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उस दिन मार्च, 2020 की 17 तारीख थी. शाम के 4 बजे थे. मकान मालकिन पुष्पा किचन में चाय बनाने जा रही थी. तभी किसी ने डोरबैल बजाई. पुष्पा ने दरवाजा खोला तो दरवाजे पर 2 महिलाएं खड़ी थीं. उन में एक जवान थी, जबकि दूसरी अधेड़ उम्र की थी. पुष्पा ने अजनबी महिलाओं को देख कर परिचय पूछा तो उन्होंने कोई जवाब न दे कर पर्स से एक फोटो निकाली और पुष्पा को दिखाते हुए पूछा, ‘‘क्या यह आप के मकान में रहता है?’’

पुष्पा ने फोटो गौर से देखी फिर बोली, ‘‘हां, यह तो आशीष है. अपनी पत्नी सोना के साथ पिछले 6 महीने से हमारे मकान में रह रहा है. उस की पत्नी सोना कहीं बाहर काम करती है. इसलिए सप्ताह में 2-3 दिन ही आ पाती है. आज वह 12 बजे घर आई थी. आशीष भी घर पर था, लेकिन आधा घंटा पहले कहीं चला गया है.’’

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मकान मालकिन पुष्पा से पूछताछ करने के बाद दोनों महिलाएं वापस चली गईं. दरअसल, ये महिलाएं गीता और उन की बहू ज्योति थीं, जो सरायमीता पनकी, कानपुर की रहने वाली थीं. सोना गीता की बेटी थी और आशीष सोना का प्रेमी था.

आशीष ने कुछ देर पहले ज्योति के मोबाइल पर काल कर के जानकारी दी थी कि उस ने उस की ननद सोना को मार डाला है और उस की लाश दबौली निवासी पुष्पा के मकान में किराए वाले कमरे में पड़ी है, आ कर लाश ले जाओ. ज्योति ने यह बात अपनी सास गीता को बताई. फिर सासबहू जानकारी लेने के लिए पुष्पा के मकान पर पहुंची, लेकिन वहां हत्या जैसी कोई हलचल न होने से दोनों वापस लौट आई थीं.

चाय पीतेपीते पुष्पा के मन में आशीष को ले कर कुछ शंका हुई तो वह पहली मंजिल स्थित उस के कमरे पर पहुंची. कमरे के दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद थी और अंदर से खून बह कर बाहर की ओर आ रहा था.

खून देख कर पुष्पा चीख पड़ी. मालकिन की चीख सुन कर अन्य किराएदार कमल, सुनील, टिंकू तथा शिवानंद आ गए. इस के बाद पुष्पा ने कमरे का दरवाजा खोल कर अंदर झांका तो उन की आंखें फटी रह गईं.

कमरे में फर्श पर खून से लथपथ सोना की लाश पड़ी थी. लाश से खून रिस कर कमरे के बाहर तक आ गया था. सोना की लाश देख कर किराएदार भी भयभीत हो उठे. इस के बाद तो हत्या की खबर थोड़ी देर में पूरे दबौली (उत्तर) में फैल गई. लोग पुष्पा के मकान के बाहर जुटने लगे.

शाम लगभग 5 बजे पुष्पा ने थाना गोविंद नगर फोन कर के किराएदार आशीष की पत्नी सोना की हत्या की जानकारी दे दी. हत्या की सूचना मिलते ही थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने इस घटना से अधिकारियों को अवगत कराया और पुलिस टीम के साथ दबौली (उत्तर) स्थित पुष्पा के मकान पर जा पहुंचे.

मकान के बाहर भीड़ जुटी थी. लोग तरहतरह की बातें कर रहे थे. भीड़ को पीछे हटा कर थानाप्रभारी अनुराग सिंह पुलिस टीम के साथ मकान की पहली मंजिल स्थित उस कमरे में पहुंचे जहां लाश पड़ी थी.

सोना की हत्या बड़ी निर्दयता से की गई थी. लाश के पास ही खून से सनी कैंची तथा मोबाइल पड़ा था. देखने से लग रहा था कि हत्या के पहले मृतका से जोरजबरदस्ती की गई थी. विरोध करने पर उस के पति आशीष ने कैंची से वार कर उस की हत्या कर दी थी. न केवल सोना के पेट में कैंची घोंपी गई थी, बल्कि उस के गले को भी कैंची से छेदा गया था.

थानाप्रभारी अनुराग सिंह अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि एसएसपी अनंत देव, एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता और सीओ (गोविंद नगर) मनोज कुमार गुप्ता भी वहां आ गए. अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया था.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और इंसपेक्टर अनुराग सिंह से घटना के संबंध में जानकारी हासिल की. फोरैंसिक टीम ने निरीक्षण कर घटनास्थल से साक्ष्य जुटाए. कैंची, दरवाजा और मेज पर रखे गिलास से फिंगरप्रिंट उठाए. जमीन पर फैले खून का नमूना भी जांच हेतु लिया गया.

निरीक्षण के दौरान सीओ मनोज कुमार गुप्ता की नजर मेज पर रखे लेडीज पर्स पर पड़ी. उन्होंने पर्स की तलाशी ली तो उस में साजशृंगार का सामान, कुछ रुपए तथा एक आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड में युवती का नाम सोना सोनकर, पिता का नाम मुन्ना लाल सोनकर, निवासी सराय मीता, पनकी कानपुर दर्ज था. गुप्ताजी ने 2 सिपाहियों को आधार कार्ड में दर्ज पते पर सूचना देने के लिए भेज दिया.

