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पूनम की झील जैसी गहरी, कजरारी आंखों में गजब की कशिश थी. गोल चेहरा, गुलाबी होंठ और भरे हुए गालों वाली पूनम ने जब उम्र के 18 साल पार किए तो वह गांव के युवकों की नजरों में चुभने लगी थी. जब पूनम स्कूल जाने के लिए या किसी काम से घर से बाहर निकलती, तो गांव लड़के उसे छेड़ने लगते. उन की यही छेड़छाड़ पूनम को जवान और खूबसूरत होने का अहसास कराती थी.

पूनम के पिता गिरजाशंकर कन्नौज जिले में पड़ने वाले थाना गुरसहायगंज के गांव ताखेपुरवा के रहने वाले थे. उन के परिवार में पत्नी कमला के अलावा 2 बेटियां थीं सुधा और पूनम उर्फ मोनी. साथ ही एक बेटा भी अजय.

गिरजाशंकर के पास 5 बीघा उपजाऊ जमीन थी, जिस में अच्छी पैदावार होती थी. कृषि की आय से ही वह परिवार का पालनपोषण करता था. कुल मिला कर गिरजाशंकर का खातापीता परिवार था. बहुत सुखी नहीं तो गांव के हिसाब से उस के घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.

भाईबहनों में पूनम सब से छोटी थी. उस की बड़ी बहन सुधा की शादी फर्रुखाबाद शहर के रहने वाले आलू व्यवसाई रामकुमार के साथ हुई थी. वह अपनी ससुराल में सुखी थी. पूनम पढ़ने में तेज थी, उस ने गांव के माध्यमिक विद्यालय से प्रथम श्रेणी में हाईस्कूल पास किया था. आगे की पढ़ाई के लिए उस ने गुरसहायगंज के सरस्वती देवी इंटर कालेज में 11वीं में प्रवेश ले लिया था. पढ़ाई के साथ पूनम घरेलू कामों में मां का हाथ भी बंटाती थी.

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