सौजन्य- सत्यकथा
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के थाना सकरी इलाके में स्थित है उसलापुर गुप्ता कालोनी. इसी कालोनी में पथरिया चुनचुनिया की पंचायत सचिव चंदना डडसेना अपनी 17 वर्षीया एकलौती बेटी रिया डडसेना के साथ रहती थी.
इस कालोनी में उन्होंने 2 माह पहले ही किराए पर कमरा लिया था. इस से पहले वह परिवार सहित पथरिया में स्थित अपनी ससुराल में रह रही थीं. उन की ससुराल में सास के अलावा कोई नहीं था. ससुर की मृत्यु हो चुकी थी. पति विजय डडसेना की बदमाशों ने जेल में हत्या कर दी थी.
पति और ससुर की मौत के बाद चंदना ने अपनी सास को अपने साथ रखा, बिलकुल मां की तरह क्योंकि उन के अलावा सास की देखभाल करने वाला कोई नहीं था.
बहरहाल, उस दिन तारीख थी 22 अगस्त, 2020. रिया मां चंदना से कह कर अपनी मौसेरी बहन आसना जायसवाल और दोस्त देवदीप गुप्ता के साथ कोटा (राजस्थान) टूर पर गई. घर पर चंदना डडसेना अकेली थीं. इन की सास बीते कई दिनों से पथरिया में रह रही थीं.
रिया ने 24 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे के करीब मां को फोन कर हालचाल पूछना चाहा, लेकिन उन का फोन बंद आ रहा था. उस ने जितनी बार फोन मिलाया, हर बार फोन स्विच्ड औफ आया. इस से रिया थोड़ी परेशान हो गई कि मां का फोन बंद क्यों आ रहा है? वह कभी अपना फोन बंद नहीं रखती थीं.
दरअसल, रिया मां को फोन कर के यह बताना चाहती थी कि वह कोटा से वापस लौट आई है और इस समय नानी के यहां रुकी हुई है, सुबह घर लौट आएगी. पर मां से बात न होने पर वह बुरी तरह परेशान हो गई.
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रात काफी हो गई थी. रिया समझ नहीं पा रही थी कि इस समय किस के पास फोन कर के मां के बारे में पता लगाए. जब कुछ समझ में नहीं आया तो वह सो गई. उस ने नानी से भी कुछ नहीं बताया.
अगली सुबह रिया ने अपने पड़ोसी अंकल इंजीनियर रामेश्वर सूर्यवंशी को फोन कर के कहा, ‘‘अंकल, रात से मां का फोन बंद आ रहा है. मुझे बहुत डर लग रहा है कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो हो नहीं हुई है. अंकल प्लीज, घर जा कर मां को देख लो. हो सके तो मां से मेरी बात करा दीजिए प्लीज.’’
रिया के आग्रह पर पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी ने हां कर दी. उन्होंने यह भी कहा कि घर पहुंच कर तुम्हारी मां से मैं बात करा दूंगा. उन के आश्वासन के बाद रिया ने फोन काट दिया.
एक घंटे बाद रामेश्वर अपनी पत्नी के साथ चंदना डडसेना के घर पहुंचे. उन के घर का मुख्यद्वार अंदर की ओर खुला हुआ था. वहीं से उन्होंने ‘भाभीजी… भाभीजी’ कह कर चंदना को पुकारा और खड़े हो गए.
आवाज लगाने के बाद जब अंदर से कोई हलचल नहीं हुई तो ‘भाभीजी… भाभीजी’ आवाज देते हुए पतिपत्नी अंदर घुस गए. अंदर गहरा सन्नाटा पसरा था. इधरउधर देखते हुए वह चंदना के बैडरूम में पहुंचे.
दरवाजे के ऊपर बाहर से सिटकनी चढ़ी हुई थी. रामेश्वर सूर्यवंशी ने सिटकनी खोली और दरवाजे से ही अंदर की ओर झांक कर कमरे का निरीक्षण किया. जैसे ही उन की नजर बैड के पास नीचे फर्श पर गई, पतिपत्नी दोनों के होश फाख्ता हो गए. वहां से दोनों उलटे पांव बाहर की ओर भागे.
दरअसल फर्श पर चंदना डडसेना की लाश पड़ी थी. उन के गले में दुपट्टा लिपटा था. दोनों पैर एक रंगीन चादर से बंधे हुए थे. लाश के पास ही उन का फोन पड़ा था.
