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बहादुर सीधे सरल स्वभाव का था. वह सिर्फ अपने काम से काम रखता था. ऐसे व्यक्ति का सीधापन कभीकभी उस के लिए ही घातक साबित हो जाता है. बहादुर जैसा था, उस की पत्नी शीला ठीक उस के विपरीत थी. वह काफी तेज और महत्त्वाकांक्षी थी. लेकिन उस की शादी चूंकि बहादुर के साथ हुई थी, इसलिए वह मजबूरी में उस का साथ निभा रही थी.

लेकिन एक दिन शीला को मनमाफिक साथी मिला तो वह दोनों बेटियों को पति बहादुर के पास छोड़ कर उस के साथ चली गई और उस के साथ विवाह कर के कन्नौज में रहने लगी. यह करीब 10 साल पहले की बात है.

बहादुर शीला के जाने से काफी दुखी हुआ, लेकिन वह कुछ नहीं कर पाया. शीला अपनी दोनों बेटियों से भी बेहद प्यार करती थी, इसलिए दूसरा विवाह करने के बाद भी वह फोन पर दोनों बेटियों के संपर्क में रहती थी.

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बहादुर की दोनों बेटियों ममता और सोनिका ने गांव के ही स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा ग्रहण की थी. इस के बाद गांव के पास ही एक कालेज में ममता इंटरमीडिएट में तो सोनिका हाईस्कूल में पढ़ रही थी. बिन मां के सीधे पिता के संरक्षण में पल रही दोनों बहनें अपनी मरजी से जिंदगी जी रही थीं. उन पर पिता का कोई अंकुश नहीं था. दोनों बहनें जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी थीं.

सुरसा थाना क्षेत्र के ही इच्छनापुर गांव में रजनीकांत पांडेय रहते थे. उन के परिवार में भी उन की पत्नी विभा के अलावा 2 बेटियां और एकलौता बेटा सचिन था.

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