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सौजन्य- सत्यकथा

26नवंबर, 2020 की दोपहर का समय था. धार क्राइम ब्रांच एवं साइबर सेल प्रभारी संतोष पांडेय कुछ पुराने मामलों के आरोपियों तक पहुंचने के लिए धूल चढ़ी फाइलों से जूझ रहे थे, तभी उन के मोबाइल पर एक खास मुखबिर के नंबर से घंटी बज उठी.

इस मुखबिर को उन्होंने बेहद खास जिम्मेदारी सौंप रखी थी. इसलिए उस मुखबिर की फोन काल को उन्होंने तुरंत रिसीव किया. मुखबिर ने उन्हें एक खास सूचना दी थी. सूचना पाते ही संतोष पांडेय के चेहरे पर मुसकान तैर गई, उस के बाद उन्होंने मुखबिर से मिली खबर के बारे में पूरी जानकारी एसपी (धार) आदित्य प्रताप सिंह और अन्य अधिकारियों को दी. फिर उन से मिले निर्देश के बाद कुछ ही देर में अपनी टीम ले कर मागौद चौराहे पर जा कर डट गए.

दरअसल, धार पुलिस को लंबे समय से गंधवानी थाना इलाके में हुई एक हत्या के आरोपी गोविंद की तलाश थी. एसपी ने गोविंद की गिरफ्तारी पर 10 हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा था.

गोविंद को पकड़ने की जिम्मेदारी जिस टीम को सौंपी गई थी, उस में धार साइबर सेल के प्रमुख संतोष पांडेय और उन का स्टाफ भी शामिल था. इसलिए उस रोज जब मुखबिर ने गोविंद के मोटरसाइकिल से मागौद आने की जानकारी पांडेयजी को दी तो उन्होंने इस ईनामी आरोपी को पकड़ने के  लिए मागौद चौराहे पर अपना जाल  बिछा दिया.

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मुखबिर की सूचना गलत नहीं थी. कुछ ही घंटों के बाद पांडेय ने एक बिना नंबर की मोटरसाइकिल पर सवार युवक को तेजी से मागौद की तरफ आते देखा तो उन्होंने उसे घेरने के लिए अपनी टीम को इशारा किया, लेकिन संयोग से मोटरसाइकिल सवार की नजर पुलिस पर पड़ गई. इसलिए खतरा भांप कर उस ने तेजी से मोटरसाइकिल राजगढ़ की तरफ मोड़ दी.

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