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सौजन्य- सत्यकथा

उस दिन नवंबर, 2020 की 15 तारीख थी. सुबह के यही कोई 8 बज रहे थे. तभी थाना घाटमपुर प्रभारी इंसपेक्टर राजीव सिंह को नरबलि की खबर मिली. यह खबर भदरस गांव के किसी व्यक्ति ने उन के मोबाइल फोन पर दी थी. उस ने बताया कि दीपावली की रात गांव के करन कुरील की 7 वर्षीय बेटी श्रेया उर्फ भूरी की बलि दी गई है. उस की लाश भद्रकाली मंदिर के पास पड़ी है.

खबर पाते ही थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ भदरस गांव पहुंच गए. भद्रकाली मंदिर गांव के बाहर था. वहां भारी भीड़ जुटी थी. दरअसल मासूम बच्ची की बलि चढ़ाए जाने की बात भदरस ही नहीं, बल्कि अड़ोसपड़ोस के गांवों तक फैल गई थी. अत: सैंकड़ों लोगों की भीड़ वहां जमा थी.

भीड़ देख कर राजीव सिंह के हाथपांव फूल गए. क्योंकि वहां मौजूद लोगों में गुस्सा भी था. लोगों ने साफ कह दिया था कि जब तक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर नहीं आएंगे, तब तक वह बच्ची के शव को नहीं उठने देंगे. थानाप्रभारी राजीव सिंह ने यह जानकारी पुलिस अधिकारियों को दे दी फिर जांच में जुट गए.

श्रेया उर्फ भूरी की नग्न लाश भद्रकाली मंदिर के समीप नीम के पेड़ के नीचे गन्नू तिवारी के खेत में पड़ी थी. शव के पास मृत बच्ची का पिता करन कुरील बदहवास खड़ा था और उस की पत्नी माया कुरील दहाडें़ मार कर रो रही थी. घर की महिलाएं उसे संभालने की कोशिश कर रही थीं.

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मासूम का पेट किसी नुकीले व धारवाले औजार से चीरा गया था और पेट के अंदर के अंग दिल, फेफड़े, लीवर, आंतें तथा किडनी गायब थीं.

मासूम श्रेया के गुप्तांग पर चोट के निशान थे. माथे पर तिलक लगा था और पैर लाल रंग से रंगे थे. देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नरपिशाचों ने बलि देने से पहले मासूम के साथ दुराचार भी किया था. शव के पास ही मृतका की चप्पल, जींस तथा अन्य कपड़े पड़े थे. नमकीन का एक खाली पैकेट भी वहां पड़ा मिला.

थानाप्रभारी सिंह ने वहां पड़ी चीजों को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित कर लिया. उसी दौरान एसएसपी प्रीतिंदर सिंह, एसपी (ग्रामीण) बृजेश कुमार श्रीवास्तव तथा सीओ (घाटमपुर) रवि कुमार सिंह भी वहां आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा कई थानों की फोर्स बुलवा ली. पुलिस अधिकारियों ने उत्तेजित भीड़ को आश्वासन दिया कि जिन्होंने भी इस वीभत्स कांड को अंजाम दिया है, वह जल्द ही पकड़े जाएंगे और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाई जाएगी.

अधिकारियों के इस आश्वासन पर लोग नरम पड़ गए. उस के बाद उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया. मासूम बालिका का शव देख कर पुलिस अधिकारी भी सिहर उठे.

एसएसपी के बुलावे पर डौग स्क्वायड टीम भी घटनास्थल पर पहुंची. डौग स्क्वायड प्रभारी अवधेश सिंह ने जांच शुरू की. उन्होंने नीम के पेड़ के नीचे पड़ी मासूम के खून के अंश व उस की चप्पल खोजी कुतिया को सुंघाई. उसे सूंघने के बाद यामिनी खेत की पगडंडी से होते हुए गांव की ओर दौड़ पड़ी.

कई जगह रुकने के बाद वह सीधे मृतक बच्ची के घर पहुंची. यहां से बगल के घर से होते हुए गली के सामने बने एक घर पर पहुंची. 4 घरों में जाने के बाद गली के कोने में स्थित एक मंदिर पर जा कर रुक गई.

टीम ने पड़ताल की, लेकिन कुछ हाथ नहीं लगा. इस के बाद यामिनी गांव का चक्कर लगा कर घटनास्थल पर वापस वह आ गई. यामिनी हत्यारों तक नहीं पहुंच सकी.

निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने मृतका श्रेया के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय चिकित्सालय कानपुर भिजवा दिया. मोर्चरी के बाहर भी भारी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया गया.

