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सौजन्य: मनोहर कहानियाां

मांबाप की लाडली बेटी जाह्नवी इस दुनिया में नहीं रही. बेटी की मौत की खबर सुनते ही मानो उन पर बज्रपात हुआ हो. वे दोनों दहाड़ मारमार कर रो रहे थे. रोतेरोते दोनों बारबार एक ही बात कह रहे थे कि श्री जोगधनकर और दीया पडनकर ने ही मेरी बेटी की हत्या की है. वही दोनों बेटी को पार्टी के बहाने घर से बुला कर ले गए थे.

मौके पर मौजूद खार थाने के इंसपेक्टर दिलीप उरेकर और जोन 9 के डीसीपी अभिषेक त्रिमुख उन्हें दिलासा दे रहे थे.

जांचपड़ताल में पाया गया कि जाह्नवी के सिर में सब से ज्यादा चोटें आई थीं. देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने उस का सिर किसी चीज से टकराटकरा कर उसे मौत के घाट उतार दिया हो. उस का सिर आगे और पीछे दोनों ओर से फूटा हुआ था. साथ ही उस के घुटनों, हाथ, हथेली, पीठ, कोहनी और दोनों पांवों पर भी खुरचने के निशान मौजूद थे. जख्म बता रहे थे कि जाह्नवी के शरीर पर जुल्म की बेइंतहा कहानी लिखी गई थी.

पुलिस जिस वक्त जाह्नवी को घायल अवस्था में ले कर अस्पताल आई थी, ज्यादा खून बहने से उस की मौत हो चुकी थी. डाक्टरों का कहना था कि अगर जाह्नवी को आधा घंटा पहले हौस्पिटल लाया गया होता तो शायद उस की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन उसे यहां लाने में देर कर दी गई थी.

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नामजद लिखाई रिपोर्ट

फिलहाल हर घड़ी मस्त रहने वाली जाह्नवी कुकरेजा इस दुनिया से रुखसत हो गई थी. पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर के जख्म को मौत की वजह बताया गया था. मृतका जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा की नामजद तहरीर पर पुलिस ने श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के खिलाफ धारा 302, 34 भादंवि के तहत मुकदमा दर्ज कर दोनों की तेजी से तलाश जारी कर दी थी.

जाह्नवी कोई छोटीमोटी हैसियत वाले घर की बेटी नहीं थी. वह एक बड़े बिजनैसमैन परिवार की बेटी थी, जिन की मुंबई की राजनीति में ऊंची पहुंच थी. जाह्नवी की मौत हाईप्रोफाइल थी. इसलिए जाह्नवी स्थानीय अखबारों की सुर्खियां बनी हुई थी.

आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए खार पुलिस पर दबाव बना हुआ था. 2 जनवरी को पुलिस ने श्री जोगधनकर को सायन हौस्पिटल और दीया पडनकर को हिंदुजा हौस्पिटल से गिरफ्तार कर लिया. श्री जोगधनकर के हाथ और चेहरे पर चोटें आई थीं तो दीया के चेहरे पर चोट थी. दोनों इलाज कराने के लिए हौस्पिटल में भरती हुए थे.

श्री जोगधनकर और दीया को खार पुलिस गिरफ्तार कर के थाने ले आई और जाह्नवी की हत्या के संबंध में उन से गहन पूछताछ शुरू की. दोनों आरोपी जाह्नवी की हत्या करने से साफ मुकर गए. दोनों आरोपियों ने एक साथ एक सुर में एक ही बात कही कि भगवती हाइट्स बिल्डिंग के 15वें माले पर न्यू ईयर की पार्टी चल रही थी. सभी लोग नशे में चूर थे. जाह्नवी के साथ कब और कैसे हादसा हुआ, पता ही नहीं चला. उन्हें कुछ याद नहीं है, उस रोज पार्टी में क्या हुआ था.

पूछताछ के बाद पुलिस ने बांद्रा अदालत में दोनों आरोपितों को पेश कर जेल भेज दिया.

