ग्वालियर के ख्वाजानगर के रहने वाले हेमराज सिंह 29 दिसंबर, 2016 को अपने परिवार के साथ शहर के प्रसिद्ध साईंबाबा मंदिर गए थे. वहीं उन की 4 साल की बेटी दिव्या बिछुड़ गई. हेमराज सिंह और उन की पत्नी बेटी को इधरउधर खोजने लगे, पर वह कहीं दिखाई नहीं दी.

उन्होंने बच्ची को मंदिर परिसर से ले कर बाहर सड़क तक तलाशा, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चल सका. कुछ ही देर में बच्ची के गायब होने की खबर मंदिर परिसर में मौजूद लोगों के बीच फैल गई. किसी ने पुलिस कंट्रोल रूम और नजदीकी पुलिस स्टेशन में दिव्या के गुम होने की सूचना दे दी. पुलिस को सूचना देने के बावजूद भी हेमराज सिंह और उन की पत्नी बेटी को मंदिर के आसपास खोजते रहे.

उसी बीच एक महिला एक औटोरिक्शा में बैठते हुए औटोचालक से बोली कि उसे बसअड्डा जाना है. उस महिला के साथ जो बच्ची थी, उस की उम्र यही कोई 3-4 साल थी. वह बच्ची लगातार रोए जा रही थी. उसे चुप कराने के लिए वह महिला उसे खाने को कभी बिस्कुट तो कभी कुछ और चीजें दे रही थी. पर वह बच्ची रोते हुए अपनी मां के पास जाने के लिए कह रही थी. बच्ची को इस तरह रोता देख औटोचालक हरिमोहन चौरसिया को कुछ शक हुआ तो उस ने महिला से पूछा कि यह बच्ची क्यों रो रही है?

‘‘दरअसल, इस बच्ची की मां अस्पताल में भरती है. यह उस के पास जाने की जिद कर रही है.’’ महिला ने कहा. हरिमोहन को उस महिला की बात पर विश्वास नहीं हुआ. उसे दाल में कुछ काला नजर आया. लिहाजा वह अपने औटो को रास्ते में पड़ने वाले इंदरगंज थाने में ले गया. महिला ने जब औटो थाने में लाने के बारे में पूछा तो ड्राइवर हरिमोहन ने कहा कि उसे थाने में किसी से 2 मिनट बात करनी है.

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