एसपी (साउथ) अपर्णा गुप्ता ने मकान मालकिन पुष्पा देवी से पूछताछ की तो उस ने बताया कि उस के पति देवकीनंदन की मृत्यु हो चुकी है. 2 बेटे हैं, अजय व राकेश, जो बाहर नौकरी करते हैं. मकान के भूतल पर वह स्वयं रहती है, जबकि पहली मंजिल पर बने कमरों को किराए पर उठा रखा है.

मकान में 4 किराएदार शिवानंद, कमल, सुनील व टिंकू पहले से रह रहे थे. 6 महीना पहले आशीष नाम का युवक एक युवती के साथ किराए पर कमरा लेने आया था.

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उस ने उस युवती को अपनी पत्नी बताया, साथ ही यह भी बताया कि उस की पत्नी सोना दूरदराज नौकरी करती है. वह सप्ताह में 2 या 3 दिन ही आया करेगी. मैं ने उसे रूम का किराया 1600 रुपए बताया तो वह राजी हो गया और किराएदार के रूप में रहने लगा. उस की पत्नी सोना सप्ताह में 2 या 3 दिन आती थी.

पुष्पा ने बताया कि आज 12 बजे सोना आशीष से मिलने आई थी. उस के बाद कमरे में क्या हुआ, उसे मालूम नहीं. आशीष 3 बजे चला गया था. उस के जाने के बाद 2 महिलाएं उस के बारे में पूछताछ करने आईं. लेकिन आशीष रूम में नहीं था, यह जान कर वे दोनों चली गईं. महिलाओं की बातों से मुझे कुछ शक हुआ, तो मैं आशीष के रूम पर गई. वहां कमरे के बाहर खून देख कर मैं चीखी तो बाकी किराएदार आ गए. उस के बाद मैं ने यह सूचना पुलिस को दे दी.

घटनास्थल पर अन्य किराएदार कमल, सुनील, टिंकू व शिवानंद भी मौजूद थे. सीओ मनोज कुमार गुप्ता ने उन से पूछताछ की तो उन सब ने बताया कि आशीष ने उन से सोना को अपनी पत्नी बताया था. वह हफ्ते में 2-3 बार आती थी. कमरा बंद कर दोनों खूब हंसतेबतियाते थे, कभीकभी उन दोनों में तूतूमैंमैं भी हो जाती थी.

आज सोना 12 बजे आई थी. बंद कमरे में दोनों का झगड़ा हो रहा था. तेज आवाजें आ रही थीं. लेकिन हम लोगों ने ध्यान नहीं दिया. घटना की जानकारी तब हुई, जब मकान मालकिन चीखी.

किराएदारों से पूछताछ में एक किराएदार कमल ने बताया कि आशीष ने एक बार बताया था कि वह कानपुर के गजनेर का रहने वाला है.

सीओ मनोज कुमार गुप्ता अभी किराएदारों से पूछताछ कर ही रहे थे कि मृतका सोना की मां गीता, बहन बरखा, निशू, भाभी ज्योति तथा भाई विक्की, सूरज, सनी और पीयूष आ गए. सोना का शव देख सभी दहाड़ मार कर रोने लगे. किसी तरह पुलिस अधिकारियों ने उन्हें शव से अलग किया और फिर पूछताछ की.

एसपी अपर्णा गुप्ता को मृतका की मां गीता ने बताया कि 3 साल पहले उन की बेटी सोना की आशीष से दोस्ती हो गई थी. दोनों एक ही फैक्ट्री में काम करते थे. जब उसे दोनों की दोस्ती की बात पता चली तो उस ने सोना का विवाह कर दिया. लेकिन सोना की अपने पति व ससुरालियों से नहीं पटी, वह मायके आ कर रहने लगी. अपने खर्चे के लिए उस ने गोविंद नगर स्थित एक स्कूल में नौकरी कर ली.

इस बीच आशीष ने सोना को फिर अपने प्रेम जाल में फंसा लिया और वह उसे अपने कमरे पर बुलाने लगा. कभीकभी वह घर भी आ जाता था. हम सब उसे अच्छी तरह जानते थे. पिछले कुछ दिनों से वह सोना पर शादी करने का दबाव डाल रहा था, लेकिन सोना शादी को राजी नहीं थी. आज भी आशीष ने सोना को अपने रूम में बुलाया और शादी का दबाव डाला. उस के न मानने पर आशीष ने जोरजबरदस्ती की और बेटी को मार डाला.

सोना को मौत की नींद सुलाने के बाद आशीष ने मेरी बहू ज्योति के मोबाइल पर हत्या की सूचना दी कि आ कर लाश ले जाओ. तब उस के सभी बेटे काम पर गए थे. वह बहू ज्योति को साथ ले कर दबौली आई और मकान मालकिन पुष्पा से मिली. लेकिन पुष्पा ने यह कह कर लौटा दिया कि आशीष अभी घर पर नहीं है. पुष्पा अगर हमें आशीष के कमरे तक जाने देती तो शायद उस की बेटी की जान बच जाती.

पूछताछ के बाद एसपी अपर्णा गुप्ता ने थानाप्रभारी अनुराग सिंह को आदेश दिया कि वह मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजे और रिपोर्ट दर्ज कर के कातिल आशीष को गिरफ्तार करें. उस की गिरफ्तारी के लिए उन्होंने सीओ मनोज कुमार गुप्ता के निर्देशन में एक पुलिस टीम भी गठित कर दी.

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पुलिस अधिकारियों के आदेश पर थानाप्रभारी अनुराग सिंह ने घटनास्थल से बरामद खून सनी कैंची, सोना का मोबाइल फोन और पर्स आदि चीजें जाब्ते की काररवाई में शामिल कर लीं. इस के बाद मृतका के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भेज दिया गया. थाने लौट कर अनुराग सिंह ने मृतका के भाई सूरज की तहरीर पर धारा 302 आईपीसी के तहत आशीष के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया.

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