श्री जोगधनकर और दीया के बयान के बाद पार्टी की स्थिति स्पष्ट हुई थी कि पार्टी में शामिल सभी नशे में चूर थे. पुलिस ने जब पता लगाया तो जानकारी मिली कि पार्टी बिल्ंिडग के दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने नए साल पर आयोजित की थी. पार्टी में कुल 15 लोग शामिल थे, जिन में 5 महिलाएं और 10 पुरुष थे. अधिकांशत: टीनएजर थे.

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आर्गनाइजर यश आहूजा के माध्यम से पुलिस ने पार्टी में शामिल सभी टीनएजर को घटनास्थल भगवती हाइट्स बुलवाया और सभी के ब्लड सैंपल, यूरिन और बाल के सैंपल ले कर उन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भिजवा दिया ताकि यह पता चल सके की घटना वाली रात पार्टी में किस ने किस तरह के नशे का सेवन किया था? उस में कहीं प्रतिबंधित ड्रग्स का तो सेवन नहीं किया था? उसी के हिसाब से उन पर कानूनी काररवाई सुनिश्चित की जा सके.

हालांकि नए साल पर पार्टी आयोजित करना मुंबई में पूरी तरह से मना था, बावजूद इस के नए साल की पार्टी मनाई गई? पुलिस इस बात की जांच करने लगी कि यश आहूजा ने इस के लिए किस से परमिशन ली थी, ताकि उसी अनुरूप उस पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके.

ऐसे खुला हत्या का राज

बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के गोलमोल जवाब से जाह्नवी की हत्या की गुत्थी रहस्यमयी बन गई थी. हत्या के रहस्य से परदा उठाने के लिए जाह्नवी के घर वाले सोशल ऐक्टीविस्ट आसिफ भमला से मिले.

आसिफ भमला मृतका के मांबाप को ले कर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पास पहुंच गए. कुकरेजा दंपति ने पुलिस कमिश्नर को उन के दफ्तर जा कर एक ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की.

इस के बाद खार पुलिस ने जाह्नवी की हत्या का राज उगलवाने के लिए अदालत में दोनों आरोपियों के रिमांड की मांग की. अदालत ने श्री जोगधनकर और दीया को 7 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया.

पूछताछ में पहले तो दोनों फिर वही पुराना राग अलापते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे आखिरकार दोनों आरोपी टूट गए और अपना जुर्म कबूल लिया कि जाह्नवी की हत्या उन्हीं दोनों ने मिल कर की थी. आखिर दोनों की ऐसी क्या मजबूरी थी, जो जाह्नवी की जान लेना उन की मजबूरी बन गई थी. पुलिस पूछताछ में कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

19 वर्षीय जाह्नवी कुकरेजा मूलरूप से मुंबई (ठाणे) के सांताक्रुज की रहने वाली थी. प्रकाश कुकरेजा और निधि कुकरेजा के 2 बच्चों में जाह्नवी बड़ी थी. जाह्नवी से छोटी एक और बेटी है. होनहार और कर्मठी जाह्नवी पढ़ने में अव्वल थी. ह्यूमन साइकोलौजी की वह छात्रा थी. बेटी की पढ़ाई देख कर मांबाप उसे आस्ट्रेलिया भेजने की तैयारी करने लगे थे. मांबाप ने उस के पासपोर्ट और वीजा भी बनवा लिए थे. बस उसे विदेश जाने भर की देरी थी.

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जाह्नवी कुकरेजा के पड़ोस में रहने वाले समीर पडनकर की बेटी दीया पडनकर उस की बेस्ट फ्रैंड थी. दोनों ही हमउम्र थीं और उन की पढ़ाई के विषय भी एक ही थे. दीया पडनकर जाह्नवी के नोट्स बनवाने में दिल खोल कर मदद करती थी. घंटों दोनों साथ बैठ कर पढ़ती थीं. उस दौरान अपने दिल का हाल भी एकदूसरे से शेयर करती थीं.

22 वर्षीय श्री जोगधनकर मुंबई के वडाला के न्यू कफे परेड स्थित टावर-7 ए-विंग का रहने वाला था. अंबादास जोगधनकर का वह एकलौता बेटा था. अपनी लच्छेदार बातों से वह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था. वह बौक्सिंग में भी चैंपियन था.

श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा एक ही कालेज में पढ़ते थे. इस वजह से 3 साल से दोनों एकदूसरे को जानते थे और दोनों गहरे दोस्त भी थे. यहीं नहीं दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. यह बात उन के घर वालों से छिपी नहीं थी.

