कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

11जून, 2021 की शाम करीब सवा 6 बजे गाजियाबाद के लोनी में बलराम नगर के डी- ब्लौक में रहने वाला रवि ढाका अपनी दुकान से घर लौटा. उस ने गली में मकान के आगे अपनी बाइक खड़ी की. उस ने बाइक की चाबी निकाली. और चाबी के छल्ले में अपने दाएं हाथ की तर्जनी उंगली डाल कर छल्ला घुमाते हुए अपने घर के मेन गेट से अंदर आगे बढा. उस ने महसूस किया कि घर एकदम शांत और सुनसान पड़ा था.

वैसे अकसर जब वह इसी समय पर घर वापस आया करता था तो उस के पिता सुरेंद्र सिंह ढाका टीवी पर तेज आवाज में न्यूज देखते हुए मिला करते थे. टीवी की आवाज मेन गेट तक सुनाई देती थी. लेकिन उस दिन न तो कोई टीवी की आवाज आ रही थी और न ही उस के मातापिता के बात करने की कोई गूंज सुनाई दे रही थी.

इन सब चीजों के बारे में अपने मन में सवाल उठाते हुए, वह बेफिक्र अंदाज में ग्राउंड फ्लोर पर उस कमरे की ओर आगे बढ़ा, जहां उस के मातापिता रहते थे. कमरे में घुसने से पहले ही उसे टीवी का रिमोट दरवाजे के बाहर नीचे जमीन पर टूटा पड़ा मिला. जिस की बैटरियां वहीं पड़ी थीं.

यह देख कर रवि ने सोचा कि शायद मम्मी पापा के बीच कुछ नोकझोंक हुई है. तभी तो इतना सन्नाटा पसरा हुआ है. उस ने वह रिमोट और बैटरियां उठाईं और उस रिमोट में बैटरियां सेट करते हुए कमरे की दहलीज पर ही पहुंचा था कि तभी उस की नजर कमरे में पहुंची. और उस कमरे का दृश्य देख कर वह सन्न रह गया.

कमरे का सारा सामान अस्तव्यस्त था. कमरे की अलमारी खुली हुई थी और उस के पिता सुरेंद्र सिंह ढाका पलंग और जमीन के सहारे पड़े थे.

ये भी पढ़ें- Satyakatha: 10 साल बाद सर चढ़कर बोला अपराध

‘बाबा’ कहते हुए उस की चीख निकली. अपने पिता को इस हालत में देख कर रवि इतनी जोर से चिल्लाया कि गली के अन्य लोगों तक उस की आवाज पहुंच गई. जिस से कुछ ही देर में उस के घर के बाहर कई लोग पहुंच गए.

रवि को मां दिखाई नहीं दे रही थीं, इसलिए वह बिना देरी के ग्राउंड फ्लोर से निकल कर कमरे से सटी सीढि़यों से भागता हुआ पहली मंजिल पर मौजूद कमरे में पहुंचा. वहां उस की मां संतोष देवी की लाश बिस्तर पर पड़ी मिली.

उन के गले में फोन चार्जर का तार लपेटा हुआ था. मां की लाश देख रवि एकदम से हैरान रह गया. उस की आंखों से आंसुओं की धार बहनी शुरू हो गई.

रोतेबिलखते हुए उस ने मां के गले में लिपटे हुए चार्जर के तार को निकाला. इस के बाद वह रोता हुआ सीढि़यां उतर कर घर के बाहर निकल गया. घर के मेन गेट पर लोगों की भीड़ रवि की चीख सुन कर पहले से ही जमा थी.

रवि को इस हाल में देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘रवि क्या हुआ जो तुम रो रहे हो?’’

रवि के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे. मोहल्ले के लोगों के सवालों का जवाब देते हुए वह रोते हुए बोला, ‘‘मेरे मांबाबा को किसी ने मार दिया. घर का सामान सारा बिखरा पड़ा है. ये कैसे हो गया.’’

यह सुनते ही कुछ लोग रवि के घर में उत्सुकतावश घुसे कि आखिर यह कैसे हो गया. घर में उन्होंने भी जब सुरेंद्र सिंह और उन की पत्नी को मृत अवस्था में देखा तो वह भी आश्चर्यचकित रह गए. फिर उन्हीं में से एक व्यक्ति ने इस की सूचना लोनी बौर्डर थाने में फोन कर के दे दी.

ये भी पढ़ें- Best of Satyakatha: डोली के बजाय उठी अर्थी

सूचना पा कर थोड़ी देर में थाना पुलिस मौके पर पहुंच गई.

मौकाएवारदात को पुलिस ने बारीकी से परखा. ग्राउंड फ्लोर पर रवि ढाका के पिता सुरेंद्र सिंह ढाका की लाश थी और पहली मंजिल पर उस की मां संतोष देवी की लाश पड़ी थी. दोनों ही कमरों में घर का सामान बिखरा हुआ था. दोनों ही कमरों की अलमारियों के दरवाजे खुले थे. देख कर लग रहा था कि हत्याएं लूट के मकसद से की गई हैं.

थानाप्रभारी ने इस बारे में रवि व अन्य लोगों से पूछताछ की. इस के बाद लाशों को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया.

अगले भाग में पढ़ें- किन सवालों को सुन कर रवि बुरी तरह से हकला गया

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...