सौजन्य- मनोहर कहानियां

Writer- शाहनवाज

काल रिसीव करते हुए अनीश चाचा को इशारे से हिसाब देखने को कहते हुए दुकान से बाहर निकल गया और सड़क के एक किनारे बात करने में मशगूल हो गया. तभी साए की तरह उस के पीछे पीछे चाचा देवी दयाल भी बाहर निकल आए और कुछ दूरी पर खड़े भतीजे की निगरानी करने लगे.

उसी समय दूसरी तरफ से तेजी से 2 बाइक आ कर अनीश के पीछे रुकीं. दोनों बाइक पर 2-2 नकाबपोश युवक सवार थे. एक बाइक पर पीछे बैठे नकाबपोश ने अपने कमर में पीछे खोंस रखा धारदार दतिया निकाला और फिल्मी स्टाइल में अचानक अनीश के सिर, गले और सीने पर ताबड़तोड़ कई वार कर दिए.

भतीजे अनीश पर हमला होते देख चाचा देवी दयाल हमलावरों से भिड़ गए. अपनी जान की परवाह किए बिना उन्होंने भतीजे पर हमला करने वाले एक नकाबपोश को धर दबोचा.

यह देख कर नकाबपोश हड़बड़ा गया और उन से छूटने के लिए देवी दयाल के सीने पर प्रहार कर दिया. अचानक हुए हमले से देवी दयाल पल भर के लिए गश खा कर जमीन पर गिर गए. कुछ पलों बाद जब उठे तो नकाबपोश ने उन पर फिर से पलटवार किया. तब तक चीखपुकार तेज हो गई थी.

देवी दयाल की चीख सुन कर पासपड़ोस के दुकानदार शोर मचाते हुए बाहर निकले. पब्लिक को बदमाशों ने अपनी ओर आते हुए देखा तो चौंकन्ने हो गए और जिधर से आए थे, मौके पर हथियार फेंक कर उसी दिशा में फरार हो गए.

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