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‘‘मेरे पास उन की तसवीर है, देख कर यहां ही पसंद कर लीजिए.’’ एजेंट ने कहने के बाद अपने कीमती मोबाइल पर एक निजी साइट खोल कर हरीश शर्मा के सामने कर दी. उस ने करीब 10 विदेशी युवतियों के फोटो दिखाए. सभी कयामत बरपा देने वाली हसीन गोरी चमड़ी वाली हसीनाएं. एक से बढ़ कर एक थीं.

हरीश शर्मा के साथ रविकांत भी अपनी जगह बेचैनी से पहलू बदलते रहे, गजब की सुंदर, कोमल, चिकनी मलमली देह वाली विदेशी युवतियां थीं वे. देख कर ही दोनों को नशा होने लगा.

हरीश शर्मा ने एक तसवीर पर अंगुली रख दी, ‘‘इस की कीमत बोलिए.’’

‘‘हरेक की कीमत एक बार बैठने की 15 हजार होगी. कहिए तो मैं आप को इस के आशियाने पर छोड़ने चलूं?’’

 

हरीश शर्मा ने जेब टटोलने का अभिनय किया. अपना पर्स निकाल कर जोश में बोला, ‘‘मैं 15 हजार ही दूंगा.’’

हरीश ने बटुआ खोला और उस में झांक कर निराशा भरी सांस ली, ‘‘ओह! रुपए तो मैं अपनी टेबल पर ही छोड़ आया. सौरी यार… कल आ जाऊंगा.’’

‘‘तुम सात जन्म लोगे तब भी यहां लौट कर नहीं आओगे. यहां कोहिनूर हीरे मिलते हैं, तुम्हारे बाजारों की सड़ी बदबूदार मछलियां नहीं, जो पूरी रात के लिए 2-3 सौ में प्लेट में सजने को तैयार रहती हैं.’’ इस बार एजेंट भड़क कर तूतड़ाक पर उतर आया, ‘‘अबे जब जेब में दमड़ी नहीं थी तो मेरा टाइम खराब करने क्यों आ गए? जाओ, दफा हो जाओ यहां से.’’

हरीश शर्मा ने पर्स जेब में रखा और रविकांत का हाथ पकड़ कर बोला, ‘‘चल यहां से, कहीं और मूड बनाएंगे.’’

दोनों मोटरसाइकिल की तरफ बढ़े तो एजेंट ने उन्हें फाड़ खाने वाली नजरों से देख कर भद्दी गाली दी. हरीश शर्मा एक बार ठिठका लेकिन रविकांत ने उसे अपनी तरफ खींच कर धीमे से कहा, ‘‘ये इस का इलाका है, यहां यह अकेला नहीं होगा. इस के एक इशारे पर कई साथी आ टपकेंगे. यहां से चुपचाप निकल चलने में ही भलाई है.’’

‘‘यह हरामी हमें भद्दी गालियां दे रहा है. बेशक हम इतना रुपया एक बार के लिए खर्च नहीं कर सकते, लेकिन इसे हमारी बेइज्जती करने का हक नहीं बनता.’’ हरीश शर्मा झुंझलाए स्वर में बोला.

‘‘हमें अपनी औकात देख कर ही यहां आना चाहिए था. वैसे भी विदेशी माल 4-5 सौ में नहीं मिलता.’’ रविकांत ने गहरी सांस भर कर कहा.

‘‘मैं भी जानता हूं, मुझे उन लड़कियों की झलक देखनी थी, वह मैं ने उसे बेवकूफ बना कर देख ली.’’ शर्मा मुसकरा कर बोला.

‘‘चलो, आज की रात किसी बाजार के कोठे पर गुजारते हैं. मूड ठीक हो जाएगा.’’ रवि ने शर्मा का हाथ दबा कर कहा.

‘‘चलेंगे, लेकिन इस भड़वे का दिमाग ठिकाने जरूर लगाऊंगा मैं. इस की बहन की… इस साले ने हमें गाली दी है.’’