उधर नरबलि की खबर न्यूज चैनलों तथा इंटरनेट मीडिया पर वायरल होते ही कानपुर से ले कर लखनऊ तक सनसनी फैल गई.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इस दुस्साहसिक वारदात को संज्ञान में लिया. मुख्यमंत्री ने मंडलायुक्त, डीएम व एसएसपी प्रीतिंदर सिंह से वार्ता की और तुरंत आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त काररवाई करने का आदेश दिया.

उन्होंने दुखी परिवार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की और 5 लाख रुपए आर्थिक मदद देने की घोषणा की. उन्होंने कहा, ‘सरकार इस प्रकरण की फास्टट्रैक कोर्ट में सुनवाई करा कर अपराधियों को जल्द सजा दिलाएगी.’

मुख्यमंत्री ने नाराजगी जताई तो प्रशासन एक पैर पर दौड़ने लगा. आननफानन में 3 डाक्टरों का पैनल गठित किया गया और शव का पोस्टमार्टम कराया गया. मासूम के शव का परीक्षण करते समय पोस्टमार्टम करने वाली टीम के हाथ भी कांप उठे थे. मासूम के पेट के अंदर कोई अंग था ही नहीं. दिल, फेफड़े, लीवर, आंतें, किडनी, स्पलीन और इन अंगों को आपस में जोड़े रखने वाली मेंब्रेन तक गायब थी. मासूम के निजी अंगों में चोट के निशान थे, जिस से दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी.

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मासूम के पेट में कुछ था या नहीं, आंतें गायब होने से इस की पुष्टि नहीं हो सकी. पोस्टमार्टम के बाद श्रेया का शव उस के पिता करन कुरील को सौंप दिया गया.

इधर रात 10 बजे एसडीएम (नर्वल) रिजवाना शाहीद के साथ नवनिर्वाचित विधायक (घाटमपुर क्षेत्र) उपेंद्र पासवान भदरस गांव पहुंचे और मृतका श्रेया के पिता करन कुरील को 5 लाख रुपए का चैक सौंपा. उन्हें 2 बीघा कृषि भूमि का पट्टा दिलाने का भी भरोसा दिया गया.

चैक लेते समय करन व उन की पत्नी माया की आंखों में आंसू थे. उन्होंने नर पिशाचों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की.

चूंकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले को वर्क आउट करने में देरी पर नाराजगी जताई थी, इसलिए एसएसपी प्रीतिंदर सिंह व एसपी (ग्रामीण) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने थाना घाटमपुर में डेरा डाल दिया और डीएसपी रवि कुमार सिंह के निर्देशन में खुलासे के लिए पुलिस टीम गठित कर दी.

इस टीम ने भदरस गांव पहुंच कर अनेक लोगों से गहन पूछताछ की. गांव के एक झोलाछाप डाक्टर ने गांव के गोंगा के मझले बेटे अंकुल कुरील पर शक जताया. पड़ोसी परिवार की एक बच्ची ने भी बताया कि शाम को उस ने श्रेया को अंकुल के साथ जाते हुए देखा था.

अंकुल कुरील पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस टीम ने उसे घर से उठा लिया. उस समय वह ज्यादा नशे में था. उसे थाना घाटमपुर लाया गया. उस से कई घंटे तक पूछताछ की लेकिन अंकुल नहीं टूटा.

आधी रात के बाद जब नशा कम हुआ तब उस से सख्ती के साथ दूसरे राउंड की पूछताछ की गई. इस बार वह पुलिस की सख्ती से टूट गया और मासूम श्रेया की हत्या करने का जुर्म कबूल कर लिया.

अंकुल ने जो बताया उस से पुलिस अधिकारियों के रोंगटे खड़े हो गए और मामला ही पलट गया. अंकुल ने बताया कि उस के चाचा परशुराम व चाची सुनयना ने 1500 रुपए में मासूम बच्ची का कलेजा लाने की सुपारी दी थी.

उस के बाद उस ने अपने दोस्त वीरन के साथ मिल कर करन की बेटी श्रेया को पटाखा देने के बहाने फुसलाया. उसे वह गांव से एक किलोमीटर दूर भद्रकाली मंदिर के पास ले गए. वहां दोनों ने उस के साथ दुराचार किया फिर अंगौछे से उस का गला घोंट दिया.

उस के बाद चाकू से उस का पेट चीर कर अंगों को निकाल लिया गया. उस ने कलेजा पौलीथिन में रख कर चाची सुनयना को ला कर दिया. सुनयना और परशुराम ने कलेजे के 2 टुकड़े किए और कच्चा ही खा गए. ऐसा उन्होंने संतान प्राप्ति के लिए किया था.

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