सौजन्य- मनोहर कहानियां

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले का नाम वैसे तो दुनियाभर में रामायण काल से ही विख्यात है. क्योंकि अयोध्या के राजा श्रीराम ने अपनी पत्नी सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ इसी चित्रकूट में अपने 14 साल के वनवास का अधिकांश समय व्यतीत किया था.

लेकिन इन दिनों यह पौराणिक शहर एक ऐसी घटना के लिए चर्चित हो रहा है, जिस ने पूरी उत्तर प्रदेश सरकार और यहां की कानून व्यवस्था को कठघरे में खड़ा कर दिया है.

14 मई, 2021 की सुबह का वक्त था. उस दिन पूरा देश ईदउलफितर यानी ईद का त्यौहार मना रहा था. चित्रकूट जिले की रगौली जेल के जेलर महेंद्र पाल हमेशा की तरह सुबह साढे़ 5 बजे जेल परिसर के अपने निवास से जेल के भीतर पहुंचे. उन्होंने जेल की हाई सिक्योरिटी समेत सभी बैरकों को खुलवाया था, ताकि बंदी अपने नित्यकर्म कर सकें.

जेल अधीक्षक श्रीप्रकाश त्रिपाठी भी जेल में सुबह 7 बजे आ गए थे. उन के कारागार में पहुंचने पर जेलर महेंद्र पाल ठीक 8 बजे अपने सरकारी आवास में नहानेधोने और नाश्ता करने के लिए चले गए थे. जेल में होने वाली सुबह की गतिविधियां ठीक से संचालित होने लगीं तो जेल अधीक्षक त्रिपाठी भी साढे 9 बजे कारागार से बाहर अपने सरकारी आवास पर नहानेधोने और नाश्ता करने चले गए.

जेल के दोनों जिम्मेदार अधिकारी जेल के बाहर अपने आवास में नित्य कर्म करने में व्यस्त थे, उसी वक्त उन्हें कारागार के भीतर से धांय... धांय गोलियां चलने की आवाजें आने लगीं.

जेल अधीक्षक तत्काल अपने आवास के बाहर आए तो उन्होंने बंगले के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों से पूछा कि गोलियां कहां और क्यों चल रही हैं.  सुरक्षाकर्मियों ने कुछ देर में जेलर व जेल अधीक्षक को बता दिया था कि जेल के भीतर एक बंदी ताबड़तोड़ गोलियां चला रहा है और उस ने 2 बंदियों को गोलियां मार दी हैं.

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