‘‘क्या करोगे यार, कहा न यह इन का इलाका है.’’

‘‘इस इलाके में आग लगाऊंगा मैं.’’ हरीश शर्मा गंभीर स्वर में बोला और मोबाइल पर किसी का नंबर डायल करने लगा. नंबर मिल गया. अब वह धीरेधीरे से किसी से बात कर रहा था और इस इलाके मालवीय नगर में देह व्यापार होने की जानकारी दे रहा था.

 

क्राइम ब्रांच थाना पुष्प विहार में इंसपेक्टर प्रमोद कुमार अपने कक्ष में बैठे सुबह का अखबार देख रहे थे तभी कांस्टेबल सोहनवीर ने आ कर उन्हें सैल्यूट किया.

‘‘कैसे हो सोहनवीर?’’ एक नजर सोहनवीर पर डालते हुए इंसपेक्टर प्रमोद कुमार ने पूछा.

‘‘ठीक हूं सर.’’ सोहनवीर ने गंभीरता से कहा, ‘‘मैं एक खास मकसद से आप से मिलने आया हूं.’’

इंसपेक्टर प्रमोद ने तुरंत अखबार एक ओर रख दिया और सोहनवीर की ओर मुखातिब हो गए, ‘‘गंभीर हो और खास मकसद से आए हो तो पहले मैं आप की बात सुनूंगा. कहिए?’’

‘‘जी, मालवीय नगर में देह व्यापार चल रहा है, जिस में कई विदेशी लड़कियों को देह धंधे में उतारा गया है.’’

‘‘क्या कह रहे हैं आप?’’ इंसपेक्टर प्रमोद चौंक कर बोले, ‘‘यह खबर आप को कैसे लगी?’’

‘‘मेरे खास मुखबिर ने यह खबर दी है, वह दरवाजे पर मौजूद है सर.’’

‘‘उसे अंदर बुलवाइए.’’

कांस्टेबल सोहनवीर बाहर गए और अपने साथ एक दुबलेपतले व्यक्ति को ले कर अंदर आ गए. उस व्यक्ति ने इंसपेक्टर प्रमोद को हाथ जोड़ कर नमस्ते की.

‘‘तुम्हें मालवीय नगर में देह व्यापार होने की खबर कैसे लगी?’’ बगैर कोई भूमिका बांधे इंसपेक्टर प्रमोद ने सवाल किया.

‘‘सर, मेरे एक दोस्त ने रात को मुझे फोन से यह जानकारी दी थी. वह दोस्त कौन है, कहां रहता है, मैं यह नहीं बताऊंगा लेकिन यह खबर सोलह आना सच्ची है सर.’’

‘‘कैसे कह सकते हो कि तुम्हारे दोस्त ने तुम्हें जो बताया है वह सच होगा?’’ इंसपेक्टर प्रमोद ने मुखबिर को पैनी नजरों से देखते हुए पूछा.

‘‘वह कल रात को मौजमस्ती के लिए मालवीय नगर गया था सर, सौदा महंगा था वह पे नहीं कर सका तो दलाल ने उसे भद्दीभद्दी गालियां दीं. इस से खफा हो कर उस ने मुझे यह बात बता दी. सर, वह जानता है कि मैं पुलिस के लिए मुखबिरी करता हूं.’’

‘‘हूं. कई दिनों से मुझे भी उड़तीउड़ती जानकारी मिल रही थी कि मालवीय नगर में देह का धंधा किया जा रहा है. आज तुम ने इस की पुष्टि कर दी है, फिर भी मैं पूरी सच्चाई और ठोस प्रमाण पाने के बाद ही कोई कड़ा कदम उठाऊंगा.’’

‘‘मैं इस की सच्चाई पता लगाने में पूरी मेहनत करूंगा सर.’’ मुखबिर ने गंभीर स्वर में कहा.