दोस्ती बदली प्यार में

दोनों ही हाई सोसाइटी के रहने वाले थे. उन के मांबाप रसूखदार थे, इसलिए वे अपने बच्चों पर अंधा विश्वास करते थे कि उन के बच्चे कोई गलत काम नहीं कर सकते हैं. बच्चों पर अंधे विश्वास के कारण ही उन्हें कहीं भी, कभी भी, जानेआने की खुली छूट मिली हुई थी. इसलिए वे दोनों अपनेअपने तरीके से जीते थे.

बहरहाल, श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा दोस्त से कब एकदूसरे को दिल दे बैठे, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें अपने प्यार का एहसास तो तब हुआ जब दोनों एकदूसरे से अलग होते और मिलने के लिए बेताब हो जाते थे. जब तक वे मिल नहीं लेते थे या एक दूसरे से फोन पर बातें नहीं कर लेते थे तब तक वे बेचैन रहते थे.

जाह्नवी के घर वाले बेटी के प्यार वाली बात नहीं जानते थे. वे बस इतना ही जानते थे कि दोनों गहरे दोस्त हैं, इस के अलावा इन के बीच कोई और रिश्ता नहीं है.

जाह्नवी के पड़ोस में दीया पडनकर रहती थी. दीया अकसर जाह्नवी से मिलने और उसे नोट्स बनाने के लिए शाम के समय उस के घर आ जाया करती थी. यह इत्तफाक ही होता था कि जब दीया जाह्नवी से मिलने उस के घर आती, उसी समय श्री जोगधनकर भी जाह्नवी से मिलने वहां आ जाया करता था. फिर तीनों मिल घंटों बातें करते थे. इस बीच कनखियों से श्री जोगधनकर दीया को देखा करता था.

दूध जैसी रंगत वाली गोरीचिट्टी दीया थी तो बेहद खूबसूरत, उतनी ही प्यारी भी थी कि कोई भी उस की ओर सहज ही आकर्षित हो जाए. दीया पर वह फिदा हो गया था. दीया के मन के किसी कोने में श्री के लिए जगह बन गई थी. वह उसे चाहने लगी थी.

धीरेधीरे श्री जोगधनकर और दीया जाह्नवी से छिप कर मिलने लगे. दोनों ने अपने प्यार का इजहार एकदूसरे से कर भी दिया था. जान से प्यारी सहेली दीया उस के प्यार को उस से छीन लेगी, यह बात जाह्नवी ने सपने में भी नहीं सोची होगी. अब यहां मामला त्रिकोण प्रेम का बन गया था. श्री जोगधनकर को जाह्नवी टूट कर चाहती थी जबकि वह दीया को चाहने लगा था.

दीया जब से श्री जोगधनकर की जिंदगी में आई थी, वह जाह्नवी से कटाकटा रहने लगा था. यह बात जाह्नवी ने महसूस की थी, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर उस से ऐसा क्या हो गया जो उस का प्यार उस से कटाकटा सा रहने लगा था. मिलने पर उस में पहले जैसी फीलिंग नहीं आ रही थी. यह सोचसोच कर जाह्नवी परेशान रहती थी.

सहेली ने लगाई प्यार में सेंध

जल्द ही उसे यह पता चल गया कि श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट सहेली दीया के बीच कुछ चल रहा है. वह हरगिज यह बरदाश्त करने के लिए तैयार नहीं थी कि कोई और उस का प्यार उस से छीने. पुलिस के अनुसार, जाह्नवी ने जोगधनकर को समझाया भी था कि वह दीया से नजदीकियां बढ़ाना छोड़ दे, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. यह बात जाह्नवी ने गुस्से में कही थी. उस समय जोगधनकर को उस की यह बात बहुत बुरी लगी थी. वह नहीं चाहता था कोई दीया को ले कर उसे कुछ कहे. उस समय उस ने कुछ नहीें कहा लेकिन यह बात उस ने दीया को फोन कर के बता दी कि जाह्नवी को उन के बारे में जानकारी हो गई है.

अगले भाग में पढ़ें- बातों में कैसे फंसा कर ले गए थे आरोपी

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