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सौजन्य-  सत्यकथा

एसपी श्वेता धनखड़ ने एएसपी राजेश मीणा, डिप्टी विजय कुमार सांखला और मूंडवा थानाप्रभारी बलदेवराम को दिशानिर्देश दे कर कहा कि जल्द से जल्द हत्याकांड का परदाफाश कर हत्यारों को गिरफ्तार किया जाए.

एसपी श्वेता धनखड़ दिशानिर्देश दे कर नागौर लौट गईं. पुलिस अधिकारियों का शक मृतक की पत्नी किरण पर था. इस का कारण था कि बरामदे के पास के कमरे में वह अपने चारों बच्चों के साथ सोई थी. सुरेश का मकान सुनसान इलाके में था, जहां शोरशराबा नहीं था. ऐसे में कोई आ कर हत्या कर दे और बरामदे से सटे कमरे में पता नहीं चले, यह असंभव था.

इस कारण एकबार किरण पुलिस की निगाहों में आई तो उस की कुंडली खंगाली जाने लगी. सुरेश का शव पोस्टमार्टम के बाद उस के परिजनों को सौंप दिया गया. परिजनों ने उस का अंतिम संस्कार कर दिया. एसपी के निर्देश पर सुरेश साद हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए एएसपी राजेश मीणा, सीओ विजय कुमार सांखला के नेतृत्व में थानाप्रभारी बलदेवराम सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने जांच शुरू की.

मृतक की पत्नी किरण साद के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवाई गई. साथ ही पुलिस ने अपने मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया. काल डिटेल्स से पता चला कि जोधपुर जिले के बनाड़ थाने के गांव दईकड़ा निवासी शंभूदास साद से किरण की दिन में कईकई बार घंटों तक बातें होती थीं. शंभूदास मृतक का भांजा था.

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पुलिस अधिकारियों को मुखबिर से भी सूचना मिल चुकी थी कि शंभूदास और किरण के अवैध संबंध हैं. बस फिर क्या था, पुलिस ने मृतक सुरेश के 21 साल के भांजे शंभूदास को पूछताछ के लिए दबोच लिया.

पुलिस ने उस से पूछताछ की तो पहले तो वह टालमटोल करता रहा मगर पुलिस ने सख्ती की तो वह टूट गया और अपना जुर्म कबूल कर लिया कि मामी किरण से उस के अवैध संबंध हैं. मामा सुरेश को उन के संबंधों पर शक हो गया था. इस कारण वह मामीभांजे के संबंधों के बीच रोड़ा बनने लगा था. इस कारण उन दोनों ने योजनानुसार उस की हत्या कर दी.

जुर्म कबूल करते ही पुलिस ने किरण को भी हिरासत में ले लिया और पूछताछ की. किरण पहले तो मना करती रही मगर जब उसे बताया गया कि शंभूदास ने सब कुछ बता दिया है तो वह टूट गई और उस ने भी अपना जुर्म कबूल लिया कि नाणदे (भांजे) के साथ उस के अवैध संबंध थे.

तब पुलिस ने मृतक सुरेश साद के भाई की रिपोर्ट पर सुरेश की हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया और हत्यारोपी शंभूदास और किरण को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम ने शंभूदास और किरण को 8 जनवरी, 2020 को कोर्ट में पेश कर रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. पूछताछ में जो कहानी प्रकाश में आई वह इस प्रकार से है—

राजस्थान के नागौर जिले के अंतर्गत एक कस्बा मूंडवा आता है. मूंडवा के छोर पर तालाब है, जहां मंदिर बना है. इस मंदिर के पुजारी साद परिवार के लोग हैं. इस साद परिवार में सुरेश साद थे.

सुरेश साद की शादी करीब 12 साल पहले किरण से हुई थी. सुरेश मंदिर में पुजारी का काम करने के अलावा पशुधन भी रखता था. पशुधन के अलावा वह गांव में यजमानों के घर से अनाज व आटा भी लाता था. इस से उस के परिवार की गुजरबसर आराम से होती थी.

सुरेश साद सीधासादा व सरल स्वभाव का व्यक्ति था. वह अपनी पूजापाठ व गृहस्थी में मस्त था. समय के साथ सुरेश की पत्नी किरण 4 बच्चों की मां बन गई थी. 4 बच्चे पैदा करने के बाद भी 30 साल की किरण की आकांक्षाएं अब भी जवान थीं.

सुरेश की उम्र 35 साल के आसपास थी. वह दिन भर पूजापाठ के अलावा पशुओं में खटता था और थकामांदा रात को आ कर बिस्तर पर सो जाता और खर्राटे भरने लगता. जबकि किरण शारीरिक सुख के लिए तड़प कर रह जाती थी.

ऐसे में करीब ढाईतीन साल पहले जब शंभूदास अपनी ननिहाल मूंडवा आया तो वह मामी किरण की आंखों को भा गया. शंभूदास भी 18 साल का था. वह इंटरनेट पर अश्लील फिल्में देख कर औरत का सामीप्य पाने को आतुर था. ऐसे में जब उस की निगाह सांवलीसलोनी मामी किरण पर पड़ी तो वह उस का दीवाना हो गया. वह मामी पर लार टपकाने लगा.

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मामी भी कोई नादान नहीं थी कि नाणदा (भांजे) के व्यवहार को न समझती. शंभूदास मामी के शरीर को छूने की कोशिश करता. सुरेश एक रोज बाहर गया था. उस रोज रात में एक ही कमरे में सो रहे शंभूदास और किरण मामी के बीच शारीरिक संबंधों की नींव पड़ गई. उस रात शंभूदास और किरण ने जी भर कर हसरतें पूरी कीं.

किरण को कई साल बाद उस रात शारीरिक सुख की तृप्ति मिली थी. वह शंभूदास के पौरुष की कायल हो गई. वे दोनों अपना मामीभांजे का पवित्र रिश्ता शर्मसार कर बैठे थे.

एक बार वासना के गर्त में डूबे तो उस में वक्त के साथ डूबते ही चले गए. शंभूदास अकसर ननिहाल के चक्कर काटने लगा. ननिहाल आने का मकसद सिर्फ मामी किरण थी. दोनों मौका मिलते ही हसरतें पूरी कर लेते.

शंभूदास का ननिहाल था. मगर जब वह महीने में 3-4 बार आने लगा तो सुरेश को थोड़ा अजीब लगा. एक दिन उस ने कहा, ‘‘शंभू, कुछ कामधंधा करो. अब तुम बच्चे नहीं हो, जो गाहेबगाहे यहां चले आते हो. बहन और बहनोई सा को कुछ कमा कर दो. वे कितने दिन तक तुम सब का पेट भरेंगे.’’

अगले भाग में पढ़ें- सुरेश साद ने किरण और भांजे शंभूदास को रंगरलियां मनाते देख लिया

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