‘‘सोहनवीर, आप भी मुखबिर के साथ इस के कथन की पुष्टि करने के लिए जुट जाइए. यह काम बहुत सावधानी से और सादे कपड़ों में होना चाहिए. देह व्यापार चलाने वाले बहुत शातिर दिमाग होते हैं और खतरनाक भी.’’

‘‘आप बेफिक्र रहिए सर, एकदो दिन में मैं मुखबिर के साथ मिल कर ठोस जानकारी हासिल कर लूंगा.’’ कांस्टेबल सोहनवीर ने कहा और इंसपेक्टर से इजाजत ले कर मुखबिर के साथ निकल गया.

कांस्टेबल सोहनवीर और मुखबिर (काल्पनिक नाम विनोद) ने मिल कर मालवीय नगर में वह फ्लैट ढूंढ निकाला, जहां विदेशी लड़कियों से देह व्यापार करवाया जा रहा था.

एक कस्टमर को लालच दे कर उन्होंने यह भी मालूम कर लिया कि इस धंधे का दलाल कौन है और उसे कहां और कैसे संपर्क किया जा सकता है. यह पुख्ता जानकारी कांस्टेबल सोहनवीर ने क्राइम ब्रांच पुष्प विहार के सीनियर इंसपेक्टर प्रमोद कुमार को दे दी.

इंसपेक्टर प्रमोद कुमार ने इस की रिपोर्ट तुरंत डीसीपी (क्राइम ब्रांच) विचित्रवीर को दी. उन्होंने इस मामले को बड़ी गंभीरता से लिया और एसीपी एस.के. गुलिया के सुपरविजन में एक जांच दल का गठन कर दिया.

इंसपेक्टर प्रमोद कुमार, प्रदीप कुमार के साथ कांस्टेबल सोहनवीर और एएसआई राजेश तथा अन्य एसआई बहादुर शर्मा, सुमन बजाज, गुंजन सिंह, एएसआई सुनीता, जसबीर, रामचंद्र, नवीन पांडेय और सतीश को शामिल किया गया.

इंसपेक्टर प्रमोद कुमार ने कांस्टेबल सोहनवीर और एएसआई राजेश को नकली ग्राहक बना कर पंचशील विहार भेजा. सोहनवीर को हस्ताक्षरयुक्त 5 सौ रुपए के 30 नोट दिए गए, जिन के नंबर पहले ही डायरी में दर्ज कर लिए गए.

कांस्टेबल सोहनवीर को नकली ग्राहक बना कर एजेंट मोहम्मद अरूप और चंदे साहनी उर्फ राजू से मिल कर सौदा तय करना था. एएसआई को कांस्टेबल सोहनवीर पर नजर रखनी थी और सौदा होने पर सिर पर हाथ घुमा कर रेड करने का संकेत देना था.

कांस्टेबल सोहनवीर ने अपना हुलिया बदल लिया. वह स्मार्ट और मनचले युवक के हुलिए में तैयार हुआ तथा प्राइवेट वाहन से एएसआई राजेश के साथ पंचशील विहार, मालवीय नगर पहुंच गया. इस वक्त राजेश सादे कपड़ों में थे.

दोनों उस पार्क के पास पहुंच कर रुक गए. सोहनवीर ने अपने मोबाइल में दूसरी सिम डाल ली थी. उस ने एजेंट मोहम्मद अरूप का नंबर डायल किया.

‘‘हैलो, आप को किस से बात करनी है?’’ दूसरी ओर से पूछा गया.

‘‘मुझे मोहम्मद अरूप से बात करनी है. मैं अभिषेक बोल रहा हूं.’’

‘‘मैं मोहम्मद अरूप ही बोल रहा हूं. कहिए, आप को मुझ से क्यों मिलना है?’’

‘‘मुझे एक पार्टनर चाहिए, ऐसा पार्टनर जो मेरी तबीयत को मस्त कर दे.’’

‘‘आप को गलतफहमी हुई है जनाब, मैं लड़कियों का दलाल नहीं हूं.’’

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