अपराध और राजनेताओं के गठजोड़ को एक मनोरंजक कहानी के साथ बिहार की पृष्ठभूमि में पेश करने वाली फिल्म का नाम है -‘‘नमस्ते बिहार’’. जिसमें अपराध जगत के साथ साथ मिड डे मील में हो रहे भ्रष्टाचार को लेकर काफी बातें की गयी हैं. फिल्म में बिहार को उर्वरक प्रदेश बताते हुए बिहार के योगदान की गौरव गाथा का भी चित्रण है.
फिल्म की शुरुआत एक गाने के साथ होती है, जिसमें फिल्म के नायक बिहार की गौरव गाथा गाते हुए बिहार की शिक्षा, संस्कृति व बिहार में पैदा हुए महानुभावों व शहीदों की बात करता है. उसके बाद कहानी शुरू होती है पटना से दूर नदी किनारे बसे एक कस्बे में रह रहे निडर व बेबाक नवयुवक डब्लू (राजन कुमार) से. डब्लू अपनी मौसी के साथ रहता है और उसकी मौसी एक स्कूल में मिड डे मील बनाने व बच्चों को खिलाने का काम करती है.
डब्लू के माता पिता भी इसी कस्बे में रहते हैं. मगर वह डब्लू से नाराज चल रहे हैं. उसी कस्बे की लड़की शांति, डब्लू से प्यार करती है. डब्लू तेज दिमाग का प्रतिभाशाली युवक है. मगर कुछ सफेदपोश व दबंग किस्म के लोग उसे अपराध की दुनिया से जोड़ लेते हैं.
डब्लू एक आपराधिक गतिविधियों से जुड़ संगठन ‘‘जय त्रिशूल जय नाग’’ से जुड़ा हुआ है. जिसका मुखिया गेंदा है और गेंदा एक राजनेता प्रभू यादव के लिए काम कर रहा है. एक दिन प्रभू यादव, गेंदा को सभासद बनवा देता है, तो गेंदा डब्लू को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त कर देते हैं.
डब्लू एक गुमराह युवक जरुर है, लेकिन उसके भी अपने कुछ उसूल व आदर्श हैं. गुंडागर्दी के क्षेत्र में रहते हुए भी उसके अंदर अपने कुछ अच्छे गुण हैं, जिसके चलते समाज में लोग उसकी इज्जत भी करते हैं. इतना ही नहीं खुद डब्लू, रेशमी सिन्हा (भूमिका कलिता) की इज्जत करता है. रेशमी सिन्हा बिहार से प्यार करने वाली बिहार के बेबाक अखबार ‘‘नमस्ते बिहार’’ में कार्यरत इमानदार पत्रकार है. जो कि बिहार को अपराधमुक्त बनाने के मकसद के साथ दिल्ली से बिहार आयी है. डब्लू उनकी लेखनी का दीवाना है.