकीमपुर पहुंची और विजयपाल से कनिका के बारे में पूछताछ की. तब वह इधरउधर की बातें करने लगा. शक होने पर पुलिस उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

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