बाहर आ कर पतिपत्नी दोनों ने थोड़ी राहत की सांस ली. जब रामेश्वर सूर्यवंशी सामान्य हुए तो उन्होंने रिया को फोन कर के घटना की सूचना दी और जल्द से जल्द घर पहुंचने के लिए कहा. फिर उन्होंने 100 नंबर पर डायल कर घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को दे दी.
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घटनास्थल (उसलापुर गुप्ता कालोनी) सकरी थाना क्षेत्र में पड़ता था. सकरी थाना प्रभारी रविंद्र यादव सूचना मिलते ही पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए.
थोड़ी देर बाद सीएसपी आर.एन. यादव भी आ गए. इधर मां की मौत की जानकारी मिलते ही रिया भी मौसेरी बहन आयशा जायसवाल के साथ घर पहुंच गई. उस का रोरो कर बुरा हाल था. रिया को रोते हुए देख कर आयशा भी खुद को नहीं संभाल पाई. उस ने भी रोरो कर अपनी आंखें सुजा लीं.
चंदना कोई साधारण महिला नहीं थीं. वह चुनचुनिया की पंचायत सचिव थीं. अपने अच्छे व्यवहार से उन्होंने लोगों के बीच अच्छी पकड़ बना रखी थी. थोड़ी ही देर में चंदना की हत्या की खबर पूरी कालोनी में फैल गई थी. जिस ने भी उन की हत्या की खबर सुनी, दौड़ेभागे उन के आवास पहुंच गए.
मौके से पुलिस को मृतका के मोबाइल के अलावा कुछ नहीं मिला. वह भी स्विच्ड औफ था. घर की अलमारी खुली हुई थी. अलमारी के अंदर सामान तितरबितर था. देखने से ऐसा नहीं लग रहा था कि हत्या लूट की वजह से हुई हो.
अगर लूट की वजह से घटना घटी होती तो मृतका और लुटेरों के बीच संघर्ष के निशान जरूर मिलते, लेकिन मौके से संघर्ष के कोई निशान नहीं मिले थे. इस में पुलिस को कहानी कुछ और ही नजर आई.
पुलिस ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी. थाने पहुंच कर थानाप्रभारी रविंद्र यादव ने रामेश्वर सूर्यवंशी की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी.
मृतका की बेटी रिया से पुलिस ने किसी पर शक होने की बात पूछी तो उस ने अपने पापा के पुराने दोस्त और पड़ोसी रामेश्वर सूर्यवंशी पर ही मां की हत्या का आरोप लगा दिया.
जबकि रिया के फोन करने पर रामेश्वर ही सब से पहले उस के घर पहुंचे थे और उन्होंने ही चंदना की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. लेकिन जब मृतका की बेटी ने उन पर ही शक जताया तो रिया के बयान के आधार पर पुलिस रामेश्वर सूर्यवंशी को हिरासत में ले कर पूछताछ के लिए थाने ले आई.
पुलिस पूरी रात सूर्यवंशी से पूछताछ करती रही लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. जब हत्या में उन की कोई भूमिका सामने नहीं आई तो पुलिस ने उन्हें कुछ हिदायत दे कर इस शर्त पर छोड़ दिया कि दोबारा बुलाए जाने पर थाने आना होगा.
अगले दिन चंदना की पोस्टमार्टम रिपोर्ट थानाप्रभारी रविंद्र यादव के पास आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गला दबाने और नशीली दवा खिलाने की बात लिखी थी. इसलिए मृतका का विसरा सुरक्षित रख लिया गया.
मतलब साफ था कि सचिव की हत्या लूट के लिए नहीं, बल्कि किसी और वजह से की गई थी. हत्या की वजह क्या हो सकती है, यह जांच का विषय था.
पुलिस को भटकाने के लिए हत्यारों ने हत्या जैसे जघन्य अपराध को लूट की ओर ले जाने की कोशिश की थी. पुलिस का शक मृतका के करीबियों पर बढ़ गया था. पुलिस ने रिया से दोबारा पूछताछ की तो इस बार उस का बयान बदल गया. रिया के बदले बयान ने उसे शक के घेरे में खड़ा किया.
शक के आधार पर पुलिस ने रिया को निशाने पर ले लिया और उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया. यही नहीं, पुलिस ने गोपनीय तरीके से उस की छानबीन भी शुरू कर दी थी.
—कथा में रिया परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित