Husband Wife Crime in Hindi : सरफराज उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh)  के जनपद बुलंदशहर (Bulandshaher) के कस्बा सिकंदराबाद के मोहल्ला रिसालदारान के रहने वाले उस्मान का बेटा था. करीब 5 साल पहले उस का निकाह जिले के ही ककोड़ थाना क्षेत्र के गांव बीघेपुर की दरखशा के साथ हुआ था. शादी के बाद दरखशा के मायके वाले दिल्ली (Delhi) जा कर बस गए थे. पिछले 10 दिनों से दरखशा मायके में थी. 2 जनवरी को सरफराज उसे लेने गया था. अगले दिन वह उसे ले कर वापस आ रहा था, तभी कोई काम होने की बात कह कर सरफराज गाजियाबाद (Gaziabad) में रुक गया था. दरखशा वहां से अकेली ही घर आ गई थी.

दरखशा काफी खूबसूरत थी. उसे इस बात का गुमान भी था, इसलिए वह निकाह के बाद भी खूब बनसंवर कर रहती थी. खुश रहना उस की आदत में शुमार था, लेकिन 3 जनवरी, 2017 की शाम को उस के चेहरे पर उदासी और परेशानी झलक रही थी. इस की वजह था उस का शौहर सरफराज. न सिर्फ दरखशा, बल्कि उस के ससुर सहित घर के अन्य लोग भी परेशान थे. वजह यह थी कि सरफराज लापता हो गया था. परेशान ससुर ने दरखशा से पूछा, ‘‘बहू, घर से जाते वक्त उस ने कुछ कहा था तुम से?’’

‘‘उन्होंने कहा था कि एक घंटे बाद घर लौट आऊंगा, लेकिन पता नहीं कहां रह गए? मुझे पता होता कि वह लौट कर नहीं आएंगे तो मैं उन्हें जाने ही नहीं देती.’’ दरखशा ने उदास स्वर में जवाब दिया.

‘‘उसे तो कहीं कोई काम भी नहीं था, फिर अचानक ऐसा कौन सा काम निकल आया कि उसे रुकना पड़ गया?’’

‘‘मैं क्या बता सकती हूं. मैं तो खुद ही उन का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं.’’

सरफराज अचानक कहां लापता हो गया, वह घर क्यों नहीं आया, यह बात किसी की समझ में नहीं आ रही थी. लेकिन सभी लोग दरखशा को शक की निगाहों से देख रहे थे. इस से वह और भी ज्यादा परेशान थी.

कई घंटे बीतने पर भी जब सरफराज नहीं आया तो सभी को चिंता होने लगी. सरफराज के गाजियाबाद में रुकने की बात घर वालों को दरखशा ने बताई थी. यह अलग बात थी कि कोई भी उस की बात पर भरोसा नहीं कर रहा था. इस की वजह यह थी कि सरफराज सीधासादा युवक था. उस ने घर वालों से कहा था कि वह दरखशा ले कर सीधे घर ही आएगा. गाजियाबाद में न तो उस की कोई रिश्तेदारी थी और न ही कोई काम ही हो सकता था.

दरखशा के रिश्ते भी उस से तल्खी भरे थे. तल्खी की वजह थी दरखशा के बहके कदम. उस के अपने मायके के गांव के ही एक युवक से प्रेमसंबंध थे और यह बात किसी से छिपी नहीं थी. इस बात को ले कर शौहरबीवी के बीच अकसर तकरार होती रहती थी. सरफराज के घर वालों ने अपने स्तर पर उस की खोजबीन की तो उन्हें कहीं से पता चला कि सरफराज को बीघेपुर गांव के सत्यवीर के साथ देखा गया था.

सत्यवीर ही वह युवक था, जिस के दरखशा से प्रेम संबंध थे. परेशानहाल सरफराज के घर वाले थाना ककोड़ पहुंचे और थानाप्रभारी वी.के. मिश्र से मिल कर उन्हें पूरी बात बताई. उन्होंने सरफराज की गुमशुदगी दर्ज करा कर अपना शक सत्यवीर और उस के साथियों पर जाहिर किया.

अगले दिन कुछ लोग सरफराज की गुमशुदगी को ले कर एसएसपी सोनिया सिंह से मिले तो उन्होंने इस मामले में काररवाई के निर्देश दिए. एसपी (सिटी) मान सिंह चौहान के निर्देशन में थानाप्रभारी वी.के. मिश्र इस मामले की जांच में जुट गए. पुलिस ने दरखशा से पूछताछ की तो वह शौहर के गायब होने को ले कर परेशान होने की बात कह कर सवालों के जवाब देने से बचती रही. इस से पुलिस का शक उस पर और भी बढ़ गया.

पुलिस ने सख्ती की तो दरखशा ने बताया कि सरफराज को सत्यवीर अपने 2 साथियों नितिन और रवि के साथ ले गया था. यह जान कर सभी को अनहोनी की आशंका सताने लगी. पुलिस सत्यवीर और उस के साथियों की तलाश में जुट गई.

अगले दिन यानी 5 जनवरी को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि सत्यवीर अपने साथियों के साथ मारुति जेन कार नंबर डीएल2सीए 1537 से हसनपुर गांव की ओर आएगा.

पुलिस उस की सरगरमी से तलाश में जुटी थी. थानाप्रभारी वी.के. मिश्र ने सड़क पर नाका लगा कर अपने साथियों हैडकांस्टेबल कारेलाल, कांस्टेबल जनेश्वर दयाल, हेमंत, महिला कांस्टेबल मीनाक्षी और मुन्नी देवी के साथ चैकिंग शुरू कर दी. थोड़ी देर बाद पुलिस को बताए गए नंबर की कार आती दिखाई दी तो उन्होंने उसे रोक लिया. सूचना सटीक थी. कार में वही तीनों युवक सवार थे, जिन की पुलिस को तलाश थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

थाने ला कर उन तीनों से पूछताछ शुरू हुई तो पहले तो उन्होंने पुलिस को बरगलाने का प्रयास किया, लेकिन जल्दी ही उन्होंने बता दिया कि वे लोग सरफराज की हत्या कर के उस की लाश को ठिकाने लगा चुके हैं. पुलिस ने उन की निशानदेही पर बीघेपुर गांव के जंगल में एक गड्ढे से सरफराज की लाश बरामद कर ली.

हत्या की खबर से गांव में सनसनी फैल गई. शव मिलने की सूचना पर एसडीएम कन्हई सिंह और सीओ यशवीर सिंह भी आ पहुंचे थे. पुलिस ने पंचनामा तैयार कर मृतक का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया और उस के घर वालों की तहरीर के आधार पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. सत्यवीर और उस के दोस्तों से हुई पूछताछ के बाद दरखशा को भी गिरफ्तार कर लिया गया, क्योंकि इस साजिश में वह खुद भी शामिल थी.

पुलिस ने सभी से विस्तार से पूछताछ की तो सत्यवीर और दरखशा ने पुलिस को सरफराज की हत्या की जो कहानी सुनाई, वह अवैध संबंधों के फेर में पत्नी द्वारा प्रेमी के साथ षडयंत्र कर के अपने शौहर को रास्ते से हटाने की कहानी थी.

खूबसूरत दरखशा को जो भी युवक देखता, आहें भर कर रह जाता था. यह बात अलग थी कि पारिवारिक बंदिशों के चलते वह अपने अरमानों की बगिया में किसी युवक को स्थान नहीं दे सकी थी.

लेकिन आखिर ऐसा कब तक चलता. जवानी की दहलीज पर खड़ी दरखशा की जिंदगी में सत्यवीर ने प्रवेश किया. दोनों एक ही गांव के रहने वाले थे. आतेजाते सत्यवीर अकसर उसे देखता रहता था.

दरखशा कोई नादान नहीं थी. उस की निगाहों की भाषा वह बखूबी समझती थी. वह कब उस के दिल में बस गया, इस का उसे पता तक नहीं चला. चाहत दोनों ओर थी. फलस्वरूप जल्दी ही दोनों चोरीछिपे मिलने लगे. उन का प्यार परवान चढ़ पाता, इसी बीच घर वालों ने दरखशा का निकाह सरफराज से कर दिया. ससुराल आ कर दरखशा ने घरगृहस्थी में मन लगाना शुरू किया, लेकिन वह सत्यवीर को पूरी तरह भूल नहीं सकी.

वक्त अपनी गति से चलता रहा. विवाह के एक साल बाद दरखशा ने एक बेटे को जन्म दिया. सरफराज के आर्थिक हालात ज्यादा अच्छे नहीं थे. दरखशा ने अपने भावी शौहर को ले कर जो सपने संजोए थे, उन पर वह खरा नहीं उतरा था. वह उस की चाहतों का भी उस ढंग से खयाल नहीं रख पाता था, जैसा वह चाहती थी.

दरखशा का मायके आनाजाना लगा रहता था. सत्यवीर उसे जब भी देखता तो देखता ही रह जाता. सत्यवीर ने दोबारा डोरे डाले तो दरखशा ने इस बार भी अपने कदम पीछे नहीं हटाए. एक दिन उस ने दरखशा को रास्ते में रोक कर पूछा, ‘‘कैसी को दरखशा?’’

‘‘बस अच्छी हूं.’’ वह आह भर कर बोली.

‘‘कभीकभी किस्मत भी कैसा मजाक करती है, इंसान जो चाहता है, वह उसे नहीं मिलता.’’

उस का इशारा समझ कर दरखशा उस की नजरों से नजरें मिला कर बोली, ‘‘लेकिन इंसान को कोशिश भी नहीं छोड़नी चाहिए. कौन जाने किस्मत कब जाग जाए.’’

दरखशा का मनमाफिक जवाब सुन कर सत्यवीर बहुत खुश हुआ. उस का हौसला बढ़ गया. इस के बाद उन के बीच फोन पर बातें और छिपछिप कर मुलाकातें होने लगीं. एक दिन दोनों एकांत में मिले तो सत्यवीर ने उस की आंखों में झांक कर कहा, ‘‘मैं तुम से बेइंतहा मोहब्बत करता हूं दरखशा और तुम्हें हमेशा के लिए अपनी बनाना चाहता था, लेकिन…’’

‘‘तुम क्या जानो, मैं ने भी तुम्हें कभी भुलाया नहीं है. तुम पहले शख्स थे, जिस के लिए मेरे दिल में चाहत पैदा हुई थी. सपनों में तुम्हें ही शौहर के रूप में देखती थी.’’

दरखशा की बातें सुन कर सत्यवीर ने बाहें फैलाईं तो वह कटी डाल की तरह उन में आ गिरी. यह सब गलत था, लेकिन दरखशा पतन की उस गर्त में कदम रख चुकी थी, जिस की दलदल में कदम पड़ने पर इंसान उस के अंदर तक धंसता चला जाता है. उन के बीच एक बार अवैध संबंधों का जो सिलसिला शुरू हुआ तो उस ने रुकने का नाम नहीं लिया. अपने संबंधों को उन्होंने काफी छिपा कर रखा.

दिक्कत तब आई, जब सत्यवीर ने दरखशा की ससुराल भी जाना शुरू कर दिया. इस के बाद तो उन के संबंधों को चर्चा में आते देर नहीं लगी. उड़तेउड़ते यह बात सरफराज के कानों तक भी पहुंची, लेकिन उस ने कभी इस पर विश्वास नहीं किया. एक दिन जब वह सुधबुध खो कर बांहों में समाए हुए थे तो सरफराज अचानक घर आ गया. उस ने बीवी को गैरमर्द की बांहों में देखा तो आगबबूला हो उठा.

उस ने सत्यवीर को खरीखोटी सुनाई तो वह सिर झुकाए चुपचाप निकल गया. इस के बाद उस ने दरखशा को जम कर लताड़ा, ‘‘मैं आज तक यही समझता रहा कि तुम पाकसाफ औरत हो, लेकिन मुझे पता नहीं था कि तुम इतनी नापाक हो. अपने यार के साथ न जाने कब से गुलछर्रे उड़ा रही हो.’’

दरखशा की गलती थी, इसलिए उस ने खामोश रहना ही बेहतर समझा. इस घटना के बाद दरखशा वक्ती तौर पर बदल गई, लेकिन जल्दी ही उस ने फिर से पुराना ढर्रा अख्तियार कर लिया. दरअसल वे दोनों एकदूसरे की जिस्मानी जरूरत का जरिया बन चुके थे. सत्यवीर को ले कर घर में आए दिन झगड़ा होने लगा. यह झगड़ा बढ़ता तो सरफराज उस के साथ मारपीट भी कर देता.

दिसंबर, 2016 के दूसरे सप्ताह में दोनों के बीच जम कर झगड़ा हुआ. नाराज हो कर दरखशा अपने मायके चली गई. इस दौरान वह सत्यवीर के बराबर संपर्क में रही. सत्यवीर उस से मिलने दिल्ली भी गया. तब दरखशा ने मायूसी से कहा, ‘‘तुम जानते हो सत्यवीर, मैं क्या कुछ झेल रही हूं. यह पक्का है कि अब सरफराज मुझे कभी तुम से नहीं मिलने देगा. लेकिन मैं तुम से मिले बिना रह नहीं सकती. अब तुम्हारी खातिर उस के जुल्मों से मेरी जान भी चली जाए तो मुझे परवाह नहीं.’’

सत्यवीर ने उस के होंठों पर अपनी हथेली रख कर कहा, ‘‘कैसी मनहूस बातें करती हो तुम. जान ही जाएगी तो तुम्हारी नहीं, सरफराज की जाएगी.’’

‘‘मैं खुद भी कब से यही चाहती हूं. अपने प्यार के लिए इस दीवार को आज नहीं तो कल हमें गिराना ही होगा. तड़पभरी जिंदगी मैं अब और नहीं जी सकती.’’

बस, उसी दिन सत्यवीर ने सरफराज की हत्या करने का मन बना कर कहा, ‘‘फिक्र न करो, मैं जल्दी ही कुछ करूंगा.’’

इस के बाद सत्यवीर वापस चला आया. वह जानता था कि हत्या करना उस के अकेले के वश में नहीं है. उस ने दरखशा से अपने रिश्तों की बात बता कर कस्बा जारचा निवासी अपनी बुआ के बेटे रवि और ग्राम लखनावली निवासी दोस्त नितिन से इस मुद्दे पर बात की.

सत्यवीर शातिर था. वह जानता था कि ये लोग बिना लालच के साथ नहीं देंगे, लिहाजा उस ने उन के सामने लालच का पासा फेंकते हुए कहा, ‘‘तुम लोग साथ दोगे तो तुम लोगों को भी हमेशा दरखशा के साथ मौजमस्ती कराऊंगा.’’

‘‘अगर वह नहीं मानी तो?’’ रवि ने सवाल किया.

‘‘मैं ने उस के सामने शर्त रख दी थी और वह इस के लिए खुशीखुशी तैयार है.’’

इस के बाद वे दोनों भी उस का साथ देने को तैयार हो गए. इस के बाद उन्होंने सरफराज की हत्या की योजना बना डाली. 2 जनवरी को सरफराज दरखशा को लेने ससुराल गया तो दरखशा ने यह बात सत्यवीर को फोन से बता दी.

अगले दिन सत्यवीर रवि और नितिन को ले कर कार से दिल्ली चला गया और दरखशा के बताए स्थान पर खड़ा हो गया. सरफराज और दरखशा वहां पहुंचे तो सत्यवीर ने बताया कि वे लोग दिल्ली किसी काम से आए थे, अब वापस जा रहे हैं.

योजना के मुताबिक दरखशा ने उन्हें भी साथ ले चलने को कहा. सरफराज उन के झांसे में आ गया. रास्ते में सभी ने चाय पी. दरखशा ने चकमा दे कर सरफराज की चाय में नशीली दवा मिला दी, जिस के बाद वह कार में ही सो गया. दरखशा को सिकंदराबाद उतार कर सत्यवीर सरफराज को अपने गांव के जंगल में ले गया, जहां तीनों ने मिल कर फावड़े से गला काट कर उस की हत्या कर दी.

बेहोशी के चलते वह विरोध भी नहीं कर सका. इस के बाद उन्होंने शव को एक गड्ढे में दबा दिया और अपनेअपने घर चले गए.

उधर दरखशा ने सरफराज के गाजियाबाद में रुकने की मनगढ़ंत कहानी सुना दी. लेकिन वह अपने ही जाल में उलझ गई. शौहरबीवी के रिश्ते विश्वास के होते हैं, जब कोई इस तरह से किसी को धोखा दे तो अंजाम कभी अच्छा नहीं होता. दरखशा ने भी शौहर को धोखा दे कर पतन की दलदल में कदम न रखे होते तो ऐसी नौबत कभी न आती.

पुलिस ने चारों आरोपियों के खिलाफ लिखापढ़ी कर के न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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